Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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४३०
आगमसद्दकोसो
उत्त. १३३,१३५,२१३,२२२,२३१,२९०, || राय. ५४;
दसा. १०३ थी ११० ४२०,४२६,४३३ थी ४३५,४३७ थी भोगपुरिस भोगपुरुष]मोगा पुरुष ४४०,४४७,४५४,४७४,४८४,४८५, सूय. ६६७; ठा. १३६; ४९०,५३४,५३५,६०८,६२५,६३१,६४२, दसा. ३५; ६५७,७१०,७१८,७२०,७२३,७२६,७६२, भोगपुरिसत्त [भोगपुरुषत्व आता, भोगपुरुष७६९,८४६,१००२,१११५,१३०९, પણું १३४७,१३७२,
भग. ५५१; नंदी. १४४ थी १४७,१४९;
भोगभोग भोगभोग] 62 लोग भोग भोजमाधेटर, मो४न ४३
सूय. ६६०,६६४,६६६,६६७,८०४; टा. १३६,५४२;
सम. २२२;
नाया. ११,१७,२२, भग. ११२,४६३,४६५,६१७,६६७;
३३,५२,५७,८१,१०१,११२,१२३, उवा. ४५; उव. २७;
१३९,१४४,१४५,१४८,१५७,१६६,१७४, राय. ५४; जीय. ४७;
१७५,२२०; भोगंकरा [भोगङ्करा मधोटोवासी भिारी उव.३२ - राय. ५;
ठा. ७७८; जंबू. १४१,२१३; जीवा. १७२,१८१,२८८,३२०; भोगंतराय [भोगान्तरायअंतरायभनी पेट पन्न. २०३,२०५,२१७,२२६; પ્રકૃત્તિ – જેનાથી ભોગોમાં અંતરાય પડે
जंबू. ४६,१२० थी १२२,२१२,२२७,२६७, सम. ४२,१००; भग. ४२७;
२६८,३५१; . पन्न. ५३९; पिंड. ५५४;
दसा. १०१ थी १०३,१०६ थी १०९; अनुओ. १६१;
भोगमालिणी [भोगमालिनी अधोतोसी में भोगकंखिय [भोगकासित भोगनी ian દિકકુમારી કરનાર
जंबू. १६५,२१३; भग. ८४;
भोगरय [भोगरजस्लोगथी उत्पन्नथना२ भ२०४ भोगकामय [भोगकामक] लोगने ४२७२ उव. ५०,
राय. ८४; भग. ८४:
भोगलक्खणधर [भोगलक्षणधर] 'लो' न। भोगकुल [भोगकुल] श्रीपमहेवे पून्य स्थाने લક્ષણનો ધારક સ્થાપેલ એકકુળ
तंदु. ६४; आया. ३४५:
भोगलद्धि [भोगलब्धि] भो।प्राप्ति भोगत्थिय भोगार्थिक] भोगना अर्थी
__ अनुओ. १६१: उव. ३२ जंबू. १२१:
भोगलाभ भोगलाभाभोगनोसाम दसा. १०१:
नाया. १५; भोगपिवासिय [भोगपिपासिताभोगनी पिपासा
भोगवइया [भोगवती] तनी दीपि, जी४
સાતમ-બારસ એ ત્રણ રાત્રિનું નામ, વિશેષ રાખનાર भग. ८४;
નામ भोगपुत्त भोगपुत्र मोगमा उत्पनथयेस पुत्र
सम. ४५:
नाया. ७५ भग. ११२; -
पन्न. १७५;
उव. २७; Jain Education International For Private & Personal Use Only
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