Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૪૫૭
आव. १५,३८,
जीय. ८४; ओह. १९२,१९३,२७४,२७५;
दसणचरित्तवंत [दर्शनचारित्रवत्] शन अने पिंड. ७६,८०;
ચારિત્રવાનું दस. ४३,४४,१५१,२२६,३४२;
जीय. ८४; उत्त. ४९,१७८,२११,६९८,८२२,८७९,९४०,
दसण? [दर्शनार्थी सभ्यत्वना मी १०४५,१०५३,१०७६ थी १०७८,१०८५,
ओह. १८९; १०८६,११००,११०४,१११०,१११२,
दसणधर दर्शनधर BAणशनने धा२९२नार १११४,११२२,११२७,११७०,११७४, नाया. ५,२२०; जंबू. २२७; ११८५,१३५४,१३६३,१३६५,१३६६, दसणनाण [दर्शनज्ञान] शनसने शान १५३०,१५३१;
आउ. ४७;
जीय. १५, नंदी. ४,२८,३१,१३४;
पिंड. १०६; अनुओ. ४६,१६१,२३८,३०१,३०९,३२९; दंसणनाणचरणावराह [दर्शनज्ञानचरणापराध] दंसण [दर्शन] हेपाव
દર્શન-જ્ઞાન અને ચારિત્રનો અપરાધ भत्त. १२१;
जीय. १५; दंसणइयार [दर्शन-अतिचार] शनविषय || देसणनाणप्पभव [दर्शनज्ञानप्रभाव] ६शन सने
અતિક્રમણ-દોષ, શંકા-કાંક્ષાદિ અતિચાર || शानथी उत्पन्न गच्छा. १३२;
पिंड. १०६; दंसणउवउत्त [दर्शनोपयुक्त] र्शनमा | | दसणनाणसहगय [दर्शनज्ञानसहगत] शनसने ઉપયોગવાળો, સમક્તિ દૃષ્ટિ
જ્ઞાનનું સાથે જવું – સાથે રહેવું पन्न. ६२१;
आउ. ४७; दसणओ [दर्शनतस्] शनथी.
दंसणनिन्हवणया [दर्शननिह्नवता] शनसूय. ७५५;
સમ્યકત્વમાં નિહ્નવપણું दंसणकंखी [दर्शनकाङ्क्षिन्] सभ्यस्त्वना |
भग, ४२७; ઇચ્છાવાળો
दसणपज्जव [दर्शनपर्यव] शनना पर्याय पिंड. २३८;
भग, ११२, दंसणकसायकुसील [दर्शनकषायकुशील] दसणपडिणीयया /दर्शनप्रत्यनीकता]शन-सभ्यभग. ८९०;
કત્વ પ્રત્યે શત્રુતા, દર્શનાવરણીય કર્મ दसणकुसील दिर्शनकुशील] शनने हृषित |
બંધાવાનું એક કારણ બનાવનાર
भग. ४२७; ठा. ४८३;
दंसणपरिणाम [दर्शनपरिणाम]शन-सभ्यत्वना दंसणखवग [दर्शनक्षपक] ६शन मोनीयनो
ભાવ ક્ષય કરનાર
पन्न. ४०६,४०७; ठा. ५०;
दसणपरिषह [दर्शनपरिषह] भावीशमानो मे दसणचरित्तजुत्त [दर्शनचारित्रयुक्त] शन भने |
પરિષહ-સમ્યક્ત્વ નામક પરિષહ ચારિત્રવાળો
सम. ५२;
उत्त. ४९;
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