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॥ तपोगच्छाधिपति-महोपकारिशिरोमणि-परमगुरुवर्यश्रीमद् विजयनेमिसूरीश्वरपादपद्मभ्यो नमोनमः ॥
प्राकृतरूपमाला.
प्रणेता.
अनुयोगाचार्य पंन्यासश्रीमद्विज्ञानविजयगणि
शिष्यरत्नमुनि-श्री-कस्तूरविजयः
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愛品态
स्वपरसमयपारावारपारीण शासनसम्राट् तीर्थरक्षक तपागच्छाधिराज भट्टारकाचार्य श्रीमद्विजयने मिसूरीश्वर भगवद्भ्यो नमः
परमपूज्य - सिद्धान्तवाचस्पति-न्यायविशारद आचार्य श्रीमद विजयोदयसीश्वरेभ्यो नमः
अनुयोगाचार्य पन्न्यासजी श्रीमद् विज्ञानविजयजीगणि शिष्यरत्न
मुनिश्री कस्तूरविजय प्रणीता.
॥ प्राकृतशब्द- धातुरूप - संधि-नियम तद्धित - अव्ययकारक-कृदन्त-शब्द-धातुकोशादि संवलिता ॥ प्राकृतरूपमाला.
सा च,
पत्तनपुरीय झव्हेरीपाटकवास्तव्यवीशा ओशवालवंशीय तपागच्छीय श्रेष्ठीनहाल चंद्र तनुजत्रीकमलालेन सद्गतस्वपुत्रमाणेकलालस्मरणार्थ स्वद्रविणव्ययेन. श्रीजैन ग्रन्थप्रकाशक सभाद्वारा मुद्रयित्वा प्राकाश्यं नीता.
मुद्रिता चेयं - अमदावाद घोकांटावाडी अन्तर्गत 'जैन एडवोकेट " मुद्रणालये
66
वाडीलाल बापुलाल शाह इत्येतेन
प्रथमावृत्ति.
वीर सं. १४५२, विक्रम सं. १९८२
मूल्य रु.
-0
सन्ने १९२६
प्रत ५००
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परमोपकारी पूज्यपाद सद्गुरु श्रीमद् विजयनेमिसरी..
श्वरेभ्यो नमो नमः
॥प्रस्तावना ॥ 1 ** **
( शार्दूलविक्रीडित छंद) जेनो उत्तम बोध शोध करतो भाषातणा तत्त्वनी, एकी साथ प्रशंसना मतिधनो जेना करे सत्वनी; पाम्यो हुं श्रुतबोध योग विधिने जेना प्रसादे करी, :. वंदु 'श्रीगुरु नेमिसूरि' चरणे ते उपकारो स्मरी ॥१॥ गुणग्राहो प्राकृतभाषारसिक सुज्ञो !
दरेक भाषानो विकास साधनना विकास उपर आधार राखे छे, तेज न्याये प्राकृतभाषामाटे. पण तेना साधनविकासनी आवश्यकता छ, ते दरेक कोइने सुविदितम छे.. .
प्राकृतभाषा पण संस्कृतभाषानी जेम अनेक शास्त्रोमा विशेष प्रचार पामेली छे.
ए तो अवश्य कहेवून जोइए के-आपणा पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय परमोपकारि श्रीमहावीरप्रभुना अतीत भावि वर्तमान समस्त तीर्थकरोना वचनोथी अविरोधि विद्यमान सिद्धान्तोमां पण जेटलो भाग प्राकृतमिश्र दृष्टिगोचर थाय छे, तेना करना बहुज ओछो भाग अन्य दार्शनिक सिद्धान्तादिमां देखाय छे. ...
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तात्पर्य ए के-आपणा जैनतस्वोनी अपूर्व फिलोसोफीने जणावनार पूज्यतम पंचांगीसमेत पिस्तालीश आगमोमां तो शुं,पण ते शिवायना उपदेशपद पंचाशक-धर्मसंग्रहणी-उपदेशरह स्य-गुरुतत्वविनिश्चय-धर्मरत्नप्रकरण-इत्यादि पूर्वाचार्य भगवंतप्रणीत ग्रंथोमां घणोज भाग प्राकृतमिश्र देखाय छे. जेथी साबीत थाय छे के-प्राकृतभाषा ए जैन साहित्यनो एक पायो छे, एम तेनो विशेष प्रचार ज सिद्ध करी आपे छे.
साथे साथे ए पण जणावq व्याजबीज छे जे-आजथी बहुज पूर्वना प्राचीनकालमां भारतवर्षीय प्रजानी मुख्य मूलभाषा प्राक. तज हती, एम ते भाषानी "प्रकृतिः स्वभावः तस्मादागतं पाकृत" ए व्युत्पत्तिज सचोट जणांवे छे..
कालानुभावशी प्राकृतभाषाना साधनोनी छिन्नभिन्न दशाथी ते भाषानो अभ्यास मंद थवा लाग्यो, अने संस्कृतभाषानी साधनसामग्रीना विशेष सद्भावे ते भाषानो अभ्यास वधवा लाग्यो.जेथी कलिका. लसर्वज्ञ पूज्यपाद आचार्यश्री हेमचंद्रसूरीश्वरजीमहाराजे पण स्वोपज्ञसिद्धहमशब्दानुशासन व्याकरणमा पहेला सात अध्यायो संस्कृतना,अने छेवटे प्राकृतनोआठमो अध्याय दाखल कयों. त्यां सात अध्यायोनी साथे आठमाअध्यायनी संगति जणाववा माटे तेओश्रीए आठमा अध्यायनी शरुआतमांज"प्रकृतिः संस्कृतं तत्र भवं तत आगंतं चा प्राकृतं, संस्कृतानन्तरं प्राकृतमधिक्रियते" आ व्युत्पत्ति कहेली छे. परन्तु प्राकृत भाषानी नैसर्गिक व्युत्पत्ति जे उपर जणावी, तेज छे.
प्राकृतभाषापरत्वे उपर कहेलु विवेचन एज जणाघे छे, जे-ते भाषा जैन सिद्धान्तोमां मोटे भागे बहु मानपात्र थयेली छे. जेथी तेनो अवश्य अभ्यास करवोज जोइए.
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ते भाषाना अभ्यासकोने साधनसामग्नीनी अवश्य अपेक्षा छ, एम सहज समजाय तेम छे. प्राकृतभाषानुं विज्ञान-मुख्य बे साधनोथी थइ शके. एक तो शब्दविज्ञान. बोजु धातुविज्ञान, जो के प्रयोगविज्ञान अने समासविज्ञान इत्यादि बीजा साधनो छे, परन्तु ते साधनोनी संस्कृत भाषाना विज्ञानथीज गतार्थता होवाथी अहीं ते साधनोनी गौणता समजवी. तेमां शब्दविज्ञानने. माटे अनेक महाशयोए करेल प्रयत्ननी प्रसादीरूपे प्राकृतरूपावली आदि देखाय छे. ते जोतां मालुम पडे छे जे-उपयोगी सर्वशब्दोना रूपो अने तेनी निष्पत्ति केवीरीते थाय छे ? ए.विषयनी संपूर्ण माहिती ते ते ग्रंथोमां विद्यार्थिवर्गने जेम संतोषकारंक निवडे, तेवी रीते बीलकुल छेज नही. जेथी प्राकृतभाषाना अभ्यासकवर्गने जेम सरलता थाय, तेवी रीते शब्दविज्ञान अने. साथे उपयोगी प्रचलित धातुओर्नु पण विज्ञान थाय, ते आ प्राकृतरूपमाला ग्रंथर्नु मुख्य प्रयोजन छे. ___आ ग्रन्थनी रचना करनार प्रस्तुत लेखकना महापरमोपकारि शिरोमणि-चारित्रादि गुणोने द्धि पमाडनार--उत्तमब्रह्मचर्यादि लोकोत्तरगुणोने धारण करनार-जंगमकल्पतरु-कलिकाले श्रीगौतम गुरुसमान-श्रीजैनेन्द्रशासनतीर्थरक्षणपरायण-परोपकारशील--भावकरुणाजनिधि--लेखकनाआत्मोद्धारक-पूज्यपाद-प्रातःस्मरणीय-- श्रीस्थानांगोक्तपश्चातिशयधारक-श्रीपरमगुरुवर्य-तपोगच्छाचार्य-श्रीमद्विजयनेमिसूरीश्वरजीना-शिष्यरत्न-पन्न्यासजी-श्रीविज्ञानविजयजोगणीना-शिष्य-मुनिरत्न श्रीकस्तूरविजयजी महाराज छे-के जेओए प्राकृतभाषानुं विज्ञान सारं पास करेल छे. तेओए आ ग्रंथमा नीचे जणावेल विषयो दाखल करैल छे.
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१ अकारान्त इकारान्त उकारान्त ऋकारान्त ओकारान्त, औकारान्त तेमज बीजा केटलाक व्यंजनान्त शब्दोना त्रणे लिंगमां संपूर्ण रूपो. तेमज साथे आ रूपो सिद्ध करबामाटे ते ते ठेकाणे आचार्य श्रीहेमचन्द्रसूरिकृत प्राकृत 'व्याकरणना सूत्रोना आधारे बनावेला नियमो णप गुजराती भाषामा जोडया छे.
२ सर्व विगेरे सर्वादि शब्दों तेमज व्यंजनान्त तत्-यत् युष्मद् अस्मद् विगेरे शब्दो तेमज संख्यावाचक शब्दोना सम्पूर्ण रूपो.
..
३ स्वरान्त अने व्यंजनान्त धातुओना रूपो वर्त्तमानकाल भवि व्यत्काल-विधि - आज्ञार्थ - भूतकाल - क्रियातिपत्ति एम छए कालमां तथा कर्तरिधातुना कर्मणि रूपो, प्रेरकरूपो, प्रेरक रूपोना कर्मणि रूपो, तेमज इच्छादर्शक धातुना रूपो, तथा तेनां कर्मणि अने प्रेरक रूपो.
४ धातुना रूपो सिद्ध करवा माटे प्रत्ययो तथानियमो अने नियमोनी प्रतीति माटे श्रीमान् हेमचन्द्रसूरिजीना प्राकृत व्याकरणनाउपयोग सूत्रो पण टांकेला छे. संस्कृत शब्दो उपरथी प्राकृत शब्दो बनाववाना सामान्य नियमो
६ तद्धित, अव्यय, लिंगानुशासन, कारक, कृदन्त, विगेरे केला एक विषयो नियमपूर्वक आपवामां आव्या छे.
७ शब्दकोश.
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८ संस्कृतना आदेश, प्राकृत धातुकोश. ( अर्थ सहित )
९ पाकृत धातुओनो अकारादि अनुक्रम. - अन्यकर्ताए मने जणावेल छे-जे-आ प्रस्तुत कृतिमा प्राकृतभाषाना परिचयवाळा विज्ञवर्गने जे काइ निर्मलता तथा आदेयता जणाय, ते परत्वे यशना भाजन प्रस्थानपंचक सूरिमन्त्राराधकस्वपरशास्त्रादिविज्ञाता पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय संपतिविरहरमाण-परमगुरुवर्य श्रीमद् विजय नेमिसूरीश्वरपट्ट पूर्वांचलनभोमणि-सदाचारशोलवैराग्यगुरुभक्तिपरायण प्रस्तुत लेखकना सिद्धान्तादिपा. ठकसत्कृमिसांनिध्यकारक-परमोपकारि-गीतार्थ मुख्य-सिद्धान्तवाचस्पति-न्यायविशारद-पूज्यपाद-श्रीमद् विजयोदयसूरिजो म. हाराज छे. जेओश्रीना-स्वपरशास्त्र विषयक सम्पूर्ण संगीनबोधनी साथे स्पर्धा करनार वर्तमानकाळमां भाग्येज जैन कोम्युनीटीमां कोई व्यक्ति देखाती इशे. "ज्ञान- भूषण परोपकार छे" ए तेओ श्रीनो मुख्य प्रतिज्ञासिद्धान्त होवायी जेओश्री प्रस्तुत प्रस्ता. बनाना लेखक तथा आ ग्रन्थना रचनार मुनि कस्तुरविजय आदि अनेक भव्य जीवोने भावदान समी कृतार्थी बनावी रह्या छे. ___ पर्यन्ते भव्य जीवो आ मन्थना अध्ययन अध्यापन मनन अने निदिध्यासनद्वारा प्राकृत शब्दो अने धातुओर्नु विज्ञान सम्पादन करी पोतानी उचित भूमिकाने अनुसारे प्रकरण सिद्धा. न्तादिनो मूल अभिप्राय यथार्थ समजी ज्ञान- फल विरति प्राप्त करी क्षपकश्रेणिमां आरूढ थइ घातिकमनो नाश करी केवलज्योतिः प्रकटावी शाश्वतानन्द अपवर्ग स्थानने प्राप्त करो, तेम हार्दिक अ. भिलाषा प्रकट करी हवे हुँ आ टुंक प्रस्तावनाने मंक्षेपी लइश.
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तथा छद्मस्थ जीवोने अनाभोग जन्यस्खलनाओ दुनिवार्य छे. कारणके
अवश्यं भाविनो दोषाः, छद्मस्थत्वानुभावतः । समाधि तन्वते सन्तः, किंनराश्चात्र वक्रगाः॥१॥
तेथी आ ग्रन्थमां पाठकवर्गने जे कांइ योग्य भूल जणाय,तेने महाशयो सुधारी वांचशे- अने कृपा करी जणाववा तस्दी लेशे के जेथी बीजी आवृत्तिमा सुधारो थाय.
निवेदक:वीर संवतः । श्रीगुरुनेमिसूरीश्वर चरणकिंकर
२४५२. ज्येष्ठ शु. ५. पन्यास पद्मविजय गणी.
में आ प्राकृत मंजूषानी कुंची 'प्राकृतरूपमाला', भसद्धर्मकर्मपरायण पाटण झवेरीवाडानिवासी ओ-5
शवालवंशविभूषण तपागच्छीय शेठ त्रीकमलाल, जनहालचन्दे पोताना सद्गत पुत्र माणेकलालभाइना
स्मरणार्थ छपावी छे. तेनी कीमतमांथी बीजा पण म कीमती पुस्तको छपाय अने साहित्यनो बहोळो
प्रचार थाय एटलाज पुरती जूज कीमत राखवामां 5 आवी छे.
ली० श्री जैनग्रंथप्रकाशकसभा.
फेऊ55555555555555
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~
~
~
.
.
विषयानुक्रमणिका. कम.
विषय. १ स्वरान्त शब्दोना रूपाख्यानो... .२ व्यञ्जनान्त शब्दोना ,,......
३ सर्वादि शब्दोना ,,....... ४ संख्याचक शब्दोना .,........ ५ नियम तथा सूत्रीपूर्वक हम अने- ..
हो [ भू] धातुना रूपाख्यानो. ६ अदन्तभिन्न स्वरान्त धातुना-, ७ अदन्त धातुना-
" ... ......१२७ ८ कर्मणि भावे धातुना-. ९ प्रेरक धातुना कर्तरि१० प्रेरकना कमणि भावे११ इच्छादर्शक धातुना१२ इच्छादर्शकना कर्मणिभावे-,, १३ तथा तेना प्रेरक
* १४ सन्धिना नियमो...
. ......२६९ १५ संस्कृत शब्दो उपरथी प्राकृत शब्दो बनाबवाना
सामान्य नियमो ... ... . ...२७० १६ तद्धित-अव्यय-लिङ्गानुशासन-कारक ... १७ कृदन्त
___........
... .... १८ प्राकृतशब्दनाममाला ... ... ... . १९ संस्कृतादेशप्राकृतधातुकोश ... २० प्राकृत धातुओनो अकारादिक्रम
..
"
...
....२८३
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स्वपरसमयपारावारपारीण-शासनसम्राट्-तीर्थरक्षाप्रवण-परोपकारै
कार्पितकरण-तपोगच्छाधिराज-सूरिचक्रचक्रवर्ति
आचार्य श्री विजयनेमिसूरीशः जन्म सं. १९२९ दक्षिा सं. १९४५ गणिपद सं. १९६० कार्तिक शु. १ ज्येष्ट शु. ७
कार्तिक कृष्ण ७ पन्यासपद सं. १९६०
सूरिपद सं. १९६४ मागशर शुद ३
ज्येष्ठ शुद ५
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पूज्यपाद सिद्धान्तवाचस्पति न्यायविशारद विद्वद्वर्य
आचार्य महाराजाधिराज
श्रीमान् विजयोदयसूरिः जन्म सं. १९४४ दीक्षा स. १९६२ पंन्यासपद सं. १९६९ पौष शु. १२ वैशाख शु. ६
अपाड शु. ९ महोपाध्यायपद सं. १९७२ आचार्यपद सं. १९७९ मागशर वद ३
वैशाख वद २
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अनुयोगाचार्य पंन्यास श्री विज्ञानविजयगणि शिष्यरत्न
दीक्षा सं. १९७६ ना फाल्गुन वद ३
जन्म सं. १९५७ पौष वद १
29 UNTUNANIPALIPOWANNAUD 2014 noun TALIPANDDUW.Manuponu प्रस्तुतग्रन्थरत्नप्रणेता-विद्वद्वर्य-मुनिश्री कस्तूरविजयः
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11 30 11
॥ श्रीसिद्धेभ्यो नमः ॥
॥ श्रीमदाचार्यविजयनेमि सूरिभ्यो नमः ॥
सूरिचक्रचक्रवर्त्ति भट्टारकाचार्य श्रीविजयनेमिसूरीश्वरचरणाम्भोज चञ्चरीकशिष्यरत्नानुयोगाचार्यपन्यास श्रीविज्ञानविजय गणिविनेयमुनि कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
5-46-5
卐卐卐卐卐卐卐卐555555 $
फ
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
देवेन्द्रद्यापि योजयुग्मं समस्तभावप्रविभासदक्षम् । संसारसिन्धूत्तरणैकपोतं, नमामि पञ्चासरपाश्वनाथम् ||१॥
यन्नामस्मरणादनेकभवभूपापावली सत्वरं, नाश याति समभ्युपैति सहसा कल्याणवृन्दः सताम् ॥ कृत्याकृत्यविचारदानकुशला प्रज्ञा समुत्पद्यते तं वन्दे विबुधाभिवन्दितमहं श्री नेमिसूरीश्वरम् ॥२॥ प्रणम्य गणिपन्न्यास, विज्ञानविजयं गुरुम् । मालां प्राकृतरूपाणां, कस्तूरस्तनुते मुनिः ॥३॥
॥ अथ प्राकृतशब्दानां रूपाणि ॥
॥ प्राकृतरूपोमां द्विवचनने स्थाने बहुवचन थायले || अकारान्त पुल्लिङ्ग---
प्रत्ययो
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॥ प्राकृतरूपमाला ॥
ग्रच्चन्यायालय
-
ण, ण.
.....
एकवर प्रथमा० ओ.
आ. द्वितीया म,
ए, आ. तृतीया ण, पं.
हि, ति, हि. चतुर्थी य, स्स.
ण, णं. . पञ्चमी. तो, ओ, उ, हि, त्तो. ओ, उ, हिन्तो,
हिन्तो, लुक् सुन्तो, एहि एहिन्तो, एमुन्तो षष्ठी. स्स. सप्तमी. ए, म्मि. संबोधन आ, ओ, लुक.
आ. .. नियमो- १ ओ, ए, अने पश्रमीना एकारादि प्रत्ययो पर
छतां पूर्वनो अ लोपायछे ... २ तृतीयाना एकवचनने वहुवचनना अने सप्तमीना बहु
वचननां प्रत्ययो पर छतां पूर्वना अ नो ए थायछे. चतुर्थीने स्थाने प्राकृतमां षष्ठी विभक्ति थायछे.. तादर्थ्य अर्थमां विकल्प षष्ठी थायछे ३ चतुर्थीनो य तथा तो अने एकारादि शिवाय पश्चमीना प्रत्ययो परछतां पूर्वनो अ दीर्घ थायछे.. ४ चतुर्थी अने षष्ठीनां बहुवचननां प्रत्ययो पर छतां पूर्वना अ, इ, उ, दीर्घ थायछे.
बहुव० .
देवा.
एकव० प्र. देवो. द्वि. देवं. १० देवेण, देवेण.
देवा, देवा. देवेहि, देवेहि, देवेहि..
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.
(३)
च० देवाय, देवस्स. देवाण, देवाणं. १० देवत्तो, देवाओ, देवाउ. देवत्तो, देवाओ, देवाउ, देवाहि, देवाहिन्तो, देवा. देवाहि, देवाहिन्तो,देवामुन्तो,
देवेहि, देवेहिन्ता, देवेमुन्तो. १० देवस्स. .
देवाण, देवाण. . स० देवे, देवम्मि . देवेसु, देवेमुं. सं० है देवो, हे देवा, हे देव. हे देवा.
• पज्जुण्ण [प्रद्युम्न ] एकव०
बहुव० म० पज्जुण्णो. पज्जुण्णा द्वि० पज्जुण्णं.. पज्जुण्णे, पज्जुण्णा. • १० पज्जुण्णेण, पज्जुण्णेणं । पज्जुण्णेहि, पज्जुण्णेहिँ, पज्जुण्णेहि
च० पज्जुण्णाय, पज्जुण्णस्स. पज्जुण्णाण, पज्जुण्णाणं. प० पज्जुण्णत्तो, पज्जुण्णाओ, पज्जुण्णत्तो, पज्जुण्णाओ, पज्जु... पज्जुण्णाउ, पज्जुण्पाहि ण्णाउ, पज्जुण्णाहि, पज्जुण्णाहिन्तो पज्जुण्णाहिन्तो, पज्जुण्णा. पज्जुण्णासुन्तो, पज्जुण्णेहि,
पज्जुण्णेहिन्तो, पन्जुण्णेसुंतो. प० पज्जुण्णस्स. पज्जुण्णापा, पज्जुण्णाणं. स० पज्जुण्णे, मज्जुण्णम्मि. पज्जुण्णेमु, पज्जुण्णेसुं. सं० ई पज्जुण्णा, पज्जुण्णो, पज्जुण्ण. हे पज्जुण्णा.
नमोक्कार-नमुक्कार (नमस्कार)
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(४)
एकव० बहुव० प. नमोक्कारो, नमुक्कारो. नमोक्कारा. नमुक्कारा. द्वि० नमोक्कारं, नमुक्कार. नमोक्कारे, नमुक्कारे, नमोक्कारा,
नमुक्कारा. तृ० नमोक्कारेण, नमोक्कारेणं. नमोक्कारैहि, नमोक्कारेहि, नाक्कारेण, नमुक्कारेणं. नमोक्कारेहि, नमुक्कारेहि
- नमुक्कारेहि. नमुक्कारेहि ,.. च० नमोकाराय, नमोकारस्स. नमोकाराण, नमोकाराणं.
नमुक्काराय, नमुक्कारस्स. नमुक्काराण, नमुक्काराणः ... ५० नमोक्कारतो, नमोकाराओ, नमोकारत्तो, नमोक्काराओ, नमो.
नमोकाराउ, नमोक्काराहि, काराउ, नमोकाराहि, नमोक्का. नमोकाराहितो,नमोक्कारा. राहिन्तो, नमोक्कारासुन्तो, न
नमोक्कारेहि, नमोक्कारेहिन्तो,
नमोक्कारेसुन्तो. नमुक्कारत्तो, नमुक्काराओ, नमुक्कारत्तो, नमुकाराओ, नमुनमुक्काराउ, नमुक्काराहिन्तो, काराउ, नमुक्काराहि, नमुकारानमुक्कारा. . हिन्तो, नमुक्कारासुन्तो, नमुक्कारे
हि, नमुक्कारेहिन्तो, नमुक्कारेसुन्तो. १० नमोक्कारस्स. नमोक्काराण, नमोक्काराणं.
नमुक्कारस्स, नमुक्काराण, नमुक्काराण. स० नमोक्कारे, नमोक्कारम्मि. नमोक्कारेसु, नमोक्कारेसुं.
नमुक्कारे, नमुक्कारम्मि. नमुक्कारेसु, नमुक्कारेसं.
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(५)
सं०. हे नमोक्कारो, हे नमोक्कारा, नमोक्कार. हे नमोक्कारा.
हे नक्कारो, हे नक्कारा, नमुक्कार. हे नमुक्कारा;
अकारान्त नपुंसकलिङ्ग—
एकच ०
बहुव०
म० द्वि० म. इँ, ई, णि.
तृतीयाथी अंकारान्त पुल्लिङ्ग प्रमाणे
एकव०
इँ, ई, णि.
प्र०. वणं.
बि० वर्ग.
०. वणेण, वणेणं.
ष० वणस्स.
५.
हूँ, इं, णि, प्रत्ययपर छत
पूर्वना अ, इ, उ, दीर्घ
थाय छे,
बहुव०
वाइँ, वणाई, वाणि.
वणाइँ, बणाई, वणाणि.
वणेहि, चणे, वणे.
च० वणाय, वणस्स.
बणाण, वणाणं.
प० वणत्तो, वणाओ, वणाउ, वणत्तो, वणाओ, बणाउ, वणाहि, बणाहि, वणाहिन्तो, बणा. वणाहिन्तो, वणासुन्तो, वणेहि,
वणेहिन्तो, वणेसुन्तो.
वणाण, वणाणं.
वण [ वन ]
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________________
एकव०
(६) स० पणे, वणम्मि . वणेमु, वणेसुं. सं० हेवण.
वणाइ, वणाई, वमाणि. नाण [ ज्ञान ].
वहुव० .. म. नाणं.
नागाइँ, नाणाई, नाणाणि. हि. ना.
नाणाई, नाणाई, नामाणि. १० १० १० १० स० सं० वण प्रमाणे. .
धण [धन ]. :. एकव.
'बहुव० · प्र० धर्म.
.
धणा, धणाई, धणाणि. दि० घणं.
धणाइँ, धणाई, पणानि, ३०० १० १० स० सं० वण प्रमाणे. आकारान्तस्त्रीलिङ्ग
प्रत्ययो. एकव०
• [लुक्] उ, ओ, ० (लुक्) द्वि० म.
उ, ओ, ० (लुक्)
हि, हि, हि. . अ, इ, ए.
ण, पं. .. .
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________________
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
प० अ, इ, ए, त्तो, ओ, उ, हितो. तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो. १० अ, इ, ए, स० अ. इ. ए.
