Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
४४८
जंवू. ३४,३६,३७,१४३;
ठा. २९७,४२३; पण्हा. ४५, ओह. १०५,१८९; अनुओ. २६३; उव. ४०,
ओह. ४७४; थूभकरंडग [स्तूपकरण्डक] मे धान दस. ३६,३८,३१५; विवा. ३८;
थूलग [स्थूलक] स्थूण, मोटा, श्रावनाप्रतीमi थूभमह [स्तूपमह] स्तूप संधि महोत्सव વ્રતનું નાનાપણું સુચવવા વપરાતો શબ્દ आया. ३४६: राय. ४८;
सूय. ८०४;
पहा. ३८; जीवा. १८५; निसी. ५७५;
थूलय [स्थूलक] मो. ९५२' थूभसंठिय [स्तूपसंस्थित] स्तूपना ॥5॥२ २४३८.
ठा. २९७;
नाया. १४७, भग. ३९१;
उवा. ८,९;
अंत. २७; थूभाभिमुह [स्तूपाभिमुख स्तूपनी सन्मुण उव. ४९,५०, राय. ८१; ठा. ३२७;
राय. ३६; थूलयअदिनादाण स्थूलअदत्तादान] स्थूयोरी, जीवा. १७५,२९४;
શ્રાવકે લેવાનું ત્રીજું અણુવ્રત थूभिअग्ग/स्तूपिकाग्र लघुशि५२नोमयमा, नाया. १४७; उवा. ८; શિખરની ધજા
अंत. २७;
उव. ४९,५०; सम. २५,
राय. ८१; थूभिंद [स्तूपेन्द्र/परिणामिद्धिमुंभे दृष्टांत || थूलयपरिग्गह [स्थूलपरिग्रह]स्थूलपरियड, श्राव नंदी. १०९;
લેવાનું પાંચમું અણુવ્રત थूभियंत [स्तुपिकान्त] नाना शिमरने अंत नाया. १४७; उवा. ८; देविं. २७३;
अंत. २७
उव. ४९,५०; थूभियग्ग [स्तूपिकाग्र] शुमो 'थूभिअग्ग' राय, ८१; उव. ५५; पन्न. २३५; थूलयपाणाइवाय [स्थूलप्राणातिपात]
स्थू सा , थूभिया [स्तूपिका] प्रासाद 6५२नु महिमय શ્રાવકે લેવાનું પહેલું અણુવ્રત નાનું શિખર
नाया. १४७;
उवा.८; नाया. १२,२७
अंत. २७;
उव. ४९,५०; थूभियाग [स्तूपिका] शुमो ७५२'
राय. ८१; सम. २४१,
थूलयमुसावाय [स्थूलमृषावाद] स्थूण बोल राय. १५,२७,२९,३६;
તે, શ્રાવકે લેવાનું બીજું અણુવ્રત जीवा. १६७,१६८,१७३,१७५,१८७,२९४; नाया. १४७; उवा. ८; पन्न. २२५;
अंत, २७;
उव. ४९,५०, जंबू. १४,१२८,१४३,१९४,१९६;
राय. ८१; थूभियाय [स्तूपिकाक] हुमो ७५२'
| थूलयमेहुण स्थूलमैथुन] स्थूणमा माय२९१, जीवा. १६७;
શ્રાવકે લેવાનું ચોથું અણુવ્રત थूल स्थूल] स्थूल, डं, भोटं, पुष्ट
नाया. १४७, उवा. ८; आया. १६२,४७२,५३८,५४०;
अंत. २७;
उव. ४९,५०, सूय. ३२९,७७४;
राय. ८१; 12/29 Jain Education International For Private & Personal Use Only
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