Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra
Author(s): K C Lalwani
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 114
________________ 86 Kalpa Sūtra Bear the banner of spiritual practices. Oh hero ! In the arena of the three worlds, Gain kevala knowledge and faith, supreme and best, With no stain of obscurity. Attain thee the highest state of liberation By treading on the straight path, As advised and chalked out by the best of Jinas. Bravo ! Ye have beaten the battalion of obstructions, Victory to thee ! A bull among the ksatriyas. By fearing not sundry omens and obstructions, For many days, fortnights, months and seasons, For many half-years and years full, Are thee capable of fortitude and rest Even when in the midst of fear or danger. May thy path be harm-free." तए णं पासे अरहा पुरिसादाणीए णयणमाला-सहस्सेहिं पिच्छिज्जमाणे २ वयणमाला-सहस्सेहिं अभिथुव्वमाणे २ हियय-माला-सहस्सेहिं उण्णंदिज्जमाणे २ मणोरह-माला-सहस्सेहिं विच्छिप्पमाणे २ कंतिरुव-गुणेहिं पच्छिज्जमाणे २ अंगुलिमाला सहस्सेहिं दाइज्जमाणे २ दाहिण-हत्थेणं बहूणं णर-णारी-सहस्साणं अंजलिमाला सहस्साइंपडिच्छमाणे २ भवणपंति-सहस्साइं समइच्छमाणे २ तंति-तलतुडिय-घण-मुइंग-गीय-वाइय-रवेणं महुरेण य मणहरेण जय-सद्द-घोस-मीसिएणं मंजुमंजुणा घोसेण य पडिबुज्झमाणे २ सविड्ढीए सव्व-जूईए सव्व-बलेणं सव्ववाहणेणं सव्व-समुदएणं सब्वायरेणं सव्व-विभूईए सव्व-विभूसाए सव्वसंभमेणं सव्व-संगमेणं सव्व-पगई-एहिं सव्वणाडएणं सव्व-तालयरेहिं सव्वारोहेणं सव्व-पुप्फमल्लालंकार-विभूसाए सव्व-तुडिय-सद्द-संणिणाएणं महया इड्ढीए महया जूईए महया बलेणं महया बाहणेणं महया-वरतुडिय-जमग-समग-प्पवाइएणं संख-पणव-पडह-भेरि-झल्लरि-खरमुहि-दुंदुहिणिग्घोस-णाइय-रवेणं वारणसिं णगरि मज्झं-मज्झेणं णिग्गच्छइ । णिग्गच्छित्ता जेणेव पासम-पए उज्जाणे जेणेव असोग-वर-पायवे तेणेव उवागच्छइ । उवागच्छित्ता असोग-वर-पायस्स अहे सीयं ठावेइ । ठावित्ता सीयानो पच्चोरुहइ । पच्चोरुहित्ता सयमेव पाभरण-मल्लालंकारं प्रोमुयइ। अोमुइत्ता सयमेव पंचमुठियं लोयं करेइ । करित्ता अट्ठमणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं णक्खत्तेणं जोगं उवागएणं एगं देवदूसं आदाय तीहिं पुरिस-सएहिं सद्धि मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइए। १५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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