मु, सुं. सं० ० ( छक)
उ, ओ. ० (लुक्) नियमो- ६. म्. तो, प्रत्यय पर छतां पूर्वना दीर्घ आ, ई,
ऊ ह्रस्व थायछे. ७ संबोधन एकवचनमा पूर्वना आ नो विकल्पे ए थायछे
बहुव० -
माला एकव० प्र० माला.
मालाउ, मालाओ माला. बि० मालं. ..
मालाउ, मालाओ, माला. तृ० मालाअ, मालाइ, मालाएं. मालाहि, मालाहिँ मालाहिं. च० मालाअ, मालाइ, मालाए, मालाण, मालाण. प० मालाअ, मामाइ, मालाए, मालत्तो, मालाओ, मालाड, . . . मालत्तो, मालाओ, मालाहिन्तो, मालासुन्तो. ... मालाउ, मालाहिन्तो. १० माला, मालाइ, मालाए. मालाण, मालाणं. स० मालाअ, मालाइ, मालाए, मालासु, मालामुं. सं० माले, माला.. मालाओ, मालाउ, माला.
छिहा (स्पृहा ] एकव०
बहुव०
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॥ प्राकृतरूपमाला ॥ vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
v vvvvvvvvv
(८) प्र० छिहा.
छिहार, छिहाओ, छिहा. दि० छिहं.
छिहाउ, छिहाओ, छिहा, तृ• छिहाअ, छिहाइ, छिहाए. छिहाहि, छिहाहिँ छिहाहिं. च० छिहाथ, छिहाइ, छिहाए. छिहाण. छिहाणं. प० छिहाअ, छिहाइ, छिहाए, छिहत्तो, छिहाओ, लिहाज,
छिहत्तो, छिहाओ, छिहाउ, छिहाहिन्तो, छिहासुन्तो.
छिहाहिन्तो.. प० छिहाअ, छिहाइ, छिहाए, छिहाण, छिहाण. . . स० छिहाअ, छिहाइ, छिहाए, छिहासु छिहासु.. सं० छिहे, छिहा.
छिहाउ, व्हिाओ छिहा. ___ हलिद्दा हलद्दा ( हरिद्रा) एक
बहु० प्र० हलिहा,
हलिहाउ,हलिहाओ, हलिहा. द्वि० हलिई, १० हलिहाय, हलिहाइ, हलिदाहि, हलिहाहिँ, इलिदाहि. हलिहाए.
शेष मालावत्प्र० हलद्दा.
हलहाउ, हलहाओ, हलहा. शेषं मालावत् -- महिया (मृत्तिका) एकव
बहुव० प्र० महिआ.
मटिआउ, महिआओ, मट्टिआ.
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ ...
(९)
द्वि० मटिअं.
मट्टिाउ, मटिआओ, मट्टिा. तृ० मट्टिाअ, मट्टिाइ, मट्टिआहि,मट्टिाहिँ, महिआहिं. ___महिआए च० मट्टिाअ,महिभाइ,मट्टिाए. मट्टिआण, मटिआणं प० मटिमात्र, मट्टिआइ, मट्टि- मट्टिअत्तो, मट्टिाओ, मट्टिआ
आए, मटिअत्तो,मट्टिआओ,उ, मटिआहिन्तो, मट्टिआसुन्तो. मंटिआउ, महिआहिन्तो, १० मट्टिाअ,मट्टिआइ,मट्टिाए. मट्टिाण, मटिआणं. स० महिनाअ,महिआइ,महिआए. मटिआसु, मट्टिआसुं. सं० हे महिए, महिमा, हे मट्टिआउ, मट्टिाओ,
मट्टिआ.
इंकारान्तपुंलिङ्ग- :
प्रत्ययो.
एकवचन पं० ० [ लुक् ] द्विम्. तु० णा. च० णो, स्स. ५० णो, तो, ओ, उ,
हिन्तो.. १० णो, स्स.
बहुवचन अउ, अओ, णो. ई. णो, ई. हि, हिँ, हिं. ण, णं. तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो.
ण, पं.
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________________
wo
o ०००००००००००००००००००००००००००००००००
(१०) ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ स० म्मि,
सु, सु. सं० ई.. [लुक] अउ, अओ, गो, ई.
नियमो-अयमानु एकवचन, तृतीयाना बहुवचन, तो अने जो
सिवाय पञ्चमीना एकवचनने बहुवचन, अने चतुर्थी, पष्ठी, तथा सप्तमीना बहुवचनना प्रत्ययो पर छतां पू.
वनो इ दीर्घ थाय छे. . ९ . प्रथमाने संबोधनना अउ अने अओ प्रत्यय परछता
पूर्वनो ह लोपाय छे.
हरि.
एकव०
बहुव० म. हरी.
हरउ, हरओ, हरिणो, हरी. दि० हरिप.
हरिणी, हरी. ४. हरिणा. हरीहि, हरीहि, हरीहिं. च० हरिणो, हरिस्स. हरीण, हरीण. ५० हरिणो,हरित्तो,हरीओ. हरित्तो, हरीओ, हरीउ, हरीहिन्तो.
हरीउ, हरीहिन्तो. हरीमन्तो. १० हरिणो, हरिस्स. हरीण, हरीण. स. हरिम्मि. हरीसु, हरीसं. स. हरी, हरि. हरउ, हरओ, हरिणो, हरी.
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________________
एकव ०
प्र० णरवई.
द्वि० णरवई.
तृ० णरवइणा.
च० णरवइणो, णरवइस्स. प० णरवणो णरवइचो पर
|| प्राकृतरूपमाला ॥
णरवइ [ नरपति ]
वईओ, नरवईड, नरवई - हिन्तो.
प० णरवणो, णरवइस्सं.
स० णरवइम्मि.
सं० हे गवई, हे णरवइ.
एकव०
प्र० रिसी.
इसी. द्वि० रिसि, इसिं.
•
(११)
बहुव० णरखंड, णरवओ, णरवणो,
व.
णरवणो णरवई.
णवईहि, णरवईहिँ, णरवईहि. णरवईण, णरवईणं.
णरवतो, णरवईओ, णरवईउ, णरवई हिन्तो, नरवई सुन्तो.
वई, वर्ण, णरवईसु, नरवईमुं.
हे णरवउ, हे णरवओ, हे नरवणी, हे णरवई'.
रिसी - इसी [ ऋषि ]
बहुव०
रिस, रिसओ, रिसिणो, रिसी इसउ, इसओ, इसिणो, इसी.
रिसिणो, रिसी. इसिणो, इसी.
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________________
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..
साण.
(१२) ॥मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥ १० 'रिसिणा. रिसीहि, रिसीहि, रिसीहि. .
इसिणा. इसीहि, इसीहिँ , इसीहि. च० रिसिणो, रिसिस्स. रिसीण, रिसीणं.
इसिणो, इसिस्स. इसीण, इसीणं. ५० रिसिणो, रिसित्तो, रिसित्तो, रिसीओ, रिसीउ, रिसी
रिसीओ, रिसीउ, रि- हिन्तो, रिसीमन्तो. सीहिन्तो. इसिणो,इसित्तो,इसीओ, इसित्तो, इसीओ, इसीउ, इसीहि
इसीउ, इसीहिन्तो. तो, इसीमन्तो. 'प. रिसिणो, रिसिस्स. . 'रिसीम, रिसीण.
इसिणो, इसिस्स. इसीण, इसीणं. स० रिसिम्मि. इसिम्मि.. रिसीम, रिसीमुं. इसीसु, इसीखें. सं० हे रिसी, रिसि. हे रिसउ, रिसओ, रिसिणो, रिसी.
हे इसी, इसि. . हे इसउ; इंसओ, इसिणो, इसी.
इकारान्तस्त्रीलिङ्ग
प्रत्ययो.
एकव० म० ० [लुक्] हि० म. १० अ, आ, इ, ए. च० अ, आ, इ, ए.
उ, ओ, . [ लुक्] उ, ओ, . [ लुक्] . हि, हिँ, हिं. . ण, णं.
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________________
. .. ॥ प्राकृतरूपमाला ॥ . प० अ, आ, इ, ए, तो, ओ, तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो.
उ, हिन्तो. प० अ, आ, इ, ए.
ण, ण. स० अ, आ. इ, ए. सु, सुं. सं० ई. • [लुक] उ, ओ, • [ लुक्)
नियमो-१०. द्वितीयानु एकवचन म् पञ्चमीनो तो अने सं
बोधन एकवचननो ० ( लुक् ) सिवाय सर्व वि. भक्तिना प्रत्ययो पर छतां पूर्वनो इ दीर्घ थाय छे.
-
मइ ( मति)
वि०म:
.: एकव०
वहुव० मईउ, मईओ, मई.
मईउ, मईओ, मई. ८० मईअ, मईआ, मईइ, मईए. मईहि, मईहि, मई हिं. च० मईअ, मईआ, मईइ, मईए. मईण, मईणं. ५० मईअ, मईआ, मईइ, मईए. महत्तो, मईओ, मईउ, मई हिन्तो, . मइत्तो, मईओ, मईउ, मईसुन्तो.
मईहिन्तो.. १० मईअ, मईआ, मईइ, मईए. मईण, मईणं. स० मईअ, मईआ, मईइ, मईए. मईसु, मईसं. सं० हे मई, मइ. हे मईउ, मईओ, मई.
हम३, २
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________________
(१४)
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
मुत्ति [ मुक्ति]
एकव०
बहुव० प्र० मुत्ती.
मुत्तीउ, मुत्तीओ, मुत्ती. वि० मुत्ति.
मुत्तीउ, मुत्तीओ, मुत्ती. १० मुत्तीअ, मुत्तीआ, मुत्तीहि, मुत्तीहिँ , मुत्तीहि.. __मुत्तीइ, मुत्तीए, च० मुत्तीअ, मुत्तीआ, मुत्तीण, मुत्तीणं.
मुचीइ, मुत्तीए, ५० मुत्तीअ, मुत्तीआ, मुत्तीइ, मुत्तित्तो, मुत्तीओ, मुत्तीउ,
मचीए, मुत्तित्तो, मुत्तीओ, मुत्तीहिन्तो. मुतिसुन्तो.
मुत्तीउ, मुत्तीहिन्तो. प० मुत्तीअ, मुत्तीआ, मुत्तीण मुत्तीणं.
मुत्तीइ मुत्तीए. . स० मुत्तीअ, मुत्तीआ, . मुत्तीस, मुत्तीसु. .
मत्तीइ, मुत्तीए. सं० है मुत्ती, मुत्ति. हे मुत्तीउ, मुत्तीओ, मुत्ती.
राइ, रत्ति ( रात्रि)
प्र० .
एकव० राई.. रत्ती.
बहुव० राईओ, राईड, राई. रत्तीओ, रत्तीउ, रत्ती.
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________________
. ॥प्राकृतरूपमाला।
रति.
द्वि० राई,
राईओ, राईउ, राई.
रत्तीओ, रत्तीउ, रत्ती. ४० राईअ, राईआ, राईइ, राईए. राईहि, राईहि, राईहि. ___रत्तीभ, रत्तीआ, रत्तीइ, रत्तीहि रत्तीहि, रत्तीहिं.
रत्तीए. च० राईअ, राईआ, राईइ, राईए. राईण, राईणं.
रत्तीअ, रत्तीआ, रत्तीइ, रत्तीण, रत्तीण.
रत्तीए.
१० राईअ, राई, राईइ राईए. राइतो, राईओ, राइउँ, राई
राईित्तो, राईओ; राईउ, हिन्तो, राईसुन्तो. राईहिन्तो, रत्तीभ, रत्तीआ, रत्तीइ, रत्तित्तो, रत्तीओ, रत्तीउ, र. रत्तीए, रत्तित्तो, रत्तीओ, रत्तीहिन्तो; रत्तीसुन्तो.
रत्तीउ, रत्तीहिन्तो. प० राईभ, राईआ, राइइ, राईए. राईण, राईणं.
रत्तोभ, रत्तीआ, रत्तीइ, रत्तीण, रत्तीणं.
रत्तीए. स० राईअं, राई आ, राईइ, राईए. राईस, राईसुं.
रत्तीभ, रत्तीआ, रत्तीइ, रत्तीसु, रत्तीसं.
रत्तीए. सं० हे राई, राइ. हे राईड, राईओ, राई.
हे रत्ती, रत्ति. हे रत्तीउ, रत्तीओ, रत्ती.
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(१६) ॥ मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥ इकारान्तनपुंसकलिङ्ग
. प्रत्ययो.
-perGove .. ।
एकव० ... बहुव० प्र० म. द्वि० म. तृतीयायी इकारान्तपुलिङ्ग पमाणेसं० ०(लुक्) . , . इ, इ, पण नियमो-११-६, हैं, गि प्रत्ययपर छतां पूर्वना अ, इ, उ, दीर्घ
__याय छे.
दहि ( दधि).
द्वि० दहि.
एकव०
बहुव० प्र. दहि. दहीई, दहीई, दहीणि.
दही, दहीइं, दहीणि. व० दहिणा.
दहीहि, दही, हिं, दहीहिं. च० दहिणो, दहिस्स. दहीण, दहीण... ५० दहिणो, दहित्तो, दहीओ, दहित्तो, दहीओ, दहीउ,
दहीउ, दहीहिन्तो दहीहिन्तो, दहीसुन्तो... प० दहिणो, दहिस्स. दहीण, दहीण. ..
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॥ प्राकृतरूपमाला ॥
स० दहिम्मि. सं० हे दहि.
दहीसु, दहीसुं. हे दही, दहीई, दहीणी.
वारि.
बहुव०
- एकव० . १० वारि. . . वारी', वारीई, वारीणि. द्वि० वारि.
वारीइँ, वारीई, वारीणि. व० च० ५० १० स० सं० दहि प्रमाणे
सुरहि [ सुरभि ]
. एकव०
"बहुव० प्र० सुरहि..
सुरही, मुरहीई, मुरहीणि. द्वि० सुरहि.
सुरही, सुरहीई, सुरहीणि. १० च० ५० ५० स० सं० दहि प्रमाणे
ईकारान्तपुंलिङ्गनियमो-१. दीर्घ इकारान्त पुंलिङ्गनामो प्राकृतमा इस्व यह
जायचे तेना रूपो इस्व इकारान्तपुल्लिङ्ग जेजा थायछे. २. सम्बोधनना एकवचनमा इ हस्व ज रहे छे.
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________________
- (१८) ... ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
[पही ] प्रधी
एकव. प्र० पही.
पहउ, पहओ, पहिणो पही. द्वि. पहि.
पहिणो, पही. ० पहिणा.
पहीहि, पहीहि, पहीहि.... च० पहिणो, पहिस्स.. पहीण, पहोणं. .. ५० पहिणो, पहित्तो, पहीओ, पहित्तो, पहीओ, पहीउ,
पहीउ, पहीहिन्तो. . पहीहिन्तो, पहीसुन्तो. .. १० पहिणो, पहिस्स. पहीण, पहीणं. स० पहिम्मि. .. पहीसु, पहीसुं. . सं० हे पहि. ___ हे पहउ,पहओ, पहिणो,पही.
गामणी [ग्रामणी]
एकप
बहुव० प्र० गामणी.
गामणउ, गामणभो, गामणिणो.
गामणी. दि० गामणि.
गामणिणो, गामणी. १० गामणिणा.
गामणीहि, गामणीहि, गामणीहि च० गामणिणो, गामणिस्स.. गामणीण, गामणीणं. १० गाम:गणो, गामणित्तो, . गामणित्तो, गामणीओ,गाभणीउ,
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
गामणीहिन्तो, गामणीमुन्नो.
गामणीओ, गामणीउ,
गामणीहिन्तो. १० गामणिणो, गामणिस्स. स० गामणिम्मि. स० हे गामणि.
गामणीण, गामणीणं. गामणीसु, गामणीसु. हे गामणउ,गामणओ,गामणिणो, गामणी.
सुसिरी ( सुश्री)
. एकव०
बहुव० प्र० सुसिरी. . सुसिरउ,सुसिरओ,सुसिरिणो,सुसिरी द्वि०. सुसिरीं. . मुसिरिणो, मुसिरी. तृ० च० ५० १० स० सं पही प्रमाणे.
इकारान्तस्त्रीलिङ्ग
.
प्रत्ययो.
एकव०
बहुव० प्र० ०, [ लुक ] आ. आ, उ, ओ, . [ लुक् ] द्वि० म.
आ, उ, ओ, • [ लुक् ] तृ००प०अ०स० इस्व इकारान्तस्त्रीलिङ्गप्रमाणे.. सं० . [ लुक ] . आ, उ, ओ, • [ लुक्]
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________________
(२०) । मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ नियम-१ द्वितीयानु एकवचन, पंचमीनो तो ने संबोधननो ०
(लुङ) परछता पूर्वनो ई इस्व थाय .
लच्छी ( लक्ष्मी).
एकप
बहुव० प्र. लच्छी, लच्छीआ. लच्छीआ,लच्छीउ,लच्छीभो,लच्छी.. दि० कच्छि.
छच्छीआ,लच्छीउ,लच्छीओ,लच्छी. १० लच्छीअ, कच्छीआ, लच्छीहि, लच्छीहि, लच्छीहिं.
लच्छीइ, लच्छीए. . च० लन्छोअ, लच्छी, लच्छीण, लच्छीणं.
लच्छीइ, लच्छीए. ५० लच्छीअ, लच्छीआ, लच्छित्तो, लच्छीओ, लच्छीज,
लच्छीइ, लच्छीए, लच्छीहिन्तो,, लच्छीमुन्तो. लच्छित्तो, लच्छिओ,
लच्छीउ, लच्छीहिन्तो. १० लच्छीअ, लच्छीमा, लच्छीण, लच्छीणं.
लच्छीइ, लच्छीए. स० लच्छीअ, लच्छीआ, ___ लच्छीमु, लच्छीसं.
लच्छीइ, लच्छीए. सं•ई लछि.
हे लच्छीआ,लच्छीउ,लच्छीमो लच्छी .
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
woooooooooooooooooooooooooo
o
or
००००००००००
रुप्पिणी ( रुक्मिणी ).
एकव०
बहुव० ५० रुप्पिणी; रुप्पिणीआ, रुपिणीआ, रुप्पिणीउ, रुप्पिणीओ,
रुप्पिणी. वि० रुप्पिणि.. रुप्पिणीआ, रुप्पिणीउ,रुप्पिणीओ,
रुपिणी. १० रुप्पिणीअ, रुप्पिणी, रुप्पिणीहि,रुप्पिणीहि ,रुप्पिणीहिं. ___ रुप्पिणीइ, रुप्पिणीए. च० रुप्पिणीअ, रुप्पिणीआ, रुप्पिणीण, रुप्पिणीण.
रुपिणीइ, रुप्पिणीए.. . ५० रुप्पिणीअ, रुप्पिणीआ, रुपिणित्तो, रुपिणीओ, रुप्पिणीउ, रुपिणीइ, रुप्पिणीए, रुप्पिणीहिन्तो, रुप्पिणीसुन्तो. रुप्पिणित्तो,रुप्पिणीओ,
रुप्पिणीउ,रुप्पिणोहिन्तो. १० रुप्पिणीभ, रुपिणीमा, रुप्पिणीग, रुप्पिणीण.
रुप्णिीइ रुप्पिणीए. स० रुप्पिणीअ. रुप्पिणीआ, रुप्पिणीसु, रुप्पिणीसु.
रुप्पिणीइ, रुप्पिणीए. सं० हे रुप्पिणि.
हे रुप्पिणीआ, रुप्पिणीउ, रुप्पिणीओ रुप्पिणी.
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(22)
॥ मुनि - कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
बहिणी - भहिणी ( भगिनी )
एकवचन
प्र० बहिणी, बहिणीआ.
भहिणी, भहिणीआ.
द्वि० बहिणि.
भहिणि.
तृ० बहिणीअ, बहिणीआ, बहिणी, बहिणी.
भहिणीअ, भहिणीआ,
भहिणी, भहिणीए.
च० वहिणीअ, बहिणीआ,
बहिणी, बहिणीए.
भहिणीअ, भहिणीआ, भहिणी, भहिणीए.
प० बहिणीअ, बहिणीआ, बहिणी, बहिणी
बहुवचन
बहिणीआ, बहिणीउ,
बहिणीओ, बहिणी.
भहिणी, भहिणीउ,
भहिणीओ, भहिणी.
बहिणी, बहिणीउ,
बहिणीओ, बहिणी.
भहिणी, भहिणीउ,
भहिणीओ भहिणी.
बहिणी हि बहिणीहि
बहिणीहि.
भहिणीहि, भहिणीहि
भहिणीहिं.
बहिणीण, बहिणीणं.
भहिणीण, भहिणीणं.
बहिणिसो, बहिणीओ,
बहिणी, बहिणीद्दिन्तो,
हणत्तो, बहिणीओ,
बहिणीसुन्तो
सूचना:- 'भहिणी' शब्द ने बदले सर्वत्र 'भइणी' शब्द लेवो.
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________________
बहिणीउ, बहिणीहिन्तो.
भहिणीअ, भहिणीआ,
भहिणी, भहिणीए,
॥ प्राकृतरूपमाला, ॥
भहिणित्तो, भहिणीओ,
भहिणी, भहिणीहिन्तो
प० बहिणीअ, बहिणीआ,
बहिणी, बहिणीए.
भहिणी, भहिणी,
भहिणी, भहिणीए,
स० बहिणीअ, बहिणीआ,
बहिणी, बहिणी..
भहिणी, भहिणी,
भहिणी, भहिणीए. सं० हे वहिणि.
हे हि.
उकारान्त पुंलिङ्ग -
एकवचन
भहिणित्तो, भहिणीओ,
भहिणीउ, भहिणीहिन्तो
भहिणीसुन्तो,
बहिणीण, बहिणीर्ण.
भहिणीण, भहिणीणं.
बहिणीसु, बहिणीसुं.
भहिणीसु, भहिणीसुं.
हे बहिणी, बहिणीउ,
बहिणीओ, बहिणी.
भहिणी, भहिणीउ,
भहिणीओ, भहिणी.
प्रत्ययो.
बहुबचन
(२३)
Page #39
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________________
(२४)
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
oooooooooooooooooooooornimoooooooooor
म० • [ लुक्] अवो, अउ. अओ, णो, ऊ. . द्वि०. म.
णो, ऊ. १० च० ५० १० स० इकारान्तपुंलिङ्ग प्रमाणेसं० ऊ, ° (लुक) . अवो, अउ, अओ, णो, ऊ. नियमो-१-इकारान्त पुंलिङ्गप्रमाणे उ दीर्घ थायछे..
२-पथमा अने सम्बोधनना अवो, अउ, अओ प्रत्यय पर छता पूर्वना उनो लोप यायछे.
... . तरु.
एकव०
बहुव० म. तरु.
तरखो, तरउ, तरओ, तरुणो, तरू. द्वि० तर. . तरुणो, तरू., १० तरुणा.
तरूहि, तरू िहैं, तरूहि. च० तरूणो, तरुस्स. . तरूण, तरूणं. प० तरुणो, तरुत्तो, तरूओ, तरुत्तो, तरूओ, तरूउ, तरूहिन्तो.
सरूड, तरूहिन्तो. तरूमुन्तो. १० तरुणो, तरुस्स. तरूण, तरूण. स० तरुम्मि.
तरूम, तरूमुं. सं० हेतरू, तरु. हे तरवो, तरउ, तरओ,तरुणो, तरू.
सवण्णु ( सर्वज्ञ.)
Page #40
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
पल
एकव०
बहुव० प्र० सव्वण्णू. सवण्णवो, सवण्णउ, सव्वण्णओ,
सवण्णुणो, सव्वण्णू. द्वि० सवण्णुं.. सवण्णुणो, सव्वण्णू. १० सव्वण्णुणा... सवण्णूहि, सन्वष्णूहिँ, सव्वण्णूहिं च० सव्वण्णुणो, सव्वण्णुस्स. सवण्णूण, सवण्णूणं. प० सवण्णुणो, सवण्णुत्तो, सव्वण्णुत्तो, सवण्णूओ, सधण्णूउ, . सव्वण्णूओ, सवण्णूउ, सवण्णूडिन्तो, सवण्णूसुन्तो.
सवण्णूहिन्तो. १० सव्वण्णुणो, सव्वण्णुस्स. सव्वण्णूण, सव्वण्णं. स० सव्वण्णुम्मि. ..सवण्णूसु, सव्वण्णूसुं. सं० हे सवण्णू, सवण्णु. हे सवण्णवो, सव्वण्णउ, सव्वण्णओ,
. . सवण्णुणो, सव्वष्णू. .
मंतु-मन्नु [ मन्यु]
एकव० म० मंतू.
मन्नू.
बहुव० मंतवो, मंतउ, मंतओ, मंतुणो, मंतू. मन्नवो,मन्नउ, मन्नओ,मन्नुणो, मन्न्. मंतुणो, मैतू. मन्नुणो, मन्नू. मंतूहि, मंतूहिँ, मंतूहि.
वि० मंत. ____ मन्नु. .. त० मंतुणा.
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________________
poor
(२६ ) ।मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
मन्नुणा. मन्नूहि, मन्नूहिँ , मन्नूहि. च० मंतुणो, मंतुस्स. मंतूण, मंतूर्णं. ___ मन्नुणो, मन्नुस्स. मन्नूण, मन्नूणं. ५०. मंतुणो, मैतुत्तो, मंतूओ, मंतुत्तो, मंतूओ, मंतूज, मंतूहिन्तो,...
मंतूउ, मंतूहिन्तो. मंतूसुन्तो. .. मन्नुणो,मन्नुत्तो,मन्नूओ, मन्नुत्तो,मन्नूओ,मन्नूउ,महिन्तो, मन्नूउ, मन्नूहिन्तो. मन्नसुन्तो.
. प० मंतुणो, मैतुस्स. . मंतूण, मंतूणं..
मन्नुणो, मन्नुस्स. मन्नूण, मन्नूणं. स० हे मंतू, मंतु. हे मंतवो, मंतउ, मंतओ, मंतुणो, मंतू. ... हे मन्नू, मन्नु. हे मनवो,ममउ,ममओ,मन्नुणो,मन्नू.
उकारान्तस्त्रीलिङ्गनियम- उकारान्तस्त्रीलिङ्गना प्रत्यय तया नियमो इकारा
न्तस्त्रीलिङ्ग प्रमाणे ज छे, इकारान्तस्त्रीलिङ्गमां ज्यां ई थाय छे त्यां उकारान्तस्त्रीलिङ्गमां ऊ थाय छे.
