Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 8
________________ . आचारांग-चयनिका के समान इस चयनिका में भी दशवकालिक सूत्र के विशाल कलेवर में से मणि-मुक्ताओं के समान वैशिष्ट्य पूर्ण केवल एक सौ गाथाओं का चयन है और साथ ही प्रत्येक सूत्र का व्याकरण की दृष्टि से शाब्दिक अनुवाद भी । व्याकरणिक विश्लेषण में प्राकृत व्याकरण को दृष्टि में रखते हुए प्रत्येक शब्द का मूल रूप, अर्थ और विभक्ति आदि का सरल परिचय भी दिया गया है । हमारा विश्वास है कि आगमों के अध्ययन को सार्वजनीन सुलभ वनाने से पाठक में जैन आगम/दर्शन/धर्म के सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति निष्ठा उत्पन्न हो सकेगी और समाज में एक नयी चेतना का उदय हो सकेगा, जो अभ्युदयकारी सिद्ध होगी। डा. सोगाणी इस अकादमी के संस्थापन काल से ही अंग रहे हैं और अकादमी के विकास में प्रयत्नशील भी । उनके चयनिकानिर्माण के प्रशस्त प्रयत्न के प्रति अकादमी कृतज्ञ है । साथ ही "पुरोवचन" के लेखक श्री मधुसूदन जी अ. ढांकी सह निदेशक, अमेरीकन इन्स्टीट्यूट आफ इंडियन स्टडीज, वाराणसी के प्रति भी हार्दिक आभार व्यक्त करता है। पुस्तक की सुन्दर छपाईं के लिये अकादमी फ्रेन्ड्स प्रिन्टर्स एवं स्टेशनर्स, जयपुर के प्रति धन्यवाद ज्ञापन करता है । सुलतानमल जैन अध्यक्ष श्री जैन श्वे. नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ श्व. नाकाड़ा पाश्वनाथ तीर्थ मेवानगर देवेन्द्रराज मेहता सचिव प्राकृत भारती अकादमी जयपुर viii] [ चयनिका

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