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रीरमां, पण आंखो मींची दईए, तो कोई पदार्थ जोई शकता नथी. आंखो नघामी , पण पोते बीजा उपयोगमां परोवायेलो होय तो पदार्थ जोई शकतो नथी. तेथी खुटुं समजाय ने के नपयोग करनार अंदर कोई , तेज जीव के. एमज वली काने सांनलवामां पण, नपयोग जो ते वात सनिलवामां होय तो संनलाय , पण बीजा काममा ध्यान होय तो कोई गमे ते बोले तो ते सांग्नलवामां आवतुं नयी. तेमज मांहे जीव ले पण कानमां को पुममुं घाले या रोग श्राय, तोसांजली शकतो नथी तेम नाकना विषय पण कोई कहेशे. आ गंध शानी आवे ने, त्यारे त्यां बेठेलो माणस उपयोग मुकी गंध तपासे, त्यारे कहे डे के घीनी गंध आवे . हवे विचार करो जे नासिका तो खुली , पण नपयोग नहीं हतो तेथी गंधनी खबर पमी नहि, तो आ शरीरनी मांहे गंध लेनार जुदो , रस इंडि जे जीन तेमां माणसनुं ध्यान खावा बेगे ने तेमां नश्री. बीजा काममां
ने नतावलथी खाय , तो स्वादनुं ज्ञान तेने श्रतुं नथी. स्वाद नो जागनार शरीरमां जीव , तेम स्पर्श इंडि जे शरीर तेने स्पर्श थाय ने तेथी ज्ञान थाय , पण शरीरे वस्तु स्पर्शे ते वखत कांश बीजा ध्यानमां होय तो तेनी पण खबर पमती नथी. वली शरीरे सरदीना रोगथी बेहेर मारी होय तो अंदर जीवने, पण स्पर्शनुं ज्ञान यतुं नथी. आ बधुं तपासतां शरीर अने जीव बे मलीने बधुं काम करे , तेमां पण एकबीजाने विषय लेवानो फेरफार होय , बधा सरखो विषय लई शकता नथी, तेनुं कारण कोईने कर्म आवरण वधारे , तो दरेक विषय थोमो करी शके ने जेने ए पांचे इंडिनां आवरण खुल्यांने ते विशेष इंश्योथी जाणी शके . माटे जे जे ज्ञान थाय , ते कर्मना क्षयोपशमश्री थाय ने, एकला नद्यमश्री बनतुं नश्री. थोमो नद्य