Book Title: Agamdharsuri
Author(s): Kshamasagar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Samstha

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ जीवनको बाजी लगाकर तीर्थरक्षण किये १. सम्मेत शिखरजी महातीर्थ पर बंगले का बनना रुकवाया। २. अंतरीक्ष-पार्श्वनाथ तीर्थ में दिगंबरो के मुकदमे में कोर्टद्वारा सत्यवादी तथा विजयी घोषित हुमे । ३. उदयपुर-केशरीयाजी तीर्थ में मूलनायकजी के मंदिरपर ध्वजादंड चढ़वाकर तीर्थ को तपागच्छीय जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजकों का तीर्थ सिद्ध किया। तीर्थोद्धार . १. मांडवगढ़ महातीर्थ', २. भापावर महातीर्थ, मालवप्रदेशमें धर्म का प्रचार तथा अनेक जिनमदिरोका जीर्णोद्धार करवाया । ... आपटीने राजाओंका भी प्रतिबोधित किया , __ मालवप्रदेशमें शैलानानरेश दिलीपसिंहजी महाराजको प्रतियोषित कर जीवदया का डंका बजवाया तथा समेलीया और चेडके राजाओंको भी प्रतिबोध किया। उसी तरह आप जैनशासन पर हुमे स्व-पर आक्रमण के प्रतिकार में सर्वप्रथम रहे। भापका सारा जीवन जैन- . शासनकी सेवामे हो व्यतीत हुभा। पालीताणामें करीब २५०० प्रतिमाजी का अंजनशलाका महोत्सव हुआ जिसमें ४०,००० चालीस हजार मानव समुदाय उमड़ पड़ा था। तेरह दिनों के इस महोत्सव काल में स्मशानघाट बंद रहा, किसीकी मृत्यु नहीं हुई। यह शासन का प्रभाव है। पूर्व भव के महा पुण्य से ही यह संभव है। सचमुच आपश्री के महान् पुण्योदय से ही ऐसा बन पाया है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 310