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सूत्रम्
॥२९४॥
प्रश्न-दिर्घ शष्कुली. (तलपापडी) खावा विगेरेमां पांच इन्द्रियोन विज्ञान थाय छे. अने ते साथे अनुभव थाय छे, ते केवी रीले छे? आचा०॥
उत्तर-तेम नथी. कारणके. केवळीने पण वे उपयोग साथे नथी. त्यारे बीजानेतो आरातीय (अल्पमात्र) भाग जोनारने
पांचेने उपयोग साथे कयांथी होय आ बाबतमा अमे बीजी जग्याए विस्तारथी कबु छे. तेथी अहीं कहेता नथी अने जे सार्थना ॥२९४॥ 15 अनुभवनो आभास थाय छे. ते मन- जल्दी दोडवानी वृत्तिपणानुं छे. का छे के
"आत्मा सहेति मनसा मन इन्द्रियेण, स्वार्थेन चेन्द्रियमिति क्रम एष शीघ्रः। योगोऽयमेव मनसः किमगम्यमस्ति?, यस्मिन्मनो व्रजति तत्र गतोऽयमात्मा ॥१॥ | आत्मा मननी साथे जाय छे. अने मन छे ते इन्द्रिय साथे जाय छे. अने इन्द्रिय पोताना इच्छित पदार्थ मां जाय छे. अने ते
क्रम शीघ्र बने छे. आ मननो योग शुं अजाण्यो छे के जेमां मन जाय छे त्यां आत्मा गएलोज छे. P अने अहीआं आ आत्मा, इन्द्रियोनी लब्धिवाळो शरुआतथीज जन्मना उत्पत्ति स्थानमा एक समयमा आहार पर्याप्तिने निप
जावे छे. त्यार पछी अंतर्मुहूर्त्तमां शरीर पर्याप्तिने निपजावे छे. त्यार पछी इन्द्रिय पर्याप्तिने तेटलाज काळमां निपजावे छे. अने ते पांच इन्द्रियो स्पर्श रस घ्राण चक्षु अने श्रोत्र एम छे. ते पण द्रव्य अने भाव एम दरेक बे भेदे छे. तेमां द्रव्य इन्द्रिय निर्वृत्ति अने उपकरण एम वे भेदे छे. निवृत्ति पण अंतर अने बाह्य एम वे भेदे छे.. ___ जेनाथी निर्वाह थाय ते निवृत्ति छे. अने ते कोनाथी निर्वाह थाय छे.? तेनो उत्तर-कर्मवडे निर्वाह थाय छे.
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