धेणु
एकव. ५० घेणू. द्वि० घेणु.
घेणूउ, घेणूओ, घेणू. घेण्ड, घेणूओ, घेणू.
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
तृ० घेणूअ,धेगूआ, घेणूइ,घेणूए. घेणूहि, धेहि घेणूहिं. च० घेणू अ,धेणू था,घेणूइ,घेणूए, घेणूण, घेणं. प० घेणूअ,धेगूमा,धेणूइ,घेणूए. घेणुत्तो,घेणओ,घेणूउ,घेणूहिन्तो,
घेणुत्तो, घेणूओ, घेणूउ, धेणसुन्तो.
घेणूहिन्तो. प० घेणूअ,धेणूआ,धेणइ,धेणूए. घेणूण, घेणणं. स० घेणूअ,धेणूआ,घेणूइ,घेणूए. घेणूसु, घेणूमुं. सं० हे घेणू, घेणु. . . हे घेणूउ, घेणूओ, घेण.
तणु
एकव०
. .बहुव० ५० तणू.
त'उ, तणूओ, तणू. हि० तणु.
तणूउ, तणूओ, तणू. १० तणूअ,नणूआ, तणूइ,तणूए. तणूहि, तणूहिँ , तणहिं. च० तणअ,तणा , तण्ड,नणूए. तणूण, तणूणं. प० तणअ,तणूा, तणूइ,तणाए, तणुत्तो, तणूओ, तगूउ, तणूहि
तणुत्तो, तणूओ, तणूउ, न्तो, तणूसुन्तो.
तणूहिन्तो. १० तणूअ,तणूआ,तणूइ,तणूए, तणूण, तणूणं. स० तणूभ, तणूआ, तणूइ, तणूए. तणूसु, तणूसुं. सं० हे तणू, तणु.
हे तणूउ, तणूओ, तणू.
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________________
(२८)
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
दि० रज्जु.
एकव०
बहुव० प्र० रज्जू.
रज्जूउ, रज्जूओ, रज्जू.
रज्जूर, रज्जूओ, रज्जू. तु० रज्जूअरज्जूआ,रज्जूइ,रज्जूए.. रज्जूहि, रज्जूहिँ, रज्जूहि.. च० रज्जूअ,रज्जूआ,रज्जूइ,रज्जूए. रज्जूण, रज्जूणं. प० रज्जूभ,रज्जूआ,रज्जूइ,रज्जूए. रज्जुत्तो, रज्जूभो, रज्जूउ,
रज्जुत्तो, रज्जूओ, रज्जूउ, रज्जूहिन्तो, रज्जूमुन्तीः
रज्जूहिन्तो. प० रज्जूअ रज्जूआ,रज्जूह,रज्जूए. रज्जूण, रज्जूणं. स० रज्जूअ,रज्जूआ,रज्जूह,रज्जूए, रज्जूस, रज्जूसं. सं० हे रज्जू, रज्जू.. हे रज्जूउ, रज्जूओ, रज्जू,
उकारान्तनपुंसकलिङ्ग-. .
प्रत्ययो तथा नियमो-इकारान्तनपुंसकलिङ्गप्रमाणे.
महु [ मधु ]
एकप० म० महुं.
बहुप. महर, महूई, महूणि..
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________________
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॥ प्राकृतरूपमाला ॥ __ (१९) द्वि० महुं. .
महूइँ, महई, महूणि. तृ० महुणा.
महूहि, महूहिँ , महूहि च० महुणो, महुस्स.
महूण, महणं. ५० महुणो, महत्तो, महूओ, महत्तो, महूओ, महूउ, महूहिन्तो ___ महूउ, महहिन्तो. महसुन्तो. प० महुणो, महुस्स. महूण, महणं. स० महुम्मि. . . महसु, महसुं. सं० हे महु
हे महूइँ, महूई, महूणि.
जाणु [जानु]
___एकव०
बहुव० प्र० जाणु, . . जागईं, जाणूई, जाणूणि, वि० जाणु..
जाणूइँ, जाणूई, जाणि. ४० च० ५० १० स० सं० महु प्रमाणे.
.
अंसु ( अश्रु)
.
एकव० प्र० अंसुं. वि० असु.
बहुव०
अंसहूँ, अंमई, अंसूणि. .. अंमई, असूई, अंसूणि. .
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(३०) ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ तृ० च० ५० ५० स० सं० महु प्रमाणे
भन्छन्
जकारान्तपुल्लिङ्ग. .. प्रत्ययो. .
इस्व उकारान्तपुल्लिङ्गममाणे..
नियमो- दीर्घऊकारान्तपुल्लिङ्ग नामो प्राकृतमां. इस्वथइ
जाय छे, अने तेना रूपो इस्व उकारान्तपुल्लिङ्ग जेवा थाय छे. संबोधनना एकवचनमा उ इंस्व ज रहे छे. ,
खलपू.
एकव०
बहुव० प्र० खलपू.
खलपवो, खलपउ, खलपओ, ख
लपुणो, खलपू. द्वि० खलपु.
खलपुणो, खलपू. तु. खलपुणा,
खलपूहि, खलपूहिँ, खलपूहि. च० खलपुणो, खलपुस्स. खलपूण, खलपूर्ण. ५० खलपुणो,खलपुत्तो, खल- खलपुत्तो, खकपूओ, खलपूर,
पूभो,खलपूउ,खलपुहिन्तो. खलपुहिन्तो, खलपूंमुन्तो,
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________________
॥ प्राक्रतरूपमाला ॥
-
प० खलपुणो, खलपुस्स. स० खलपुम्मि. सं० हे खलपु.
खलपूण, खलपूर्ण. खलपूसु, खलपूK. हे खलपवो, खलपउ, खलपओ, खलपुणो, खलपू. .
. सयंभू ( स्वयंभू.)
. एकव. .. बहुव० म. सयंभू.
सयभवो, सयंभउ, सयंभो,
सयंभुणो, सयंभू. वि० सय .
सयंभवो संयंभउ, सयंमओ,
सयंभुणो, सयंभू. १० सयंभुणा. सयंभूहि, सयंभूहिँ , सयंभूहि. च० संयंभुणो, संयंभुस्स. सयंभूण, सयंभूणं. ५० सयंभुणो,सयंभुत्तो,सयं- सयंभुत्तो, सयंभूओ, सयंभूउ,
भूओ,सयंभूउ,सयंभूहिन्तो, सयंभूहिन्तो, सयंभूसुन्तो, प० सयंभुणो, सयंभुस्स. सयंभूण, सयंभूणं. स० सयंभुम्मि.
सयंभूसु. सयंभूसं. सं० हे सयंभु.
हे सयंभवो, सयभउ, सयंभओ, सयंभुणो, सयंभू.
जकारान्तस्त्रीलिङ्ग
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॥ मुनि-कस्तूरविनयविनिर्मिता ॥
प्रत्यय तथा नियमइकारान्तस्त्रीलिङ्गप्रमाणे.
. वढू ( वधू)
एकवचन .: बहुवचन प्र. वह वहूआ.
वहुआ, वहुउ, बहूओ, वह. द्वि० वहुं. .
वहूआ, वहुउ, वहओ, वहू. १० वहअ, वहुआ, वहूइ, वहुए.. वहूहि, वहिँ , वहूहि... च० वहूअ, वहुआ, वहूइ,वहूए. वहूण, वहणं. ५० बहूअ, बहूआ, वहूइ,वहुए, वहूत्तो, बहूओ, वहूउ, वहूहिन्तो.
वहूत्तो, वहूओ, बहूउ, बहूमुन्तो.
वहूहिन्तो. . . , प. वहूअ, वहूआ, वहूइ,वहए, वहण, वहूणं. स० वहअ, वहुआ, वहूइ,वहुए. वहसु, घहसुं. सं० हे वहु..
हे वहुआ, वहूउ, वडूओ, बहू.
सासू ( श्वश्रू)
एकवचन म० सासू, सासुआ. द्वि० सामुं.
बहुवचन सासू, सासूउ,सासूओ,सासू. सासूआ, सासू,सासूओ,सास.
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.. ॥ प्राकृतरूपमाला ॥
- ..vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
-
AAPAN
३० सासूअ,सासुआ,सासूइ,सासूए. सामूहि, सामूहिँ, सासूहि च० सासूअ,सासूआ,सामइ,सासुए. सासूण, सासूणं. प. सासू, सासूआ, सासूर, सामुत्तो, सासूओ सासून,
सासूए. सामुत्तो, सासूओ, सामूहिन्तो, सामसुन्तो.
सासूउ, सामूहिन्तो. प० सासूअ,सासूसा,सासूइसामुए. सासूण, सासूण. ' स. सासूअ,सासूआ,सासइ,सासूए. सासूसु, सामसुं. सं० हे सामु. .. हे सासूआ, सामड, सासूत्रो,
सासू.
..चमः .
५० चमू, चमूला. . चमूआ, चमूङ, चमूओ, पमू, द्वि० चमुं.
.. चमूआ, चमूउ, चमूमो, चमू. १० चम्अचम्भा,चमूइ,चमूए. चमूहि, चमूहिँ , चमूहि. च० चमूम,चमूआ,चमूह,चमूए. चमूण, चमूर्ण. प० चमूअ, चमूथा, चमूइ, चमुचो, चमूओ, चमूर, चमू
चम्ए, चमुत्तो, चमूओ, हिन्तो, चम्सुन्तो.
चमूज, चमूहिन्तो. प० चमूअचमूआ,चमूह,चम्ए. चमूण, चमूणं.
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________________
(३४)
॥ मुनि कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
स० चमूअ, चमूआ, चमूह, चमूए. चमृसु, चमूसं.
सं० हे चतु.
ऋकारान्त पुंलिङ्ग -
हे चमूआ, चमूड, चमूओ, चमू.
प्रत्ययो - अकारान्त तथा उकारान्त पुलिङ्ग प्रमाणे.
नियमो - १ ऋकारान्त शब्दना ऋनो सर्वं प्रत्ययो पर छत आर अने ज्ञावाचक शब्दना ऋ नो अर थाय छे, मैथमा अने द्वितीयाना एकवचन तथा द्विवचनने स्थाने थयेला बहुत्रचनना प्रत्ययो सिवाय बीजा वर्षा प्रत्ययो पर छतां ऋ नो उ पण थाय छे.
(आर थाय त्यारे रूपो अकारान्त नाम जेग थाय छे. ने उ थाय त्यारे रूपो उकारान्न जेवा थाय छे.)
मॅथमाना ए वचनमां ऋ नो आ थइ [ कत्ता ] तेर्बुज रूप विकल्पे कायम रहे छे.
सैम्बोधनना एकवचनमां ऋ नो अ थइ तेवुंज रूप विक
१. ॥ आरः स्यादौ ॥ ३ ॥ ४५ ॥ स्यादौ परे ऋत आरादेशः ॥
|| नाम्न्यरः ॥ ३ ॥ ४७ ॥ स्यादौ ऋतः ॥
२
३ ऋनामुदस्य मौसु वा ॥ ३ ॥ ४४ ॥
४ आसौ नवा ॥ ३ ॥ ४८ ॥ ऋतः ॥
५ ऋतोऽद्वा ॥ ३ ॥ ३९ ॥ आमन्त्रणे सौ ॥
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________________
.
.. | प्राकृतरूपमाला ||
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पे कायम रहे छे, अने संज्ञावाचि नामोमा अरम् पण विकल्पे थाय छे.
.. कत्तार, कत्तु [ कर्तृ]
एकव०
. बहुव प्र० कत्ता, कत्तारो. . . कत्तारा.
कत्तवो,कत्तओ,कत्तउ,कत्तुणोक तू वि० कत्तारं.
कतारे, कत्तारा.
कत्तुणो, कत्तू. १० कचारण कत्तारेणं. . कत्तारेहि, कत्तारेहि , कत्तारेहि.
कतुणा. : कतहि, कत्तूहिँ, कहि. च० कत्ताराय, कत्तारस. . कत्ताराण, कचाराणं
कत्तुणो, कत्तुस्स.. कत्तूण, कत्तूणं. १० कत्तारचो, कत्ताराओ, कत्तारत्तो, कत्ताराओ,कत्ताराउ,
कत्ताराउ, कत्ताराहि,कत्ता- कत्ताराहि, कत्ताराहिन्तो, कत्ताराहिन्तो, कत्तारा. रासुन्तो, कत्तारेहि, कत्तारेहि
न्तो, कत्तारेसुन्तो, कत्तुणो, कतुत्तो, कत्तूओ, कत्तुत्तो, कत्तूओ, कत्तूउ, कत. कत्तूउ, कत्तहिन्तो. हिन्तो कतूमुन्तो.
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________________
। मुनि कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥ कत्ताराण, कत्ताराणं.
कत्तूण, कत्तणं.
कत्तारेसु, कत्तारेसुं.
कतुम्मि
कत्तूमु. कत्तसुं
सं० हे कत्त, कत्तार, कत्तारो, हे कत्तारा.
(३६)
प० कत्तारस्स.
कत्तुणो, कत्तुस्स.
स० कत्तारे, कत्तारम्मि.
एकव ०
प्र० भाया,
द्वि० भायरं.
हे कत्तवो, कत्तओ, कत्त, कत्तुणो, कतू.
भायर, भाउ ( भ्रातृ )
भायरो.
बहुव०
भायारा.
भात्रवो, भाजओ, भाभउ,
भाउणो, भाऊ.
भायरे, भायराः
भाणो, भाऊ.
भायरेहि, भायरेहि, भायरेहिं. भाऊद्दि, भाऊहिं, भाऊहिं.
भायराण, भायराण.
०
तृ० भायरेण, भायरेणं.
भाउणा.
च० भायराय, भायरस्स.
भाउणो, भाउस्स.
भाऊण, भाऊणं.
प० भायरत्तो, भायराओ, भाय- भायरतो, भायराओ, भायराराज, भायराहि, भागराहि उ, भायराहि, भायरोहिन्तो,
Page #52
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॥ प्राकृतरूपमाला ॥ w wwwwwwwwwvoes
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न्तो, भायरा. भायरामुन्तो, भायरेहि, भायरे
हिन्तो, भायरेसुन्तो. भाउणो, भाउत्तो, भाऊओ, भाउत्तो, भाऊओ, भाऊउ,
भाऊउ, भाऊहिन्तो. भाऊहिन्तो, भाऊसुन्तो. प० भायरस्स.
भायराण, भायराण. ___ भाउणो, भाउस्स. भाऊण, भाऊणं. सु० भायरे. भायरम्मि भायरेसु, भायरेसुं. ___ भाउम्मि.
भाऊसु, भाऊमुं. सं० हे भाय, भायर, भायरे, भायरा. भायरो, भायरं.
भाअवो, भाअओ, भाबड, भा. • ऊणो, भाऊ.
. भत्तर, भत्तु ( भर्तृ)
एकव०
बहुव० प्र० भत्ता, भत्तरोः भत्तरा.
भत्तवो, भत्तओ, भत्तउ, भत्तु
णो, भत्तू, दि० भत्तरं.
भत्तरे, भत्तरा.
भत्तुणो, भत्तू. १० भत्तरेण, भचरेण. भत्तरेहि, भचरैहिँ, भत्तरेहि. सूचना-भर्तृशब्दनो स्वामि अर्थमा भत्तर अने पोषण भधमां भत्तार थायछे
-
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(३८)
॥ मुनि - कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
भन्तुणा.
च० भत्तराय, भत्तरस्स.
भत्तणो, भत्तुस्स. प० भत्तरत्तो, भत्तराओ, भत्तरा उ भतराहि, भत्तराहिन्तो,
भत्तरा.
भत्तणो, भत्तत्तो, भतूओ, भचूड, भत्तूहिन्तो.
प० भतरस्स.
भत्तणो, भन्तु हस.
स० भत्तरे, भत्तरम्मि
ऋकारान्तस्त्रीलिङ्ग—
भत्तम्मि,
भत्तसु, भत्तसुं.
सं० हेभत्त, भत्तर, भत्तरों, भत्तरं. हे भत्तरा.
भत्तूहि, भत्तूहिँ, भत्तूहिं, भत्तराण, भत्तराणं.
भत्तूण, भत्तूर्णं. भत्तरत्तो, भत्तराओ, भतराउ, भत्तराहि, भत्तराहिन्तो, मंचरा
सुन्तो, भत्तरेहि, भत्तरे हिन्तो, भचरेसुन्तो.
भन्तत्तो, भत्तूओ, भत्तूर, भत्तू
• हिन्तो, भत्तूमुन्तो.
भत्तराण, भत्तराणं.
भत्तण, भचूणं.
भत्तरेसु, भत्तरेसुं.
एकवचन
प्र० माआ:
माआ, माअरा, माइ, माउ [ मातृ ]
हे भत्तवो, भतओ, भतउ, भसुणो, भत्तू.
बहुवचन माआओ, माआउ, माआ.
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________________
प्राकृतरूपमाला ।। Goverevensoreowww
माअरा.
माअराओ, माअराउ, माअरा. माई.
माईओ, माईउ, माई.
माऊओ, माऊउ, माऊ. वि० मा
माआओ, माआउ, मात्रा. माअरं.
माअराभो, माअराउ, माअरा. माई. .
माईओ, माईउ, माई.
माऊओ, माऊउ, माऊ. १० माआअ, माइ, माए. माआहि, माआहि, माआर्हि.
माअराअ,माराइ,माअराए. माअराहि, मोअराहि, माअराहिं माईअ,माई आ,माईइ,माईए. माईहि, माईहि, माईहिं.
माऊभ,माऊआ,माऊइ,माऊए.माऊहि, माऊहिँ माऊहिं. च० माआअ, माआइ, माआए. माण माण.
माअरांअ,माभराइ,माअराए. माअराण, माअराणं. माईमाईआ,माईइ,माईए. माईण, माईण.
माजअ,माऊआ,माऊइ,माऊए माऊण, माऊणं. १० माआअ, माआइ, माआए, माअत्तो, माआओ, माआउ,
माअत्तो, माआओ, माआ- माआहिन्तो, माआमुन्तो. उ, माआहिन्तो. माअराअ, माअराइ, माअ- माअरत्तो, माअराओ, माअरा. राए, माअरत्तो, माराओ, उ, माअराहिन्तो, माअरामुन्तो. माअराउ, माअराहिन्तो. माईअ, माईआ, माईइ, माइत्ती, माईओ, माईउ, माई.
Page #55
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________________
(४०)
माईए माइलो, माईओ, माईउ, माईहिन्तो
माऊअ, माऊआ, माऊ,
माऊए, माउत्तो, माऊओ; माऊउ, माऊहिन्तो.
॥ मुनि - कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
हिन्तो, माईसुन्तो.
प० माआआ, माआई, माआए.
माअराअ, माअराइ, माअराए. माई, माईआ, माईड, माईए.
एकव ०
माऊसो, माऊओ, माऊड, माऊहिन्तो, माऊसुन्तो.
माऊअ,माऊआ,माऊइ, माऊए. माऊण, माऊणं. स० माआआ, माआइ, माआए. मासु, मासुं.
५० ससा.
माआण,
माआणं.
माअराण. माअराणं.
माईण, माईणं.
माअराअ, माअराइ, माअराए. माअरासु, माजरा. माई, माईआ, माईइ, माईए, माईसु, माईमुं.
माऊअ, माऊआ, माऊइ, माऊए. माऊसु, माऊसुं. सं० हे माआ.
हे मारा. हे माई, माइ.
हे माआओ, माआड, माआ. हे माअराओ, माअराड, माजरा.
हे माईओ, माईड, माई.
हे माऊओ, माऊड, माऊ
ससा ( स्वसृ )
बहुव
ससाओ, संसार, ससा.
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________________
• ॥ प्राकृतरूपमाला ॥
(४१)
- ~~vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
v
vv
~
ससाओ. ससाउ, ससा.
वि० ससं. तृ० च० ५० १० स० मालावत्. सं० हे, ससा.
ससाओ, ससाउ, ससा.
नणन्दा [ ननन्ह ]
एकव०
बहुव० प्र० नणन्दा.
- नणन्दाओ, नणन्दाउ, नणन्दा. द्वि० नणन्दं
नणन्दाओ, नणन्दाउ, नणन्दा. तृ० च० ५० ५० स० मालावत. सं० हे नणन्दा. .. नणन्दाओ, नणन्दाउ, नणन्दा.
माउसिआ, माउच्छा ( मातृष्वस)
एकव०.
बहुव. . म० माउसिआ... माउसिआओ,माउसिआउ,माउसिआ.
माउच्छा. माउच्छाओ, माउच्छाउ, माउच्छा. वि० माउसिअं. . माउसिआओ,माउसिआउ,माउसिआ. ___माउच्छं. माउच्छाओ, माउच्छाउ, माउच्छा. तृ० १० १० १० स० मालावत्. सं० हे माउसिआ. हे माउसिआओ,माउसिआउ,माउसिआ.
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________________
(४२)
हे माउच्छा.
॥ मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
एकव०
प्र० दुहिआ.
धूआ.
द्वि दुहिअं.
धूअं.
तृ० च० प० ष० स० मालावत्
सं० दुहिआ.
धूआ.
ओकारान्त पुंलिङ्ग
एकव०
प्र० गऊ
द्वि० गउँ.
हे माउच्छाओ, माउच्छाउ, माउच्छा
दुहिआ - धूआ (दुहित )
बहुव०
दुहिआओ, दुहिआउ, दुहिआ.
धूआओ, धूआउ, धूआ.. दुहिआओ, दुहिआउ, दुहिआ.
धूआओ, घूआउ, धूआ.
दुहिआओ, दुहिआउ, दुहिआ. धूआओ, धूआउ, धूआ.
गाळा, गाव, गोण, गउ ( गो . )
गाअ, गाव, गोण शब्दरूपाणि देववत्.
गऊ शब्दरूपाणि,
बहुव० गणो, अवो, गअओ,गअउ, गऊ.
गउणो, गऊ...
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________________
गउ.
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
तृ० गड़णा.
च० गणो, गउस्स. प० गउणो, गउत्तो, गऊओ, गऊउ, गऊहिन्तो.
प० गणो, गउस्स.
स० गउम्पि.
सं० गऊ,
ओकारान्त स्त्रीलिङ्ग—
एकव०
प्र० गावी, गावी. द्वि० गावि
गऊहि, गऊहि", गऊहिं.
गऊण, गऊणं.
गंउत्तो, गऊओ, गऊड, गऊहि
न्तो, गऊसुन्तो.
गऊण, गऊणं.
गऊसु, गऊसुं.
गअउ, गऊ. गणो, गअवो, गकओ.
गावी (गो)
गावीए, गाविचो, गावी ओ, गावी, गावीहिन्तो.
(४३)
बहुव०
गावी, गावी, गांवीओ, गावी.
गrate, गावी, गावीओ, गावी.
तृ० गावी, गावी, गावी, गावीए. गावीहि, गावी हँ, गावीहिं.
० गावी, गावी, गावी, गावीए. गावीण, गावीणं. गावित्तो, गावीओ, गावी, गा
प० गावी, गावी, गावी,
वीहिन्तो, गावी सुन्तो.
प० गावी, गावी, गावी, गावीए. गावीण. गावीणं. स. गावी, गावी, गावी, गावीए. गावीसु, गावीसुं.
Page #59
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________________
AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA
॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
हे गावीआ,गावीउ, गावीओ,गावी.
maavaarDAMADAAAAAdar
सं० हे गावि.
श्रौकारान्त स्त्रीलिङ्ग
नावा(नौ.)
एकप
बहुव० प्र० नावा.
नावाओ, नावाउ, नावा. द्वि. नावं.' .
नावाओ, नावाउ, नावा. १० नावाअ, नावाइ, नावाए. नावाहि, नावाहिँ , नावाहि. च० नावाअ, नावाइ, नावाए. नावाण, नावाण. प० नावाअ, नावाइ, नावाए. नावत्तो, नावाओ, नाबाउ, ना.
नावत्तो,नावाओ,नावाउ,नावाहिन्तो. वाहिन्तो, नावामुन्तो. १० नावाअ, नावाइ, नावाए. नावाण, नावाणं. स. नावाअ, नावाइ, नावाए. नावास, नावासं. सं० हे नावा. . हे नावाओ, नावाड, नावा,
__ अथ व्यअनान्तशब्दरूपाणि
अप्पाण-अत्ताण-अप्प-अत्त (आत्मन) - एकव० बहुव० १० अपाणो, अपा, अप्पो. अप्पाणो, अप्पाणा, अप्पा.
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________________
असाणो, अत्ता, अतो.
द्वि० अप्पा, अप्पं.
॥ प्राकृत रूपमाला ॥
(४५)
अत्ताणो, अत्ताणा, अत्ता. अप्पाणो, अप्पाणे, आप्पाणा,
अप्पे, अप्पा.
अत्ताणं, अतं.
अत्ताणो, अत्ताणे, अत्ताणा, अते, अत्ता.
तृ० अप्पणि, अप्पणआ, अप्पाणेहि, अप्पाणेहि, अप्पाणेहिं. अप्पणा, अप्पाणेण, अप्पा- अप्पेहि अप्पेहि अप्पेडिं.
1
पेण, अपेण, अपेणं.
असणा, अत्ताणेण, असाणे - अत्ताणेहि, असाणेहि, अत्ताणेहिं. णं, अत्ते, अण अत्तेहि, अतेहि, अत्तेहिं.
च० अप्पाणस्स, अप्पणी, अप्पस्स. अप्पाणाण, अप्पाणाणं, अप्पा
ण, अप्पार्ण
अत्तानहस, अत्तणो, अत्तस्स. अत्ताणाण, अत्ताणाणं, अत्ताण अत्ताणं.
प० अप्पाणतो, अप्पाणाओ, अप्पा अप्पाणत्तो, अप्पाणाओ, अप्पाणागाउ, आप्पाणाहि, अप्पा- उ, अप्पाणाहि, आप्पाणाहिन्तो, नाहिन्तो, अप्पाणा. अप्पाणासुन्तो, अप्पाणेहि, अप्पा
हिन्तो, अप्पाणेसुन्तो.
अप्पाणी, अप्पत्तो, अप्पाओ, अप्पत्तो, अप्पाओ, अप्पाउ, अप्पाअप्पाड, अप्पाहि, अप्पाहि हि, अप्पा हिन्तो, अप्पासुन्तो, अन्तो, अप्पा.
