Book Title: Adhar Dushan Nivarak
Author(s): Anopchand Malukchand Sheth
Publisher: Anopchand Malukchand Sheth
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र पुल बे. ते पुलो एवा मख्या बे के श्रात्मानी ज्ञानशक्ति चालवा देता नथी. तो सरस्वती चुर्ण प्रमुखना सार पुल बे. ते तो जेम औषध खाईए बीए तो शरीरमां रोगना पुजलने काढी नांखे बे, तेम शरीरमां वायु प्रमुखश्री इंडियोनी शक्तिने हरकत होय ते दूर करे बे. एटले चेतनशक्ति चालवामां जे श्रमचण दती ते दूर श्रई एटले जे बुद्धि हती ते चाली शके बे. जेम प्रांखोने पाटो बांध्यो होय अने खशेमी नांखीए तो प्रांखेश्री जोई शकीए. पाटो जवाथी कांई प्रांखमां जोर आवतुं नथी; परंतु बाधाकारी टली गयुं, तेमज सरस्वती चूर्ण करे बे. संघयणनुं बल पण जेम कानमा रोग थयो होय तेथी आत्मा बे तोपण सांजली शकातुं नथी, केमके काननो नाग बगमचो बे ते सुधरे एट जे सांनले बे. तेम संघयण बलवान होय तो श्रात्माने पोतानुं काम करवाने वाघ करनारनी हरकत रहेती नथी. तेथी पोतानी ज्ञानशक्ति चाली शके बे. जेम निर्बल माणसने लाकमीनो टेको होय तो चालवाने श्रमचल पमती नथी तेम आत्मा कर्म श्रावरण सहित बे, त्यां सुधी निर्बल वे. तेथी टेकारूप संघयानुं बल जोईए बे. सर्वथा कर्मी रहीत श्राय त्यारे देदरदीत थाय बे, अनेत्यारे पोतानी आत्मशक्ति जेटली के ते चाले बे. तेमां कांइ पण पुलनो आधार जोश्तो नथी. जेम निरोगी यांखवालाने चशमां जोइतां नथी. प्रांखनी शक्ति घटी होय तेने चशमां जोइए वे तेमज कर्म श्रावरणरूप रोग बे, त्यांसुधी जे जे ज्ञान श्रायवे ते इंडीनना बलश्री श्राय वे, त्यांसुधी सारा पुजलनो खप पके बे. जेमके केवलज्ञान प्रगट थाय वे, त्यारे कोईपा इंडिनो खप परुतो नथी. पोतानी आत्मशक्तिथीज ज्ञान थाय बे. माटे आत्मशक्तिमा कांईपण जमनो खप पकतो नथी. जेम जेम जम संगत बूटशे तेम तेम आत्मनाव प्रगट थशे अने संसारमा रख
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