Book Title: Acharanga Stram Part 02
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 197
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुत्रम् [8क्याथी होय ? आ प्रमाणे छे. तो, धर्मकथा केवीरीते करवी ते कहे छे:-जे, पोतानी इन्द्रियोने वशमा राखनारो छे, अने विषय आचा० द विषनो वेरी छे, संसारथी उद्वेग मनवाळो छे, अने वैराग्यथी जेनुं हृदय खेंचायलुं छे, तेवो माणस धर्मने पूछे तो, ते समये आचार्य IM विगेरे धर्मकथा कहेनारे विचार के, आ पुरुष केवो छे ? मिथ्यादृष्टि छे के भद्रक छे? अथवा, केवा आशयथी पूछे छे ? एनो इष्ट॥४१॥ देव क्यो छे ? एणे क्यो मत मान्यो छे ? विगेरे विचारीने योग्य उत्तर समय उचित कहेवो ते बतावे छे. एनो सार आ छे के धर्मकथानी विधि जाणनारे पोते आत्ममा परिपूर्ण होय ते सांभळनारनो विचार करे के द्रव्यथी ते केवो छे. तथा आ क्षेत्र केबु छे ? जेमां तच्चनिक भागवत अथवा बीजा मतवाला अथवा पतित साधुए अथवा उत्कृष्ट साधुओए आ क्षेत्रने केवा रूपमा बनाव्युं छे. अने काळ ते सुकाळ छे के दुकाळ छे. अथवा वस्तु मळे तेम छे के नहीं. अने भावथी जोवू के पूछनार माणस मध्यस्थ भाववाळो छे. के रागी द्वेषी छे, विगेरे विचारीने जेम ते बोध पामे, तेवी धर्मकथा करवी. उपरना गुणवाळो माणस धर्मकथा करवाने योग्य छे. बीजाने अधिकार नथी. कयुं छे के| 'जो हेउवायपक्खंमि, हेउओ आगमम्मि आगमिओ। सो ससमयपण्णवओसिर्फत विराहको अण्णो।१।' जे हेतुवाद पक्षमा हेतुने बतावनार छे. आगममां आगम बतावनार छे. ते स्वसमयनो प्रज्ञापक (उन्नति करनार) अने बीजो सिद्धांतनो विराधक छे (जो पूछनार हेतु मागे तो हेतु बतावे अने युक्तिथी सिद्ध करे अने आगम प्रमाण मागे तो आगम बतावे तते बन्नेनो जाणनारो बीजाने धर्मकथा कहे ते योग्य छे.) ॥४१४॥ RARIA FACTRESISTRA For Private and Personal Use Only

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