प्पेहि अप्पे हिन्तो, अप्पेसुन्तो.
असाणत्तो, अत्ताणाओ, अत्ताणाउ,
अताणतो, अत्ताणाओ, अताणाउ, अत्तानाहि, अत्ता- अत्ताणाहि, अचाणाहिन्तो, अत्ता
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________________
(४६)
।मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
wo o oooooooooooooooooooooooooooooooor
णाहिन्तो, अचाणा. णासुन्तो अत्ताणेहि, अत्ताणेहिन्तो,
अत्ताणेसुन्तो. अत्ताणो,अत्तत्तो,अचाओ, अत्तत्तो,अत्ताओ,अत्ताउ,अत्ताहि, अत्ताउ,अत्ताहि,अत्ताहिन्तो, अत्ताहिन्तो अत्तासुन्तो,अत्तेहि, अत्ता.
अत्तेहिन्तो; अत्तेसुन्तो... १० अप्पाणस्स,अप्पणो,अप्पस्स. अप्पापाण,अप्पाणाणं,अप्पाण,
अप्पाणं. अत्ताणस्स,अत्तणो,अत्तस्स. अचाणाण,अत्ताणाणं, अत्ताण,
अत्ताणं. स० अप्पाणम्मि, अप्पाणे, अप्प- अप्पाणेसु, अप्पाणेसु,अप्पेसु, अ म्मि, अप्पे.
पेसु. अत्ताणम्मि,अत्ताणे,अचम्मि, अत्ताणेसु, अत्ताणेसु, अत्तेसु, अत्ते.
अत्तेमुं, सं० हे अप्पाणो, अप्पाण,अप्पो, हे अप्पाणों, अप्पाणा, अप्पा.
अप्पा, अप्प. हे अत्ताणो, अत्ताण,अत्तो, हे अत्ताणो, अत्ताणा, अत्ता. अत्ता, अत्त.
राय, रायाण [ राजन् ]
बहुव०
एकव० भ० राया, रायाणो, रायो.
राइणो,रायाणो,सयाणा,राया.
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
(४७)
A
morovememory
वि० राइणं, रायाणं, रायं. राइणो,रायाणो,रायाणे,रायाणा,
राया, राए. तृ० रण्णा,राइणा,रायणा,राया- राईहि,राईहिँ ,राईहिं, राएहि, णेण,रायाणेणं,राएण,राएणं. राएहिँ, राएहि,रायाणेहि,रा
याणेहिँ, रायाणेहिं. च० रणो,राइणो,रायणो,राया- राइणं, राईण, राईणं, रायाण,
णस्स, रायस्स. रायाणं, रायाणाण, रायाणाण. ५० रण्णो,राइणो,सयाणो,राया- राइतो, राईओ, राईउ, रा
णत्तो,रायाणाओ,रायाणाउ, ईहिन्तो,राईसुन्तो.रायाणत्तो, रायाणाहि,रायाणाहिन्तो, रायाणाओ,रायाणाउ,रायाणा. रायाणा.रायत्तो,रायाओ, हि,रायाणाहिन्तो,रायाणासुन्तो, रायाउ, रायाहि, राया- रायाणेहि,रायाणेहिन्तो, रायाणेसुन्तो · हिन्तो,राया.. रायचो,रायाओ,रायाउ,रायाहि,रा.
याहिन्तो,रायासुन्तो,राएहि,राएहि.
न्तो, राएसुन्तो, प० रण्णो, राइणो, रायणो, राइण,राईण,राईण,रायाण, रायाणं,
रायाणस्स, रायस्स.. रायणाण, रायणाणं. २० राइम्मि, रायम्मि, राए, राईसु, राईसुं, राएमु, राएमुं, रा__ रायाणे, रायाणम्मि. याणेसु, रायाणेसुं. सं० हे राया, रायो, राय, हे राइणो, रायाणो, रायाणा,
रायाणो, रायाण. राया..
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________________
(४८)
॥ मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
onomoupooooooooomno
n
महव, महवाण ( मघवन् )
एकव०
वहुव० प्र० महवा, महवो, महवाणो. महवाणो, महवा, महवाणा. द्वि० महवं, महवाणं. महवाणो, महवे, महवा, महवाणे,महवाणा. तृ० महवणा, महवेण, महवेणं, महवेहि, महवेहिँ , महवेहि, .
महवाणेण, महवाणेणं, महवाणेहि, महवाणीहँ , महवाणेहिं. च० महवणो,महवस्स,महवाणस्स. महवाण,महवाणं, महवाणाण,
. महवाणाणं. ५० महवाणो,महवत्तो,महवाओ, महवत्तो.महवाओ,महवाउ, मह
महवाउ,महवाहि,महवाहिन्तो, वाहि,महवाहिन्तो,महवासुन्तो, महवा.
महवेहि,महवे हिन्तो, महवेन्तो. महवाणत्तो,महवाणाओ, मह· महवाणत्तो,महवाणाओ,महवावाणाउ,महवाणाहि.महवाणा- गाउ, महवाणाहि, महवाणाहिन्तो, महवाणा. न्तो,महवाणासुन्तो, महवाणेहि,
महवाणेहिन्तो, महवाणेसुन्तो. १० महवणो, महवस्स,महवाणस्स. महवाण, महवाणं, महवाणाण,
महवाणाणं. स० महवे, महवम्मि, महवाणे, महवेसु, महवेसुं, महवाणेसु, महवाणम्मि.
महवाणेसुं. सं० हे महवा,महव,महवो,महवाण, हे महर्वाणो,महवा, महवाणा.
महवाणो.
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ mewwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwever womenwermoconvenown
(४९)
मुद्धा, मुद्धाण ( मूर्धन् )
एकव० बहुव० ५० मुद्धा, मुद्धो. मुद्धाणो. मुद्धाणो, मुडा, मुद्धाणा. द्वि० मुद्धं, मुद्धाणं.. मुद्धाणो, मुद्धे, मुद्धा. • मुद्धणा, मुद्धेण, मुद्धेण, मुद्धेहि, मुद्धेहिँ , मुद्धेहि,
मुडाणेण, मुडाणेणं. मुद्धाणेहि,मुद्धाणेहिँ,मुद्धाणेहि च० मुद्धणो, मुद्धस्स, मुदाणस्स मुद्धाण, मुडाणं, मुडाणाण,
मुदाणाणं. ५० मुद्धत्तो, मुद्धाओ, मुडाउ, मुद्धत्तो, मुडाओ, मुद्धाउ, मु. मुद्धाहि, मुदाहिन्तो, मुद्धा. शाहि, सुदाहिन्तो, मुडासन्तो,
. मुद्धेहि, मुद्धेहिन्तो. मुद्धेसुन्तो. मुद्धाणत्तो, मुडाणाओ, मुडाणत्तो, मुद्धाणाओ, मुद्धा. मुद्धाणाउ,मुद्धाणाहि, गाउ, मुद्धाणाहि,मुद्धाणाहिन्तो, मुद्धाणाहिन्तो,मुदाणा. मुदाणासुन्तो, मुद्धाणेहि, मुद्धा
हिन्तो, मुद्धाणेसुन्तो. प० मुद्धणो, मुद्धस्स,मुदाणस्स. मुडाण, मुदाणं, मुद्धाणाण,
मुदाणाणं. स० मुद्दे, मुद्धम्मि. मुद्देसु, मुद्देसुं.
मुडाणे, मुद्धाणम्मि. मुदाणेसु, मुद्धाणेसं. सं० हे मुद्धा, मुद्ध, मुद्धो. हे मुद्धाणो, मुद्धा, मुद्धाणा.
मुद्धाण, मुद्धाणो.
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________________
(५०)
•AMMADARASAAMAADMAAAAAAAAAAAAMKARANA
emananmaina
॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ एवं जुयो, जुवाणो [युषन् ) बम्हो, बम्हाणो (ब्रह्मन् ] अडो,
अडाणो [ अध्वन् ] उच्छो, उच्छाणो, ( उक्षन् ) गावो, गावाणो (ग्रावन् ) पुसो, पुसाणो (पुषन् ] तक्खो, सक्खाणो (तक्षन् ) मुकम्मो, मुकम्माणो ( मुकर्मन् ] सो, साणो (श्वन् ) प्रभृतयो नकारान्ताः पुंलिङ्गाः ॥
- जम्मो ( जन्मन्)
एकव. म. जम्मो. दि०जम्म.
जम्मे, जम्मा. ४० जम्मेण, जम्मेणं. जम्मेहि, जम्मेहिँ, जम्मेहिं. च० जम्माय, जम्मस्स. जम्माण, जम्माणं. ५० जम्मत्तो, जम्माओ, जम्माउ, जम्मत्तों, जम्माओ, जम्माउ, जम्माहि,जम्माहिन्तो,जम्मा. जम्माहि, जम्माहिन्तो, जम्मा
सुन्तो,जम्मेहि,जम्मेहिन्तो,जम्मेसुन्तो. प० जम्मस्स.
जम्माण, जम्माणं.. स० जम्मे, जम्मम्मि. जम्मेसु, जम्मेसुं. सं० हे जम्म, जम्मा, जम्मो. हे जम्मा.
एव नम्मो ( नर्मन् ) मम्मो ( मर्मन् ) वम्मो (वर्मन् ) कम्मो (कर्मन् ) अहो ( अहन् ) पम्हो ( पक्षमन ) प्रभृतयः
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________________
•
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
vavorcereocomorror
meroenovernore
नान्त स्त्रीलिङ्ग
.. कम्मा ( कर्मन्)
एकव०
वहुध. प्र० कम्मा.
कम्माओ कम्माउ; कम्मा. द्वि० कम्म. .
कम्माओ, कम्माउ, कम्मा. १० कम्माअ, कम्माइ कम्माए. कम्माहि, कम्माहि कम्माहि. १० कम्माअ, कम्माइ, कम्माए. कम्माण, कम्माणं. प० कम्माअ, कम्माइ, कम्माएं, कम्मत्तो, कम्माओ, कम्माल, कम्मत्तो, कम्माओ कम्पाउ; कम्माहिन्तो, कम्मामुन्तो.
कम्माहिन्तो. १० कंम्माअ, कम्माइ, कम्माए. कम्माण कम्माणं. · स० कम्माअ, कम्माइ, कम्माए. कम्मामु, कम्मासं सं० हे. कम्मा.
हे कम्माओ, कम्माउ, कम्मा.
__ महिमा ( महिमन्)
...... महिमा
एकव०
बहुव० प्र० महिमा.
महिमाओ, महिमाउ, महिमा. द्व० महिमं.
महिमाओ, महिमाउ, महिमा. ० च• प० प० स० सं कम्मा प्रमाणे.
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________________
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
vwoooooooooooooo
गरिमा [गरिमन्] एकव०
बहुव. प्र. गरिमा.
गरिमाओ, गरिमाउ, गरिमा. द्वि. गरिमं.
गरिमाओ, गरिमाउ, गरिमा. १० च० ५० ५० स० सं० कम्मा प्रमाणे.
नान्तनपुंसकलिङ्ग
___दाम (दामन्)
एकप०
बहुव० प्र० दाम
दामाई, दामाई, दामाणि. छि० दाम... .. दामाई, दामाई, दामाणि. ४० दामेण, दामेणं. . दामेहि, दामेडिं, दामेहिं. च० दामाय, दामस्स. .... दामाण, दामाणः १० दामा, दामाओं, दामाउ, . दामत्ता, दामाओं, दामाउ, दामाहिन्तो, दामा. दामाहि, दामाहिन्तो, दामासु.
न्तो, दामेहि, दामेहिन्तो, दामेसुन्तो.
... दामाण, दामाण. स० दामे, दामम्मि..... दामेसु, दामेसुं. सं० हे दाम,
हे दामा, दामाई, दामाणि.
FOR
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________________
•
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
wwwwwwwwwww
- wwwwwwwwwwwwwwww
नाम (नामन्)
एकव०
बहुव० प्र० नाम. . नामा, नामाई, नामाणि. वि० नाम.
नामाइँ, नामाई, नामाणि. १० च० ५० ५० स० सं० दाम प्रमाणे.
पेम्म (प्रेमन्)
एकव०
बहुव० प्र० पेम्म..
• पेम्मा, पेम्माई, पेम्माणि. . द्वि० पेम्म.
पेम्मा, पेम्माई, पेम्माणि. तृ० च० ५० ५० स० सं० दाम प्रमाणे.
अह (अहन)
. एकव०
बहवः प्र० अहं.
अहाइँ, अहाई, अहाणि. द्वि० अहं. __अहाइँ, अहाई, अहाणि.. तृ० च० ५० १० स० सं० दाम प्रमाणे
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________________
(५४)
॥ मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
Moooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooowave
सान्तपुलिङ्ग
चन्दमो [ चन्द्रमस् ]
एकव०
बहुव० प्र० चन्दमो.
चन्दमा. छि०चन्दम,
चन्दमे, चन्दमा. ४० चन्दमेण, चन्दमेणं. चन्दमेहि, चन्दमेहिँ चन्दमेहिं. घ० चन्दमाय, चन्दमस्स, चन्दमाण; चन्दमाणं. ५० चन्दमत्तो, चन्दमाओ, च- चन्दमत्तो, चन्दमाओ, चन्दमाङ,
न्दमाउ, चन्दमाहि, च. चन्दमाहि, चन्दमाहिन्तो, चन्दन्दमाहिन्तो,चन्दमा. मासुन्तो, चन्दमेहि, चन्दमेहिन्तो,
चन्दमेमुन्तो. 'प० चन्दमस्स.. चन्दमाण, चन्दमाणं.
स० चन्दो, चन्दमम्मि, चन्दमेसु, चन्दमेसुं. सं० हे चन्दम, चन्दमा, चन्दमो. हे-चन्दमा.
जसो ( यशस)
जसा.
एकप
बहुव० प्र० जसो. द्वि०सं.
जसे, जसा. त० १० १० १० स० सं० चन्दम प्रमाणे.
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________________
. .. ॥ प्राकृतरूपमाला ॥ momcomments
उसणो [उशनस्]
एकव० प्र० उसणो.
उसणा. द्वि० उसणं,
उसणे, उसणा. १० च० ५० १० स० सं० चन्दम प्रमाणे.
सान्तस्त्रीलिङ्ग
अच्चि ( अर्चिस् )
.
एकव० ..
बहुव० प्र० अची.
अधीओ, अबीउ, अची . द्वि०अचिं.
अधीओ, अच्चील, असी. तृ० अञ्चीअ, अंचीआ, अञ्चोइ. अचीहि, अचीहि, अञ्चीहिं. ... अञ्चीए. च० अचीअ, अञ्चीआ अञ्चीइ, अच्चीए. अच्चीण, अचीणं. ५० अच्चीअ, अच्चीआ,अ- अच्चित्तो, अच्चीओ, अच्चीउ, च्चीइ, अच्चीए, अच्चिचो, अच्चीहिन्तो, अच्चीसन्तो.
अच्चीओ अञ्चीउ, अच्चीहिन्तो. १० अच्चीअ,अच्चीआ,अच्चीइ,अच्चीए. अच्चीण, अच्चीणं. स० अञ्चीअ, अचीआ, अच्चीइ, अचीए. अच्चीस अधीमुं, सं हे अच्चि, अच्ची. हे अञ्चीओ, अचीउ, अची.
Page #71
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________________
(५६)
सान्तनपुंसकलिङ्ग
। मुनि - कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
एकव •
म० वयं
द्वि० वयं.
प्र० सेयं.
द्वि०सेयं,
तृ० च० पृ० प० स० सं० वन प्रमाणे.
वयं ( वयस् )
एकव०
सेयं ( श्रेयस् )
बहुव०
सेयाइँ, सेयाई, सेयाणि.
सेवाएँ सेवाएं, सेयाणि.
वर्तमानकृदन्तपुल्लिंग -
एकव ०
प्र० हसन्तो, हसमाणो. द्वि०हसन्तं, इसमाणं. तृ० इसन्तेण, हसन्तेर्ण,
बहुव० बयाईँ वयाई बयाणि.
तृ० च० प० ष० स० सं० वन प्रमाणे.
बयाईँ, बयाईं, बयाणि.
हसन्तो, हसमाणो (हसत्, हसमाण, )
बहुव०
हसन्ता, इसमाणा.
इसन्ते इसन्ता, इसमाणे, इसमाणा.
हसन्तेहि, हसन्तेहिं, हसन्तेर्हि,
Page #72
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________________
-
-
-
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता || (५७) हसमाणेण, हसमाणेणं. हसमाणेहि, हसमाणेहिँ हसमाणेहिं . च० हसन्ताय, हसन्तस्स. हस- हसन्ताण, हसन्ताणं, हसमाणाण,
माणाय, हसमाणस्स. हसमाणाणं. प० हसन्तत्तो, हसन्ताओ, ह- हसन्तत्तो, हसन्ताओ, हसन्ताउ,
सन्ताउ, हसन्ताहि, हस- हसन्ताहि, हसन्तेहि, हसन्ताहिन्तो. न्ताहिन्तो, हसन्ताः हसन्तेहिन्तो, हसन्तासुन्तो, हसन्तेसुन्तो. हममाणत्तो, हसमाणाओ, इसमाणत्तो, इसमाणाओ, हसमाहसमाणाउ, हसमाणाहि, गाउ, हसमाणाहि, हसमाणेहि, हहसमाणाहिन्तो, हसमाणा. समाणाहिन्तो, हसमाणेहिन्तो,
___ हसमाणासुन्तो, हसमाणेसुन्तो. १० हसन्तस्स, हसमाणस्स. हसन्ताण, हसन्ताण, हसमाणाण,
हसमाणाणं. स० हसन्ते, हसन्तम्मि, हस- हसन्तेसु; हसन्तेसुं, हसमाणेसु, हस___माणे, हसमाणम्मि. माणेसुं. सं० हे-हसन्तो, हसन्ता, हसन्त. हे हसन्ता,
हे हसमाणो, हसमाणा, हसमाण. हे हसमाणा.
वर्तमान कृदन्त स्त्रीलिङ्ग
हसई, हसन्ती, हसमाणी. (हसन्ती)
बहुव०
एकव० ५० हसई, हसईआ.
हसईआ, इसईउ, इसईओ,इसई.
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________________
(५८)
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
हसन्ति.
हसन्ती, हसन्तीआ. हसन्नीआ,हसन्तीउ,हसन्तीओ,हसन्ती हसमाणी, हसमाणीआ. हसमाणीआ,हसमाणीउ, हसमाणीओ,
हसमाणी. द्वि० हसई.
इसईआ, हसईउ, हसईओ, हसई. इसन्तीआ, हसन्तीउ, हसन्तीओ.
हसन्ती.. हसमाणिं. हसमाणीआ,हसमाणीउ,हसमाणी
ओ, हसमाणी. ... ४० हसईअ,हसईआ,इसईइ,हसईए. हसइंहि, हसईहिँ , इसई हिं..
हसन्तीअ,हसन्तीआ,हसन्तीइ, हसन्तीहि,हसन्तीहिँ , हसन्तीहिं. हसन्तीए. हसमाणीअ,हसमाणीआ,ह- इसमाणीहि,हसमाणीहि ,हसमा
समाणीइ,हसमाणीए.. णीहिं. च० हसईअ,इसईआ,इसईइ,इसइए. . , हसईण, हसईणं.
हसन्तीअ,हसन्तीआ,हसन्तीइ,हसन्तीए. हसन्तीण,हसन्तीणं. हसमाणीअ,हसमाणीआ,इसमांणीइ, हसमाणीण,इसमाणीणं.
हसमाणीए. प० हसईअ,हसईआ,हसईइ,हस' हसइत्तो,हसईओ,इसईउ, हस
ईए, हसइत्तो, हसईओ, ह- ईहिन्तो, हसईसन्तो. सई उ, हसईहिन्तो. हसन्तीअ,हसन्तीआ,हसन्तीइ हसन्तित्तो,हसन्तीओ,हसन्तीहसन्तीए,हसन्तित्तो,हसन्ती- उ,हसन्तीहिन्तो, इसन्तीसुन्तो.
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________________
-
-
Vvvvvvvvvv
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॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ ओ,हसन्तीउ,हसन्तीहिन्तो. हसमाणीअ,हसमाणीआ, ह- हसमाणित्तो,हसमाणीओ,हससमाणीइ,हसमाणीए,हसमा. माणीउ,हसमाणीहिन्तो, णित्तो,हसमाणिओ,हसमाणि- हसमाणीसुन्तो.
उ, हसमाणीहिन्तो. प० इसईअ,हसईआ,हसईइ,हसईए. हसईण, हसईणं.
हसन्तीअ,हसन्तीआ,हसन्तीइ,हसन्तीए. हसन्तीण,हसन्तीण. हसमाणीअ,हसमापीआ,हसमाणीइ हसमाणीण,हसमाणीणं.
हसमाणीए. स० हसईअ,इसईआ,हसईइ,हसईए. इसईसु, हसईसुं.
हसन्तीअ,हसन्तीआ,हसन्तीइ,हसन्तीए. हसन्तीसु,हसन्तीसु. हसमाणीअ,हसमाणीआ.हसमाणीइ. हसमाणीसु,हसमाणीसु.
हसमाणीए. सं० हे हसइ. . हे हसईआ,इसईउ,हसइओ,हसइ.
हंसन्ति हे हसन्तीआ,हसन्तीउ,हसन्तोओ,हसन्ती. हसमाणि हे हसमाणीआ,हसमाणीउ,हसमाणीओ,हसमाणी
वर्तमानकृदन्तनपुंसकलिङ्ग
हसन्तं, हसमाणं,
बहुव०
एकव० प्र० हसन्तं.
हसन्ता', हसन्ताई, हसन्ताणि.
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________________
(६०)
इसमार्ण.
द्वि० हसन्तं.
|| प्राकृतरूपमाला ॥
इसमाणाइँ, इसमाणाई, हसमाणाणि हसन्वाइँ, हसन्ताई, हसन्ताणि.
हसमाणाइँ, हसमाणाइँ, इसमाणाणि
इसमाणं.
तृ० च० प० प० स० सं० वण प्रमाणे
एवं--( वेपू ) वेवन्तो, वेवमाणो, (पुं०) वेवई, वेवन्ती, वेवमाणी, (स्त्री०) वन्तं वेवमाणं. ( न० )
9
(धृ.) धरतो, धरमाणो, (पुं०) धरई, धरन्ती, धरमांणी, (स्त्री०) धरन्तं, धरमाणं. (To)
(सु) सवन्तो, सवमाणो, (पुं) सवई, सवन्ती, सवमाणी, (स्त्री०) सवन्सं, सवमाणं. (न० )
(क) कहतो, कहमाणो, (पुं) कहई, कहती, कहमाणी, (स्त्री०) कहन्तं, कहमाणं. ( न० )
वत्प्रत्ययान्त पुल्लिङ्ग
भगवन्तो ( भगवत् )
एकव ०
म० भगवन्तो.
द्वि० तृ० च० पं० प० स० सं० देववत्
बहुव०
भगवन्ता.
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________________
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ||
सोहिल्लो ( शोभावत् )
.
एकव०
वहुव० प्र० सोहिल्लो.
सोहिल्ला. वि० तृ० च० पं० १० स० सं० देववत.
एवं-धणवन्तो ( धनवान् ) पुण्णमन्तो (पुन्यवान् ) भत्ति
वन्तो ( भक्तिमान् ) सिरीमन्तो ( श्रीमान् ) जडालो [जटावान् ] जोण्हालो (ज्योत्स्नावान ) दप्पुलो ( दर्पवान् ) सद्दाली (शब्दवान् ) कव्वइत्तो [ काव्यमान् ] माणइत्तो ( मानवान् ).
नेहालु [ स्नेहवान् ]
एकवं०
बहुव० प्र० नेहालू.
नेहालओ, नेहालवो, नेहालउ,
नेहालुणो, नेहालू. दि० नेहाल.
नेहालुणो, नेहालू. १० च० पं० १० स० सं० भाणु प्रमाणे. एवं-दयालु ( दयावान् ) ईसालु (ईर्ष्यावान् ) लज्जाल
[लज्जावान् ]
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
-
-
-
-
वत्प्रत्ययान्तस्त्रीलिङ्ग
भगवई ( भगवती)
एकव०
बहुव० .. १० भगवई, भगवईआ. भगवईआ. भगवईउ, भगवईओ, भगवई. द्वि० त० च० ५० १० स० सं० लच्छीवत्
वत्प्रत्ययान्तनपुंसकलिङ्ग
भगवन्तं (भगवत् )
---- . एकव. . . बहुव०. . . प्र० भगवन्तं. भगवन्ताइँ, भगवन्ताई, भगवन्ताणि. द्वि० त० च० ५० १० स० सं० वणवत् ।
तिरिच्छ तिरिक्ख तिरिअ, तिरियंच, (तिर्यच् )
एकव०
बहुव० प० तिरिच्छो, तिरिक्खो तिरिच्छा, तिरिक्खा, तिरिआ, - तिरिओ, तिरिअंचो. तिरिअंचा. . द्वि० तिरिच्छं, तिरिक्वं. तिरिच्छे, तिरिच्छा, तिरिक्खे, तिरि, तिरिअंचं. तिरिक्खा, तिरिए, तिरिआ, ति
रिअंचे, तिरिअंचा.
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________________
(६३)
.viweone
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ तृ० च० पं० १० स० सं० देववत्
पज्जworपापण्यासanwaroooooooowrimoonven
तिरिच्छि ( तिर्यच)
. एकव० . . बहुव०१ । प्र० तिरिच्छी. . तिरिच्छओ,तिरिच्छउ,तिरिच्छिी,
तिरिच्छिणो. दि० तिरिच्छं. तिरिच्छी, तिरिच्छिणो. . - तृ० च० ५० १० स० सं० गिरिवत्.
भिसओ (भिषज्)
. एकव०
वहुव० प्र० भिसओ, . भिसआ. द्वि० त० ० ५० ५० स० सं० देववत्.
..
. सरओ ( शरद् )
एकव०
बहुव० प्र० सरओ.
सरआ. वि० त० च० ५० १० स० सं० देववत्.
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
व्यञ्जनान्तस्त्रीलिङ्गम्
सरिआ ( सरत् )
. एकव०
बहुव० प्र० सरिआ, सरिआओ, सरिआउ, सरिआ
द्वि० त० च० प. प० स० सं० मालावत्.
