Book Title: Agam 02 Sutrakrutang Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र २, अंगसूत्र-२, 'सूत्रकृत्'
श्रुतस्कन्ध/अध्ययन/उद्देश/सूत्रांक सूत्र - २७४
कुछ लोग/भिक्षु पाप-कर्म करते हैं पर पूछने पर कहते हैं-मैं पाप नहीं करता हूँ । यह स्त्री मेरी अंकशायिनी रही है। सूत्र - २७५
बाल पुरुष की यह दोहरी मंदता है कि वह कृत् को अस्वीकार करता है । वह पूजा-कामी विषण्णता की एषणा करने वाला दुगुना पाप करता है। सूत्र - २७६
अवलोकनीय आत्मगत अनगार को वह निमंत्रण करती हुई कहती है तारक ! वस्त्र या पात्र या अन्न अथवा पानी ग्रहण करे। सूत्र - २७७
भिक्षु इसे प्रलोभन समझे । घर आने की ईच्छा न करे । विषय-पाश में बंधने वाला मन्द पुरुष पुनः मोह में लौट आता है। -ऐसा मैं कहता हूँ।
अध्ययन-४ - उद्देशक-२ सूत्र - २७८
ओजवान् सदा अनासक्त रहे । भोगकामी पुनः विरक्त हो जाए । श्रमणों के भोगों को सूनो, जैसा कुछ भिक्षु भोगते हैं। सूत्र - २७९, २८०
(स्त्रियाँ उस) भेद विज्ञान शून्य, मूर्च्छित एवं काम में अतिप्रवृत भिक्षु को वश में करने के पश्चात् पैर से उसके मस्तिष्क पर प्रहार करती है।
वह कहती हैं-भिक्षु ! मेरे केशों के कारण यदि तुम मेरे साथ विहरण करना नहीं चाहते तो मैं केशलुंचन भी कर लूँगी । तुम मुझे छोड़कर अन्यत्र विचरण मत करो। सूत्र-२८१
जब भिक्षु उसे उपलब्ध हो जाता है तब उसे इधर-उधर प्रेषित करती है । (वह कहती है) लौकी काटो, उत्तम फल लाओ। सूत्र - २८२
शाक पकाने के लिए काष्ठ (लाओ जिससे) रात्रि में प्रकाश भी होगा । मेरे पैर रचाओ और आओ मेरी पीठ मल दो। सूत्र - २८३
__मेरे वस्त्रों का प्रतिलेख करो । अन्न पान ले आओ । गंध एवं रजोहरण लाओ । नांपित को भी बुलाओ। सूत्र - २८४
अन्जनी, अलंकार और वीणा लाओ । लोध्र व लोध्र-कुसुम, बासुरी और गुटिका लाओ। सूत्र - २८५
कोष्ठ तगर, अगर, उशीर से संपृष्ट चूर्ण, मुँह पर लगाने के लिए तेल एवं बाँस की संदूक लाओ। सूत्र - २८६
नंदी-चूर्ण छत्र उपानत् एवं सूप छेदन के लिए शस्त्र लाओ । नील से वस्त्र रंग दो। सूत्र - २८७
शाक पकाने के लिए सूफणि (पात्र), आंबले, घर, तिलक करणी, अंजन-शलाका तथा ग्रीष्म ऋतु के लिए पंखा लाओ।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (सूत्रकृत) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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