Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 446
________________ (सुत्तंकसहिओ) ४४५ मग्गरिमच्छ [मकरीमत्स्य] भारभ२७ पत्र. १५७; मग्गविऊ [मार्गविद्] भागने एनार महाप. ३१; ओह. ११५६: मग्गविदु [मार्गविद्] मानिए।नार सूय. ६३४ थी ६३८; मग्गसण्णा [मार्गसंज्ञा मानी संज्ञा टा. ९२९; मग्गसिर [मृगशिरस्भागसरमास आया. ५१३,५३२, ठा. ९०,८७८; भग. ७६५, नाया. ६७,८१; सूर. ७२; जंबू. २७८,३३१; पुफि . ५, मग्गसिरी [मार्गशिर्षा) भारास२ पूनम सूर. ४८ थी ५०: चंद. ५२ थी ५६; जंबू. ३३१; मग्गातिकंत [मार्गातिक्रान्त] माथीह्रथयेटर भग. ३३७ मग्गिज [मार्गय] शोध शववी पन्न. ४०४; मग्गिजंत [मार्गयत्] शोध रावीते भत्त. १४४; मग्गुक [मद्गुका बा,द्रोए। जो सूय. ५२३; मग्गेमाण [मार्गयत्] शोध ४२वी ते नाया. ४८; मघमघमर्धेत [मघमघायमान्] भव भवतुं, सुगंध પ્રસરાવવી महानि. ५३३; मघमघेत [मघमघायमान] 6५२' सम. २३८; भग. ५१८; नाया. १२,१५,१८,२५,५७,१७०ः उव. २,२९, राय. १०,१५,२८; जीवा. १६७,१७५,१७९; पन्न. २०५,२१७: सूर. १९७: जंबू. ५६,७७,२१७; मघव [मघवन्] पडे हेवोनो छन्द्र, त्री ચક્રવર્તી ठा. ९०७; सम. ३१७: भग. १७२; उवा. २५: जीवा. ३२८; पन्न. २२७ जंबू. २२७; उत्त. ५९५: मघा [मधा]७हीन२७नुनाम, ए नाम, એક નક્ષત્ર ठा. ५९७,६९१,७३४; भग. २९४; जीवा. ७९; सूर. ४६,५२, चंद. ५०,५४; जंबू. ३०२,३०३,३२९,३३१; गणि. २६; अनुओ. २४०; मच्चिय [मया मनुष्य, मानव आया. ९५,११६,१५२: सूय. ४१२; मच्चु मृत्यु] भर। आया. ११२,१४४; सूय. २६; भग. ४६४; नाया.६५,१३४ अंत. १३; पण्हा. ६,३७; उव. २१: भत्त.१२; पिंड. ७५; उत्त. १४३,४२७,४२८,४४५,४५५,४६४, ४६८,४९२,७६०,९२७; मचुभय [मृत्युभय] मृत्युनोमय पण्हा. १६: मचुसामण्ण [मृत्युसामान्य] मृत्युने माटे स३०४ नाया. ३२; मचुसाहिय [मृत्युसाध्य] मृत्युने ११ नाया. ३२; मचूमृत्यु मृत्यु तंदु. १४३; मच्छ [मत्स्य] भा७j, राहुन में नाम, अष्ट મંગલમાંનું એક મંગલ आया. ३५६,३८५,३९२; सूय. ६१,६३,१६९,१७७,३१२,३१४, ३९५,५२३,६६३,६८९; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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