Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४७५
दसमभत्तिय [दशमभक्तिकाय.२७५वास.४२ ना२ || जो. नंदी. १; भग. ६७२;
दससमयट्टिईय [दशसमयस्थितिक] ६शसमयना दसमा [दशमी] ६शम, पक्षनी शमी तिथि સ્થિતિવાળું दसा..४६;
पन्न. ३२४; दसमाण [दशत्] ४२७तो, इंश हेतो
अनुओ. १२९,१३८,२७२; आया. ३०७;
दसा [दशा] ६AL, स्थिति, अवस्था, मे नाम दसमास [दशमास] शमलिना-श्रीनाशमी એક (છેદ) આગમસૂત્ર પ્રતિજ્ઞાનું કાલમાન
ठा. ९६७,९९५;
सम. ६०; दसा. ४६;
तंदु. ४३;
वव. २७२, दसमी [दशमी] शुभी 'दसमा'
आव. २६;
उत्त. १२४२; आया. ५१३,५३२,५३५;
नंदी. १३७; जो.नंदी. १; सूर. ६८;
चंद. ७२; दसाकप्पववहार (दशा-कल्प-व्यवहार) -3८५ जंबू. २९२,२९९, गणि. ५,८;
અને વ્યવહાર એ ત્રણ (છંદ) આગમસૂત્રો वव. २४९;
જેના કુલ છવ્વીસસ અધ્યયન છે. दसमुद्दियानंतय [दशमुद्रिकानन्तक] सांगणी- आव. २६; ઓમાં પહેરવાનું એક આભુષણ
दसाकप्पववहारधर [दशा-कल्प-व्यवहारधर]शानाया. ३३;
કલ્પ અને વ્યવહાર એ ત્રણ (છેદ) दसरत्त [दशरात्र] ६शरात्रिमोनो समूह આગમસૂત્રના ધારક विवा. २१,२३,
वव. ७०; दसरत्तठिइवडिया/दशरात्रस्थितिपतिता मुलायार || दसार [दशाह समुद्रवियाशिमामी પ્રમાણે દશ દિવસ સુધી પુત્ર-પુત્રીનો જન્મ લોકમાં લાયક હોવાથી દશા કહેવાય છે, મહોત્સવ કરવો તે
વાસુદેવ, વાસુદેવ કુટુંબ विवा. २१;
ठा. ८९,१५१; दसराय [दशरात्र] ६२२त्रिमोनो समूड नाया. ६३,६४,१६९,१७२,१७४, आया. ४८०,४८६;
अंत.३;
पण्हा. १९ दसरायकप्प [दशरात्रकल्प] ६शरात्रि विषय
वण्हि . ३;
ओह. ५३५; આચાર-વિશેષ, કુલાચારાનુસાર
उत्त. ८०७,८२३; निसी. १०९;
दसारगंडिया [दशारगण्डिका] मां ‘दशाह'नो दसवासपरियाय [दशवर्षपर्याय नोहीक्षापयर्याय || અધિકાર છે તેવું અધ્યયન કે ગ્રંથ-વિભાગ દશ વર્ષનો છે તે
सम. २३२, नंदी. १५४; वव. २७४;
| दसारचक्क [दशार्हचक्र] या समूह दसवेकालिय [दशवैकालिक] मे नाम से
उत्त. ४९०; (મૂળ) આગમસૂત્ર
दसारमंडल [दशारमण्डल] प४५-पासुहेवर्नु नंदी. १३७;
કુટુંબ दसवेयालिय [दशवैकालिक] '७५२'
ठा. ९७५;
सम. ३२७,३६८
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