Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 514
________________ (सुत्तंकसहिओ) ૫૧૩ नाया. १७४; अंत. १०,१४; नाया. ६५,८७,९१,१६०,१७६,१७७; पण्हा. १९; उत्त. ६०५; उवा. २१,२३,२४,३०,३३,३५,४७,५४,५५; दुम्मेह [दुर्मेधस] हुष्ट बुद्धिवाणी अंत. १३; पण्हा. १२; उत्त१९१,१००४; पण्हा, ९,१२,१३,१५ थी १७,२०; दुय [द्विक राय, ७५; भत्त. १६; भग. २०९; वीर. ९; उत्त. २९९,१२७७,१२९०,१३०३,१३१६, उत्त. १२५२ १३२९,१३३२; दुय द्रुतमे नाट्य विशेष, तावjujते, || दुरंतपंतलक्खण [दुरन्तप्रान्तलक्षण) ५२२५ ગાવનનો એક દોષ પરિણામવાળું અને અમનોજ્ઞ લક્ષણથીયુક્ત, राय, २४,४२, जंबू. २४०; તુચ્છ-પ્રાંત વસ્તુ उत्त. ५६८,८१०; अनुओ. १९४; जंबू. ६७,७३,८०,८४,९०,९६; दुयं द्रुतम्] लीथी, उतावणथी निर. १५,१७; पिंड. २०८; दुरतिक्कम [दुरतिक्रम] हु: ४२. मोगंगjदुयग [द्विकक] ઉલ્લંઘવું તે भग. ५६२,७८६; आया. ९४,१७०; दुयय [द्विकक] दुरनुचर [दुरनुचर] भुश्वथामायरी शायतेg भग. ३८३,३८६,१०२२,१०२६; आया. १५०; ठा. ४३० दुयविलंबिय द्रुतविलम्बित मे विन125 || भग. ४६४; नाया. ३३; राय, २४,४२; अंत. १३; पण्हा. १५; दुया (द्विकक] मे | दुरनुनेय [दुरनुनेय] ५२राम स्वभाववागुं भग. ३८७,४५३,४५४,४९८,७८६,१०३५; । दसा, ३५, दुयावत्त [द्वयावत] दृष्टिया संगतत् बीत || दुरनुपालय [दुरनुपालक] नुं पालन-माय२४॥ વિભાગ સૂત્રનો સત્તરમો ભેદ કરવું મુશ્કેલ છે તે नंदी. १५०; उत्त.. ८७३; दुयाह (द्वयाह] हिवस | दुरप्प [दुरात्मन्] हुष्टात्मा, राजस्वमावाणु भग. २९१,२९४,५५०; पण्हा. ११; उत्त. ७६०; जीवा. ९८,१०५,१३३; दुरभि [दुरभि] ५२, मनिष्ट, अयोग्य वव. १८८ थी १९०; नाया. ८५; विवा. ६; दसा. ४१ थी ४७; जीवा. ३६; पन्न. ५४०; दुरइक्क मणिज्ज [दुरतिक्रमणीय] हु: रीने | दुरभिगंध [दुरभिगन्ध] दुध, ५२ पास ઓળંગી શકાય તેવું आया. १८४; नाया. ११३,१४३; नाया. ६५; पण्हा . ४५; दुरंत [दुरन्त] ५२ ५२मवाणु दुरभिगम [दुरभिगम] हु: शने गमन री भग. १७२ શકાય તેવું 2|33 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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