Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४६४
आगमसद्दकोसो
वण्हि. ३;
उत्त. २३७,२३८, ४८१,५१८,५३२,९६५,१२६६; मनोरमा/मनोरमा) सुंदर, तीर्थरनी प्रव પાલખી ठा. ३२९; सम. २७९; जीवा. २९४; मनोरह [मनोरथ मननी ४२७1, पक्षनोत्री દિવસ, એક ઉદ્યાન भग. ४६५:
नाया. २०,४६: पण्हा. १६; विवा. ३१; उव. ३२; जंबू. ७७,१२४; संथा. २; दसा. १०१, उत्त. ८२१; मनोविब्भम [मनोविभ्रम] यितांति, मननी
અસ્થિરતા पहा. ४३; मनोसिलक [मनःशिलकी वेध विताना से રાજાનું નામ
जीवा. २०५; मनोसिलग [मनःशिलक]ो 6५२'
जीवा. २०५; मनोसिलय [मनःशिलकामो 6५२'
जीवा. २०५; मनोसिला [मनःशिला मनशीब नाम પ્રકારની ધાતુ आया. ३६७; भग. ५२२ राय. २९,३९ जीवा. १६९,२०५; पन्न. २६;
जंबू. ५९ दस. १०८: उत्त. १५३८ः मनोसिलापुढवी मनःशिलापृथ्वी] पार पृथ्वीકાયનો એક ભેદ
जीवा. १३५; मनोसिलाय [मनःशिलाको ‘मनोसिला' ठा. ३२५;
मनोहर [मनोहर सुंधर, भननेहरनार
आया. ५३९; ठा. ८०२, सम. ११;
राय. २३,३१ जीवा. १६३,१६४; पन्न. ५९२ सूर. ६२;
जंबू. ३२,२९० देविं. ३३;
वीर. ११; उत्त. ५१५,१२६३,१४४७; मनोहरमाला [मनोहरमाला सुंदर भाषा
जंबू. ४३.१२१,१२२; मनोहरा [मनोहरा] वीसमा तीर्थ-२नी प्रवन्या પાલખી
सम. २७९; मन्न [मन्] nig, भान भत्त. ६०
संथा. ११,१२; वीर. २६,४२, मन्नंत [मन्यमान मानतो
तंदु. १३९; मन्नय [मन्यत्] मानते
भत्त. १४२,१४३ः मप्पिंड [मृत्पिण्ड] भृत, मउर्दु
अनुओ. ३०३; मम मम भाई, ममता
महाप. ११४; संथा. १२१; ममकार [ममकार ममत्व.४२१॥
गच्छा. ८२; ममत्त [ममकार ममत्व, भारा५j
आउ. १५,२४ महाप. ९,१९; संथा. ९८ थी १०० गच्छा. ५७; जीय. ३०; दस. ५३२;
उत्त. ७००,७१२; ममत्तभाव [ममत्वभाव ममत्वभाव
भग. ४०१; जीवा. १८५; ममत्तिय [ममत्विक] 'भारभार' रेते
महानि. ८३७;
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