Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 517
________________ ૫૧૬ आगमसद्दकोसो उव. ३३; निर. १७; पुष्फ. ३; दुरूह [आ+रोहय] मारोडj नाया. १६२; दुरहमाण [आरोहत्] मारोडतो दस, १४३; दुरहावेत्ता [आरोह्य] सवार थईन नाया. १६२; दुरहित्ता [आरुह्य] सवार थने उव. ३३; निर. १७; पुष्फ. ३; दुरहित्ताणं [आरुह्य] सवार थन उव. ४८; दुरहित्तु [आरूह्य] सवार थईने सूय. ३४१; दुहिया [आरुह्य] सवार थईने सूय. ५८; दुरूहेत्ता [आरुह्य] सवार थने पुष्फ. ३ दुलभबोधिय [दुर्लभबोधिक] हुणेरीने बोकि પ્રાપ્ત કરનાર, સમ્યકત્વાદિની પ્રાપ્તિ મુશ્કેલીએ થાય તેવા ठा. ७९; दुलभबोहिय [दुर्लभबोधिक] '७५२' दसा. १०४; दुलह [दुर्लभ] हुईम, मुश्दी में प्राप्त भत्त. ७१,१६६; दस. ७२,७५; उत्त. २९४; दुलहा [दुर्लभ] मी 6५२' आउ. ४१; दुल्लंघणिज्ज [दुर्लचनियनुं धनष्ट साध्य છે તે तंदु. १४३; दुल्लभ [दुर्लभ] मी 'दुलह' सूय, ६२३,६२४, सम. २२२ पण्हा. १६; राय. ६५,६६; महाप. २८; दस. ५०७ दुलभबोधित [दुर्लभबोधिक] सो 'दुलभबोधिय' दसा. ३५; दुल्लभब्बोधियता [दुर्लभवोधिकता] 'हुमजोषि' પણું ठा. ४६४; दुल्लभबोहिय [दुर्लभबोधिक] 'हुमो 'दुलभबोधिय' राय. २१; दसा. १०५; दुल्लभबोहियत्त [दुर्लभबोधिकत्व] 'मनोध'પણું महाप. २८ दुल्लह [दुर्लभ] शुभी 'दुलह' आया. १६७; नाया. ३१,३२,३६,४९,६५,१६२; अंत. १३,२०; पहा. १५; सूर. २०८; चंद. २१२, जंवू. ८५; चउ. २९; आउ. ३८; भत्त, ३; संथा. ८; दस. १७५; उत्त. ९६,१०३ थी १०५,११५,१९६,३०६ थी ३०९,१७२०,१७२२; दुल्लहतर [दुर्लभतर मति हुर्तम संथा. ११७; | दुल्लहबोहिय [दुर्लभबोधिक] सो 'दुल्लहवोहिय' सूय. ६६४,६६९; दसा. १०३,१०६,१०७; दुल्लहबोहियत्त [दुर्लभबोधिकत्व] सो 'दुल्लभबोधियत्त' उत्त, ११७०; दुल्लहय [दुर्लभक] हुलम, हुष्प्राप्य उत्त. ३१०; जीय. ६५; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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