Book Title: Agamsaddakoso Part 2
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૪૧૫
भग. २९१,२९४,५५०;
४९९,५४५, जीवा. ९८,१०५;
तिरिक्खजोणित [तिर्यग्योनिक] यि पशुवव. १८८ थी १९०;
પક્ષી આદિ दसा. ४१ थी ४७;
ठा. ३१२, तिरयण [त्रिरत्न] सभ्य शान-शन-यारित्र |
तिरिक्खजोणिय [तिर्यग्योनिक] मी ७५२ રૂપ ત્રણ રત્નો
आया. ५३९; संथा. ११७;
सूय. ६४८,६८९,६९०; तिराइय [दे.] उन ४३८
ठा. ५१,७१,७५,७७,७८,८५,१३१,१३४, ओह. २६४;
१३८ थी १४०,१४८,१७६,१९४,३१२,३३३, तिराय [त्रिरात्र] त्रए। रात्रि
३४८,३६३,३७७,३८४,३९२,३९६,३९८, निसी. ६२०;
४२१,४९६,५४४,५५५,५६४,५८७,६५९, तिरिओववाइय [तिर्यंचोपपातिक] तिर्थय५४
६९७,७८३,८०५,८७५,८८५,९२०,१००९; ઉત્પત્તિ પામેલ
सम, १ थी ३,२६,१५०,२५३; देविं. २१८;
भग. २२,२७,३०,३३,४४,४९,६८,८२, तिरिक्ख [तिर्यच] तिर्यय, पशुपक्षी साहि
१२४,१२६,२२४,२६०,२६४,२६६,२८२, आया. ८६; सूय. ३५१;
२८८,३४३,३५३,३६०,३७२,३७३,३८३, सम. २५३,२५४
३८६,३८९,३९१,३९२,४१४,४१५,४२४, भग, ८५,८६,३८३,५५५,५९९,७०१,५५८;
४२५,४२७,४४७,४५०,४५३,४५४,४५६, जीवा. १४,४७,५५,५७,६७,३६५;
४५७,४६७,४६९,४७०,४८०,४९८,५१६, पन्न. ४५०,५१०;
५४३,५५१,५५४,५५५,५५८,५९२,५९९, उत्त. १६१९,१६३४,
६०४,६१२,६१३,६२०,६७७,६९९,७००, तिरिक्खजोणि [तिर्यग्योनि] तिथयोनि
७०३,७२२,७२९,७३४,७३८,७५२,८३८ थी પશુપક્ષી વગેરે
८४४,८४६ थी ८४८,८५३,८५६ थी ८६०, ठा. १३८; सम. २२७;
९७८,९८०,९८१,९९०,९९२,९९८ थी भग. ७३४; पण्हा . ८;
१०००,१००३,१०१६,१०६८,१०७२; उव. ३५,३७
नाया. ३८,१४७; उवा. २७; जीवा. ५३,५५,५६,५८,७०,७२;
अंत. ३९;
विवा. १०; ओह. ७६६; दस. २२३;
उव. ३४,५१; उत्त. ६२४,७५८८;
जीवा. १४,१६,३९,४१ थी ४६,४८,६०,६२ तिरिक्खजोणिणी [तिर्यग्योनिकातिर्थयनीस्त्री
थी ६४,६६ थी ६८,७०,७२,७४,१०७, ठा. ६५९,६९७,७८३;
१३०,१३१,३४२,३४३,३६५,३६६,३८८, भग. २६०,२६४,४१४,४१५;
३९४ थी ३९६,३९८; उव. ३४;
पन्न. १५४,१५६,१५७,१६० थी १६३,२०१, जीवा. ३६५,३९४,३९५;
२६०,२६१,२८७,२९७,३०२,३०७,३१२, पन्न. २६१,२८७,२९७,४५२,४५५,४५८,४७३, ||
३१९,३२८,३३०,३३२,३३४,३३७ थी
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