Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 509
________________ ૫૦૮ आगमसद्दकोसो તેવું કર્મ आया. ४२२,४७५ थी ४८२,४८६,४९२; || दुपडोयार [द्विप्रत्यावतार] शुभी 'दुपओआर' निसी. ७९७ थी ७९९,८९० थी ८९२,११०५ || उव. २७; राय. ५४; थी ११०८,१३१९ थी १३२१; | दुपत्तिज्ज [दुष्प्रतित्य] नी प्रतिलि हु४२ छ ते दुनिबोह [दुनिर्बोध] : शनयो। थई । महानि, १२, | दुपदेस [द्विप्रदेशिक ५२मानो सूय. ६३१; पन्न. ३६६; दुनिय [दुर्नित] दुष्कृतथा संयित थयेल अशुभ | दुपदेसिय [द्विप्रदेशिक] मी 6५२' पन्न. ३२३,३२४,४४१; सूय. ३८४; दुपय [द्विपद] पावापा-मनुष्य, गाई दुनिरिक्ख [दुर्निरीक्ष्य] मुसीधी शाय आया. ८२,३९६, नाया. ९१; તેવું राय. ५६,६०; दसा. ४९; . दसा. ३; ओह. २०५; उत्त. ४३०,१०१९; दुनिसण्ण [दुर्निषण्ण] अयोग्य रीत असेल अनुओ. ७१,७२,२३५,३०३,३२९; ठा. ४५४; दुपयचउप्पयपमाणाइक्कम [द्विपदचतुष्पदप्रमाणा दुपउत्तकायकिरिया दुष्प्रयुक्तकायक्रिया अयोग्य तिक्रम] श्रावना पांयमा प्रतनो मे રીતે પ્રવૃત્ત કાયાની ક્રિયા, દુષ્પરિહિત પ્રમત્ત અતિચાર સંયતિની કાયાની પ્રવૃત્તિ आव. ६८ ठा. ६०; दुपयचउप्पयपमाणातिकम (द्विपदचतुष्पदप्रमाणा दुपएसिय [द्विप्रदेशिक] वे ५२माशुना संयोन तिक्रम] शुओ '७५२' વાળો સ્કંધ उवा. ९ पन्न. ३२४,३६५,३९१,५७४; दुपरिकम्मतराय [दुष्परिकर्मतरक] हुकृत्यमा अनुओ. ५४,५८,८४,८८,१०२,१०४,१११, આનંદ માનનાર, કોઈનું બગાડવામાં રાજી १५०,१६१,२५३,२९८, રહેનાર दुपओआर (द्विपदावतार] छैनो समावेश | भग. २७३; સ્થાનોમાં થાય તે दुपरिचय [दुष्परित्यज] ६: शने त्या ठा. ५७; શકે તેવું दुपक्ख [द्विपक्ष] पक्ष दसा. ३५; सूय. ६०,२१४,५३९; दुपरिचय [दुष्परित्यज] भो '७५२' दुपच्चक्खाय [दुष्प्रत्याख्यान] मविधि उत्त. २१४; પચ્ચક્ખાણ કરેલ दुपस्स [दुर्दशी भुलीया शवाय तेवू भग. ३३९; ठा. ४३०; दुपडिकंत [दुष्प्रतिक्रान्तानुप्रायश्चित परामर दुपाय [द्विपाक बेपत ५वेत ન કરાયેલ હોય તે, દુર્જય जीवा. १०५; महानि. ३३५: दुप्पअ [दुष्पद] स्थिर न २ तेवु, ढुंयई, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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