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सूत्रम्
॥२६४०
PI पाठ वडे आकारनो उकार आदेश थवाथी समादानने बदले समुदान शब्द थयो छे.) तेमा प्रयोग कर्मवडे एक रूप पणे ग्रहण क-12 आचा०/5/रेली कर्म वर्गणाओनी सम्यक् मूळ उत्तर प्रकृति स्थिति अनुभाव अने प्रदेश बंधवाळा भेदवडे आ उपसर्ग (जेनो अर्थ मर्यादा छे ते.)
वडे देश (थोडो) सर्व उपघाती रुप वडे तेज प्रमाणे स्पृष्ट निधत्त निकाचित एवी त्रण अवस्था वडे जे स्वीकार करवो तेज समुदान १२६४॥
छे, अने ते कर्मर्नु नाम समुदान कर्म छे.
तेमां मूळ प्रकृतिनो बंध ज्ञानावरणीय विगेरे आठ प्रकारे छे, अने उत्तर प्रकृतिनो बंध जुदो जुदो छे, ते बतावे छे.
ज्ञान आवरणीयना पांच भेद छे. मति श्रुत अवधि मनपर्याय तथा केवळ एम पांच भेदे ज्ञान छे. तेनु आवरण करनार सर्व घाती फक्त केवळज्ञान- छे.
अने बाकीना चारनां आवरण देशघाति अथवा सर्वघाति छे.
दर्शनावरणीय कर्म नव प्रकारे छे. तेमां पांच प्रकारनी निद्रा तथा चार प्रकारचं दर्शन. तेने आवरण करनार जाणवं. निद्रा | पंचक छे. ते मेळवेला दर्शननी लब्धि तेना उपयोगने उपघात करनार छे, अने दर्शन चतुष्टय ते दर्शनलम्धिनी प्राप्तिनेज आवरण | करनार छे. अहींयां पण केवळ दर्शनआवरण सर्वघाति छे. बाकीना देशथी छे. | वेदनीयकर्म, साता अने असाता एम वे भेदे छे. मोहनीयकर्म, दर्शनचरित्र भेदथी के प्रकारे छे. तेमां दर्श नमोहनीय मिथ्यात्वादि उदयमा आवतुं त्रण भेदे छे, अने बंधमां तो एक प्रकारे छे.
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ॐॐॐॐECRECTOR
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