Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 532
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૫૩૧ देवरण [देवारण्य] हेवतानुस२९५ भग. ४४४; ठा. ३१०; उवा. २५,२७; | देवलोगभूय [देवलोकभूत] हेलो३५ देवरमण [देवरमण) मे धान नाया. ६३,७६,९३,२१३; विवा. २४,४४, देवलोय [देवलोक] शुभी 'देवलोग' देवराय [देवराज] हेवरा-न्द्र सूय. ६७०,६७१; आया. ५२०,५३२; ठा. १४३,३४५,७०२; ठा. १६२,२१४,२७४,२८७,३२९,४३८,४३९, | नाया. ४१,१५२,१५७; अंत. १३; ५५६,६७४,६७५,६८२,६८३,७२३,८३९, अनुत्त. १; पण्हा. १९; ८४०,९१९; उव.३४,३६,४४; राय. ६६; नाया. ८७,९८,१०३,१०५,१०६; जीवा. १८५; जंबू. ३८ उवा. २५,२७; जीवा, २९४,३२५; वहि . ३; तंदु. २५; पन्न. २२७,२२८; संथा. २७; दसा. १०४ थी १११; जंबू. १३,४६,१९४,२२७ थी २३०,२३९, दस. ३० उत्त. ९८; २४३,२४४; पुष्फि. ८; | देववर [देववर] हेव समुद्रनो मधिपति व देवरूव [देवरूप] सिमान जीवा. ३००; नाया. ८७; देववरवहू (देववरवधू वितानी ५४ ॥ देवोग (देवलोक सेवा, स्वर्ग, हवान | | नाया. १११; નિવાસ સ્થાન | देवविमान [देवविमान] वितानु विमान आया. ५१३ सूय. ७८५; राय, ३३; ठा. १९०,३४५; || देववूह (देवव्यूह हेवताना संसामनी स्यना३५ सम, २२२,२२३,२२७,२३२; તમસ્કાયનું એક નામ नाया. ५३,८१,१५२,१५५,१५९,१६८,१८३; ठा. ३१०; उवा. १९,२८,३६,४०,५७,५८; देवसंघाय [देवसङ्घात] विनो समूड अंत. ३,१३,२०, अनुत्त. १२; जंबू. ३४७; पण्हा. ११; विवा. ३४,३७; देवसण्णत्ति देवसंज्ञप्ति हेवताना प्रतिपोथी उव. ३६,५०% राय. ८२; લીધેલ દીક્ષા जीवा. १८५; पन्न. ५०७; ठा. ८९८; जंबू. ३८,५३,५४, कप्प. १ देवसन्निवाय [देवसन्निपात] वि समूडनु मिसन पुष्फि. ३,७ थी ९; पुप्फ, ३; राय, ४२; जीवा. १७९; वण्हि . ३; महाप. ४८; देवसमवाय [देवसमवाय पोर्नु मे ते दसा. १०२,१०३; दस. ५१६; जीवा. २९४; उत्त. २२९,२३१,४१३; देवसमिति [देवसमिति हेवोनी समिति नंदी. १४९,१५४; जीवा. २९४; देवलोगपरिग्गह देवलोकपरिग्रह) विद्वान || देवसमुदय [देवसमुदय हेव-समुध्य કરેલ || जीवा. २९४; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562