Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 501
________________ ५०० आगमसद्दकोसो नाया. १३,१५,१७; उत्त. १५५; || ठा. ९४; दीहाउयत्त [दीर्घायुष्कत्व] aiगुमायुष्यपy दुंदुभय [दुन्दुभक] हुमो. ९५२ भग. २४४; सूर. १९८; चंद. २०२ दीहाउयत्ता [दीर्घायुष्कता) हुमो ७५२' जंवू. ३५३; ठा. १३३; दुंदुभि [दुन्दुभि] भोटं ना-मे पाठिंत्र दीहासण [दीर्घासन] aij भासन सम. ३२७; नाया. २२,३३; राय. ३२; जीवा, १६५; पण्हा. १९; दीहिया [दीर्घिका] पानी 05-२, aisी || | दुंदुभिस्सर [दुन्दुभिस्वर] 'हुत्मि'-alll વાવ વિશેષનો અવાજ आया. ४६१,५०३,५०५; उव, ३४; राय, २०; नाया. ३७,४५,१४५; दुंदुहय [दुन्दुभक] मी 6५२' पण्हा, ८,२३,४५, उव. १,३; सूर. २००; चंद. २०४; राय. ३२, जीवा. १६४,१६५; दुंदहि [दुन्दुभि सो 'दुंदुभि' पन्न. १९२ थी १९४,२०१,३९४; नाया. १८,२२,१५२,१५६,१६९,१७०,२२०; जंबू. ३२; निसी. ७६३,१२४७; विवा. ३३; दीहीकर (दीर्धी + कृ] eig२j जंबू. ६०,७६,१२१,१२२,२१४,२२७,२२९, जीवा. ३०७; २४०,२४४, निर.१८ दीहीकरित्तए [दी/कर्तुम्] i७२वा माटे पुष्फि. ८; पुष्फ. ३; जीवा. ३०७; वहि . ३; दसा. १०१, दुअनाणि [द्विअज्ञानिन] मति मानसने श्रुत || उत्त. ३९५; अनुओ. ३१३; અજ્ઞાન એમ બે અજ્ઞાનવાળા दुंदुहिनिग्योस [दुन्दुभिनिर्घोष] ९६मि मे. भग. ३९२; વાજિંત્રનો નાદ-અવાજ दुआइक्ख [दुराख्येय]: शनेवायो| उव.३१, राय. ११,२९,४४; ठा. ४३०; जीवा. १७९,१८०; दुआराहग [दुराराधक] ६:४शने साराधना दुंदुहिस्सर [दुन्दुभिस्वर] त्मि-से पाठिंत्र કરનાર વિશેષનો અવાજ पण्हा. २०; राय. २९; . जीवा. १६७; दुआवत्त [द्यावत] टिवानुसूत्र-विशेष दुंदुही दुन्दुभी] भो ‘दुंदुभि' सम. १६७,२२८; राय. २३; दुओणय [द्वि-अवनत] शुरने पहना २ताले दुक्कड [दुष्कृत] हुकृत्य, ५८५ વખત મસ્તક નમાવવું તે, વંદનના પચ્ચીશ || आया. २१२; सूय. २६४,२६५, આવશ્યકમાંના બે ३१५,३२७,६४१ थी ६४४; । सम. २२७; सम. २४; दसा. ३५,३६; आव. १०,१५ थी २०,३८; दुंदुभग [दुन्दुभक] 5 महाAS उत्त. २८ नंदी. १४९; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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