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( ६ )
जबे ते जीव प्राणधारणे धातुथी सिद्ध थाय छे वास्ते जीवे ते जीव बे. माटे शरीर फेरफार थया करे बे, पण जीव तो तेने तेज बे. जेवां कर्म बांध्यां होय तेवुं पातुं शरीर धारण करे बे, तेज जीव बे, अने जे जे सुख दुःख उत्पन्न थाय बे ते जेवां जेवां पाप, पुन्य गया जवमां करेलां बे तेवां जीव जोगवे बे. नेतमारा मत प्रमाणे जीव न होय, ने शरीरज एकलुं होय त्यारे या उपर फेरफार बताव्या बे से होवा न जोईए, अने तेम थाय बे, तो तमारुं नास्तिकनुं समजवुं नूल जरेतुं बे. प्रा नास्तिक
तनो काढनार पापी दोवो जोइए, कारण जे दालमां इग्लांगमां के लाएक एवा माननार नोकल्या बे के पाप पुन्य नथी. शरीरनी संभाली सारु शरीर रहे बे. नहि संनालथी शरीर बग बे. आवो विचार करी गुन्दो कर्यानी शिक्षाज मानता नथी, ने नहीं मानवाथी एवाज माणसो खून बहु करे बे. तो जेम हाल नास्तिक पाप नहि माने, एटले कांइ पण खोटां काम करवानी धास्ती नदिज रहे, ने बुरां काम करे ते उपरथी समजा के नास्तिक मतनो काढनार पापी होवो जोइए, श्रनेतेनी संगते रहे ते पण कोई प्रकारना पापना कामथी बीहे नहि. हालमा जेटलां राज्य चाले बे ते बधां राज्यमां गुन्हानी शिक्षा बे. तो जेवी शिक्षा बधी दुनिया प्रमाण करे बे. तेमज दरेक पाप करे तेनी शिक्षा होवी जोइए. प्रा दुनियामां बधा मासमाने के कोई जीवने दुःख श्राय ते न करवुं, ने ज्यारे नास्तिक थाय त्यारे तो कोईने दुःख देवानी फी कर रहेती नथी तेथी तो दुनियाना विचारथी ने न्यायश्री ए अयोग्य थाय a. बधी हरकतो तपासतां जीव मानवो, अने सुख दुःख कमैना संजोगी बने बे, एम मानवाथी बधां दूषण टली जाय बे ए कर्मनुं स्वरुप मारा करेला प्रश्नोत्तर रत्नचिंतामणिमां बहु वि