. . तडिआ, तडि ( तडित् ).
एकव० .. बहुव० प्र० तडिआ.
तडिआओ तडिआउ तडिआ द्वि० त० च० ५० ५० स० सं० मालावत,
,
.. तडि
एकव.
बहुव० . प्र० तडी.
तडीओ, तडीउ, तडी दि० तडिं.
तडीओ, तडीउ, तडी. तृ० तडीअ,अडीआ,तडीइ,तडीए. तडीहि. तडीहि, तडीहिं च० तडीअ, तडीआ,तडीइ,तडीए. तडीणं, तडोण. प० तडीअ, तडीमा,तडीइ,तडीए. तडीओ, तडीउ, तडीहिन्तो
तडीसुन्तो,
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________________
। मुनि - कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
प० तडीअ, तडीआ. तडीड, नडीए. स० तडीअ. तडीआ, तडीह, तडीए. सं० तडि, तडी.
पाडवा, पडिवा, (प्रतिपद् )
एकव ०.
प्र० पाडिवआ,
पडिवआ.
एकव ०
द्वि० तृ० च० प० प० स० सं० कम्मावत्.
संपया (संपद )
तडणं, तडीण.
तडीसुं, तडीसु.
"
तडीओ, तडीउ, तडी.
एकव
बहुव० पाडवआओ, पाडिवआउ, पाडिवआ. . पडिव आओ, पडिव आड, पडिवआ.
बहुव०
संपयाओ, संपयाड, संपया.
प्र० संपया
द्वि० ० च० प० ब० स० [सं० कम्पावत्.
छुहा, ( क्षुधू )
(६५)
बहुव०
छुहाओ, छुहाउ, छुहा. छुहाओ, छुहाउ, छुहा.
म० छुहा. द्वि० छु.
तृ० च० पं० ष० स० सं० कम्मावत्
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________________
(६६)
एकच ०
एक०
प्र० कउहा.
द्वि० तृ० च० पं० ष० स० सं० कम्मावत्.
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
कउहा ( ककुभ् )
एकव०
वहुव ०
कउहाओ, कउहाउ,
गिरा (गि
एकव ०
>
प्र० गिरा.
द्वि० ० च० पं० प० स० सं० कम्मावत्
एवं-धुरा. (धुर् ) पुरा. ( पुर्· )
बहुव ० गिराओ, गिराउ, गिरा.
दिसा (दिशू )
प्र० दिसा,
द्वि० ० च० प० ष० स० सं० कम्मावत्
कउहा.
बहुव० दिसाओ, दिसा, दिसा.
अच्छरसा, अच्छरा, ( अप्सरस् )
बहुव:
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________________
aoooooooooooooooooooooo
___मुनि-कस्तूरविजयधिनिर्मिता ॥ . (६७) प्र. अच्छरसा, अच्छरसाओ,अच्छरसाउ,अच्छरसा.
अच्छरा. अच्छराओ, अच्छराउ, अच्छरा. द्वि० त० च० ५० ५० स० सं० कम्मावत्,
.
. तिरच्छी [ तिरश्ची ]
एकव०
बहुव० प्र० तिरच्छी,तिरच्छीआ. तिरच्छीआ,तिरच्छीमो, तिरच्छीउ,
तिरच्छी. दि० तिरञ्छि. तिरच्छीआ,तिरच्छीओ,तिरच्छीउ,
.. तिरछी. त च० १० १० स० सं० नई शब्दवत्.
विज्जु ( विद्युत् )
-
एकव..
बहुव० प० विज्जू.
विज्जूओ, विज्जूर, विज्जू. दि० विजु.
विज्जूओ, विज्जूड, विजू. तृ० विज्जूअ,विज्जूआ,विज्जूइ विज्जूहि, विज्जूहि, विज्जूहि.
विजए. च० विज्जूअ,विज्जूआ,विज्जूह,विज्जूए. विज्जूणं, विजूण. ५० विज्जूअ,विज्जूआ, विज्जूइ, विज्जुत्तो, विज्जूओ, विज्जूउ,
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________________
.
॥प्राकृतरूपमाला ॥
ooo
wwwwwwwwwwooooooooooooooooooooo ०००
विज्जूए, विज्जुत्तो, विजूओ, विज्जूहिन्तो, विज्जूसुन्तो.
विज्जूड,विज्हिन्तो. प० विज्जूम,विजूआ,विज्जूइ,विज्जए. विज्जूणं, विजूण स० विज्जूअ,विज्जूआ,विज्जूइ,विजए. विज्जूमुं, विज्जूमु. सं० हे-विज्जू, विज्जु, हे-विज्जूओ, विजउ, विज्ज.
आउसो, थाऊ ( आयुष )
.
एकव०
बहुव०. म० आउसं
आउसाइँ, आउसाई, आउसाणि. दि० आउसं.
आउसाइँ, आउसाई, आउसाणि. १० च० ५० १० स० सं० वणवत्. . ,
'आउ.
एकप० प्र० आउं.
आई, आई, आऊणि, दि० आउं.
आऊ, आऊई, आऊणि. • आउणा
आजहि, माऊहिँ, आजहिः १० भाउणो, भाउस्स. आऊणं, आऊण..... प० माउणो, भारत्तो, भाऊ- आउत्तो, आऊओ, आऊज, आ
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________________
(६९)
AAWww
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~~~~~
~~vvvvvvvvvv.
॥ मुनिकस्तुरविजयविनिर्मिता ॥ ओ, आऊउ, आऊहिन्तो. ऊहिन्तो माउसुन्तो. १० आउणो, आउस्स. आऊणं, आऊण. स० आउम्मि
आऊसुं, आऊसु. सं० हे आउ, हे आऊ, आऊई, आऊणि,
- सर्वनाम. अकारान्तपुंलिङ्ग सर्वनाम
... सव्व (सर्व)
'बहवः
. एकव० प्र० सन्चो.
सव्वे द्वि० सव्वं.
सव्ये, सव्वा. तृ० सव्येण, सम्वेणं. सव्वेहि, सब्वेहि , सव्वेहि. च० सव्वाय, सव्वस्स सव्वेसि, सव्वाण, सव्वाणं. प० सव्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ, सम्वत्तो, सब्वाओ, सव्वाउ, सव्वाहि,सवाहिन्तो,सव्वा. सव्वाहि, सव्वाहिन्तो, सव्वा
सुन्तो,सव्वेहि,सव्वेहिन्तो,सव्वेसन्तो. १० सव्वस्स. . सव्वेसि, सव्वाण, सव्वाण. स० सवर्हि, सन्चम्मि, सव्वस्सि, सव्धेमु, सव्वेसुं. ..
सव्वत्य, ..
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________________
(७०)
॥प्राकृतरूपमाला ॥
MOLA00000 MAMOA AoooooooAAAAAAAAAAAAAA
AgenARAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA0000000000000
सं० सव्वा. हे सव्व, सव्वा.
हे सव्वे.
सुव (स्व) .. एकव०
बहुव०. म. मुवो.
सुवे. दि० सुर्व.
सुवे, सुवा. तृ० सुर्वण, सुषेणं. सुर्वहि, सुर्वहि, सुर्वहि. च० सुवाय, मुवस्स. · सुवेसि, सुवाण, सुवाण. . ५० सुवत्तो, सुवाओ, सुवाउ. सुवत्तो, सुवाओ, सुवाउ, मु. सुवाहि, सुवाहिन्तो, सुवा.. वाहि, सुवाहिन्तो, सुवासुन्तो,
सुवेहि, सुषेहिन्तो, सुवेसुन्तो. १० सुवस्स.
- सुवेसि, सुवाण, सुवाण.. स० सुवहि, सुवम्मि, सुवस्सि, सुवत्थ. सुवेसु, सुषेमुं. सं० सुवा, हे सुव, मुवो, हे सुवे..
-
अन्न, (अन्य )
- एकव० प्र० अन्नो . दि० अन्नं. १० अन्नेण, अन्नेणं. च० अन्नाय, अन्नस्स.
अन्ने. अन्ने, अन्ना. अग्नेहि, अन्नेहिँ , अन्नेहिं. अन्नेसि, अन्नाण, अन्नाणं.
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________________
॥ मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
(७१)
vvvvvvvvvvvvvv
प० अन्नत्तो, अन्नाओ, अनाउ, अन्नत्तो. अन्नाओ, अन्नाउ, अन्नाहि,अन्नाहिन्तो,अन्ना. अन्नाहि,अन्नाहिन्तो,अन्नासुन्तो.
अन्नेहि, अन्नेहिन्तो,अन्नेसुन्तो. १० अन्नस्स.
अन्नेसि, अन्नाण, अन्नाणं. स०. अन्नहि,अन्नम्मि,अन्नस्सि,अन्नत्थ. अन्नेसु, अन्नेमुं. सं० हे अन्ना, हे अन्न, अन्नो हे अन्ने.
पुरिम; पुत्व (पूर्व)
एकव०
.
बहुव० पुरिमे.
प्र० पुरिमो. पुखो.
पुव्वे. द्वि० पुरिमं.
पुरिमे, पुरिमा. पुवं.
पुव्वे, पुव्वा. . तु पुरिमेण, पुरिमेणं. पुरिमेहि, पुरिमेहिँ , पुरिमेहिं.
पुव्वेण, पुव्वेणे. पुव्वेहि, पुव्वेहि , पुव्वेहि. च० पुरिमाय, पुरिमस्स. पुरिमेसि, पुरिमाण, पुरिमाणं.
पुव्वाय, पुव्वस्स.. पुष्वेसि, पुवाण, पुव्वाणं. प० पुरमत्तो,पुरिमाओ,पुरिमाउ, पुरिमत्तो,पुरिमाओ, पुरिमाउ, ।
पुरिमाहि, पुरिमाहिन्तो, पुरिमाहि,पुरिमाहिन्तो,पुरिमा
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________________
(७२)
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmwwwwwwwwwwwww
पुरिमा.
सुन्तो, पुरिमेहि, पुरिमेहिन्तो,
पुरिमेसुन्तो. पुव्वत्तो, पुवाओ, पुवाउ, पुब्वत्तो, पुवाओ, पुवाउ, पुबाहि, पुव्वाहिन्तो, पुवा. पुव्वाहि, पुव्वाहिन्तो,पुवासुन्तो
पुव्वेहि,पुव्वेहिन्तो,पुव्वेमुन्तो. प० पुरिमस्स.
पुरिमेसि, पुरिमाण,पुरिमाणं. पुवस्स.
पुव्वेसि, पुब्वाण, पुवाणं.. स० पुरिमहि, पुरिमम्मि, पुरिम- पुरिमेसु, पुरिमेसें.
स्सि. पुरिमत्थ. पुन्वहिं, पुव्वम्मि, पुवस्सि, पुब्वेसु, पुन्चेसुं.
पुव्वत्थ. · सं० हे पुरिमा, हे पुरिम, पुरिमो. हे पुरिमे.
हे पुव्वा ,हे पुध, पुवो. . हे पुन्वे..
एग, एअ, एक्क, एक्कल्ल, (एक)
एकव०
बहुव० १० एगो, एओ. एगे, एए.
एक्को, एक्कल्लो. एक्के, एककल्ले. दि० एग. ए. एगे, एगा. एए, एआ.
एक्कं. एकल्लं. एक्के, एक्का. एकल्ले, एकल्ला. तृ० च० ५० १० स० सं० सव्ववत्.
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________________
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ . दाहिण-दक्खिण (दक्षिण)
एकव०
बहवः प्र० दाहिणो.
दाहिणे. दक्खिणो.
दक्खिणे. हि० दाहिणं. . दाहिणे, दाहिणा. दक्खिण.
दक्खिणे, दक्खिणा. तृ० दाहिणेण, दाहिणेणं... दाहिणेहि,दाहिणेहिँ, दाहिणेहिं.
दक्खिणेण, दक्खिणेणं. दक्षिणेहि,दक्खिणेहिँ ,दक्खिणेहिं च० दाहिणाय, दाहिणस्स. दाहिणेसिं, दाहिणाण, दाहिणाणं
दक्षिणाय,दक्खिणस्स. दक्षिणेसि,दक्खिणाण,दक्खिणाणं. प० दाहिणत्तो,दाहिणाओ,दाहि- दाहिणत्तो,दाहिणाओ,दाहिणाउ,
गाउ,दाहिणाहि,दाहिणा- दाहिणाहि,दाहिणाहिन्तो,दाहिहिन्तो, दाहिणा. . णासुन्तो,दाहिणेहि, दाहिणेहिन्तो
दाहिणेसुन्तो. दक्खिणत्तो.दक्खिणाओ, दक्खिणत्तो,दक्खिणाओ,दक्खिदक्खिणाउ, दक्खिणाहि, गाउ,दक्खिणाहि, दक्खिणाहिदक्खिणाहिन्तो, दक्खिणा. न्तो,दक्खिणासुन्नो, 'दक्खिणेहि,
दक्खिणेहिन्तो, दक्खिणेसुन्तो. प० दाहिणस्स. . दाहिणेसिं.दाहिणाण,दाहिणाणं.
दक्खिणस्स. दक्खिणेसिं,दक्खिणाण,दक्खिणाणं.
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________________
(७४)
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
स० दाहिणहि,दाहिणम्मि,दाहि. दाहिणेसु, दाहिणेसु.
णस्सि, दाहिणत्य. दक्खिणहिं,दक्खिम्मि, दक्खिणेसु, दक्षिणेसुं.
दक्खिणस्सि,दक्खिणत्थ. सं० हे, दाहिणा,दाहिण, दाहिणो. हे, दाहिणे. ...
हे, दक्खिणा,दक्षिण,दक्खिणो. हे, दक्खिणे. एवं-अन्नयर (अन्यतर) अहर (अधर) अवर (अवर-अपर) इयर
(इतर) कइम (कतिम) प्रभृतयः॥
व्यञ्जनान्तपुल्लिङ्ग सर्वनाम
ण, त, (तद्)
एकव०
बहुव० प्र० सो, स.
ते, णे. वि० तं, णं. . ते, ता. णे, गा. तृ० तिणा, तेण, तेणे. तेहि, तेहिं, तेहिं. ___णिणा, णेण, णेणं. हि, णेहिँ, णेहिं. च० तास, तस्स, से. तास, तेसि, सि, ताण, वाणं. प० तो, तम्हा, तत्तो, ताओ, तत्तो, ताओ, ताउ, ताहि, ताउ, ताहि, ताहिन्तो, ता. ताहिन्तो, तासुन्तो, वेहि, तेहि
न्तो, तेसुन्तो. प० तास, तस्स, से. तास, तेसि, सिं, ताण, ताणं.
Page #90
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ मुनिकस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
स० ताहे, वाला, तहआ, वहि, तेसु, तेसुं.
तम्मि, तस्सि, तत्थ.
एकव०
प्र० जो.
द्वि० जं.
तृ० जिणा, जेण, जेणं.
च० जास, जस्स.
प० जम्हा, जत्तो, जाओ, जाउ, जाहि, जाहिन्तो, जा.
ज,( यद् )
एकव०
प्र० को. द्वि० कं.
बहुव०
जे.
जस्स.
ष० जास, स० जाहे, जाला, जड़आ, जहिं, जेसु, जेमुं.
जम्मि, जस्सिं, जत्य.
जे, जा.
जेहि, जेहिँ,
जेहि.
जेसि, जाण, जाणं.
जत्तो, जाओ, जाउ, जाहि, जाहि
वो, जासुन्तो, जेहि, जेहि
न्तो, जेसुन्तो.
जेसि, जाण, जाणं.
क, [ किम् ]
(७५)
बहुव० के.
के, का.
Page #91
--------------------------------------------------------------------------
________________
vowave
wwenovoveoooooooooooooooooooooooooo
(७६)
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ हा किणा, केण, केणं. केहि, केहि , केहि.. च० कास, कस्स.
कास, केसि, काण, काणं. प० किणो,कीस,कम्हा,कत्तो,काओ, कत्तो,काओ, काउ, काहि; काउ, काहि, काहिन्तो, का. काहिन्तो, कासुन्तो, केहि,
केहिन्तो, केसुन्तो.. १० कास, कस्स.
कास, केसि, काण, काग. स. काहे, काला, कइआ, कहिं, केसु, केसुं. .
कम्मि, कस्सिं, कत्थ.
एत, एथ, (एतद्)
एकव०
बहुव० प्र० एसो, एस, इणं. इणमो. एते, एए. द्वि० एतं, ए. एते, एता, एए, एआ. १० एतेणा, एतेण, एतेणे. एतेहि, एतेहि, एतेहि.
एइणा,एएण, एएणं. एएहि, एएहिँ , एएहिं. च० से, एतस्स, एअस्स. सिं, एतेसिं, एताण, एताण.
एएसि, एआण, एआणं. प० एत्तो,एत्ताहे,एतत्तो,एताओ, एतत्तो,एताओ, एताउ, एताहि
एताउ,एताहि,एताहिन्तो,एता. एताहिन्तो, एतासुन्तो, एतेहि, एअत्तो, एआओ, एआउ, एतेहिन्तो, एतेसुन्तो. एअत्तो,. एआहि; एहिन्तो, एआ. (एत्तो) एआओ, एआउ,
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________________
॥ मुनि - कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
० से, एतस्स, एअस्स.
सo अयम्मि, अम्मि, एवम्मि, एतस्मि, एअम्मि, एअरिंस, एत्थ.
एकव ०
प्र० अह, अमू.
द्वि० अमुं.
(७७)
एआहि, एआहिन्तो, एआसुवो. एहि, एएहिन्तो, एएसुन्तो. सिं, एतेसिं, एताण, एआणं. एएसि, एआण, एआणं.
एतेसु एतेसुं, एएस, एएसं.
एकव०
प्र० अयं, इमो.
अमु, (अदस्
तृ० अमुणा.
च० अनुणो, अमुस्स. प० अमुणो, अमुत्तो, अमूओ, अमूड, अमूहिन्सो.
प० अमुणो, अमुस्स. सo अयम्म, अम्मि, असुम्मि,
>
बहुव०
अण, अमवो अमओ, अमउ, अमू. अमू, अमुणो.
अमूहि, अमूहि, अमूहिं.
अभ्रूण, अमूर्ण.
अमुत्तो, अमूओ, अमूड, अमूहिन्तो, अमृसुन्तो.
अमूण, अमृणं.
असूस, अमृसं.
इम, ( इदम् )
बहुव०
इमे.
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________
MANORGANINNARMADARA
N
OLOGRAM
(७८)
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ दि० इणं, इम, ण, इमे, इमा, णे, णा. . तृ. इमिणा, इमेण, इमेणं, पिणा, इमेहि, इमेहिँ , इमेहिं. णेहि, __ ण, जेणे.
णेहिँ, णेहि. एहि,एहिँ ,एहि. च० से, इमस्स, अस्स. सिं, इमेसि, इमाण, इमाणं. प० इमत्तो, इमाओ, इमाउ, इमत्तो,इमाओ, इमाउ, इमाहि, इमाहि,इमाहिन्तो,इमा. इमाहिन्तो, इमासुन्तो, इमेहि,
इमेहिन्तो, इमेसन्तो. . १० से, इमस्स, अस्स. सिं, इमेसि, इमांग, इमाणं. स० अस्सि, इमम्मि, इमस्सि, इह.. इमेस, इमेसु, एम, एसुं..
आकारान्तस्त्रीलिङ्ग सर्वनाम
सव्वा ( सर्वा)
एकव०
बहुव० प्र० सव्वा. . सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वा. दि० सव्वं.
सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वा. १० सव्वाअ, सव्वाइ, सव्वाए. सव्वाहि, सव्वाहिँ, सव्वाहिं च० सव्वाअ, सव्वाइ, सव्वाए. सव्वेसिं, सव्वाण, सव्वाणं. प. सव्वाअ, सव्वाइ, सव्वाए, सव्वत्तो,सवाओ,सव्वाउ, सव्वा.
सव्वत्तो,सव्वाओ,सव्वाउ, हिन्तो, सव्वासन्तो.
सव्वाहिन्तो. १० सव्वाअ. सव्वाइ, सव्वाए. सव्वेसि, सव्वाण, सव्वाणं.
Page #94
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________________
॥ मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
स. सव्वाथ, सव्वाइ, सव्वाए. सव्वासु, सव्वासुं. हे सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वा.
सं०] हे सव्वे, सव्वा
एकव०
प्र०भुवा. द्वि० सुवं.
तृ० सुवाअ, सुवाइ, सुवाए.
च० सुवाअ, सुवाइ, सुबाए.
सुवा (स्वा)
प० सुवाअ, सुवाइ, सुवाए, सुबत्तो, सुवाओ, सुवाउ, सुवाहिन्तो,
प० सुवाअ, सुवाइ, सुवाए.
स० सुवाअ, सुवाइ, सुवाए. सं० हे सुवे, सुवा.
एकव०
प्र० अन्ना.
बहुव०
सुवाओ, सुवाउ, सुवा.
सुवाओ, सुवाउ, सुवा.
सुवाहि, सुवाहि, सुवाहि
सुबेसिं, सुवाण, सुवाणं.
सुवतो, सुवाओ, सुवाउ, सुवाहिन्तो,
सुबासुन्तो.
सुवेसिं, सुवाण, सुवाणं.
सुवासु, सुवासुं.
हे सुवाओ, सुवाउ, सुवा.
अन्ना ( अन्या )
(७९)
बहुव०
अन्नाओ, अन्नाड, अन्ना
•
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
________________
(20)
द्वि० अनं.
एकव०
तृ० च० प० ष० स० सं० सव्वावत्.
एकव०
म० एगा, एआ.
|| प्राकृत रूपमाला ॥
एक्का. एकल्ला.
अन्नाओ, अन्नाङ, अन्ना.
प्र० पुरिमा.
पुठवा.
द्वि० पुरिमं.
पुवं.
तृ० च० ५० ० स० [सं० सब्बावत्
बि० एगं, एअं.
एगा, एया, एक्का, एक्कल्ला (एका)
एक. एकलं.
पुरिमा, पुव्वा [ पूर्वा ]
बहुव०
पुरिमाओ, पुरिमाउ, पुरिमा. पुव्बाओ, पुव्वाउ, पुव्वा.'
पुरिमाओ, पुरिमाड, पुरिमा.
'पुव्वाओ, पुव्वाङ, पुव्वा.
बहुव ० एगाओ, एगाउ, एगा. एआओ, एआ उ, एआ. एक्काओ, एक्काउ, एका एकल्लाओ, एकल्लाउ, एकल्ला. गाओ,एगाउ,एगा. एआओ, एआउ, एआ. एक्काओ, एकाउ, एक्का. एकल्लाओ,
एकल्लाउ, एकल्ला .
तृ० च० प० प० स० सं० सव्वावत्,
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--------------------------------------------------------------------------
________________
(८१)
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता || _ . दाहिणा, दक्खिणा [ दक्षिणा ]
बहुव०
एकव० प्र० दाहिणा. दाहिणाओ, दाहिणाउ, दाहिणा.
दक्खिणा. दक्खिणाओ, दक्खिणाउ, दक्खिणा. द्वि० दाहिण. दाहिणाओ, दाहिणाउ, दाहिणा.
दक्खिणं. दक्खिणाओ, दक्खिणाउ, दक्खिणा. तृ० च० ५० ५० स० सं० सव्वा प्रमाणे.
सा (तद्) .
एकव०
- बहुव० ५० सा, णा. तीओ, तीआ, तीउ, ती.
ताओ, ताउ, ता. द्वि० तं, णं. . तीओ, तोआ, तीउ, ती.
ताओ, ताउ, ता. १० ती,तीआ,तीइ,तीए. तीहि, तीहिँ, तीहिं.
ताअ, ताइ, ताए, बाहि, ताहिँ , ताहिं.
णाअ, गाइ. गाए. जाहि, जाहिँ , णाहिं. च० तिस्सा, तीसे, तीअ, सिं, तेसि, ताण, ताणं, तास.
तीा, तीइ, तीए. तास, से, वाअ, ताइ, ताए.
Page #97
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
प० तीअ,ताआ,तीइ,तीए, तित्तो,तीओ, तीउ, तीहिन्तो
तित्तो,तीओ,तीउ,तीहिन्तो, तिसुन्तो. ताअ,ताइ,ताए,तो,तम्हा, तत्तो, ताओ, ताउ, ताहिन्तो.
तत्तो,ताओ,ताउ,ताहिन्तो, तासुन्तो. प. तिस्सा,तीसे,तीअ,तीआ, सिं, तेसि, ताण,ताणं, लास, तीइ,तीए. तास,से,ताअ,ताइ,ताए, स० तीअ, तीआ, तीइ, तीए. तीसु, तीसुं.
ताअ, ताइ, ताए. तासु, तासुं.
जा (यद्)
एकव०
बहुव० भ० जा. जीओ,जीआ,जीउ,जी. जाओ,जाउ,जा. द्वि० जं, जीओ,जीआ,जीउ,जी. जाओ,जाउ,जा. तृ० जोअ,जीआ,जीइ, जीहि, जीहिँ , जीहि. .
जीए.
जाअ, जाइ, जाए. जाहि, जाहिँ , जाहि. च० जिस्सा,जीसे,जीअ, जेसि, जाण, जाणं.
जीआ,जीइ,जीए.
जाअ, जाइ, जाए. १० जीअ,जीआ,जीइ,जीए, जित्तो, जीओ, जीउ, जीहिन्तो, जिचो,जीओ,जीउ,जीहिन्तो. जीसुन्तो.
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
viruvan
॥ मुनिकस्तुर विजयविनिर्मिता ॥ जाअ.जाइ,जाए,जम्हा, जत्तो, जाओ, जाउ, जाहिन्तो, जत्तो,जाओ,जाउ,जाहिन्तो. जासुन्तो. १० जिस्सा, जीसे, जीभ, जेसि, जाण, जाणं.
जीआ, जीइ. जीए.
जाभ, जाइ, जीए. स० जीअ,जीआ,जीइ,जीए. जीसु, जीसुं.
जाअ, जाइ, जाए. . जामु, जासुं.
का [किम् ]
प्र० का.
एकव०
बहुव० कीओ, कीआ, कीउ, की.
काओ, काउ, का. वि० कं. . .
कीो, कीआ, कीउ, की. .
काओ, काउ, का, १० कीम,की,कीइ,कीए. कीहि, कीहिँ, कीहिं. ___काअ, काइ, काए. काहि, काहि , काहिं. च० किस्सा, कीसे, कीअ, केसि, काण, काणं, कास.
