Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૫૧૫
दुरुद्धर [दुरुद्धर] मुलीथी खरी शयतेj || दुहित्ता [आरुह्य] भार थईने सूय. १२१; पण्हा. १२;
आया. ५१२; नाया. २१; दस. ४६२;
उवा. २४;
अंत. १९; दुरुन्नमंतसुपओहर [दुहुन्नमतसुपयोधर] अतिशय विवा. २२;
राय. १६; ઊંચા પયોધર-સ્તનવાળી
पन्न. ४६०;
जंबू. ६१; भत्त. १२५;
निर. ७; दुरुय दे. ३५
दुरुहेत्ता [आरुहय] मारुढ ने भग. ४६४; नाया. ३१,९३,२११; आया. ४४२; नाया. ८९; अंत. १३
दसा. १०७ थी १११; राय. ५२, दुरव [दुरूप] ५२।३५वागो
दूरूढ [आरूढ] भारीलो, यसो ठा, ४७,७०२;
ठा. ८७२; दुरवनीत [दुरुपनीत नो 64नय दूषित होय | नाया. १८,२२,३०,३३,५९,६४,६५,६८,७६, તેવું ઉદાહરણ
८६,८७,१०६,१०९,१२४,१५४,१६९, ठा. ३६०;
२२०; दुरुह [आ+रह] भारद थj
उव, ३१;
राय. ११,१६; आया. ४४२,४५२,५२०;
निर. १८;
पुष्फ. ३; नाया. २१,५७,९५,१७६;
वण्हि. ३;
दसा. १०१, उवा. ११; अंत. ५,
दुरूव [दुरूप] डा॥ ३५, अशुथि हि ५२ अनुत्त. १;
राय. २२,२३,५२; વસ્તુ पत्र. ४६०
सूय. ३१९,६४१,६४३,६४५,६४८,६६४; जंबू. ६१,७२,७४ थी ७७,८१,८५,१०१,१०३, नाया. १४४;
१०५,१२२,१२५,१२८,२१४,२२९, जीवा. ३०६; जंबू.. ४९; निर. ७;
निसी. ७५५; | दुरूवत्त [दुरूपत्व] डोण५j दुरुह [आ+रोहय] मारोडj
नाया. १४४, अंत. २०;
दुरूवभक्खि [दुरूवभक्षिन्] शुयि मा पार्थ दुरहंत [आरोहत्] मारोतो
ખાનાર निसी. ७५५,१२६० थी १२६४,१२६९ थी सूय. ३१९; १२७१;
दुरूवसंभव [दुरूवसम्भव] पंथेन्द्रियना भणदुरुहमाण [आरोहत्] मारोहतो
મૂત્રાદિમાં ઉત્પન્ન થતા જીવા आया. ३७१,४४२,४५३,४९७;
सूय. ६९०; दुरहावेत्ता [आरोहय मारोहीने
दुवसंभवत्त [दुरूपसम्भत्व] पंथेन्द्रियन। भणअंत. १३;
મૂત્રાદિમાં જીવોત્પત્તિનો સંભવ दुहित्तए [आरोढुम्] मारोहवा माटे
सूय, ६९०; आया. ४४२; नाया. १८२; दुरूह [आ+रुढ] म॥२४ थj
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