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आचा०
॥ ३०६ ॥
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नदीना पूर समान तारुं जीवित चपळ छे. अने जुवानी फुलनी समान. ( जल्दी करमाय तेवी.) छे संसारीक सुख अनित्य छे अने ते जीवित जुबानी अने सुख ए त्रणे शीघ्र भोगववानां छे. (जल्दी बिती जनाएं छे.)
आ प्रमाणे मानीने साधुए विचार के विहार करवो ते वधारे सारुं छे. (जे साधुओ चालवाथी कंटाली एक जग्याए पडी रहेता होय तेमणे उपरनुं रहस्य विचारवा जेवुं छे.)
पण जे संसारना सुख वांच्छको छे, तेओ असंयम जीवित ने खुखकारी माने छे. तेमनी शुं दशा थाय छे. ते सूत्रकार कहे छे. जीविए इह जे पमत्ता से हंता छेत्ता भेत्ता लुंपित्ता विलुंपित्ता उद्यवित्ता उत्तासइत्ता, अकडं करिस्सामित्ति मण्णमाणे, जेहिंवा सद्धिं संवसइ ते वा णं एगया निगया तं पुछि पोसेंति, सो वा ते नियगे पच्छा पोसिज्जा, नालं ते तत्र ताणाए 'वा' सरणाए 'वा' तुमंपि तेसिं, नालं ताणाए वा सरणाए वा (सू. ६६ )
जेओ पोतानी वय वीते छे, तेने जाणता नथी तेओ विषय कषायमां प्रमादी थाय छे. तेओ रात दिवस कलेश पामता काळ अकाळमां उद्यम करी जीवोने दुःख आपनारी क्रिया (आरंभ) करे छे. संसारी गुणमां रहीने विषयना अभिलापमा प्रमादी बनी स्थावर अने त्रस जीवोना घातक बने छे. (बहु वचनने बदले एक वचन मूळ सूत्रमां छे. ते जातिनी अपाक्षाएं जाणं) तथा कान नाक विगेरेने छेदनारा पण छे. तथा माधुं आंख पेट विगेरेने भेदनारा पण छे. अने कपडानी गांठ विगेरेने छोडीने चोरनारा पण छे, गामनी लुंट करणारा पण छे. तथा विष तथा शस्त्र वडे प्राण लेनारा पण छे. अथवा दगो देनारा पण छे. अथवा देखाळो
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सूत्रम्
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