Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
View full book text
________________
૪૬૨
आगमसद्दकोसो
.
उत्त. ४८,६५,२०५,२५८,७२६;
मनुस्सया मिनुष्यता मानवता नंदी. ८१; अनुओ. १५०,१६१, | उत्त. १०२; १६३,२५९,२६३,२९९,३०३;
मनुस्सरुहिर [मनुष्यरुधिर] मानवमुंलो मनुस्सखित्त [मनुष्यक्षेत्र भनुष्य क्षेत्र
पन्न. ४६४; पन्न. १६२;
मनुस्सलोय [मनुष्यलोक मनुष्यो मनुस्सखेत्त [मनुष्यक्षेत्र मनुष्य क्षेत्र
भग. ५४६,५६६; सूर. १९५; टा. ११९; सम. १४४,२४६; चंद. १९९;
देविं. १२४; भग. ३९५,४४३,१०३३;
मनुस्ससेणिया [मनुष्यश्रेणिका]ष्टिया अंतर्गत जीवा. ४९,१४०,२५०,२७५;
પરિકર્મનો એક વિભાગ पन्न. १६६,२०२; सूर. १८०;
सम. २२८; देविं. १४७; दसा. १७; मनुस्ससेणियापरिकम्म [मनुष्यश्रेणिकापरि . नंदी. ८२,
कर्मन्]gमो 6५२' मनुस्सगइ [मनुष्यगति] मनुष्यति
नंदी. १५०; सम. २५२,
मनुस्साउ [मनुष्यायुष्] मनुष्यनं सायु मनुस्सगतिय [मनुष्यगतिक मनुष्य सिंधि सम. १०० उत्त. १३६९; भग. ३९२;
मनुस्साउय [मनुष्यायुष्क] ७५२ मनुस्सगामि [मनुष्यगामिन्] मनुष्यातिमांना२ पन्न. ५४२,५४३, अनुओ. १६१; जंबू. ४०;
मनुस्साउयत्ता [मनुष्यायुष्कता मनुष्य आयुष्मनुस्सजोणिय [मनुष्ययोनिक] मनुष्य योनि- પણું સંબંધિ
ठा. ४०४; जीवा. ६६;
मनुस्सावत्त [मनुष्यावर्त] 'मनुस्ससेलियामनुस्सतिरिक्खजोणिय [मनुष्यतिर्यग्योनिक] || परिभ'नो मेह મનુષ્ય-તિર્યંચ યોનિ
सम. २२८; नंदी. १५०; सूय. ६९०;
मनुस्सिंद [मानुष्येन्द्र मानवेन्द्र मनुस्सत्त [मनुष्यत्व] मनुष्य५j
ठा. १२७;
भग. ५५४; ठा. ३९८; भग. १३१,१४७; उव. ६;
राय. ४८; उव.३४;
उत्त. ५९६,६०१, मनुस्सत्ता [मनुष्यता] मानवता
मनुस्सी/मानुषी] मनुष्य स्त्री ठा. १६३,३९८;
ठा. ३८०,४०९,६५९,६९७,७८३; मनुस्सपंचिंदिय [मनुष्यपञ्चेन्द्रिय] पंथेन्द्रिय | भग. १२४,२६०,३१२,४१४,५८६; . મનુષ્ય
जीवा. १८५,३६५,३९४; सम. २४६;
पन्न. २६१,२८७,३७८,४५२,५४५; मनुस्सभवत्थ [मनुष्यभवस्थ] मनुष्य मवमi जंबू. ३२;
मनूस [मनुष्य] मनुष्य भग. ३९२;
सूय. ५४०;
सम. ३७,१२५;
રહેલ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546