Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 455
________________ ૪૫૪ आगमसद्दकोसो मणिमय [मणिमय] मशिनु पनेतुं भग. ४६५; नाया. २७,३३; राय. १५,२९,३२,३४,३६ थी ३८; जीवा. १६३,१६५,१६७ थी १६९,१७३ थी १८०,१८७,२०८,२९४; पन्न. २२५; जंबू. ३७,१२२, | १२८ थी १३०,१४३,२२८,२३९; मणिमेहला [मणिमेखला महिनोहोरो नाया. १८,२२; मणियंग [मण्यङ्ग]ो 'मणिअंग' ___टा. ६५५,९८७; जीवा. १८५; मणिरयण [मणिरत्न या यौह रत्नमान એક રત્ન टा. ६५७; सम.३१% जंबू. ५६,६०,६२,६७,७७,७८,८८,१२१, १२५,१२८,२२७,३४४; मणिरयणक [मणिरत्नक हुमो ७५२' जंबू. १४,७८; मणिरयणत [मणिरत्नत्व] 'मणिरत्न'५ पन्न. ५१७; मणिलक्खण [मणिलक्षण] भनि शुभाशुल्म લક્ષણ सूय. ६६२; सम. १५० नाया. २५; उव. ५०; राय.८३: मणिवइया [मणिमति नारी विवा. ४२: पुष्फि. ८,९; मणिवई (मणिमती नगरी मणिसिलागा [मणिशलाका भगिनीसजी जीवा. १८५,२९१; पन्न. ४६५; मणिसुत्तय [मणिसूत्रका महिनोमनदोहोये, मे આભુષણ दसा. ५३: मणुई [मनुजी] मनुष्य स्त्री जीवा. १८५; जंबू. ३४: मणुण्ण [मनोज्ञ] २भए।य, सुंदर आया. ३६३,३९१,३९४,४७१,५४०; ठा.८२,८३,१३३,१४३,२३५,२६१, ५८४,६९०,७०२,८७२,८९३; सम. १०९,११०,२५३; भग.८४,११३,२४४,३७८,४६२,५०६, ५४९,५८७,६२६,९६८; नाया. ११,३१ थी ३६,६५, १२५,१४४, १५०,१५७,१६२,२१५; अंत. १३,२०; पण्हा. ४५; विवा. ९,१३,३३ः उव, २०,३२; राय. १५.२३,२९,६५,६६,८१%B जीवा. ५०,१६३.१६४,१६७,३३१; पन्न. ५३९,५४०.५५७,५९०,५९२; सूर. १९७; चंद. २०१: जंबू. ४३.१२१,१२२,१४१,२२८ः निर. १०ः पुप्फि .७; वण्हि . ३: भत्त. ४० तंदु. १०२: निसी. १०३,५५० दसा. ४,१०१; दस. ४०९: उत्त. ११५८; मणुण्णतर [मनोज्ञतर] मतिरभागीय जंबू. ३५,१४१ मणुण्णतराय [मनोज्ञतरक] '७५२' राय. १५: जीवा. १६४,१८५; मणुण्णतरिय [मनोज्ञतरक] '७५२' पन्न. ४६४.४६५: जंबू. ३५: मणुण्णत्त [मनोज्ञत्व] २मीय५j . ___ भग. २८० पन्न. ५९१: पुष्फि. १०; मणिवट्टक [मणिवृत्तक मशिनोवाओ जीवा. १८५; मणिवर [मणिवर] 6त्तम महि। जंबू. ७८,८८; मणिवेइया [मणिवेदिका ममिया देविं. २४२,२५७,२६०,२६४.२७०ः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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