Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 494
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૪૯૩ पिंड. ४२२,६६७ अनुओ. १७,१८,३९.४०.५२,७०,८२, उत्त. ६०१,६११,१०७५; ३११,३२५,३२७.३२९; महीतल [महीतल] पृथ्वीनासपाटी महुकेढव [मधुकैटभा दैत्यविशेष पण्हा .८; सम. ३४१: महीधर [महीधर] पर्वत महुकोसय [मधुकोशक] भयो सम. २२० पण्हा. ११; महीपाल [महीपालपृथ्वीनुसन२नार, रा | | महुधात [मधुघात] मधनोग्रा भत्त. १४६; पण्हा . ८; महु [मधु/भष, महिर, भीटी पेसाण, ब्रह्महत्त- | महुपिहाण [मधुपिधान मधk aisi ચક્રીનો એક મહેલ, એક સાધારણ વનસ્પતિ ठा. ३८७ थी ३८९; आया. ३५८,३८०: ठा. २८८,८३०; महुबिंदु [मधुबिन्दुभिधनुहु, संसारनास्व३५नुं भग. ५०६,६३९; उवा. ५०,५१: એક દૃષ્ટાંત पण्हा. ४३,४५, पिंड. ६७०; विवा. १३,१४.२० थी २४,३१ थी ३३; महुमेहणि [मधुमेहनिन्] मधुप्रभेना रोगवाणो उव. ४४; जीवा. १८५; __ आया. १८८,४७० जंबू. ३४४; निर. १०,१५; महुयर [मधुकर] प्रभारी पुष्फि. ५; दस. १७२; उव. ३०; उत्त. ४१९,६८४,१३९६; महुयरी [मधुकरी अमरी, गौयरी अनुओ. १५७; नाया. १८: पण्हा. १९ महु [मधुक] वृक्ष विशेष-मो उव. ३; जीवा. १६४: पन्न. ८५; जंबू. ३२ महुअरी [मधुकरी ममरी, गौयरी | महुयासव [मध्वाश्रवा मो 'महुआसव' नंदी. ८; उव. १५: महुआसव [मध्वाश्रव] ठेनुं क्यन मधनी भाई महुर [मधुरभी, स्वादिष्ट, एप्रिय, गीतनो દોષોપશામક અને આહાદજનક હોયતેલબ્ધિ ગુણ, એ નામનો એક અનાર્ય દેશ, તે દેશનો पण्हा. ३४; चउ. ३४; રહેવાસી महुकर [मधुकर] अमरो आया. १८४,३९४,४७३; देविं. २२३; सूय. १८६,६४१: महुकरी [मधुकरी ममरी, गौश ठा. ४७.२६७.२६९.४२४,४२९.५१२, दसा. ५३; ६३५,६३७.६४०.६४१: महुकार [मधुकर भरी सम. ५२; भग. ११०,३८३, दस. ५; ३८५,३८६,४६२ थी ४६४.५१८.५२०, महुकुंभ [मधुकुम्भ भवनो घडी ५९४,६२०,७४०,७५५,७८६; ठा. ३८७ थी ३८९; अ.नंदी. १: नाया. १२,१३,१८,२४ थी २६.३३.४६, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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