कीआ, कीइ, कीए. कास, काअ, काइ, काए, ५० कीअ,कीआ,कीइ,कीए. कित्तो,कीओ,कीउ,कीहिन्तो, कीसुन्तो.
कित्तो,कीओ,कीउ.कीहिन्तो.
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
(८४)
॥ प्राकृतरूपमाला
काअ. काइ, काए, कम्हा,
कत्तो, काओ, काउ, काहिन्तो.
प० किस्सा, कीसे, कीअ, कीआ, कीर, कीए.
कास, काअ, काइ, काए,
० कीअ, कीआ, कीर, की ए.
काअ, काइ, काए.
द्वि० ए.
एअं.
एई, एआ, ( एतद् )
एकव ०
बहुव ०
प्र० एसा, एस, इणं, इणमो. एईआ, एईओ, एईउ, एइँ.
एई, एईआ.
एआओ, एआउ, एआ.
एईआ, एईओ, एईड, एई.
एआओ, एआउ, एआ एहि, एहि, पहिएआहि, एआहिँ, एआहिं. एईण, एईणं.
सिं, एआण, एआण. एइतो, एईओ, एईड, एई हिन्तो,
तृपई, एईआ, इ, ईए.
"
एआआ, एआर, एआए.
च० एई, एईआ, एईई, एईए.
कत्तो, काओ, काउ, काहिन्तो,
कासुन्तो.
केसि, काण, काणं.
से, एआआ, एआइ, एआए.
कीसु, कीसुं.
कासु, कासुं:
प० एई अ, एईआ, एईई, एईए.
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
एई सुन्तो.
एइचो, एईओ, एई, हितो.
एआअ, एआइ, एआए, एअत्तो, एआओ, एआउ,
एआहिन्तो.
एईण, एईण.
सिं, एआण, एआणं.
एईसु, एईं.
एआ, एआइ, एआएं. एआसु, एआसु.
प० एअ, एईआ, एईई, एईए.
से, एआ, एआइ, एआए.
स० एई, एईआ, एईई, एई.ए.
एकव ०
एअत्तो, एआओ, एआउ, एआहिन्तो,
एआसन्तो.
प्र० अह, अमू.
वि०. अमुं.
अमु (अदसू )
तृ० असू, अमूआ, अमूह, अमृए.
च० अमृअ, अमूआ, अमूह, अमृए.
प० अमृअ, अमूआ, अमूह, अमृए,
अमुत्तो, अमूओ, अमूड, अमूहिन्तो.
प० अमूअ, अमूआ, अमूह, अमूए.
(८५)
बहुव०
अमूओ, अमूड, अमू. अमृओ. अमूड, अमृ.
अमूह, अमूहिँ, अमूर्हि.
असूण, अमूर्ण,
अमुत्तो, अमूओ, अमूड, अमूहिन्तो, अमृसुन्तो.
अमूण, अमूणं.
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
|| प्राकृतरूपमाला ||
pooooom
स० अमूअ,अमूआ,अमूइ,अमूए. अमूसु, अमूसं.
. इमी, इमा, (इदम् )
एकव०
बहुव० प्र० इमी, इपीमा इमीआ,इमीओ,इमीउ, इमी. इमिआ, इमा. . इमाओ, इमाउ, इमा. द्वि० इमि.
इमीआ, इमीओ, इमीउ, इमी.. इम, इणं, ण. इमाओ, इमाउ, इमा,
णाओ; णाउ, णा. १० इमीअ,इमीमा,इमीइ.इमीए. इमीहि, इमीहिँ , इमीहिं.
इमाअ, इमाइ, इमाए, इमाहि, इमाहिँ , इमाहि. णाअ, गाइ, णाए. जाहि, णाहि, णाहिं.
आहि, आहि , आहिं. च० इमीअ,इमीआ,इमीइ,इमीए. इमीण, इमीणं. '
इमाअ, इमाइ, इमाए. इमेसि, इमाण, इमाणं.. ५० इमीअ,इमीआ,इमीइ,इमीए, इमित्तो,इमीओ, इमीउ, इमीहिन्तो, .
इमित्तो, इमीओ, इमीउ, इमीसुन्तो. इमीहिन्तो. इमाअ, इमाइ, इमाए,इमत्तो, इमत्तो, इमाओ, इमाउ,
इमाओ, इमाउ, इमाहिन्तो. इमाहिन्तो, इमासन्तो. १० इमीअ,इमीआ,इमीइ,इमीए. इमीण, इमीणं.
इमाअ, इमाइ, इमाए. इमेसि, इमाण, इमाणं: -
Page #102
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
स० इमीअ, इमीआ, इमीर, इमोए. इमीसु, इमीमुं.
इमा, इमाइ, इमाए, इह.
इमासु, इमासुं.
अकारान्तनपुंसकलिङ्ग सर्वनाम -
सव्व (सर्व)
एकव०
०
बहुव सव्वाइँ, सव्वाई, सव्वाणि.
सव्वाइँ, सव्वाई. सव्वाणि.
तृ० सव्वेण, सच्वेणं.
सव्वेहि, सव्वेहि, सव्वे.
च० सव्वाय,
सव्वस्स.
सव्वेसिं, सव्वाण, सव्वाणं.
५० सम्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वत्तो, सव्वाओ, सब्बाउ, सवाहि
साहि, सवाहिन्तो, सव्वा.
प्र० सव्वं.
द्वि० सव्वं.
० सव्वाय, सव्बस्स.
स० [सब्बहि, सव्वस्सि, सव्व सव्र्व्वसु, सव्ये.
म्मि, सव्वत्थ.
सं० हे सव्व.
सव्वाहिन्तो, सव्वासुन्तो. सब्वेहि, सव्वेहिन्तो, सव्वेसुन्तो.
सव्वेसिं, सव्वाण, सव्वाणं.
(60)
हे सव्वाईँ, सव्वाईं, सव्वाणि.
सुव ( स्व )
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
(८८)
॥ प्राकृतरूपमाला॥ ooooooooooooAAAAAAAAAAAAAooooooooooooooooooo-----
aaaaaanAAAAAAAAtha00000AAAAAAAAKAR
.
. एकव०
बहुव० प्र. सुवं.
सुवाइँ, सुवाई, सुवाणि. द्वि० सुवं.
सुवाइँ, सुवाई, सुवाणि. ___ तृ० च० ५० १० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे. सं० हे सुवं.
हे सुवाइँ, सुवाई, सुवाणिः
- अन्न [ अन्य ]
एकव०
बहुव० . प्र० अन्नं.. . अन्नाइँ; अन्नाई, अन्नाणि. द्वि. अन्नं.
अन्नाइँ, अन्नाई, अन्नाणि. १० च० ५० ५० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे. सं० हे अन्न.
अन्नाइँ, अन्नाइ अन्नाणि.
पुरिम, पुठव (पूर्व) .
एकव०
बहुव० प० पुरिमं.
पुरिमा, पुरिमाई, पुरिमाणि.. पुवं.
पुन्वाइँ, पुष्वाई, पुवाणि. द्वि० पुरिमं.
पुरिमाइ, पुरिमाइं, पुरिमाणि. पुवं.
पुव्वाइँ, पुवाई, पुवाणि. १० च० ५० १० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे.
Page #104
--------------------------------------------------------------------------
________________
सं० हे पुरम.
हे पुत्र.
एकव
प्र० ए.गं.
॥ मुनि कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
एग, एअ, एक्क, एक्कल्ल, ( एक )
ए.
एक्कं.
एकल्लं.
(८९)
हे पुरिमा, पुरिमाई, पुरिमाणि.
वाइँ, पुवाई, पुवाणि
"
सं० हे एग.
हे एम.
हे एक.
हे एककल्ल
बहुव०
एगा, गाई, गाणि
एआई, एआई, आणि.
1
एकाइँ, एकाई, एकाणि.
एकल्लाइँ, एकल्लाई, एकल्लाणि
द्वि० एगं.
एअं.
एक्कं.
एकल्ले
तृ० च० प० प० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे.
गाइँ, गाई, गाणि
२१
एआई, एआई, एआणि. एकाइँ, एकाई, एकाणि. एकल्ला हूँ, एकल्लाई, एकल्ला णि
हे गाइँ, गाई, गाणि .
हे एआईं. एआई, एआणि.
हे एक्का, एक्काई, एक्काणि.
हे एक्लाइँ, एक्कल्लाई, एक्कल्लाणि.
दाहिए, दक्खिण, (दक्षिण )
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
(९०)
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ wooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooooo
एकव०
बहुव० म. दाहिणं. दाहिणाइँ, दाहिणाई, दाहिणाणि. ...दक्खिणं. दक्खिणाइँ, दक्खिणाई, दक्खिणाणि द्वि० दाहिणं. दाहिणारे, दाहिणाई, दाहिणाणि. · दक्खिणं.
। दक्खिणाइँ, दक्खिणाई, दक्खिणाणि तृ च० ५० ५० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे. . सं० हे दाहिण... दाहिणाई, दाहिणाई, दाहिणाणि.
हे दक्षिण. हे दक्खिणाई, दक्खिणाई, दक्खिणाणि.
त (तद्)
एकव०
प० तं, णं. ताई, ताई, वाणि. गाई, गाई, गाणि, वि० ते, . ताई, ताई, वाणिःणाई, गाई, णाणि.
• च० ५० १० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे.
ज ( यद् )
एकप०
बहुव० म० ज..
जाइँ, जाई, जाणि. वि० ज.
जाई, जाई, जाणि. . व०प० ५० १० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे. ..
Page #106
--------------------------------------------------------------------------
________________
... ॥ मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
M
-
, , vvvvvvvvvvvvvxxx
M
M
L
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s
vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
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किं [ किम ]
एकव.
बहुव०
प्र० किं.
काइँ, काई, काणि, दि० कि. . काइँ, काई, काणि. - तप० ५० ५० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे.
एक ( एतद)
. एकव०
बहुव० प्र. ए. एस, इणं, इणमो. एआई, एआई, एआणि. द्वि० ए. . एआइँ, एआई, एआणि.
तृ०. च० ५० १० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे,
अमु, ( अदसू)
एकव० .
बहुव० म० अह, अमुं,
अमूइँ, अमूई, अमूणि. द्वि० अमुं.
अमूई, अमई, अमूणि. त० च० ५० १० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे.
इम [ इदम्)
Page #107
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
एकव०
बहुव० प्र० इदं, इणमो, इणं. इमाइँ, इमाई, इमाणि. हि० इदं, इणमो, इणं. इमाइँ, इमाई, इमाणि.
१० च० ५० १० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे.
(युष्मद् ]
-
एकव०
बहुव० प्र० तं, तुं, तुवं, तुह, तुम. भे, तुम्भे, तुज्झ, तुम्ह, तुम्हे,
. उय्हे, तुम्हे, तुझ. . द्वि० तं, तुं, तुम तुवं, तुह, वो, तुज्झ, तुब्भे, तुम्हे, तुज्झे,
तुमे, तुए. तुम्हे, उरहे, भे. तृ० भे, दि, दे, ते, तइ, तए, भे, तुम्भेहि, तुम्हेहि, तुज्झेहिं, ... तुमं,तुमइ,तुमए,तुमे,तुमाइ. उज्झेहि,उम्हेहि,तुम्हेहि, उव्हेहिं. च० तइ, तु, ते, तुम्हें, तुह,तुहं, तु, वो, मे, तुम्भ, तुम्ह, तुज्झ,
तुव, तुम, तुमे,तुमो,तुमाइ, तुम्भं, तुम्हं, तुझं, तुब्भाण, तुदि, दे, इ, ए, तुम्भ,तुम्ह, ब्भाणं,तुम्हाण,तुम्हाणं, तुज्झाण, तुज्झ,उब्भ,उम्ह, उज्झ,उरह. तुज्झाणं,तुवाण,तुवाणं, तुमाण, तु.
___माण,सुहाण,तुहाणं,उम्हाण,उम्माणं. ५० तइत्तो,तईओ,तईउ,तई- तुम्भत्तो,तुभाओ, तुब्भाउ, तुम्मा
हिन्तो, तुवत्तो,तुवाओ, हि,तुम्भाहिन्तो,तुष्भासुन्तो,तुम्भेतुवाउ,तुवाहि,तुवाहिन्तो, हि,तुम्भेहिन्तो,तुष्भेसुन्तो.तुम्हत्तो,
Page #108
--------------------------------------------------------------------------
________________
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ तुवा.तुमत्तो,तुमाओतुमा- तुम्हाओ,तुम्हाउ,तुम्हाहि,तुम्हाहिउ,तुमाहि,तुमाहिन्तो,तुमा. न्तो,तुम्हासुन्तो. तुम्हेहि, तुम्हेहि
तो,तुम्हेसुन्तो,तुज्झत्तो,तुज्झाओ. तुहत्तो,तुहाओ,तुहाउ,तुहा- तुज्झाउ,तुज्झाहि, तुज्झाहिन्तो,तु. हि, तुहाहिन्तो, तुहा, तु- ज्झासुन्तो, तुज्झेहि, तुझेहिन्तो, भत्तो, तुभाओ, तुब्भा- तुझेसुन्तो. तुम्हत्तो, तुम्हाओ, उ तुब्भाहि, तुब्भाहिन्तो, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो, तुभा. तुम्हत्तो, तुम्हा- तुम्हासुन्तो, तुम्हेहि, तुम्हे हिन्तो,
ओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हेसुन्तो. उरहत्तो, उरहाओ, तुम्हाहिन्तो, तुम्हा. तु. उटहाउ, उरहाहि, उरहाहिन्तो. ज्झत्तो, तुज्झाओ, तु. उरहासुन्तो, उरहेहि, उव्हेहिन्तो, * ज्झाउ, तुज्झाहि, तुज्झा उच्हेसुन्तो. उम्हत्तो, उम्हाओ, उ हितो, तुज्झा. तुम्ह, म्हाउ, उम्हाहि, उम्हाहिन्तो, उतुम्भ, तुम्ह, तुज्झ, त- म्हासुन्तो, उम्हेहि, उम्हेहिन्तो, उ.
हिन्तो... म्हेसुन्तो. १० तह, तु, ते, तुम्हं, तुह, तु, वो, मे, तुब्भ, तुम्ह, तुज्झ
तुई, तुव, तुम, तुमे, तुभ, तुम्हं, तुझं, तुम्भाण, तुमो, तुमाइ, दि, दे, तुब्भाणं, तुम्हाण, तुम्हाण, तुइ, ए, तुब्भ, तुम्ह, तु- ज्झाण, तुज्झाणं, तुवाण, तुवाणं, ज्झ, उन्भ, उम्ह, उज्झ, तुमाण, तुमाणं, तुहाण, तुहाणं,
उम्हाण, उम्हाणं.
Page #109
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ malianRKARMADAAMAADMAAAAAAAAAAAAAAAAAAA ARRAMMARRRRRRRRAMAmasaar
(९४)
स० तुमे,तुमए तुमाइ,तइ.तए, तुम,तुसुं तुवेस,तुसं,तुमेसु तुमे सुं,
तुम्मि, तुवम्मि, तुवस्सि, तुहेसु,तुहेसुं,तुभेस,तुब्भेसुं, तुम्हेतुवत्थ, तुमम्मि, तुमसि, सु,तुम्हेसुं,तुझेच, तुज्झेखें, तुवसु, तुमत्थ, तुहम्मि, तुहरिंस, तुवसुं,तुमस,तुमसुं,तुहसु. तुहमुं, तु. तुहस्थ,तुभम्मि,तुम्भस्सि, ब्भसु,तुम्भसुं,तुम्हसु,तुम्हसुं, तुज्झ. तुभत्थ तुम्हम्मि,तुम्हसि, सु,तुज्झसं,तुम्भासु,तुम्भासुं, तुम्हातुम्हत्थ तुज्झम्मि,तुज्झस्सि. मु,तुम्हासु, तुज्झासु, तुज्झासु. तुज्झत्य
[ अस्मद् )
एकव०
बहुव० म० म्मि, अम्मि, अम्हि, अम्ह, अम्हे, अम्हो, मो, वयं, मे.
है, अहं, अहयं. . वि० णे, ण, मि, अम्मि, अम्हे, अम्हो, अम्ह, णे. __ अम्ह, मह, में, ममं.
मिम, अहं. ४० मि, मे, ममं, ममए, अम्हेहि, अम्हाहि , अम्ह, अम्हे, णे.
ममाइ,मइ,मएमयाइ, णे. च० मे, मइ, मम, मह, म- णे, णो, मज्झ, अम्ह, अम्हं, अम्हे,
म्हं मज्झ, मझ, अ. अम्हो, अम्हाण, अम्हाणं, ममाण, म्ह, अम्ह. ममाणं, महाण, महाणं, मज्माण,
मज्झाणं.
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
vvvvvvvv wwwwww
- ॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (९५) प. महत्तो, मईओ, मईउ, ममत्तो ममाओ , ममाउ. ममाहि,
मईहिन्तो, माहिन्तो, ममासुन्तो, ममत्तो, ममाओ, ममाउ, ममेहि, ममेहिन्तो, ममेसन्तो, ममाहि, ममाहितो,ममा, अम्हत्तो, अम्हाओ, अम्हाउ, महत्तो, महाओ, महाउ, अम्हाहि, अम्हाहिन्तो,अम्हासुन्तो, महाहि,महाहिन्ती,महा. अम्हेहि, अम्हेहिन्तो, अम्हेसुन्तो. मज्झत्तो, मज्झाओ, मज्झाउ, .
मज्शाहि, मज्ज्ञाहिन्तो, मज्झा. १० मे, मइ, मम, मह, महं, णे, णो, मज्ज्ञ, अम्ह, अम्हं, अम्हे,
मज्ज्ञ, मझ, अम्ह, अम्हो, अम्हाण, अम्हाणं, ममाण,
अम्हं, ममाणं, महाण, महाणं. मज्ज्ञाण, मज्जाणं स० मि, मइ, ममाइ, मए, मे, अम्हेसु, अम्हेसुं, ममेसु, ममेसु, अम्हम्मि, अम्हस्सि, अम्हत्थ, महेस, महेसुं, मज्झेमु, मज्ज्ञेसुं मम्मिम, ममरिस, ममत्थ, अम्हसु, अम्हसुं ,ममसु, ममसु महम्मि, महस्सि. महत्थ, महसु, महमुं, मज्जस, मज्जासं, मज्झम्मि, मज्झस्सि, मज्झत्थ, अम्हासु, अम्हासुं.
अथ संख्यावाचकशब्दाः
दो, वे, (हि) प्राकृते इकारान्तो विशन्दो बहुवचनान्त:
Page #111
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________________
(९६)
Ghare
प०
द्वि०
तृ०
च०
पं० O
स०
एकव०
O
तृ०
च०
पं०
प०
स०
Co
०
•
०
एकव ०
""
प्र०
ह्नि० "
56
15
"
ܙܕ
"
॥ प्राकृतरूपमाला ||
बहुव०
दुवे, दोण्णि, दुण्णि, वेण्णि, विण्णि, दो, वे. दुबे, दोण्णि, दुण्णि, वेण्णि, विष्णि दो, वे. दोहि, दोहिं, दोहिं, वेहि, घेहिँ, बेहिं. दोण्ड, दोन्हं, वेण्हि, वेडं दुण्ड, दुण्हं, चिन्ह, विण्.
दोओ, दोउ, दोहिन्तो, दोसुन्तो. ओ, वेड, वेहिन्तो, सुन्तो.
दोह, दण्डं, वेण्ह, वे दुण्ड, दुण्हें, विण्ड, वि,
दोसु, दोसुं. वेसु, वेसुं.
at, [fa]
तिण्णि.
तिण्णि.
बहुव०
तीहि तीहि तीहिं. तीह, तीण्ड,
तितो, वीआ, बीड, सीहिन्तो, वीसुन्तो.
तीह, तीन्हें.
तीसु; ती.
उ (चतुर् )
Page #112
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ मनिकस्तुर विजयविनिर्मिता ॥
RRA
wwwwwww.
vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
एकव०
पत्तारो, चउरो, चत्तारि. चत्तारो, चउरो, च तारि. चहि, चहिँ , चऊहिं. चउण्ड, चउण्हं.
चउत्तो चऊओ, चऊउ, चऊहिन्तो, . चऊमुन्तो. चउओ, चउउ, चउहिन्तो,चउसुन्तो.
चउण्ह, चउण्हं. चऊस, चऊमुं. चउसु, पउK.
पंच, (पञ्च)
एकव० म० .
पंच.
पंच.
पंचहि, पंचहिँ , पंचहि. पंचण्ट, पंचण्हं. पंचत्तो,पंचाओ,पंचाउ, पंचाहि, पंचाई न्तो, पंचामुन्वो, पंचेहि, पंचेहिन्तो, पंचेमुन्तो. पंचण्ह, पंचण्हं. पंचमु, पंचमुं.
Page #113
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
wwwwwwwwwww
छ, (षष)
एकव०
बहुव०
छहि, छहि, छहिं. छण्ह, छहं. छओ, छउ, छहिन्तो, छमुन्तो. छण्ह, छण्हं. छK, छK.
सत्त, [सप्तन् ]
एकव०
.
बहुव
सत्त.
सत्तहि, सत्तहि, सत्तहिं. सत्तह, सत्तण्हं. सत्तओ, सत्तउ, सत्तहिन्तो,सत्तसुन्तो. सत्तण्ह, सत्तण्हं. सत्तमु, सत्तसुं.
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________________
(९१)
।मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
अट्ठ, ( अष्टन् )
व
बटुवा
अट्ट अट्ट. अहि, अहि. अहिं. अट्टण्ह, अट्टण्हं. अट्ठाओ,अढाउ,अट्ठाहिन्तो,अहासुन्तो. अट्टण्ह, अट्टहं. असु, अट्टमुं.
णव, नव, (नवन्)
बहुव० . णव, नव. . णव. नव. णवहि, णवहिँ , णवहि. नवहि, नवहिँ', नवहिं. णवण्ह, गवण्ई. नवण्ह, नवण्हं. णवाओ,णवाउ,गवाहिन्तो,णवामुन्तो नवाओ,नवाउ,नवाहिन्तो,नवासुन्तो. णवण्ह, णवण्हं, नवण्ह, नवण्हं.
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________________
(१००)
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
Trang cho
thuê nhà
स.
"
णवसु. णवमुं. नवसु, नवसुं.
दह, दस, (दशन )
बहुव० दह. दस. दह. दस. दहहि, दहहिँ , दहहिं. दसहि, दसहिँ , दसहि. दहण्हं, दहण्हं. दसण्ह, दसण्हं. दहाओ, दहाउ, दहाहिन्तो,दहासन्तो. दसाओ,दसाउ,दसाहिन्तो,दसामुन्तो. दहण्ह, दहण्हं. दसण्ह, दसव्हं. दहसु, दहमुं. दसमु, दसमुं.
तेरह, [प्रयोदश]
बहुव० तेरह.
तेरह.
तेरहहि, तेरहहिँ , तेरहहिं. तेरराण्ड, तेरहण्हं.
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________________
प.
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
तेरहओ,नेरहउ,तेरहिन्तो,नेरहसुन्तो. ..
तेरहण्ड, तेरहण्हं.
तेरहसु, तेरहसं. एवं-चउहह, पन्नरह, सोलह, छद्दह, सत्तरह, अट्ठारह.
. कइ, ( कति)
. बहुव०
कई हि, कईहिँ, कईहिं. कइण्ह, कइहं. कइत्तो, कईओ, कईउ, कई हिन्तो कईसुन्तो. कइण्ह, कइण्डं. कईस, कईखें.
वीसा, (विंशति )
-
एकप. म० वीसा,
वीसाओ, वीसाउ, बीसा.
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________________
woooooooooooooooooooooooooo
0000000000000000
1
— (१०२)
॥ प्राकृतरूपमाला || दि० वीसं.
वीसाओ, वीसाउ, वीसा.. तृ० वीसाअ, वीसाइ, वीसाए, वीसाहि, वीसाहि, वीसाहिं. च० वीसाभ, वीसाइ, वीसाए. वीसाण, वीसाणं... . प० वीसाअ, वीसाइ, वीसाए, वीसत्तो, वीसाओ, वीसाउ, बी.
धीसत्तो. वीसाओ, वीसा- साहिन्तो, वीसासुन्तो.
उ, वीसाहिन्तो. १० वीसा, वीसाइ, वीसाए. वीसाण, वीसाण. स० वीसाअ, वीसाइ, वीसाए.. वीसासु, वीसासु सं० हे वीसा.
हे वीसाओ, वीसाउ, वीसा.
एवं एगूणवीसा,एगवीसा,दुवीसा,तेवीसा,चउवीसा,पण्णवीसा, [ पश्चवीसा] छठवीसा, छवीसा, सत्तवीसा, अठ्ठावीसा, एगूणतीसा, तीसा, एगवीसा, दुतीसा, दोतीसा, तेतीसा, चउतीसा, पण्णतीसा, पञ्चतीसा, छत्तीसा, सत्ततीसा, अडतीसा,एगूणचत्तालीसा, चत्तालीसा, एगचत्तालीसा, बायाला, तेालीसा, चउपा. लीसा, पण्णचत्तालीसा, छचत्तालीसा, सत्तचत्तालीसा, अडा. लीसा, एगणवना. पन्नासा, एगावन्ना, दोवना, तेवना, चउवमा, पणवना, छपना, सत्तावन्ना अट्ठावण्णा अडवना.
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॥ मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
सट्टि (पष्टि )
एकव ०
प्र० सट्ठी.
द्वि० सहिं.
० सट्ठीअ, सट्ठीआ, सट्ठी, सट्टीए.
बहुव० सट्टीओ, सट्टीउ. सही.. सट्टीओ, सट्टीउ, सट्टी.
सट्ठीहि सट्ठीहि, सट्ठीहिं.
(१०३)
प० सट्ठीअ, सट्ठीआ, सट्टीइ, सहित्तो, सट्टीओ, सट्ठीउ, सट्ठीहि
सट्टीए सट्टित्तों,
न्तो, सहीसुन्तो.
सट्टीओ, सट्टीउ, सट्टीसुन्तो
प० सट्ठीअ, सहीआ, सट्टी, सङ्घीए.
सट्टीण, सट्ठीणं.
स० सट्ठीअ, सट्टीआ, सट्टी, सटीए सं० हे सट्टी, सहि.
