Book Title: Acharanga Stram Part 02
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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आचा० ॥ ३९९ ॥
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प्रश्न- ज्यारे कोइपण एक कायने हणवा आरंभ करे त्यारे बीजीकायना समारंभनुं पाप अथवा सर्व पापोमां वर्ते छे तेवुं केम मनाय ? उत्तर—कुंभारनी शाळामां पाणीने अडकवाना दृष्टांतवडे जाणवुं. एटले पाणीने अडकतां पाणी साथे रहेली माटीने स्पर्श थाय तेथी बीजी पृथ्वीकायनो आरंभ थयो अने पाणीमां रहेली वनस्पतिनो आरंभ थयो, ते हालतां वायुनो समारंभ थाय, त्यां रहेली अग्नि प्रदीप्त थाय. ए प्रमाणे अग्नि वळतां त्रस जीवोनो आरंभ पाय. ( माटे साधुए दरेक जग्याए विचारीने पग मूकवो ) अथवा प्राणातिपात आश्रवद्वारमां वर्तवाथी, अथवा एक जीवना अतिपात ( हिंसा ) अथवा एक कायाना आरंभथी बीजा जीवोनो पण घातक समजवो, तथा प्रतिज्ञा लोपवाथी ते बीजुं पाप बांधे छे. कारण के जीव हिंसानी आज्ञा जिनेश्वरे आपी नथी, तथा प्राणीओना प्राण लेवानी आज्ञा प्राणीओ आपता नथी, माटे चोरीनो दोष छे, तथा सावद्यना ग्रहण करवाथी परिग्रहवाळो पण छे, अने परिग्रहमां मैथुन तथा रात्रिभोजन पण आवे, कारण के ग्रहकार्य विना स्त्री भोगवाय नहीं. एथी एकना आरंभमां वधी कायानो आरंभ छे, अथवा चार आश्रवद्वारने रोक्या विना चार महाव्रतमां तथा छडा रात्रिभोजन विरमणत्रत केवी रीते थाय ? एथी वधानो आरंभ लागे अथवा एक पाप आरंभ करे, ते अकर्तव्यमां प्रवर्तवाथी छए कायना आरंभनो दोपित छे, अथवा जे एक पण पाप करे, ते आठे प्रकारना कर्मने ग्रहण करी वारंवार तेमां प्रवर्ते छे. प्रश्न- शा माटे ते पाप करे छे ?
उत्तर - सुखनो अर्थ ते वारंवार अयुक्त बोले छे, अने कायाथी दोडवा - कुदवानी क्रिया करे छे, अने पैसो पेदा करवा उपायोने मनथी चिंतवे छे, ते कहे छे. खेती विगेरे करीने पृथ्वीनो आरंभ करे छे, स्नान माटे पाणीनो, तापवा माटे अमिनो गरमी दूर करवा हवानो ( पंखाबडे ) तथा खावाने माटे वनस्पति अथवा पशु हत्या विगेरेनो आरंभ करे छे, भा पाप वरनार
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सूत्रम ॥३९९॥

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