Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 478
________________ (सुत्तंकसहिओ) ४७७ महाकच्छ [महाकच्छ] महाविधनु क्षेत्र ठा. ९६,७४९; जंबू. १७१; महाकच्छकूड [महाकच्छकूट] प्रहट क्षार પર્વતનું એક કૂટ जंबू. १७१; . महाकच्छा [महाकक्षा] महो२२॥ तिना વ્યંતરેન્દ્રની પટ્ટરાણી ठा. २८७; भग.४८९; नाया. २३२; महाकप्प [महाकल्प] गोशालाना मतनो में કાલખંડ, શ્રતધર વિશેષ भग. ६४८; महाकप्पसुय [महाकल्पश्रुत] ई (Gastles) આગમસૂત્ર नंदी. १३७; महाकम्म [महाकर्मन्ठेन। घi शेयते ठा. २४९,३४२, भग. २८०; महाकम्मतर [महाकर्मतर] मति मारे जी भग. २७,५६९,५७२,७६६; जीवा. ११०; महाकम्मतराग [महाकर्मतरका मति मारे जी भग. २७,२४५; पन्न. ४४४,४४६; महाकम्मतराय [महाकर्मतरक] ७५२' भग. ३४८,३६६.३७९,७३७; राय. ७४ महाकहा [महाकथा] मोटी था भग. ३७७; महाकाय [महाकाय] भो।शरीरवाजो, एव्यंतर દેવતાની એક જાતિ, મહોરગદેવનો એક ઇંદ્ર ठा. १०१,२८७; भग. २०३.४८९,६०३,६४५; नाया. ११३: उवा. २४; उव. २४: पन्न. २१८,२२०; देविं. ७०; दस. ३१६: महाकाल [महाकाल पिशाय व्यतरनो मे छंद्र, સાતમી નરકના નરકાવાસ, પરમાધામી દેવની એક જાતિ, એક દેવવિમાન, ચક્રવર્તીનું એક નિધાન, એક લોકપાલ, વાયુકુમારજાતિનો એક ઇંદ્ર, દ્વારિકા નગરી બહારનું એક શ્મશાન, નિરયાવલિયા” સૂત્રનું એક અધ્યયન ठा. ९८,२७०,२८७,३२५,४८९,८१६; सम. ३४,४५,१०९,२३७; भग. १९६,२०२,४८९,५६४,५६९; नाया. २३४ अंत. १३; जीवा. ८२,१०५,१५९,२०२; पन्न. १९६,२१८,२१९,२२१; सूर. १९८,२०३; चंद. २०२,२०७; जंबू. १०६,११३,१२१; निर. ४; देविं. ६९; महाकिरिय [महाक्रिय] भोटयावाणो ठा. ३४२, भग. २८०,७६५; महाकिरियतर [महाक्रियातर]मति विजया હોવી તે भग. ५६९,५७२,७६६; जीवा. ११० महाकिरियतराय [महाक्रियातरक हुमो ७५२ भग. २४५,३६६,३७९,७३७: राय. ७४; महाकुंभिय [महाकुम्भिक] मोटा.ली पण्हा . ८; महाकुमुद [महाकुमुद] सातमा विलोमुंहेव વિમાન सम. ४२ महाकुल [महाकुल] भोटुंग सूय. ४३४, निसी. ५६९,९७९: महागंगा [महागङ्गा ना भते વિભાગ भग. ६४८; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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