Book Title: Adhar Dushan Nivarak
Author(s): Anopchand Malukchand Sheth
Publisher: Anopchand Malukchand Sheth

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Page 13
________________ रो विज्ञान प्रालसु नहि, नद्यम करवामां तत्पर रहे थे, पण वे पारमां बापदादाना पेदा करेला पश्सा गुमावे तो जो नद्यमथी बनतुं होत तो गुमावेज नहि, पूर्वेनां करेलां पाप नदय आव्यां तेथी तेणे दुःख नोगव, जोईए. तेथी तेना पैसा चाल्या जाय डे. ए कर्मनुंज फल . कोई माणस एक बे स्त्री परणे पण तेने एक पण गेकरुं यतुं नथी. नोगादिकनो नद्यम करे ठे, पण गेकरां थतां नथी. एम करतां श्राय , तो जीवतां नथी. तो एशुं ? पूर्वना कर्मना संजोग .एक माणसमोटो बलवान डे ने सारु खाय पीए ने, सारी शरीरनी संन्नाल राखे . एवो प्राणी मरकी विगेरेना नपश्च शिवाय बगासु खाय ने अने मरीजाय , वली मरकीनी हवा आखा शहेरमां चाले ने तेम उतां तेहवा बधामा प्रवेश करती नथी. जेनो पाप नदय होय तेनामांज ए रोग प्रवेश करे . बेमाणस एक घरमा रहेनार, साथे फरनारा, साथे खानारा, सारी संन्नाल राखनारा, ते उतां एक माणसमां मरकी प्रवेश करे ने तेथी ते मरी जाय . एक जीवतो रहे तो ए पूर्वना कर्मनो प्रत्नाव . जो केवल नद्यमथी बनतुं होय तो ए बे मागस सरखा नद्यमी ते मरवा न जोइए. माटे पूर्वे पाप कर्म बांध्यां तेनां फल . ए नपरथी समजो के केवल नद्यम व्यर्थ जाय , त्यारे कां हेतु होवो जोशए. ते हेतु पूर्वनां करेलां कर्म, ज्यारे पूर्वनां कर्म रह्यां त्यारे पाउलो नव रह्यो. पाब्लो नव रह्यो त्यारे जीव पण रह्यो, जीव शब्द अजीव शब्दनो प्रतिपदी ले तो उनीयामां अजीव शब्द जीव होवाथी पमयो , माटे जीव सारी रीते सिह प्राय . आ जगत्मा नास्तिक-जीव नहि माननार एवा जुज . घणा धर्मवाला एम तो कहे जे 'जेवां करीशुं तेवां पामीशं.' त्यारे करनार जीवज होवो जोइए, एथी पण सिह थाय . जीव शब्दनो अर्थ पण ए

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