Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૪૩૬
मंजरिका [मञ्जरिका] दुखो 'उपर ' जंबू. २४४;
मंजरी [मञ्जर] दुखो 'उपर '
तंदु. १०:
मंजिट्ठ [माञ्जिष्ठ ] ४, रंगवामां वपरातो खेड લાલ પદાર્થ
भग. ५४६;
मंजिदणी [माञ्जिष्ठद्रोणी] मनुठीयारंगनी नौडा કે કુંડુ
भुग. ७४०;
मंजिद्वावण्णाभ [ मञ्जिष्ठावर्णाभ] मनुडीया रंगनी
આભા
चंद. १९९;
सूर. १९५; मंजिया [माञ्जिष्ठकी] मलहीया रंगी
भग. ७४०;
मंजु [ मञ्जु ] सुंदर, मनोहर
भग. ४६५;
राय. २९:
जंबू. ४३,१२२:
उब. ३२;
जीवा. १६७,१८५; तंदु. ६४;
दसा. १०१;
मंजुघोस [मञ्जुघोष] सुंघर जवान
तंदु. ६४;
मंजुघोसा (मञ्जुघोषा ] कुमार हेवनी घंटा
जंबू. २३६,२३८;
मंजुपाउयार [ मञ्जुपादुकाकार] मनोहर पाहु
બનાવનાર
पन्न. १७५:
मंजुल [ मञ्जुल ] सुंधर, मनोहर
सूय. २५३:
सम. ३२७:
नाया. ४६;
भग. ४६४.५१८: अंत. १३:
पण्हा. १९४५: पुप्फि. ८:
विवा. ३१: मंजुस्सर [मञ्जुस्वर] मधुर अवा, अग्निकुमार
દેવતાની ઘંટા
जंबू. २३६,२३८;
तंदु. ६४;
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आगमसको
मंजूसा [मञ्जुषा] पेटी, मंगलावती विभयनी मुख्य
નગરી
ठा. ९६,७४९,८२६; नाया. ३३; जंबू. १०५, १७२;
मंड [मण्ड् ] भंडन-खानुषए। परेवा पिंड. ४२४:
राय. ७७;
मंड [मण्ड ] सार, तत्त्व
उवा. ८, २०,
जीवा. २९३,३०२:
SUT (4057) Pcist, agvuz, uìtrus पिंड. २२५,४१०;
जंबू. ८१ ; अनुओ. २१७;
मंडणधाई [ मण्डनधात्री] जाजडने पोषाङ साहि પહેરાવનાર એક ધાવમાતા
नाया. २५;
राय. ८३;
मंडल [ मण्डल ] चंद्र-सूर्य मंडण, भांडसुं, सूर्य विमान કે બિંબ, ચાર ગતિ મંડલરૂપ સંસાર, કુંડાળું, ગામનું સીમાડું, દેશ, ગોળ અરિસામાં દેખાતું પ્રતિબિંબ, એક નરકાવાસ, વાસુદેવ–બળદેવની જોડી
ठा. १००६;
सम. ५०, १०१, १०९,
१२५, १३८, १४९, १५७, १६१;
भग. १६०, १७२;
पण्हा. १५;
राय. २९;
जीवा. १६९, २६४ थी २६६;
सूर. ९,१९ थी २१,२४ थी ३५, ३७,४१,५४, ९० थी ९३,९७,१०६, १०९,१११ थी ११४, १६९ थी १७१;
जंबू. ६७,७३,७८,८१,१०४, २५२, २५६ थी २६२,२६८,२७३ थी २७६, २७८, ३०४: देविं. १३७; पिंड. ४४१,६००:
उत्त. १२२८ थी १२४५;
मंडलग [ मण्डलक] खाह रति प्रभाए। खेड व४नવિશેષ, મંડળ
नाया. ३७,१४१;
उव. २५;
राय. ४४ :
जीवा. १८०; मंडलगइ [मण्डलगति] चंद्र-सूर्याहि नो खाश यार
पन्न. २२५;
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