Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan

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Page 427
________________ ૪૨૬ आगमसद्दकोसो गणि. ६४; उवा. ९; आव. ६५ तुट्टि [तुष्टि] संतोष, तृप्ति तुट्ट [तुट्ट] तुटपुं ते आया. ५६५, भग. ५१८,५२०; आया. २०८; नाया. १३,१५,१७,५२; तुट्ट /त्रु तुट पण्हा. २०; जंबू. ४४; सूय. ९०,६१२; निर. १५; तुट्ठ [तुष्ट] संतुष्ट, मुशी थयेल. दसा. ११२; भग. ११२ थी ११४,११६,१३२,१३३,१७२, उत्त. १२७५,१२८८,१३०१,१३१४,१३२७, २२९,३७२,३७३,४६०,४६२ थी ४६५, १३४०; ५०६,५०८,५१४,५१८,५२०,५२१,५२३, तुड [तु. थीगडं , 3g ५२६,५३०,५३१,५३५,५३६,५८७,६३०, निसी. ४२; ६३९,६४४,६४५,६५२,६५५,६६७,६७५, तुडि [त्रुटि] न्यूनता, भी, घोष, संशय ६७६,७२७,७४४,७५०; महानि. ६७८; नाया. १२ थी १५,१७,१८,२०,२२,२५,३०, तुडिअंग त्रुटिताङ्ग] योर्याशा पूर्वनो मे ३१,३३,३७,४०,४६,४७,५१,५२,५७,६१, ६४ थी ६९,७५,७६,८६ थी ९२,९८,१४४, ત્રુટિતાંગ, કાલનું એક માપ १४५,१४८,१४९,१५१,१५७,१५९,१६२, ठा. ९८७; सम. १७; १६५,१६९,१७३,१७६,१८४,२०२ थी तुडिग/दे., त्रुटितातूरी- वीहि , मेज २०६,२१४,२१५,२२०; विभाग-मा५, पाच, अंत:पुर, उवा, ७,११,१७,१८,२०,२७,२९,३२,३४, અમરેન્દ્રની અત્યંતર પર્ષદા ३७,४५,४९,५५,५७,५८, नाया. ३३; अंत. ५,६,१३,२०,२७,३९,४०,४४; तुडित तूर्य तूरी-महिपाठिंत्र अनुत्त. १०,११; ठा, ७०२ पण्हा, ८,११,१६,३५; पन्न. २०३,२०५,२२६; विवा. ६,२१,३३,३७; तुडित [त्रुटिक] टुटेस, जडित थयेल, छिन्न उव. ११,१२,२८,३० थी ३२,४१; जंबू. १३,६७; राय. ५,८,१० थी १६,१९,२१ थी २३,४२, ४४,५२,५४,५६ थी ६०,६२,७५,७७; तडित [त्रुटित हुमो ‘तुडिग' जीवा. १७९,१८० “ पन्न, २०३,२०५; जंबू. ५२,५५,५६,६१,६७,६८,७३ थी ७७, || तुडितंग त्रुटिताङ्ग] मी 'तुडिअंग' ७९,८४,१०१,१०३ थी १०५,१२० थी १२२, | ठा. ९८७; २१४,२२६ थी २२९,२३९,२४०,२४४; तुडिय [दे.,त्रुटित संध्या विशेष निर. ७,१०,१७; पुष्फि, ३,८,९; जीवा, २८७ जंबू. २२; . पुप्फ. ३; वहि . ३, तुडिय [दे., तुटिक] मंत:पुर, नानपार्नु दसा. ९५ थी ९७,९९ थी १०१,११३; भग. ४८८,४८८९; दस. ४४६; जीवा. ३१९,३२०; सूर. ११८; उत्त. ५७५,७६६,९७१,९९८; चंद. १२२; जंबू, ३३५; अ.नंदी. १; निसी. ४१,४२, अनुओ. १३८,२७५; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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