सहीसु, सही सीओ, सट्टीउ, सही.
एवं - एगसदृठि, दोसटू ठि, तेस टू ठि, चउसटूठि, पणसटू ठि, छसहि, सत्तसद्धि, अडसहि, एगुणसचरि.
सत्तरि, सयरी, एगसत्तरि, दोसत्तरि, तेसत्तरि, तेबत्तरि, चउसत्तरि, चउसयरि, पणसत्तरि, छस्सयरि, सत्तसजरि, अडसयरि, एगुणासी..
असीर, एगासीर, दोसीड, तेसीइ, चउरासी, पञ्चासीर, पणसी, छासी, सत्तासीइ, सगसीइ, अठासीर, एगूणउड़ . ras, एगणवइ, दोणवs, वेणवई, चउणव, पञ्चणवर, छ ण्णव, सत्ताणव, अट्ठाणवई, नवणवड़.
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________________
(१०४)
॥ प्राकृतरूपमात्रा ॥
%A40404040AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA0000000000AAAAY
-
सय (शत)
एकव०
बहुव० म० सयं.
सया, सयाई, सयाणि. वि० सयं. सयाइँ, सयाई, मयाणि.
० च० ५० १० स० पुल्लिङ्ग प्रमाणे. सं० हे सय
हे सयाइँ, सयाई, सयाणि..
॥ इति प्राकृतशब्दरूपाणि ॥ RON HEMRAPHERI
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________________
|| अहम् ॥ ॥ श्री शङ्केश्वरपार्श्वनाथाय नमः ॥ ** AGO **40*6*4Y
॥ धातुरूपमाला ॥ Ra *** ARO KO * HED ONE
॥ वर्तमानकालना प्रत्यय ॥ एकव.
बहुव० प्रथम पु० इ, ए, · . . न्ति, न्ते, इरे. मध्यम पु० सि, से,
इत्था , ह. उत्तम पु० मि,
मो, मु, म.
.
नियमो १. 'जे धातुने अन्ते व्यअन होय तेने 'अ' लगाडवामां आवेछे. २. . धातुने अन्ते 'अ' होय तो ते अकारथी परज 'ए' 'से' .. प्रत्यय थायछे अकारान्त भिन्नथी पर आ प्रत्यय यता नथी. ३. ३ मि' प्रत्यय परछता पूर्वना 'अ' नो 'आ' विकल्पे
थायछे... - १॥ व्यञ्जनावदन्ते ॥ ४ ॥ २३९ ॥ भनेन व्यञ्जनान्ताद्धातोरन्तेऽकारी भवति ।
२॥ अत एषैचू से ॥ ३ । १४५ ॥ अकारान्तादेव प. से, प्रत्ययो भवतः ॥
३॥ मौ वा ॥ ३ । १५४ ॥ अदम्तादातोमौं परे अत आत्वं वा भषति ॥
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________________
oooooooo००००००००००००००००००
.
बहुव.
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ ४. 'मो, मु, म, पर छतां पूर्वना अ, नो विकल्पे आ, इ,यायछे. ५. वर्तमानकालमां तथा आज्ञार्थमा अन्त्य अ होय तो प्रत्यय परछतां अ नो ए, विकल्पे थाय छे.
___ हस्
एकव० प्रयम पु० हसइ, हसए, हसन्ति, हसन्ते, हसिरे. मध्यम पु० हससि, इससे, हसित्था, हसह. . उत्तम पु० इसामि, हसमि, हसिमो, हसामो, हसमो,
- हसिम, हसामु, हसमु,
• इसिम, हसाम, हसम. एकव०
पहुंच० प्रमथ० इसेइ.
हसेन्ति, हसेन्ते, इसेइरे. मध्यम० इसेसि. हसेइत्या, हसेह. उत्तम० इसेमि.
हसेमो, हंसेमु, हसेम.
॥ भविष्यत् काल ॥
तेना प्रत्ययोना नियम १ वर्तमानकालना प्रत्ययोनी पूर्व भविष्यत् कालमां हि आगम
४ ॥ इच्च मोमुमे वा ॥ ३ । १५५ ॥ अदत्ता धातोः परेषु मो मुमेषु अत इत्वं भात्वं च षा भवति॥
५॥ वर्तमानपत्रमीशतृषु वा ॥ ३ । १५८ ॥ ६ ॥ भविष्यति हिरादिः ॥ ३ । १६६ ॥ ७ ॥ मिमोमुमेस्साहानवा ।। ३ । १६७ ॥
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________________
.
masoomamta
Pooarn
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१०७) आवेछे अने मि, मो, मु, म, प्रत्ययोनी पूर्व स्सा, हा, पण विकल्पे आवेछे. २ 'त्रीजा पुरुषना बहुवचनना मो, मु, म. ने स्थाने विकल्पे हि
स्सा, हित्था, मुफवामां आवेळे. ३ धासुथी पर भविष्यत् कालमा मि, प्रत्ययने स्थाने स, विक
ल्पे आवेळे.
एकव०
॥प्रत्यय ॥
बहुव० प्रथम० हिइ, हिए
हिन्ति, हिन्ते, हिरे. मध्यम० हिसि, हिसे.
हित्था हिह. उत्तम० स्स, स्सामि, हामि, हिमि,. सामो, हामो, हिमो,
स्सामु, हामु, हिमु, स्सा
म, हाम, हिम, हिस्सा हित्था. ४ औ भविष्यवकालना प्रत्ययो परछता पूर्वना अ, नो इ, अने - ए, थायछे.
. . एकव० प्रथम० इसिहिइ, हसिहिए, इसिहिन्ति, इसिहिन्ते
हसिहिरे.
१॥ मामुमानां हिस्सा हित्था ।। ३ । १६८ ॥ २ ॥ मेः रसं ॥ ३ । १६९ ॥ ३॥ एच्चक्त्वातुम् तव्यभविष्यत्सु ॥ ३। १५७ ।।
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
(१०८)
मध्यम० इसिहिसि, इसिहिसे, उत्तम हसिस्सं, हसिस्सामि, हसिहामि, हसि हिमि,
एकव०
प्रथम इसेfes, हसेहिए,
मध्यम० इसे हिसि, हसे हिसे.
उत्तम हसेस्सं, हसेस्सामि,
हसेहामि, हसे हि मि.
हसि हित्था, इसिहिह. हसिस्सामो, इसिहामो,
हसिहिमो, हसिस्सामु,
इसिहामु, इसिहिमु हसि
स्साम, इसिहाम, इसिहिम,
eft हिस्सा हसिहिंत्था.
बहुव०
इसे हिन्ति, इसे हिन्ते, हसेहिरे, इसे हित्था, इसेहिह. हसेस्सामो, हसेहामो, इसेहिमो.
हसेस्सामु, हसेहामु, हसे हिमु. इसे साम, हसेहाम, इसेहिम. सेहिस्सा, इसेहित्था.
विधि ने आज्ञार्थना एकज प्रत्ययो बे.
एकव०
बहुव०
प्रथम०
उ,
मध्यम०
हि, सु,
उत्तम०
मु,
१. अंकारान्त धातुथी पर इज्जसु, इज्जहि, इज्जे, लुक् (०)
१ ॥ अत इज्जस्विज्जहीज्जेलुको वा ॥ ३ । १७६ ॥
न्तु,
६,
मो.
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________________
॥ मुनि कस्तूर विजयविनिर्मित ||
आ चार प्रत्ययो पण लगाढवामां आवे छे..
प्रथम०
मध्यम०
हसू धातुना रूप,
एकव०
हसउ,
हसहि, हससु हसेज्जसु,
इसेज हि, हसज्जे, हस,
हसिमु, हसामु, हसमु,
उत्तम
आज्ञार्थमां एत्व थाय त्यारे -
एकव ०
प्रथम० इसेउ. मध्य० इसेहि, हसेसु. उत्तम० हसेमु.
हसेन्तु.
• इसेद.
बहुव०
हसेमो.
हसन्तु.
हसद्द.
बहुव०
हसिमो, हसामो, इसमो.
(१०९)
॥ भूतकाल ॥
। तेना प्रत्यय. । 'सी, ही, हीअ.
१. आ त्रणे भूतकालना प्रत्ययो स्वरान्त धातुथी पर सर्व पुरुष
तथा वचनमां थायले.
२.
"अने व्यञ्जनान्त धातुथी पर ईअ, प्रत्यय सर्व पुरुष तथा
१ ॥ सी ही हीअभूतार्थस्य || ३ | १६२ ॥
२ || व्यञ्जनादीअ || ३ || १६३ ।।
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
(११०)
बचनमां. लागे छे.
॥ हस् ॥
एकव०
प्रथम
हसीअ,
मध्यम
उत्तम
(स्था) ठा... एकप
... बहुव. प्रथम० ठासी, ठाही, ठाही. ' मध्यम० , , , उत्तम० , ". ,
॥ क्रियातिपत्तिः॥
- तेना प्रत्ययः - १. 'क्रियातिपश्यर्थमां धातु ने 'ज, जा, न्त, माण' प्रत्ययो
लगाडवामां आवेळे. २ 'ज, जा, आबे प्रत्यय दरेक पुरुष तथा वचनमा लागेछे ते
पर छतां पूर्वना अ नो ए थायछे अने धातुने न्त, माण, १॥ क्रियातिपत्तेः ॥ ३ । १७९ ॥ तमाणौ ॥ ३ । १८० ।। २॥ ज्जा उजे ॥ ३ ॥ १५९ ॥
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________________
vivvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
vvvvvv.
.. || मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१११) . प्रत्यय लगाडया पछी तेना रूप नामनी माफक थायछे. एकव.
बहुव. प्रथम० इसेज, हसेजा, हसन्तो, हसमाणो. मध्यम० , " " " उत्तम० , " " "
हो (भू ] 'वर्तमान' एकव० . . प्रयम० होइ,
होन्ति, होन्ते, होइरे. मध्यम० होसि,
होइत्था, होह. उत्तम. होमि, .
होमो, होम, होम.
भविष्यत् काल . एकव०
बहुव० प्रथम० होहिद,
होहिन्ति, होहिन्ते, होहिरे. मध्यम० होहिसि.
होहित्या, होहिह. उत्तम०. होस, होस्सामि, होस्सामो, होहामो, होहिमो, होहामि, होहिमि, होस्सासु, होहास, होहिम,
होस्साम, होहाम, होहिम, होहिस्सा, होहित्या.
'विधि आज्ञार्थ'
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
बहुव०
होन्तु.
एकव० प्रथम० होउ, मध्यम० होहि, होसु, उत्तम० होमु,
होह.
होमो.
प्रथम० मध्यम० उत्तम०
भूतकाल एकव० होसी, होही, होहीअ. " " . " " "..
__ 'क्रियातिपत्तिः एकप०
बहुव० प्रथम० होज्ज, होज्जा, होन्तो, होमाणो. मध्यम० " , " " उत्तम० , , , ,
[स्था ] ठा वर्तमान एकव०
बहुव० .. प्रथम० गइ
गन्ति, गन्ते, गइरे. मध्यम० ठासि,
गहत्था, ठगह. उत्तम० गमि,
ठामो, ठामु, गमः . .
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________________
-
-
___॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (११३)
भविष्यत्काल एकव०
बहुव० प्रथम० ठाहिइ, ठाहिन्ति; ठाहिन्ते, ठाहिरे. मध्यम० ठाहिसि, ठाहित्था, ठाहिह. उत्तम० ठास्स, ठास्सामि, ठास्सामो, ठाहामो, गहिमो, ठाहामि ठाहिमि. ठास्सामु, ठाहामु, ठाहिसु.
ठास्साम, ठाहाम, ठाहिमठाहिस्सा, ठाहित्था.
विधिआज्ञार्थ एकव०
बहुव० प्रथमं० ठाउ,
ठान्तु. मध्यम० ठाहि, ठासु. उत्तम ठामु, __ठामो.
ठाह.
....... ॥ भूतकाल ॥
एकव० बहुव० प० म० उ० ठासी, ठाही, ठाही.
॥क्रियातिपत्तिः ॥ एकव०
बहुव० म० म० उ० ठाज, ठाजा, ठान्तो, ठामाणो.
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________________
(११४)
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
sooooooo
o
oormerasaccorn
[ध्यै ] झा, वर्तमान. एकव०
बहुव० प्रथम० झाइ
शान्ति, झान्ते, झाइरे. मध्य० झासि.
झाइत्था, झाह.. उत्तम० झामि. झामो, झामु, झाम.
भविष्यत्. एकव०
बहुव० प्रथम० झाहिइ. झाहिन्ते, शाहिन्ते, झाइरे. मध्यम० झाहिसि. . • झाहित्था, शाहिह. .. उत्तम० झासं, झास्मामि. झास्सामो, झाहामो, झाहिमो. झाहामि, झाहिमि, झास्सामु, झाहामु, ज्ञाहिमु.
झास्साम, झाहाम, झाहिम.
शाहिस्सा, झाहित्था, ॥ विधि आज्ञार्थ ॥ एकव० प्रथम झाउ,
ज्ञान्तु. मध्यम० झाहि, झासु. झाह. उत्तम झामु.
भूतकाल. एकव०
बहुव० प्र०म० उ० झासी, झाही, शाहीअ,
बहुव०
झामो.
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________________
...rrrrr
- -
-
... ॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (११५)
क्रियातिपत्तिः एकव०
बहव० प्र० म० उ० झाज, झाज्जा, झान्तो, झामाणो १ धातुना अन्त्य 'इ' नो गुण थाय छे तथा 'उ' ऋ, होय तो
उनो अव् अने ऋनो अर थाय छे.
(नी) 'ने' वर्तमान. एकव.
बहुव० प्रथम० नेइ
नेन्ति, नेन्ते, नेइरे. मध्यम० नेसि.
नेइत्था, नेह. उत्तम० नेमि.
नेमो, नेमु, नेम.
भविष्यत् काल. एकव० :
बहुव० प्रथम नेहिइ
नेहिन्ति, नेहिन्ते, नेहिरे. मध्यम० नेहिसि. . नेहित्था, नेहिह.. उत्तम० नेस्स,नेस्सामि,नेहामि नेस्सामो, नेहामो नेहिमो, नेहिमि. नेस्सामु, नेहामु, नेहिम,
नेस्साम, नेहाम, नेहिम,
नेहिस्सा, नेहित्था. १॥ उषणस्यावः ॥ ऋवर्णस्यारः ॥ युवर्णस्य गुणः
॥४. २३३. ॥ ॥४. २३४. ।। ।। ४. २३७. ॥
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥ o ooooooooooooooooo
onumeone wowonw
o oo
नेन्तु.
विधि आज्ञार्थ, एकव०
बहुव० प्रथम नेउ. मध्यम० नेहि, नेसु,
नेह. उत्तम० नेमु.
नेमो.
भूतकाल. .. एकव०
बहुव० प्र०म० उ० नेसी, नेही, नेहीअ..
क्रियातिपत्तिः, एकव०
बहुव० प्र० म० उ० नेज, नेजा, नेन्तो, नेमाणो.
उड्डे ( उडी ) वर्तमान, एकव० __बहुव० प्रथम० उड्डेइ, उड्डेन्ति, उड्डेन्ते, उड्डेइरे. मध्यम० उडडेसि, उड्डेइत्था, उड्डेह. उत्तम० उड्डेमि. उड्डेमो, उड्डेमु, उड्डेम.
भविष्यत्काल एकव०
बहुव० प्रथम० उड्डेहिइ, उड्डेहिन्ति,उड्डेहिन्ते,उड्डेहिरे मध्यम० उड्डेहिसि, उड्डेहित्था, उड्डेहि उत्तम. उड्डेसं,उड्डेस्सामि, उड्डेस्सामो, उड्डेहामो, उड्डेहिमो,
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________________
-
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१९७) . उड्डेहामि, उड्डेहिमि. उड्डेस्सामु,उड्डेहामु, उड्डेहिम,
___ उड्डेस्साम, उड्डेहाम, उड्डेहिम.
विधिआज्ञार्थ, एकव०
वहुव० प्रथम० उड्डेउ,
उड्डेन्तु. मध्यम० उड्डेहि, उड्डेसु. ___उड्डेह, उत्तम० उड्डेमु,
. भूतकाल .. एकव० . बहुव० प्रथम० म० उ० उड्डेसी, उड्ढेही, उड्डेहीअ.
... क्रियातिपत्तिः . एकव० . बहुव० प्रथम० म० उ० उड्डेज्ज, उड्डेज्जा, उड्डेन्तो, उड्डेमाणो.
उड्डेमो.
एकप.. प्रथम पाइ, .. मध्यम० पासि, उत्तम० पामि.
पा (पाने ) वर्तमान
बहुव० . पान्ति, पान्ते, पाइरे.
पाइत्था, पाह.
पामो, पामु, पाम. भविष्यत्काल
बहुव. पाहिन्ति, पाहिन्ते, पाहिरे.
एकव. प्रथम० पाहिइ.
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________________
॥ प्राकृतरूपमाला ॥
vvvvvvvvvdos
voiadeooooooooooooooooooooooor
मध्यम० पाहिसि, पाहित्था, पाहिह. उत्तम० पस्सं, पास्सामि. पास्सामो, पाहामो, पाहिमो,
पाहामि, पाहिम. पास्सामु, पाहामु, पाहिमु,
पास्साम, पाहाम, पाहिम, ...
पाहिस्सा, पाहित्या. विधिधाज्ञार्थ
एकव०
बहुव०
प्रथम० पाउ.
पान्तु.
पाह, पामो.
मध्यम० पाहि, पासु, उत्तम० पासु.
भूतकाल . एकव० . बहुव० प्र० म० उ० पासी, पाही, पाहीअ.
क्रियातिपत्तिः एकव०
बहुव० प० म० उ० पाज, पाज्जा, पान्तो, पामाणो.
(स्ना) 'पहा, वर्तमान, एकव०
बहुव०
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________________
बहुव०
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (११९) प्रथम व्हाइ,
हान्ति, ण्हान्ते, व्हाइरे. मध्यम० हासि.
व्हाइत्था, व्हाह. उत्तम पहामि.
व्हामो, ण्हामु, हाम. भविष्यत् काल; एकव० प्रथम० पहाहिइ,
हाहिन्ति, पहाहिन्ते, "हाहिरे. मध्यम० एहाहिसि. ण्हाहित्था, हाहिह. उत्तम० ण्हास्सं, हास्सामि, ण्हास्सामो, हाहामो, पहाहिमो, हाहामि, हाहिमि.. ण्हास्सामु, हाहामु, हाहिमु,
ण्हास्साम, ण्हाहाम, हाहिम,
ण्हाहिस्सा, हाहित्था.
विधि आज्ञार्थ. एकव०
बहुव० प्रथम० ग्हाउ. मध्यम पहाहि, हासु, ण्हाह, उत्तम० ण्हामु.. हामो.
- भूतकाल, एकव०
बहुव० प० म० उ० ण्हासी, हाही, हाहीअ.
क्रियातिपत्तिः, एकव०
बहुव०
व्हान्तु.
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________________
(१२०)
॥ प्राकृतरूपमाला ।। vivar Moooooooooooooooooooooooooooooooooooooooon
प्र० म० उ० पहाज, हाज्जा, ण्हान्तो, हामाणो.
(गै) 'गा. वर्तमान. - एकव०
बहुव० प्रथम० गाइ,
गान्ति, गान्ते, गाइरे.. मध्यम० गासि. गाइत्था, गाह... उत्तम० गामि,
गामो, गामु, गाम..
भविष्यत् काल. . एकव०
'बहुव० प्रथम० गाहिइ. गाहिन्ति, गाहिन्ते, गाहिरे. मध्यम० गाहिसि.. गाहित्था, गाहिह. उत्तम० गास्स, गास्सामि. गास्सामो, गाहामो, गाहिमो. गाहामि, गाहिमि.. गारसामु, गाहामु, गाहिमु,
गास्साम, गाहाम. गाहिम,
गाहिस्सा, गाहित्था.
विधि आज्ञार्थः. एकव०
बहुव० प्रथम० गाउ. मध्यम० गाहि, गासु. उत्तम गामु;
गामो. भूतकाल.
गान्तु. गाह.
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________________
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
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एकव.
बहुव० प्रथम० म० उ० गासी, गाही, गाहीअ.
. ॥कियातिपत्तिः॥ एकव०
. बहुव० १० म० उ० गाज, गाजा, गान्तो, गामाणो.
१ जे धातुने अन्ते अ सीवाय कोइ स्वर होय ते धातुने अन्ते पुरुष
बोधक प्रत्ययनी पूर्व अकार आगम विकल्पे मुकवामां आवे छे. यथा-(भा ) भाअइ पक्षे भाइ ( या ) जाअइ जाइ, (पा) पाअइ, पाइ, ( ध्यै ) झाअइ, झाइ. (धा ) धाअइ, धाई, (उद्वा) उचाइ, उचाइ. (म्ला ) मिलाअइ, मिलाइ, (विक्री ) विक्केअइ, विक्केइ, २ वर्तमान भविष्यत् तथा विध्यर्थ अने आज्ञार्थमा स्वरान्त धा
तुथी पर प्रत्ययोनी पूर्व तथा प्रत्ययोने स्थाने ज, जा. आदेश विकल्पे मुकवामां आवे छे.
.. 'भू' हो वर्तमान, एकव.
बहुव० प्रथम० होज्जइ,होजाइ, होजन्ति,होज्जन्ते,होजिरे,
होज, होजा. होज, होजा. १ स्वरादनतो वा ॥ ४ ॥ २४० ॥ २ मध्ये च स्चरान्ताद् वा ॥ ३ ॥ १७८ ॥
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________________
(१२२)
मध्यम० होज्जसि, होज्जासि,
होज्ज होज्जा.
उत्तम होज्जमि, होज्जामि,
होज्ज होज्जा.
|| प्राकृतधातुरूपमाला ॥
होज्जित्था, होज्जह, होज्जाह,
होज्ज, होज्जा,
3
होज्जमो, होज्जामो, होज्ज,
होज्जा,
होज्जमु, होज्जामु, होज्ज, होज्जा. होज्जम, होज्जाम, होज्ज, होज्जा.
पक्षे हो, होन्ति, होन्ते, होइरे. इत्यादि पूर्ववत्.
'भविष्यत्,
एकव ०
प्रथम० होज्जहिर, होज्जाहिर होज्ज, होज्जा.
.
बहुव होज्जहिन्ति, होज्जा हिन्ति, होडज होज्जी, होज्जहिन्ते, होज्जा हिन्ते, होज्ज, होज्जा, होज्ज हिरे, होज्जाहिरे, होज्ज, होज्जा,
मध्यम होज्जहिसि, होजाहिसि, होज्ज होज्जा.
उत्तम होज्जस्सं, होज्जस्सामि,
होज्जहामि, होज्जाहामि होज्जहिमि, होज्जाहिमि, होज्ज, होज्जा.
,
होष्जहिस्था, होज्जाहित्था, होज्ज, होज्जा, होज्जहिह,
होज्जाहिह, होज्ज, होज्जा
होज्जरसामो, होज्जहामो होज्जाहामो, होज्जहिमो, होज्जा हिमो, होज्ज होज्जा,
होज्जस्सामु, होज्जहामु,
१ ( होज्जहिह, वो पाठ कोइ ठेकाणे छे तेथी भविष्यकालमां ज्ज ना अ नो इ, ए. कोइ ठेकाणे थाय छे. )
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________________
॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१२३)
होज्जाहामु, होज्जहिमु, होज्जाहिम, होज्ज, होज्जा. होज्जस्साम,होज्जहाम,होज्जाहाम.होज्जहिम, होज्जाहिम, होज्ज, होज्जा. होज्जहिस्सा, होज्जाहिस्सा, होज्जहित्था, होज्जाहित्था,
होज्ज, होज्जा. पक्ष-होहिइ, होहिन्ति, होहिन्ते, होहिरे इत्यादयः पूर्ववत्
.. विधि-आज्ञार्थ. एकव० . बहुव० प्रथम० होजउ,होजाउ,होज,होजा, होज्जन्तु,होज्ज, होज्जा, मध्यम० होज्जहि होज्जाहि, होज्जसु, होज्जह,होज्जाह, होज्ज,
. होज्जासु, होज्ज, होज्जा. होज्जा, उत्तम० होज्जमु, होज्जामु, होज्ज, हाजमो, हेाज्जामा, होज,
... हाज्जा.
होज्जा.
एकव०
(नी) 'ने' वर्तमान.
बहुव० प्रथम० नेज्जइ,नेज्जाइ,नेज्ज,नेज्जा. नेज्जन्ति, नेज्जन्ते, नेजिरे,
नेज्ज, नेज्जा.
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________________
काल;
.
..
(१२४)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥ मध्यमग्नेजसि,नेज्जासि,नेज,नेज्जा. नेज्जित्था, नेज्जह, नेज्जाह. उत्तम० नेज्जमि,नेज्जामि,नेज्ज, नेजमो,नेज्जामो,नेज्ज,नेज्जा. नेज्जा .
नेज्जमु,नेज्जामु,नेज्ज,नेज्जा,
नेज्जम,नेज्जाम नेज्ज, नेज्जा. भविष्यत् काल; एकव०
बहुव० ... प्र० नेज्जहिइ, नेज्जाहिइ, नेज्ज, नेजहिन्ति,नेज्जाहिन्ति,नेज्ज नेज्जा .
नेज्जा,नेज्जहिन्ते,नेज्जाहिन्ते, ___ • नेज्ज, नेज्जा. नेज्जहिरे, :
नेज्जाहिरे, नेज्ज, नेज्ज. म० नेजहिसि,नेज्जाहिसि,नेज नेजहित्था,नेज्जाहित्था,नेज्जनेज्जा.
नेज्जा.नेज्जहिह,नेज्जाहिह,
नेज्ज, नेज्जा. उ० नेज्जस्स,नेज्जस्सामि,नेज्जहामि,नेज्जस्सामो,नेज्जहामो,नेज्जा'
नेज्जाहामि,नेज्जहिमि,नेज्जा- हामो,नेज्जहिमो,नेज्जाहिमो, हिमि, नेज्ज, नेज्जा. नेज्ज,नेज्जा, नेज्जस्सामु,ने.
