Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४६०
आगमसद्दकोसो
मनसंजम [मनःसंयम] मानना विषयमा संयम || मना [मनाक थो, स्व८५, यित् રાખવો તે
उत्त. ५६६ः सम. ४२
मनाभिराम [मनोभिराम भनने भान आपतुमनसमाहारणता /मनःसमाधारणतासारामात
ગમતું મર્યાદાપૂર્વક મનની સારી રીતે વ્યવસ્થા કરવી अंत. २०; उव. ३२; सम. ६१;
जंबू. ८१;
तंदु. १०२ मनसमाहारणया [मनःसमाधारणता]ो ५२
दसा. १०१ उत्त. १११३,११६९;
मनाम दे. मनगमतुं, नमूदायते मनसमित [मनःसमितानुभनसभ्य प्रवृत्तिमा
टा. ८३,७०२; सम. १०९,२५३; જોડાયેલ હોય તે
भग. ८४,११३,४६२,५०६,५८७; दसा. १७
नाया. १२,६५,८७,१२५,१५०,१६२; मनसमिति /मनःसमितिमनने सभ्य प्रशस्त
अंत. १३; विवा. ९,१३,३३ः પ્રવૃત્તિમાં જોડવું તે
उव. ३२,४९
राय.६६,८१%B ठा. ७०८; पण्हा. ३५;
जीवा. ५०,३३१; पन्न. ५५७; मनसमिय [मनःसमितमो ‘मनसमित'
जंबू. ४३,१२१,१२२,२४३; सूय. ६६१,६७०; नाया. ३८,६५;
निर. १०; पुष्फि. ८; अनुत्त. १०; उव. ५१;
वहि . ३: तंदु. १०२ जंबू. ४४;
दसा. ४,१०१; मनसाइय [मनःस्वादिता मननेस्वादिगते
मनामतर [दे. मनने मतिप्रिय जंबू. ८४; मनसीकत [मनसीकृत याहरात
जंबू. ३५,१४१; पन्न. ५५७;
मनामतराय [दे. मनने गतिप्रिय मनसीकय [मनसीकृत6५२
राय. १५; जीवा. १६४,१८५;
मनामतरिय [दे. मनने मातिप्रिय भग. १६६ पन्न. ५९०,५९२; मनसीकर [मनसी + कृपया २j
पन्न. ४६४.४६५: जंबू. ३५: भग. १६६; उत्त. ७४:
मनामत्त [दे. भनने प्रिय५j मनसीकरेमाण [मनःकुर्वत्] या६४२तो
भग. २८०: नाया. २१,१७५: जंबू. ७४.७५;
मनु मनु मनुष्य मनहर [मनोहर रमाएीय, सुं४२
सम. १: नाया. ३३,१३४: उव. ३.४:
मनुइंद [मनुजेन्द्र भानवेन्द्र राय. १४,१५: जीवा. १६४,१६७ः भग. ३७३: जंबू. ३२,१०१.१४१,२१४,३४४; मनुय [मनुजमो 'मणुय' नंदी. १३;
उत्त. २९१.२९२, १२८०,१२९३,१३०६, मनहारि [मनोहारिन्] भनने २९।४२नारशाह
१३१९,१३३२,१३४५,१३४६.१६१९, उत्त. ९७९
१६५८,१६६५:
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