Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૪૩૩
तेइंदियसंयम [त्रीन्द्रियसंयम तेन्द्रिय®वना || सूय. ७०१,७०३,७०४; વિષયમાં સંયમ પાળવો તે
ठा. ५१,७३,१४०,१४८,१५२,१७७,२२४, सम. ४२२
४६७,४८२,५२३,५२५,५६४,५९१,५९३, तेइच्छ [चैकित्त्य यित्सिा ४२वीत, शेगनो ६६२,६७१,८०५,८७२,८८६,८९४; ઉપાય કરવો તે
जीवा. ३४७,३५७,३९१,३९७; नाया. १४५;
पन्न. १९,१९२,२६३ थी २६६,२९२,२९७, तेइच्छकम्म [चैकित्स्यकर्मन] वित्सिा उभ, । ३००,३०४,३१०,३२८,३४६; રોગનો ઉપાય કરવા રૂપ પ્રવૃત્તિ
दस. ३२; नाया. १४५;
अनुओ. १५०,१६१,२९८,२९९; तेइच्छा [चिकित्सा शिउित्सा, रोगनो 6पाय | तेउकाइयत्त तेजस्कायिकत्व अनिय५j ઈલાજ
जंबू. ३६३; आया. ९७,५०७,५०८;
तेउकाय [तेजस्काय मग्निनाव निसी, ५४८;
आया. २७६,४१९,४२०,५३५; तेउ [तेजस मग्नि, गरमी, ताप, वेश्या सूय. ६४७,६६५,७०३; અગ્નિશીખતથા અગ્નિમાણવ ઈદ્રના પહેલા सम. ६;
भग. १००,२६०; લોકપાલનું નામ
निसी. ७५४; आव. २४; आया. १९८,२३६,२३७,३०४,३७२;
दस. २६०; सूय. ७,१८,१७२,६४२,
तेउकायअसंजम [तेजस्कायअसंयम भगिनाय ठा. ५१,२७०,३३८,४८७;
જીવના વિષયમાં સંયમ ન રાખવો તે सम. २५३,२५४;
सम. ४२ भग. २०१,२६४,३१४,४७२,५५५,७५२, तेउकायसंजम [तेजस्कायसंयम] मनिकाय ७६२,७६३,८५७;
જીવના વિષયમાં સંયમ રાખવો તે विवा. १०,१७,२३,२६,२८;
सम. ४२; जीवा. ४९,६७,३४८,३९२,३९७;
तेउक्काइय [तेजस्कायिक] अग्निना , पन्न. ३३९,३४१,३४७,३५१,४०७,४५२,४५९,
અગ્નિકાય ४७५,४९८,५०१,५०२,५०६,५२१,५२७, भग, ६७,२९९,३८३,४७२,५८०,६५९,७६१ निसी. १२३७; दस. ३२,१३६; थी ७६३,७८०,८४६,८५०,९८०,९९०, उत्त. १०३६,१३८५,१३९५,१४३४ थी १४३६, ९९९,१०३३;
१४३९,१५७१,१५७२,१५७७ थी १५७९; जीवा. ३०,३१,३३,३४,६६,६८,७०,३४६, अनुओ. २९९;
३५०,३५१,३६७; ते उकंत [तेजस्कान्त] मग्निशिप तथा
पन्न. ३१,१९२,२६०,२९२,२९७,३५७,४०४, અગ્નિમાણવ ઇન્દ્રના લોકપાલનું નામ ४२३,४३७,४५५,४५९,४७३,४७६,५०२, ठा, २७०, भग. २०१;
५०५,५११,५१२,५२८; तेउकाइय [तेजस्कायिक] भनिन। ®q, || तेउक्काइयउद्देसय [तेजस्कायिकोद्देशक ते४અગ્નિકાય
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