Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 468
________________ (सुत्तंकसहिओ) मयूरी [मयूरी] भोरनी नाया. ५५,५९ थी ६१; विवा. २०; मर [म भरघु, भ२९। पाम सूय. ६४५; सम. १४: भग. ९०,५९२; नाया. १९७; पण्हा . ८; विवा. ९; जीवा. १४: आउ. ७,३७,४१ थी ४३,४८; महाप. १५,४१,४२,४५ थी ४८,५०; संथा. ५२; उत्त. १४४,४६८; मरगय [मरकत] तनुं रत्न उव. ५; पन्न. २७; जंबू. ८१; उत्त. १५३९; मरट्ट [दे.गर्व, मार महानि. ७३८; मरण [मरण] मृत्यु, भोत आया. ११,१६,२४,३७,४६,५३,५९,८०, ८६,११३,११९,१५५,१८४,२४३,२५६,५२१; सूय. १४३,१६०,१७६,२०९,४९६,५५४, ५५६,५७९,६७३; ठा. ३६,८५,११०,२३६,४४४,९७९; सम. ४२,१६८,१९२,२२२,२२७; महाप. १४,६७,८८,९०.१०५,१२६; भत्त. ८७; तंदु. १; संथा. ५१,५७; गणि. १९,६३; वीर. १० दसा. ९३; आव. ७: ओह. १३८.१५९ दस. १२,४८१; उत्त. १३१,१४६,६२८,६२९,६३७.६६०, ७०४,८३८,९१४,१२००,१२५३.१७१९; अनुओ. २२१; मरणंत [मरणान्तभ२९३५ अंतरवो सम. १०७; भग. ६६९; गच्छा.७५; दस. २१४,२१६,२१९; उत्त. १४४,१४७,१५७; मरणकाल मरणकाल भ२९। समय ठा. २७८; भग. ५११,५१६; भत्त. ७७; महाप. ८६,८७; उत्त. ११९७; मरणदेसकाल [मरणदेशकाल मृत्युनोअक्सर आउ. ५४,६०,७०; मरणधम्म [मरणधर्म) मृत्युनो स्वभाव पण्हा. १९; मरणभय [मरणभय] भृत्युनोमय ठा. ६००,८७५; सम. ७; ओह. ८८ मरणविभत्ति [मरणविभक्ति] (Grsues) આગમસૂત્ર नंदी. १३७; जो.नंदी. १; मरणविसोहि [मरणविशोधि] ई (GBes) આગમસૂત્ર नंदी. १३७; जो.नंदी. १; मरणासंसप्पओग [मरणाशंसाप्रयोग] श्रावन સંલેષણાવ્રતનો એક અતિચાર-મરણની આશારૂપ વિચારણા उवा. ९ आव. ६४; भग.११२,१३१,४१०,४६२,४६४,४६५, ५४२,५५०,५९२,६१८,६३७,६५२,७२७; नाया. ४,६०,६२,६५,९५,१४४; उवा. २; अंत. १३,२७; पण्हा. ५,७,८,११,१३,१६,१७,२०,२४, | ३५; विवा. ९,३१: उव. १६,२१,३४,५२,६३,६७; राय. ५३; पन्न. १,२३५,२४३, २५६,५९९,६१७,६२२; सूर. २१३; जंबू. ८४,१२८; पुष्फि . ८; पुष्फ. ३; आउ. ६,१०,२६,३६,३८,४५,४८,६०; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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