Book Title: Adhar Dushan Nivarak
Author(s): Anopchand Malukchand Sheth
Publisher: Anopchand Malukchand Sheth

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Page 12
________________ (४) म करे ने ज्ञान वधारे थाय, वधारे नद्यम करे ने ज्ञान थोथाय, माटे जीव ने अजीव वे मानवाथी बधुं समजवू सुगम पमशे. प्र. ७. अमे जीव मानीए पण पाग तमे जीवने कर्मसंजोग कहो गे ते जुने ? शी वस्तु के ?-- - - न.कर्म ते जम पदार्थ, तेनोआ जीवनी साथे अनादिनो संबंध . ए अतिशय ज्ञानी पुरुषना वचनथी प्रमाण थाय जे. अनुनवथी विचारतां पण जो प्रथम निरावरण होय तोकर्म लागे केम? कदापि लाग्यां मानीए तो ते दिवस आदि थइ, त्यारे तेनी पागली स्थितिमा निर्मल हतो, ते क्यारथी हतो ते पण अनादि कहे, पमे. केटलाएक आदि कहे जे तो तेनी अगानना कालमा संसार जगत् हतुंज नहि. ए केम संनये, आ जगत्नी स्थिति फेरफार थाय पण कांश चीज होय नहि तेतो श्रावेज क्यांथी. माटे जैन दर्शनवाला अनादिनो जीव कर्म संयुक्त एम माने ले ते वात निर्विवाद सिह थाय . ए कर्म न होय तो जीव सुख दुःख शाश्री पामे, सुख दुःख केटबुं लोगवq, केटला काल जीवq, केटबुं कुटुंब मलवू, ए बधुं कर्म प्रयोगेज बने . प्र. ए. ए सर्वे नद्यमथी बने एमां कर्म शुं करे ? न. अरे श्चाकारि सुख दुःख जो नद्यमयीज बनतुं होय तो मजुर आखो दिवस महेनत करे , त्यारे चार आनाना पश्सा मले ले अने एक माणसनो जमीनमां पग गरकी जाय ने निधान मले ले ने धनवान थाय . जेमके सीयाजीराव गायक वाम सरकार शी स्थितिमा हता ने एकदम राज्यगादी नपर बेगए शुं उद्यम करवा गया हता? पूर्वे पून्य नपार्जन कयुं हतुं तो राज्य मल्यु. एक दवा बे माणस खाय बे, एकने सारं पाय , एकने सारुं यतुं नथी ने दाक्तर पण एकज, तेम उतां मटतुं नयी, ते कर्मनो फेरफार ने तेथी बने . एक बुध्विान् सा

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