Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 491
________________ ४८० आगमसद्दकोसो सम. २५; महासोक्ख [महासौरव्या अति सुप सूय. ६७०,६७१ ठा. ८६,४२८,७०२,८७५: भग. १२३.१५२,४९२,५११; नाया. २१,१४५.२२०: उव. २२,३४.५२: राय. ३३.४६: पन्न. २०३,२०५,२१७,२२६,६१४: सूर. ११६.१९४: चंद. १२०,१९८; जंबू. १३,८४,९०,१२६; महासोदाम [महासुदामन वैरोयन छंद्रनीસેનાનોઅધિપતિ ठा. ४३८; महाहारग [महाहारकभोटोडार भग. ३४५; महाहारतराय [महाहारतरका माति भोटोहर भग. ३६६, राय. ७४; महाहिमवंत [महाहिमवत्] वर्षधर पर्वत सूय. ६४१ थी ६४४; ठा. ८७,८८,९६,२११,५७३,६४५,७५७: सम. ७,१३१,१३५,१६१.१६६,१८१,१८९; राय.४२: जीवा. १६४,१७९,२२३; पन्न. ४४१: जंबू. १३०,१३१,१३३, १३४,१३६,१३७,२०९: महाहिमवंतकूड [महाहिमवत्कूट] महामित પર્વત ઉપરનું એક કૂટ ठा. ८७,९६,५७३; सम. ११७: महि [मही]पृथ्वी, भूमि, मे नही दस. ७८.२४९: अनुओ. २५१: महिंद [महेन्द्र सात मुहूर्त, मे पर्वत, रोडिए જ્યેષ્ઠાદિ નક્ષત્રમાં થયેલ ઉત્પાત, છઠ્ઠા દેવલોકનું એક દેવવિમાન, મોટો ઇંદ્ર सूय. ३६२,६४१ थी ६४४: ठा. ८७२: सम. २५,३१: । भग. ५०६,५८७,६५७; अंत. ३: विवा. १३,२०,२४,२७,२८,३७; उव.६; राय. ४८,५२; जंबू. १३,५५: निर. ५,९; चउ. १६; महिंदकंत [महेन्द्रकन्त] छ । विसोनु मे દેવવિમાન सम. ३१; महिंदकुंभ [महेन्द्रकुम्भ मोटो ईन. राय. २८,२९; जीवा. १६७; महिंदज्झय [माहेन्द्रध्वज ७ विक्षोनुं વિમાન,મોટો ઊંચો ધ્વજ ठा. ३२७; महिंदुत्तरवडेंसग [महेन्द्रोत्तरावतंसक ७६ हेवલોકનું એક દેવવિમાન सम. ३१; महिंदोकंत [महेन्द्रावकान्ता हुमो 6५२ सम. ३१ महिगा [महिका] सूक्ष्मवर्षा, धुंध, भेघसमूह सूय. ६९१: महिच्छ [महेच्छ] भवsiक्षी उव. २१, दसा. ३५,३६.१०३ थी १०७; महिच्छा /महेच्छा] महत्वusial सूय. ६६७,८०४; पण्हा. १६,२१ थी २४,३८; महिड्डिक [महर्द्धिक] घीद्धि पण्हा. २३: महिड्डितराय [महर्द्धितरका अत्यंत समृद्धि __ भग. ४६३: महिड्डिय [महर्द्धिक एद्धि आया. ५१७: ठा. ८६ थी ८८,२११,२१२,३२१.३२३. ३२५,४२८.५७३,७०२.७६१,७६५,७६९, ७७३,८७५.९८४: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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