Book Title: Acharanga Stram Part 02
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 194
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचा० ॥४११॥ ऊस CASEARCARECASSES ज्ञान, ऐश्वर्य अने धनवाळो, तथा जातिवंश, तथा बळवाळो तेजस्वी, बुदिमान प्रख्यात ए गुणवाळो पूर्ण कहेवाय; अने तेथी| रहित ते तुच्छ कहेवाय. आनो परमार्थ आछे के, साधुओ, भिक्षुक विगेरेने तेना कल्याण माटे स्वार्थ राख्या विना उपदेश करेलसूत्रम् . तेज प्रमाणे चक्रवर्ती विगेरेने पण उपदेश करे छे. ॥४१॥ ___अथवा चक्रवर्ती विगेरेने संसारथी पार उतारवाना हेतुने जेवा आदरथी कहे छे, तेज प्रमाणे भीक्षुकने पण कहे . आ वाक्यथी साधुमां 'निरीहता' (निस्पृहता) बतावी. पण एवो नियम नथी के, वधाने एक सरखीरीते कहेवू; पण जेम जेने बोध लागे तेम तेने कहे एटले, बुदिमानने समजावq होय तो मूक्ष्म वात कहेवी; अने सामान्य बुद्धिवाळाने सादी वात कहेवी; तथा राजाने कहेतां तेना अभिमायने अनुसरीने कहे; एटले, उपदेशके विचार के, आ राजा अन्यदर्शनना आग्रहवाळो छे के, मध्यस्थ बुद्धिवाळो छे के संशयवाळो छ ? के, संशयरहित छे ? तथा आग्रहवाळो छतां, कुतीथिओए कदाग्रहवाळो बनाव्यो छे के, पोते कदाग्रही छे ? जो एवो होय; तो, तेने आ प्रमाणे कहेतो क्रोध थाय. जेमके: “दशसूना समश्चक्रो, दशक्रिसमो ध्वजः । दशध्वजासमो वेश्या, दशवेश्या समो नृपः ॥१॥” दशसूना समान चक्री छे, अने दशचक्री समान ध्वजा छे. अने दशध्वजा समान वेश्या छे. अने दश वेश्या जेवो एक राजा छे. माटे ( आबु न बोल.) तेनी भक्ति रुद्र, विगेरे देवता उमर होय; तो, तेनु चरित्र कहेतां तेने तेना पापना उदयथी सत्य ऊ ECE For Private and Personal Use Only

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