Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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૪૫૪
સંમાર્જનનું ઉપકરણ
राय. १०;
दंडसमादाण [ दण्डसमादान ] पापनुं ग्रहण २
તે, પાપ ક્રિયાના સ્થાન-વિશેષ
सूय. ६४८ थी ६५३;
दंडा [दण्डक] दुखी 'दंडक'
भग. ८१७;
दंडायतिय [ दण्डायतिक] टंडनी भाइ पग લાંબા કરીને બેસનાર, દંડની જેમ લંબાવવું सूय. ६७०; ठा. ४३०,६४४;
दसा. ८३;
दंडारक्खिय [ दण्डारक्षिक] ६डथी रक्षा 5२नार,
કોટવાલ
निसी. ६०६; दंडासणिया [दण्डासनिका] ६ खासने बेसनार बुह. १६९;
दंडि [दण्डिन् ] टंडने धारा डरनार
विवा. ३१;
जंबू. १२१;
अनुओ. २३८;
दंडिखंड [ दण्डखण्ड ] होराथी सीवेल डे थीगडा
દીધેલ વસ્ત્ર
उव. ३१;
दसा. १०१;
पण्हा. १६;
दंडिय [दण्डिक] विरोधी राभ
ओह. ११७;
दंडिया [दण्डिका ] नानी साडडी, उंडीओ
जंबू. ७३;
दंडी [दण्डिन् ] जो दंडि'
नाया. १६०, १६४;
दंत [ ददत्] छान उरतो, खापतो पिंड. ५९४;
दंत [ दन्त] त
आया. १७,५४, ३१९, ४००, ४९८; सूय. ४४९, ६४७, ६५०, ६६५, ७२७; ठा. २९७,२९८;
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नाया. ३७, ६२;
उवा. २१,२३,२७,
उव. १०,१६,२२,३१;
राय. ३९,६९;
आगमस कोसो
दसा. ४९,१०१; ओह. २७६,
पण्हा. ७, १९;
पत्र. २०५;
जंबू. ३७,४९,८१,१२१,३४४;
आउ ६९;
जीवा. १७७, १८५;
तंदु. १०२;
गच्छा. ५३;
निसी. ७९, १६४ थी १६६,२८१ थी २८३,४४७ थी ४४९, ५१४ थी ५१६, ६९६ थी ६९८,९४८ थी ९५०, १०३४ थी १०३६,११५४ थी ११५६, १२०७ थी १२०९:
उत्त. ३८५;
दंत [दान्त]ठेनुंधमनरायेल छे ते, वश रेल, બે ઉપવાસ
आया. १२४,२०६;
सूय. ४३०, ४३५, ५१८,५२०, ६१७,६१८, ६३२, ६४७,७४२;
ठा. ७०९, ९२८;
नाया. ३८, ११४, १५४;
उव. ५१;
दस. ५,२९,३२, ८४, २२८, ३७९;
उत्त. १५, १६,७६, ३३१,४००, ५३७, ७४४,
७४६, ७६५, १४०९, १४११, १४१३, १४६०;
दंतंतर [ दन्तान्तर] जेहांत वश्येनुं खांत
निर. १७;
दंडकट्ठ [ दन्तकाष्ठ] छाता
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दसा. २१,१०१;
दसा. ३५;
दंतकम्म [दन्तकर्मन्] iतनी झरीगरी, हांतनो વ્યાપાર, શ્રાવકને વર્જ્ય પંદર કર્માદાનમાંનો એક ધંધો
आया. ५०५;
निसी. ७६२;
दंतकार [ दन्तकार] ांतनो अरीगर, छांतनो ઇલાજ કરનાર
पण्हा. ४५;
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