Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૪૬૬
आगमसद्दकोसो
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मयग [मृतक] महुँ भग. ७४०;
नाया. १४३; मयगंध [मृतगन्ध] महानी वास
भग. ४६४; मयगकिच्च [मृतककृत्य] मृत सं२७२, अंतिम ક્રિયા આદિ नाया. ५०; मयच्छी /मृगाक्षी] १२एनावीiमवाणी
भत्त. १२४; मयट्ठाण [मदस्थान] भानुं स्थान ठा. ७११,८७५; संथा. ४२;
आव. २४; मयण [मदन] महेव
भत्त. १२७; मयणमालिया [मदनमालिका महेवनी भाग
निसी. ४७० थी ४७२,११११ थी १११३; मयणसाला /मदनशलाका AREL, भेना नाया. ६३,८६; पण्हा. ७,११; उव.३;
जीवा. १६४ मयणिज्ज [मदनीय] मोदी५७ वस्तु ठा. ५८४;
नाया. १५,१४४; उव. ३१;
जीवा. २९१-२९३; पन्न. ४६५;
जंबू. ३५; दसा. ५४; मयणी मिदनी]
महानि. ६२२; मयतनु मृततनुस/ मृतऽनुं शरीर
पिंड. १; मयपइया [मृतपतिकाडेनोपति मृत्युपाभेलले
उव. ४४; मयमयर [मकमकर] भार विशेष
भत्त. १५,१३०; मयर [मकर] भार
उव. २३;
मयइंद /मकरन्द/Y०५२४, भ्रमर
देविं. २२३ मयरंगपविभत्ति [मकरण्डाकप्रविभक्ति से દેવતાઈનાટ્યવિશેષ
राय. २४; मयरहर [मकरगृह] भानुंघर
महानि. १५१६; मयरहिय [मदरहित] डारहित
संथा. ३७; मयहर [महत्तर महत्तर, वडील साधु
गच्छा. ९४; मयहरिय [महत्तरिक] हुमो ‘मयहरी'
गच्छा. ११८ मयहरी [महत्तरी] 45M साध्वी, मत।
गच्छा. ११८; मया [माया माया-842
दस. ४१५; मयारजयार [मकारजकार] शहो
महानि. ६२३; मयूर (मयूर भोर ठा. ६१०;
नाया. ६१,६३; विवाः २४,३१,३२: पन्न. १६३; जंबू. ३४; वहि . ३;
अनुओ. १६९,२४९; मयूरग [मयूरक भोर
पण्हा . ७; मयूरत [मयूरत्व] भोर५j
विवा. ३४ मयूरपोसग [मयूरपोषक] भोर पानार
नाया. ६१; मयूरपोसय [मयूरपोषक] हुमओ 6५२'
नाया. ६१; मयूरमिहुण [मयूरमिथुन] भोर युगल
पण्हा. १९;
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