Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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आगमसद्दकोसो
थलगय [स्थलगत स्थगने प्राप्त
थवइय [स्तबकित]ठेभलमने गुदाला निसी. १२७९,१२८३,१२८७ थी १२९१; । છે તે थलचर [स्थलचर] भीम 6५२ गति १२ना२- | उव, ३,४;
राय. २९; તિર્યંચ પંચેન્દ્રિયની એક જાતિ
जीवा. १६३,१६४; आया. ४६१;
थवईरयण (स्थपतिरत्नावतानायौहरत्नभानु ठा. १३८,९२०,१००९; ।
એક રત્ન-જેનું અપર નામ વર્ધકી રત્ન છે पण्हा, ८,३४; जीवा. ६७;
जंबू. ७०; थलचरी /स्थलचरी] भीन64२ गत २नारी- थवणा [स्तवना] स्तवना, स्तुति ३२वी ते તિર્યંચ પંચેન્દ્રિય-સ્ત્રી
पण्हा. ३६; ठा. १३८;
थवथुइमंगल [स्तवस्तुतिमङ्गल] स्तवना, स्तुति जीवा. ५३,५६,५८,७०%,
રૂપ મંગલ थलचारि [स्थलचारिन्] भान ७५२ थालना२- उत्त. १११३,११२७; ગતિ કરનાર
थवय [स्तबक] झूलनी छो पण्हा . ७;
जीवा. १६३; थलज [स्थलज] भनथी उत्पन्न थयेटस
थविर [स्थविर] स्थविर, ५२५३५ 3 स्थिर जीवा. १३२
બુદ્ધિવાળો थलय [स्थलजसो 6५२'
भग. ४६०; सम. ११०
नाया. ८१,८६; थविरकंचुइज्ज [स्थविरकधुकीय] स्थिरबुद्धिना पण्हा. ४५, राय. ७,१०;
પ્રતિહારી पन्न. १२२
भग. ४६०; थलय [स्थलक] शुभो ‘थल'
थविरकप्प [स्थविरकल्प]७भारतमायार्य आया. ५२१; ठा. ५०३;
આદિની વ્યવહાર મર્યાદા जंबू. २१७;
ठा. २२०; थलयर [स्थलचर] हुमो 'थलचर'
थविरभूमि [स्थविरभूमि] स्थविरनी ५६वी, सूय. ६८९; ठा. १३८,८८५; વૃદ્ધપણાની ભૂમિકા पण्ह. ८,१९;
ठा. १६७; विवा. २०,३१,३२; उव. ५१;
थाण [स्थान] स्थान, 8j जीवा. ४१,४४,४५,४७,५३,५५,५८,६०,६४, महानि. १३९२; ६६ थी ६८,७०,१३०;
थाणंतर [स्थानान्तर में स्थानेथीबी स्थाने पन्न. १५६,१६१,१६२,२९७,३०२,३३४, જવું તે ३३७,५१० थी ५१२,५१६;
महानि. ६७७,६९४,८४४; उत्त. १६३५,१६४३,१६४८,१६५०; थाणु [स्थाणु] आउनु अनुओ. १५०;
ओह. १९६; थलि [स्थलि] भीननो यो प्रदेश | थाम [स्थामन्]षण,सामथर्थ, या, अनुष्ठान उत्त. १२०५;
सूय, ५२९;
उव. १७;
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