Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 349
________________ उ४८ आगमसद्दकोसो ५८३,५८६,५८७,५९८,६०४,६०८,६१३; || जोयण [योजन] योन, यार 16 प्रभार सूर. १२६,१२७; चंद. १३०,१३१; ક્ષેત્ર, લંબાઈનું એક માપ, એડવું તે जोतिसियत्त [ज्योतिषिकत्व ज्योतिष् q५j आया. ४५२, सूय. ३६१; पन्न. ४३७,६०४; ठा. ५२,९५,१०४,३२१,३२३ थी ३२९, जोत्त [योक्त्र] पोत, पशुने बांधवानु हो२९ ३४५,४७२,५१२,५८३,६२७८,७०७,७४१ सूय. ६५८,६६७, भग, ४६०; थी ७४८,७५२,७५३,७५६,७८५,७८७, पण्हा. ४५; वव. २४९,२५०; ७९४,७९६,८०९,८१५,८८०,८८२,९०८, दसा. ३५; ९११ थी ९२०,९९८,९९९,१००४, जोत्तग [योकत्रक] मी २' १००५; जंबू. ३४४; सम. १,४,८,१३,१४,१९,२५,२६,३१,४१, जोध [योध] सुमट, योद्धो ४२,४५,४९,५०,५४,५५,६१,१०१,१०९ ठा. ८२४; थी ११४,११६,११८,११९,१२१,१२५, जोय [योग] हुमो 'जोग' १२६,१२८,१३० थी १३३,१३५,१३६, उव, ३१; राय. १६,८१; १३९,१४२,१४५,१४७,१५१,१५२,१५८, जीवा. १९७,३७४; १५९,१६१,१६३ थी १७९,१८१ थी सूर. ४३,४४,४६,५४,७१,८०,८७,८९,९६, १८३,१८५,१८७ थी २०४,२०६ थी १०६,११२,१२९,१३२,१३६,१४६,१५१, २०९,२३४,२३७,२३८,२४१,२४६; १८०; भग. ११२,१३७,१४०,१५२,१७२,१८५, चंद. ४७,४८,५०,५८,७५,८४,९१,९३, १८६,१८९,१९४,१९५,२०८,२४८,२९१, १००,११०,११६,१३३,१३६,१४०,१५०, २९५,२९९,३०१,३०७,३३७,४२१,४४४, १५५,१८४; ४४६,४९०,४९८,५११,५२३,५५०,५८६, जंबू. १२१,३०३; दसा. १०१; ६१७,६२४,६४८,६८३,७०८,८३८,८३९, ८४६ थी ८४८,८५६,१०५८,१०६३; दस. २५१,२६५, उत्त. १०६०; जोय [योजय] j, योन। २रावी नाया. २१,२२,३७,४१,६३,६४,७६,८७, ठा. ५००,५०१; सम. १०,१३; ९८,१०३,११० थी ११२,१२४,१७८, उव. ३०; जीवा. १९७; १७९,१८४,२१३; दसा. ९८; उत्त. १०६१%B उवा. १६,१८, अंत. ३,१३,२०; पण्हा . ८; उव. ३४,५२,५५, जोय [युज्] :j, योन। ४२वी राय. ७,८,१०,१२,१४ थी १७,२०,२३, सूर. ४६,४९,५४,१२९; २७,२९,३०,३३ थी ४०,४२,६२,६६; चंद. ५०,५३,५८,१३३; जीवा. २९,३६,४३,४६,४७,५०,८०,८६, जंवू. २५०,२७९,२८०,३०३,३०४; ८७,८९,९०,९३,९५,९७,९८,१२४,१४३, देविं. १३६, १४५,१४६,१५०,१५४,१६०,१६२ थी जोय [द्युत्] ज्योति भुवी, प्रशj १६८,१७३ थी १७९,१८२ थी १९१, सूय. ३६४; सम. १३,११८; १९८,२०२,२०४,२०५,२०७ थी २२४, जोय [दे,युग] हुमो 'जुग' २२८,२३५,२३७,२४३,२५०,२८१,२८२, भग. ४२,४१०,६६५,६९७; २८७ थी २८९,२९४,३००,३०३,३१२, नाया. ६७; पण्हा . ९; ३१४,३२४,३२७ थी ३३०; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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