Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 522
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૫૨૧ दुहट्ट [दुर्घट्टा ६५२, हिन नाया. १४४ निर. ११,१४, दुहभाग [दुःखभाग] :मनो मी दुहट्टिय [दुःखार्तित हु:५५डे पारित. तंदु. ५७; पण्हा.. ३४; दुहय [दुर्भग] शुभी 'दुभग' दुहण [द्रुहण] भु॥२-विशेष दस. ३०७; पण्हा. ८,१५, अनुओ. २७५; दुहया [दुःखता] ६:पत्व दुहण [दोहन] घोडjते, होउन २j ते पन्न. ५४०; पण्हा. ११; | दुहविवाग [दुःखविपाक] ६:५३५ परिमता दुहता दुःखता] ६:५५ અશુભ કર્મ, દુઃખ વિપાક ठा. ६५७,६९०, पन्न. ५३९; सम. २२७; दुहतो द्वितस्] बने तरथी, विवा. २,४,१०,११,१७,१८,२३,२४,२६ थी सूय. ५४८, ३५,४६, नंदी. १४९; ठा. १६५,१९३,३८२,९२२; दुहसेज्ज [दुःखशय्या महायी वसति- यार राय. २६; . जीवा. १६७, ભેદે વર્ણવાય છે. सूर, ९७; चंद. १०१; आया. ५४९; दुहतोखहा [द्वितःखहाजनेत२६ ईशारे दुहसेज्जा [दुःखशय्या] शुमा ७५२' રહેલ ठा. ३४७; ठा. ६८१; दुहा द्विधा] द्विधा, प्रार दुहतोनिसहसंठिय [द्वितोनिषधसंस्थित]बने त२६ सूय. ४११,४१६; राय. ७१; નિષધ-સંસ્થિત जीवा. २४३, जंवू. ११ थी १३, सूर. ३५, चंद. ३९; १२७,१२९,१३४,१३९,१४२; दुहतोलोग [द्वयलोक] बने दो उत्त. १५३४,१५४८,१५५६,१५७२,१५८१; ठा. ३८२; दुहाकय [द्विधाकृत] मेमा ये दुहतोवंका [द्वितोवक्रा] ने त२६ 43 उत्त. ८७२; ठा. ६८१; दुहावह [दुःखावह हुमाय दुहत्त [दुःखाती थी पाउत सूय. १२० भत्त, १०८; नाया, ७५,१४०; पन्न. ५५३; उत्त. ४२२,४२३,६२५; वीर. १७; दुहावास [दुःखावास] :पना निवास३५ दुहनाम [दुःखनामन्] दु: सूय. ४२१; पन्न. ५३९; दुहि [दुःखिन्] हु दुहप्पय [दुःखप्रय] : शन आया. ५४४; सूय. ६२; महानि. ३३; नाया. ७५; तंदु. २६; दुहफास [दुःखस्पर्श लेनो स्पर्श हु:५६ तेवा || उत्त. १८१,६३२,६३३,७५८,१२७५,१२७७, (पुगल) १२८८,१२९०,१३०१,१३०३,१३१४, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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