Book Title: Adhar Dushan Nivarak Author(s): Anopchand Malukchand Sheth Publisher: Anopchand Malukchand Sheth View full book textPage 9
________________ श्री आदीश्वराय नमः श्री मुनिसुव्रतस्वामि जिनेंशय नमः श्री पार्श्वनाथाय नमः श्री महावीराय नमः अढार दूषण निवारक. प्र. १. आपणुं आ शरीर देखाय , तेमां जीव ने एम केटलाएक सऊनो कहे , अने केटलाएक जीव नथी एम कहे ने ते केम ? नत्तर. जेटला धर्म आस्तिक मती नेते सचेतन शरीरमां जीव अने जम जे शरीर रुप अजीव एम बे माने जे. जे नास्तिकमती ले ते एकलुं शरीर माने . शरीर विनाश पाम्यु एटले पी कां नथी. पाप, पुन्यनुं फल पण नोगवद् नथी. प्र. २. आबे पक्षमा तमे कयो पद मानो गे? न. अमे पूर्ण खातरीथी जीव अने अजीव बेमानीएजीए, बने वस्तु , तेनो सारी रीते अनुन्नव थई शके . प्र. ३. जीव डे एवी शी रीते खातरी थाय ? न. आ शरीरमां जीव होय , त्यांसुधी हालवू, चालवू, बोलवू, विचारवं, हिताहितनुं जाणवू, सुख दुःखनुं जाणवू ए विगेरे बने , अने जीव रहित शरीर थाय , त्यारे ए सर्वे क्रिया बंध थई जाय , तेथी जागवानी शक्तिवालो ते जीवजने. शरीर अजीव , तेथी शरीरथी जीव विना कांइपण बनी शकतुं नथी. माटे जीव पदार्थ , तेमां संशय नथी. प्र. ५. नास्तिकमती एम कहे के पांचनूतना संजोगयीPage Navigation
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