Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 441
________________ ४४० आगमसद्दकोसो मंदय [मान्य] रोग विशेष, भुता मंदरकूड [मन्दरकूट] इंट सूय. २७५; जंबू. १९७,२४९; मंदर [मन्दर/भेपर्वत, भंहरनामेद्वीपसनेसमुद्र, ।। मंदरगिरि [मन्दरगिरि] भेर पर्वत એક ગણધર पण्हा. ४५: राय. ३१: . सूय. ६४१ थी ६४४,६७०; जीवा. १६४ नंदी. १७; टा. ८६ थी८८,९६,९७,२११,२१९,३२१, मंदरचूलिया [मन्दरचूलिका] भेरु पर्वतमी यूलिया ३२४,३२६,४७२,५१३,५६६,५७३,६४५, टा. ९६,९७,३२१,३२६,४५७,७५२,७५३; ७४९ थी ७५१,७५४,७५७,७५९,७६१, सम. ११६; भग. ५११,६४५; ७६५,७६९,७७०,७७३,८४९,८५१,८५३, जंबू. १९९,२०० ८५४,८६५,८६७,८७२,९०४,९०८,९०९,९१२, मंदरपव्वय [मन्दरपर्वत] भेर पर्वत ९६१,९९१ सम. ६१,१४८; पन्न. ४४१; सम. ७,१४,१९,२५,३९,१०१,११५, सूर. ३५; चंद. ३९; १२१,१३३,१३९,१४५,१४७,१६३,१६४, || मंदरा [मन्दरा भेर यूलिया १६६,१६७,१७१,१७६,१७७,१८७,१९७, ___ठा. ९७५; २०२,२२०; मंदलेस [मन्दलेश्य सूर्यनो ५५७२ भग.१४०,१९४,१९५,१९९,२००,२०८, जीवा. २८३; २१६ थी २१९,३०१,४४४,४९०,५०६, | | मंदलेसा [मन्दलेश्या हुमो '6५२' ५११,५७३,५८६,५८७,६७९,६८७,७०८; देविं. १५६: नाया. ९,३३,६५,६८,७६,१५३,१७५ | मंदलेस्स [मन्दलेश्यामओ 6५२' अंत. ३; पहा. ३९,४५: जीवा. २८८; विवा. १३,२०,२४,२७,२८,३७ः मंदवासा [मन्दवर्षाधीमी वरसाद उव. ६,१७; राय. २७.४२,४८; भग. १९९: जीवा. १४३,१४५,१५०,१६७.१७९, मंदवित्राण [मन्दविज्ञान] पशान १८२,१८५,१९०,१९४,२०५,२०७ थी २१०, तंदु. १२२: २१२,३००,३१२; मंदा [मन्दा मनुष्यनी शशामiत्री - पन्न. २०५,२१८,२२७,२२८,४३१; જેમાં વિષય વાસનાના બળથી વિવેકની મંદતા सूर. ३५,३६,३८,३९,१२१: આવે છે. जंबू. ८,१३,१५,२१,४४,५५.१३९.१४१ टा. ९९६: थी १४३,१५१,१६२,१६३.१६५,१७८, मंदाय [मन्दाका भंहस्व गवाती। १८०.१८३,१८४.१९४.१९६ थी १९९. राय. १५.२४: जीवा. १६३,१७९: २०१,२०३,२०५,२०६,२२९,२३०.२३६, उत्त. १२७ २३८,२४९,२५६,२६०,२७३,२७६: मंदायवलेस्स [मन्दातपलेश्य] 131नी अ५ निर. ५,९,१४; भत्त. ९१: ઉષ્ણતા देविं. ६४,६५: उत्त. ३५६.६५५; जीवा. २८८; सूर. १९२: अनुओ. १२०,३०९: चंद. १९६: जंबू. २६८ः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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