Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૫૩૭
३७६,३८५,३८९,३९०,३९३;
दस. ३७७; जंवू. ५,६,९,१३,१४,२१,३८,१४३; देहधारि [देहधारिन्] शरीरधारी देविं. ३०; अनुओ. ११६,१३५; उव. १०;
पन्न. २१७; देसूणग [देशोनक] 35s मोर्छ
जंबू. ५५;
तंदु. ३४; जंवू. १२५,१२८,१२९,१५१,१५४; देहपलोयण [देहप्रलोकनमरीसहिमा शरीरने देसेमाण [दिशत्] हेपाहतो
જોવું તે ठा. ८७५;
दस. १९; देसोण [देशोन] मोर्छ
| देहमाण [पश्यत्] होतो, अवलोतो जीवा. १७३;
जंबू. १२५,२४४; देसोहि [देशावधि में देश भपिशान | देहवास [देहवास] शरीरमा पसj ते सम. २४६;
पन्न. ५७९,५८३; | दस. ५०५; देह [देह/शरीर, शरी२नथिन्, पिशायर्नु । देहि देहिन्] डधारी, आत्मा નામ
| सूय. ८,१२, चउ. १९; आया. २२१,२४९,२६०,२६१,५३५; | देहिय [दृष्ट्वा सेन सूय. १०२,३२०,३२५,३४०,३४५,३८८, | सूय. ९१; ४२६,४८९,५४३;
| दोउड [द्वैपुड] ५वाणो (संथा।) नाया. ३७,५४, पण्हा. ८,१६,१९; । महानि. १३८४; राय. ६९; जीवा. १८५; | दोकिरिय बैक्रिया समये
या जंवू. ८१; आउ. ५६;
કરે તેવું માનનાર એક નિહ્નવ महाप. ९७ भत्त. १५६; ठा. ६८८;
उव. ५१; संथा. १८,६९,७८; ओह. ८५; दोखंडीकाऊणं [द्विखण्डकृत्वा] 3-दु:31 पिंड. ४०;
કરીને दस. १६७,२४६,३७७,५२३,
महानि. १४९८; उत्त. ४८,५१,१५९,१७४,१८०,१८८,२०४, दोगच [दौर्गत्य हरिद्रता ३८४,६३०,७९०,८९७,९५०;
भत्त. १६९; देह [६] ng, सलोन ४२j
| दोगचहर [दौर्गत्यहर] तिने ४२नार सूय. ३५; निसी. ८१८; चउ. ४८; उत्त. ६१९;
दोगिद्धिदसा [द्विगृद्धिदशा) में नम में देहंत [पश्यत्] होतो, असोतो
આગમસૂત્ર-અધ્યયન निसी. ८१८ थी ८२५;
टा. ९६७,९७५; देहतर [देहान्तर] शरीरनी से अवस्था | दोगुंछि [जुगुप्सिन्] गुप्सा-gust आया. ९५;
उत्त. ५३,१६८; देहंबलिया [देहवलिका] भिक्षावृत्ति दोगुंदग [दोगुन्दक] १९ 8131 ४२॥२-सेवा
नाया. १६०; विवा. ३१; દેવતાની એક જાતિ देहदुक्ख [देहदुःख] शरी२नी पीडा
उत्त. ६१६;
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