Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४3
ठा. ३२५; सम. १६६,१६७; आया. ४४८;
नाया. १७९; जीवा. २०५;
पण्हा . ८;
तंदु. १०३ दगसोयरिय [दकसौकरिक] सांध्यमतन। दसा. ४७
उत्त, ४४५; अनुयायी पीढणना२तरी प्रसिद्ध || दट्टणं [दृष्ट्वा] ने છે, જલના શિકારી
आया. ३४८; दस. ९६; पिंड. ३१४;
उत्त. ४३४; दचा [दत्वा मापान
दट्ट [दग्ध] षणेस, बजेट ठा. १७४; विवा. ७;
सूय. ६७३; पण्हा. ८,१५; राय. ४७; उत्त. २६६; उव. ५५;
पन्न. ६२१% दच्छ [दक्ष] शुमो ‘दक्ख' ।
चउ. २७;
संथा. ८४; नाया. ११३,१७४; उवा. २४,४६; दसा. ३२
उत्त. ६६४,६७१, पण्हा. ११;
दढ [6] ६४, स्थिर, निश्चल दच्छ [द्दश हुमो ‘दंस'
आया. ८१,१९६; सूय. ६१७; दस. १४;
ठा. ३०२,
नाया. १७६; दच्छतर [दक्षतर] मति यतु२
पण्हा . ७,८; उव. १,५०; पण्हा. १५;
राय. १०,६८,८२; जीवा. १०५; दज्झमाण [दह्यमान] पणतो
जंबू, ६२,२१४,३४४, गणि. ७८; भग. ४०७;
दसा. ९३;
उत्त. ३४४,५४०, दट्ट [दृष्ट] सेयर
६११,१०७४,११४४, पण्हा. १५; उव. ५५; नंदी. १२;
अनुओ. २७५; दट्ट [दष्ट] असेल, ४२३८
दढचारित्त [ढचारित्र] नुयारित्र छ तेवो भत्त. ११०;
गच्छा. ९४; दट्टब्ब [द्रष्टव्य वाय
दढचित्त [ढचित्त] यित्त ४ छ ते पन्न. ४२३; आउ. ४९;
भत्त. ५९; दस. ५२८;
दढधनु [६ढधनुष] मे मु२-विशेष ठ्ठ [दृष्ट्वा] सेन
ठा. ९९०;
सम.३५४; सूय. २६१; उत्त. ४४८; दढधम्म [ढधर्म धर्ममा निश्चल टु [दृष्ट्वा सेन
सूय. १६५;
ठा. ३४२,९२८; आया. १५२; सूय. १५२;
नाया. ८७;
वव. २५९; गच्छा. ४९; ओह. ४५;
उत्त. १४१०; उत्त. १२;
दढधम्मया [ढधर्मता] धर्मममा ६५ टुं [६ष्टुम्] ने
सम. १०३; ठा. १८६; पण्हा.४३
दढपइण्ण [दृढप्रतिज्ञ] दीधेला नियममा छ उत्त. १३७१;
તે, એક વિશેષ નામ ठूण [दृष्ट्वा सेन
भग. ५२१;
अंत. १०;
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