ज्जहामु,नेज्जाहामु,नेज्जहिम, नेज्जाहिमु, नेज्ज, नेज्जा. नेज्जस्साम.नेज्जहाम, नेज्जा. हाम, नेज्जहिम, नेज्जाहिम, नेज्ज. नेज्जा, नेज्जहिस्सा,
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________________
wwwwwwwwwwwwwwwwwच्या
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
नेज्जाहिस्सा, नेज्जहित्था,
नेजाहित्था, नेज्ज, नेज्जा. विधि आज्ञार्थः. एकव०
बहुव० प्रथम० नेज्जउ,नेज्जाउ,नेज्ज,नेज्जा. नेज्जन्तु,नेज्ज,नेज्जा, मध्यम० नेज्जहि,नेन्जाहि,नेज्जसु, नेज्जह,नेज्जाइ,नेज्ज,नेज्जा.
नेज्जासु, नेज्ज, नेज्जा, उत्तम० नज्जमु,नेज्जामु,नेज्ज,नेज्जा. नेज्जमो,नेज्जामो,नेज्ज,नेज्जा.
बहुव०
(म्लै) 'मिला,' वर्तमान, एकव० प्रथम० मिलाज्जइ, मिलाज्जाइ, मिलाज्जन्ति, मिलाज्जन्ते, मि
मिलाज़्ज, मिलाज्जा. लोज्जिरे, मिलाज्ज,मिलाज्जा, मध्यमः मिलाज्जसि,मिलाज्जासि. मिलाज्जित्था,मिलाज्जह, मिला- मिलाज्ज, मिलाज्जा. ज्जाह, मिलाज्ज, मिलाज्जा. उत्तम० मिलाज्जमि,मिलाज्जामि. मिलाज्जमो,मिलाज्जामो,मिलामिलाज, मिलाज्जा. ज्ज,मिलाज्जा मिलाज्जमु,मि
लाज्जामु,मिलाज्ज, मिलाज्जा. मिलाज्जम, मिलाज्जाम,
मिलाज्ज, मिलाज्जा. भविष्यत् काल.
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
nahanana
एकव
बहुव० प्रथम० मिलाज्जहिइ,,मिलाजाहिइ, मिलाजहिन्ति, मिलाज्जाहिन्ति, मिलाज, मिलिज्जा. मिलाज, मिलाजा.
मिलाजहिन्ते, मिलाजाहिन्ते, मिलाज, मिलाजा... मिलाजहिरे, मिलाजाहिरे, .
मिलाज. मिलाजा, मध्यम० मिलाजहिसि,मिलाज्जा- मिलाजहित्था, मिलाजाहित्या हिसि, मिलाज, मिलाजा, मिलाज, मिलाजा, मिला
जहिह, मिलाज्जाहिह,मिलाज
मिलाज्ज,. उत्तम० मिलाज्जस्स, मिलाज्जस्सा. मिलाज्जस्सामो, मिलाज्ज
मि, मिलाजहामि, मिलाजा. हामो..मिलाज्जाहामो, हामि, मिलाज्जहिमि,मिला. मिलाजहिमो,मिलाजाहिमो, जाहिमि, मिलाज, मिलाजा. मिलाज्ज,मिलाज्जा, मिला
जस्सामु, मिलाजहामु, मिलाजाहामु, मिलाज हिमु, मिलाजाहिम, मिलाज, मिलाज्जा. मिलाजस्साम, मिलाजहाम, मिलाजाहाम, मिलाज हिम, मिलिजाहिम, मिलाज,
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________________
... ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ . (१२७)
मिलाज्जा, मिलाज्जहिस्सा, मिलाज्जाहिस्सा, मिलाज हित्था, मिलाज्जाहित्था,
मिलाज्ज, मिलाज्जा, विधि आज्ञार्थः, एकव०
बहुव० मिलाज्जउ, मिलाज्जाउ, मिलाजन्तु,मिलाज,मिलाजा
मिलाज, मिलाजा, मध्यम० मिलाजसु, मिलाजासु, मिलाजह, मिलाजाह,
मिलाजहि, मिलाजाहि, मिलान, मिलाजा.
मिलज, मिलाजा, उत्तम० मिलाजमु, निलाज्जाम, मिलाजमो, मिलाजामो,
. मिलाज्ज, मिलाना, मिलाज, मिलाजा.
.: (रु) व वर्तमान. ... एकव० .
बहुव० प्रथम० रवइ, रवए. रवन्ति, रवन्ते. रविरे. मध्यम खसि, रवसे. रवित्था, रवह. . उत्तम० रवामि, रवमि. रविमो, रखामो, रवमो.
रविमु, रवामु, रवमु,
रविम, रखाम, रवम. एकव०
बहुव० प्रथम रवेइ.
खेन्ति, स्वेन्ते. रवेइरे.
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________________
(१२८)
मध्यम० खेसि,
उत्तम० खेमि.
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
इत्था, ह.
खेमो, खेमु, खेम.
एकव ०
प्रथम ० र विहिर, रविहिए. मध्यम० रविहिसि, रविहिसे.
उत्तम० रविस्सं, रविस्सामि,
रविहामि, रवि हिमि.
एकव ०
भविष्यत्काल
रविस्सामो, रविहामो, रविहिमो. रविस्सामु, रविहामु, रविधिमु..
रविस्साम, रविहाम, रविहिम
विहिस्सा, रविहित्था.
रखेहि, खेहिन्ति, खेस्स, इत्यादि रूपो पण थाय छे.
विधिश्राज्ञार्थ.
प्रथम० रवउ.
मध्यम० खहि, वसु, खेज्जसु,
एकव०
प्रथम० खेड.
रवेज्जहि, रवेज्जे, रव.
उत्तम रविसु, रवामु, रवमु.
बहुव०
रविहिन्ति, रविहिन्ते, रवि हिरे. रविहित्था, रविहिह.
बहुष ०
रवन्तु.
रवद्द.
रविमो, खामो, मो.
॥ आज्ञार्थ ॥
बहुच ०
रवेन्तु
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________________
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvar
मध्यम० खेहि, रवेसु. रखेह. उत्तम० रवेमु.
रखेमो.
भूतकाल . एकव० बहुव० प्र०म० उ० रवीअ. ... क्रियातिपत्तिः
एकव० . बहुव० प्र०म० उ० रवेज, रवेज्जा, रवन्तो, रवमाणो.
एवं ( हनु ) ण्हवइ. (हु ) हवइ. ( च्यु ) चवइ; (कु) कवइ. (सु ) सवइ. ॥
- - (कृ) कर वर्तमान. .
बहुव० प्रथम करइ, करए,
करन्ति, करन्ते, फरिरे. मध्यम० करसि करसे, करित्या, करह. उत्तम० करामि, करमि, करिमो, करामो, करमो,
करिमु, करामु, करसु.
करिम, कराम, करम. करेइ, करेन्ति, इत्यादि पण थाय छे.
भविष्यत् काल.
एकव०
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
एकव०
बहुव० प्रथम० करिहिइ, करिहिए, करिहिन्ति, करिहिन्ते करिहिरेमध्यम० करिहिसि, करिहिसे, करिहित्था, करिहिह, उत्तम करिस्स, करिस्सामि, करिस्सामो, करिहामो, करिहिमो, करिहामि, करिहिमि, करिस्सामु, करिहामु, करिहिमु,
करिस्साम, करिहाम, करिहिम,
___करिहिस्सा, करिहित्था. करेडिइ. करेहिन्ति, करेस, करेस्सामो, पण थायछे.
विधि-आज्ञार्थ, एकव०
बहुव०, प्रथम० करउ,
करन्तु, मध्यम० करहि, करसु, करेजसु, करह,
___करेजहि, करेज्जे, कर, , उत्तम० करिमु, करामु, करमु करिमो, करामो. करमो, 'आज्ञार्थमां ए थाय त्यारे, करेउ, करेन्तु, इत्यादि,
भूतकाल. एकव०
बहुव० प्र०म० उ० करीअ,
॥ क्रियातिपत्तिः॥ एकव०
बहुव० प्र० म० उ० करेन, करेजा, करन्तो, करमाणो.
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________________
.. . || मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१३१) एवं- [धृ) घरइ, (म) मरइ ( ) वरइ, (स) सरइ, (ह) हरइ, (व.) तरइ, (ज़ ) जरइ,
. (अस ) अस्थि भूतकाल सिबाय दरेक कालना प्रत्मयोनी साथे अस धातुन अत्थि रुप थायछे, पण सि प्रत्ययनी साथे 'सि' ज रूप थायछे, अने मि, मो, म, प्रत्ययनी साथे अस् धातुन रूप म्हि, म्हो, म्ह, थाय छे. . . २ भूतकालमां सर्व प्रत्ययंनी साथे आसि अहेसि रुपो थाय छे, एकव० .
बहु.. प्र० म० उ० आसि, अहेसि,
.:
एकव०
- [पुष्) पूस, वर्तमान
बहुव० प्रथम० पूसइ, पूसए, पूसन्ति, प्रसन्ते, पूसिरे. मध्यम: पूससि, पूससे, पूसित्था, पूसह. उत्तम पूसामि० पूसमि, . पूसिमो, पूसामो, पूसमो,
पूसिमु, पूसामु, पुसमु,
पूसिम, पूसाम, पूसम. १. ॥ अस्थिस्त्यादिना ॥३॥१४८॥ सिनाऽस्तेसिः ॥ ३ ॥ १४६ ॥ .. || मिमोमम्हिम्होम्हावा ॥ ३ ॥ १७ ॥ २॥ तेनास्तेरास्यहेसी ।। ३ ।। १६४ ।।
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________________
(१३२)
एकव ०
प्रथम० पूसे,
मध्यम० पूसेसि, उत्तम सेमि,
एकव
D
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ||
अ, नो ए. त्यारे,
भविष्यत् काल,
प्रथम० पूसिहि, पूसिहिए, मध्यम० पूसिद्दिसि पूसि हिसे,
उत्तम० पूसिस्सं, पूसिस्सामि,
पूसिहामि, पूसिहिमि,
बहुव०
पूसेन्ति, पूसेन्ते, पूसेइरे. पूसेइत्था पूसेह.
पूसेमो, पूसेमु, पूसेम.
ལྡན
एकव
प्रथम० पूसेहिह,
मध्यम० पूसेहिसि,
उत्तम पूसेस्स, पूसेस्सामि,
2
पूसेहामि, पूसेहिमि,
बहुव
·
नोए, थाय त्यारे .
पूसि हिन्ति, पूसि हिन्ते, पूसि.हिरे, पूसि हित्था, पूसिहिह.
पूसिस्सामो, 'पुंसिहामो, पूसिहिमो, पूसिस्सामु, पूसिहामु, पूसिहिमु, पूसिस्साम, पूसिहाम,
पूसिहिम, पूसिहिस्सा, पूसिहित्था.
बहुव ०
पूसेहिन्ति, पूसेहिन्ते, पूसे हिरे.
पूसेहित्था, पूसेहिह.
पूसेस्सामो, पूसेहामो, पूसेहिमो,
पूसेस्सामु, पूसेहामु, पूसेहिसु, पूसेस्साम, पूसेहाम, पूसेहिम,
पूसेहिस्सा, प्रसेहित्था
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________________
। मुनि - कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
विधि - आज्ञार्थ
एकव ०
प्रथम० पूसउ,
मध्यम० पूसहि, पूससु. पूसेज्जसु पूसज्जेहि, पूसज्जे, पूस.
उत्तम पूसिमु, पूसामु, पूसमु,
एकव ०
प्रथम० पूसेउ
मध्यम० पूसेहि, पूसेसु, उत्तम० पूसेमु,
एकव ०
१० म० उ० पूसीअ.
आज्ञार्थमां अ नो ए थाय त्यारे.
एकव०
पूसन्तु.
पूसइ.
भूतकाल
बहुव०
पूसिमो, पूसामो, पूसमो.
',
पूसेन्तु,
पूसेह.
पूसेमो.
बहुव०
बहुव०
क्रियातिपत्तिः
एकव ०
बहुव०
प्र म० उ० पूसेज्ज, पूसेज्जा, पूसन्तो, पूसमाणो.
एवं (रुष) रूस, (तुप् ) तूस, (शुप् ) सूसइ, (दुष् )
दूसर, (शिष् ) सीसइ.
(१३३)
(स्तु ] थुण. वर्तमान
बहुव
ง
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________________
(१३४)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
Howwwwwwwwwwwww
प्रथम० थुणइ, थुणए, थुणन्ति, थुणन्ते, थुणिरे. मध्यम थुगसि, थुणसे, थुणित्या, थुणह, उत्तम० थुणामि, थुणमि, थुणिमो, थुणामो, थुणमो,
थुणिमु, थुणामु, थुणमु,
थुणिम, थुणाम, थुणम. .. एत्व थाय त्यारे थुणेइ, थुणेन्ति, थुणेसि, इत्यादि.
भविष्यत् काल; . . एकव.
बहुव० प्रथम० थुणि हिइ. श्रुणिहिए, थुणिहिन्ति,थुणिहिन्ते, थुणिहिरे, :: मध्यम० थुणिहिसि, थुणिहिसे, थुणिहित्था. श्रुणिहिह उत्तम० थुणिसं, थुणिस्सामि, थुणिस्सामो, थुणिहामो, थुणिहिमो थुणिहामि, थुणिहिमि, थुणिस्सामु, थुणिहामु, थुणिहिमु.
___ थुणिस्साम, थुणिहाम, थुणिहिम,
थुणिहिस्मा, थुणित्था. एत्व थाय त्यारे, थुणेहिइ, थुणेहिन्ति, इत्यादि.
विधि-आज्ञार्थ. एकव०
बहुव० प्रथम० थुणउ,
थुणन्तु, मध्यम • थुणहि, थुणसु, थुणेजसु, थुणह.
थुणेज हि, थुणेज्जे, थुग. उत्तम० थुणिमु, थुणामु, थुणमु, थुणिमो, थुणामो थुणमो.
आज्ञार्थमां एत्व थाय त्यारे थुणेउ, थुणेन्तु.
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________________
-
॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१३५)
॥ भूतकाल ॥ एकव०
बहुव० प्र०म० उ० थुणीअ.
क्रियातिपत्तिः एकव० . . बहुव० म० म० उ० थुणेन्ज, थुणेजा, थुणन्तो, थुणमाणो.
एवं [ चि ) चिणइ, (जि ) जिणइ,, [श्र]मुणइ, (हु) हुणइ, (लू ) लुणइ, (पू] पुणइ; (धू ) धुणइ.
बहुव०
(हृष् ) हरिस, वर्तमान, एकव० प्रथम० हरिसइ, हरिसए, हरिसन्ति, इरिसन्ते, हरिसिरे. मध्यम० हरिससि, हरिससे, — हरिसित्था, हरिसह, उत्तम० हरिसामि, हरिसमि हरिसिमो हरिसामो, हरिसमो,
हरिसिमु, हरिसामु, हरिसमु,
हरिसिम, हरिसाम,हरिसम. ... एव थाय त्यारे हरिसेइ, हरिसेन्ति, .. भविष्यत्काल एकव.
बहुव० प्रथम० हरिसिहिइ, हरिसिहिए, हरिसिहिन्ति, हरिसिहिन्ते, ह.
रिसिहिरे. मध्यम० हरिसिहिसि, हरिसिहिसे, हरिसिहित्था, हरिसिहिइ. . उत्तम० हरिसिस्स. हरिसिस्सामि, हरिसिस्सामो, हरिसिहामो.
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
.. हरिसिहामि, हरिसिहिमि. हरिसिहिमो, हरिसिस्सामु,
हरिसिहामु, हरिसिहिमु, हरिसिस्साम,हरिसिहाम, हरिसिहिम..
हरिसिहिस्सा, हरिसिहित्था. एत्व थाय त्यारे हरिसेहिइ, हरिसेहिन्ति,
विधि-आज्ञार्थ, प्रथम० इरिसउ,
हरिसन्तु.. मध्यम० हरिसहि, हरिससु, हरिसेजसु, हरिसह,
हरिसेन्जहि, हरिसेजे, हरिस, उत्तम० हरिसिमु, हरिसामु, हरिसमु. हरिसिमो, हरिसामो,हरिसमो, आज्ञार्थमां हरिसेउ, हरिसेन्तु, इत्यादि पण थाय छे.
. भूतकाल, एकव० १० म० उ० हरिसीअ.
॥ क्रियातिपत्तिः ॥ एकव०
बहुव० प्र० म० उ० हरिसेन्ज, हरिसेज्जा, हरिसन्तो. हरिसमाणो,
एवं (वृषु ) वरिसइ, (दृश्) दरिसइ, [ कृष् ] करिसइ, (मृष् ] मरिसइ.
.
बहुव०'
(गम् गच्छ
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________________
। मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
..
..........
........
..
.
...
.
॥ वर्तमान काल ॥ एकव०
बहुव० प्रथम० गच्छइ, गच्छए, गच्छन्ति, गच्छन्ते, गच्छिरे. मध्यम० गच्छसि, गच्छसे, गच्छत्था, गच्छह. उत्तम० गच्छामि, गच्छमि, गच्छिमो, गच्छामो. गच्छमो,
गच्छिमु, गच्छाम, गच्छमु,
गच्छिम, गच्छाम, गच्छम. _ 'भविष्यत् काल. एकव०
बहुव० प्रथम० गच्छिइ, गच्छिहिद, गच्छिन्ति, गच्छिहिन्ति, गच्छिए, गच्छिहिए, . गच्छिन्ते, गच्छिहिन्ते,
गच्छिरे, गच्छिहिरै. मध्यम गच्छिसि, गच्छिहिसि, गच्छित्था, गच्छिहित्था,
... गच्छिसे, गच्छिहिसे. गच्छिह, गच्छिहिह. उत्तम० गच्छं, गच्छिस्स;
गच्छिस्सामि, गच्छिहामि, गच्छिस्सामो, गच्छिहामो; गच्छिमि, गच्छिहिमि, गच्छिमो. गच्छिहिमो.
गच्छिस्सामु. गच्छिहामु, गच्छिमु, गच्छिहिमु, गच्छिस्साम, गच्छिहाम,
सोच्छादय इजादिषु हि लुकच वा ॥ ३ ।। १७२ ॥
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________________
(१३८)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
एकव०
प्रथम० गच्छउ,
मध्यम० गच्छहि. गच्छसु.
विधि - - आज्ञार्थः,
बहुव०
गच्छेज, गच्छेज्जहि, गच्छेज्जे, गच्छ.
एकव०
प्र० म० उ०
गच्छिम, गच्छिहिम. गच्छिहिस्सा, गच्छिहित्था,
उत्तम० गच्छिमु, गच्छामु, गच्छमु, गच्छमो, गच्छामो,
गच्छमो.
भूतकाल.
गच्छीअ
गच्छन्तु.
गच्छह.
बहुव०
' क्रियातिपत्तिः
"
एकव०
बहुव० प्र० म० उ० गच्छेज, गच्छेज्जा. गच्छन्तो, गच्छमाणो. भविष्यत्कालना प्रत्ययो परछता श्रुनो सोच्छ, रुद् नो रोच्छ, विद् नो वेच्च, दृश् नो दच्छ. मुत्र नो मोच्छ, वच् नो बोच्छ, छिद् नो छेन्छ, भिद् नो भेच्छ, भुज् नो भोच्छ, आदेशों थाय छे अने तेना रूपो भविष्यत्कालना गच्छ धातुना रूपोनी माफक थाय छे.
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________________
॥ मुनि - कस्तूरविजयविनिमिता ॥
यथा - सोच्छ ( श्रु ) भविष्यत्काल
एकव ०
प्रथम० सोच्छिइ, सोच्छिहिह, सोच्छिए, सोच्छिहिए,
मध्यम० सोच्छिसि सोच्छिहिसि,
सोच्छिसे, सोच्छिहिसे,
उत्तम० सोच्छं, सोच्छिस्सं,
सोच्छिस्सामि, सोच्छिहामि, सोच्छिम, सोच्छिहिमि,
एकव ०
प्र० वोच्छिर, वोच्छिहि, बोच्छिए, बोच्छिहिए.
बहुव०
सोच्छिन्ति, सोच्छिहिन्ति, सोच्छिन्ते, सोच्छिहिन्ते,
सोच्छिरे सोच्छिहिरे.
म० वोच्छिसि वोच्छिहिसि, वोच्छिसे, वोच्छिसेि.
सोच्छित्था, सोच्छिहित्था, सोच्छिह, सोच्छिहिह. सोच्छिस्सामो, सोच्छिहामो,
(१३९)
वोच्छ ( वच ) बहुव०
सोच्छिमो, सोच्छिहिमो, सोच्छिस्सामु, सोच्छिहामु,
सोच्छ, सोच्छिह,
सोच्छिस्साम, सोच्छिहाम,
सोच्छिम, सोच्छिहिम,
सोच्छिहिस्सा, सोच्छिहित्था,
वोच्छिन्ति वोच्छि हिन्ति,
बोच्छिन् बोच्छिन्तेि, बोच्छिरे.
་
बोच्छिहिरे.
वोच्छित्था, वोच्छिहित्था, वोच्छि
ड. वोच्छिहिए.
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________________
(१४०)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
उ० बोच्छं, वोच्छिस्सं, वोच्छि- वोच्छि(सामो, वोच्छिहामो,
स्मामि, वोच्छिहामि, वोच्छिमि, वोच्छिहिमि.
वोच्छिम, वोच्छिहिमो, वोच्छिस्सामु, वोच्छिहामु, वोच्छिमु. वोच्छिहिमु. वोच्छिस्साम, वोच्छि• हाम, वोच्छिम, वोच्छिहिम,
वोच्छिहिस्सा, बोच्छिहित्या.
एवम् रोच्छ, बेच्छ, दच्छ, मोच्छ, छेच्छ, भेच्छ, भोच्छना
पण जाणवा.
( कथ ) बोल्ल जम्प कह,
वर्तमान '
6
एकव०
प्रथम बोल्लर, बोल्लए, मध्यम० बोल्लसि. बोल्लसे,
उत्तम ० बोल्लामि, बोल्ळमि.
बहुव०
बोल्लन्ति बोललन्ते बोल्लिरे. बोल्लित्था, बोल्लह.
बोल्लिमो बोल्लामो, बोल्लमो,
बोल्लिमु, बोल्लामु, बोल्लमु,
बोल्लिम, बोल्लाम, बोल्लम,
एस्व थाय त्यारे बोल्लेड, बोल्लेन्ति इत्यादि पण थाय छे.
भविष्यत् काल
एकव ०
प्र० बोल्लिहिर, बोल्लिहिए,
बहुव०
बोल्लिहिन्ति, बोल्लि हिन्ते, बोल्लिहिरे,
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________________
Homooooove
बोल्लन्तु.
__ ॥ मुनिकस्त्रविजय विनिर्मिता ॥ (१४१) मध्यम० बोल्लिहिसि, बोल्लिहिसे, बोल्लिहित्था, बोल्लिहिह, उत्तम० बोल्लिस्स,बोल्लिस्सामि, बोल्लिस्मामो, बोलिहामो, बोल्लिहामि, बोल्लिहिमि, बोल्लिहिमो,बोल्लिस्साप्नु,
बोलिलहामु, बोल्लिहिम, बोल्लिस्साम, बोलिहाम, बोल्लिहिम, बोल्लिहिस्सा,
बोल्लिहित्था, एत्व थाय त्यारे बोल्लेहिइ. बोल्लेस्सं इत्यादि,
विधि आज्ञार्थ प्रथम० बोल्लउ, मध्यम० बोल्लहि, बोल्लस, बोल्लेजसु, बोल्लह.
बोल्लेज्जहि, बोल्लेज्जे, बोल्ल, उत्तम० वोल्लिमु, बोल्लाम, बोल्लमु, बोल्लिमो,बोल्लामो,
- वोल्लमो . . आज्ञार्थमां ऐत्व थाय त्यारे बोल्लेउ. बोल्लेन्तु, आदि . पण थायछे,
भूतकाल
एकव० बहुव० प० म० उ० बोल्लीअ.
कियातिपत्ति एकव०
बहुव० प्र० म० उ० बोल्लेज, बोल्लेज्जा, बोल्लन्तो बोल्लमाणो.
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________________
(१४२)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
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womansoooooooooope
एवं जम्प कह ना पण जाणवा
(पा) पिज्ज, पिथ, वर्तमान एकव०
बहुव० प्रथम० पिज्जइ, पिज्जए, पिज्जन्ति, पिज्जन्ते, पिजिरे. मध्यम० पिज्जसि, पिज्जसे, पिज्जित्था, पिज्जह, ..... उत्तम पिज्जामि, पिज्जमि, पिज्जिमो, पिज्जामो, पिज्जमो,
पिज्जिमु, पिज्जामु, पिज्जमु,
पिज्जिम. पिज्जाम, पिज्जम. अनो एत्व थाय त्यारे पिज्जेइ, पिज्जेन्ति, इत्यादि पण रूपो थायछे.
भविष्यत्काल. एकव०
बहव० प्रथम० पिज्जिहिइ, पिज्जहिए, पिजिहिन्ति, पिजिहिन्ते,
• पिज्जिहिरै. मध्यम० पिजिहिसि, पिजिहिसे, पिजिहित्था, पिजिहिह. उत्तम० पिजिस्सं, पिजिस्सामि, पिज्जिस्सामो, पिजिहामो, पिज्जिहामि,पिजिहिमि, पिजि हिमो, पिज्जिस्सामु, पि.
ज्जिहामु, पिज्जिहिमु, पिज्जिम्साम, पिज्जिहाम, पिज्जिहिम,
पिजिहिस्सा, पिजिहित्था. एत्व थाय त्यारे पिज्जेहिइ, पिजेस्सं इत्यादि रूपो थायछे ।
विधि-आज्ञार्थ, ..
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________________
। मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
एकव ०
बहुव
प्रथम० पिज्जउ,
पिज्जन्तु.
मध्यमः पिज्जहि, पिज्जलु, पिज्जेज्जलु, पिज्जह.
पिज्जेज्जहि, पिज्जेज्जे, पिज्ज,
उत्तम० पिज्जिमु, पिज्जामु पिज्जमु
་
एकव
प्र० म० उ० पिज्जीअ.
पिज्जिमो, पिज्जामो,
पिज्जमो.
आज्ञार्थमां अ, नो ए, थाय त्यारे, पिज्जेमु, पिज्जेमो, इत्या•
दि रूपो पण थाय छे.
भूतकाल,
बहुव ०
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
.
एकव ०.
प्रथम० धुवइ, धुवए,
मध्यम० धुत्रसि, धुवसे,
उत्तम० धुवामि, धुवमि,
(१४३)
एकव०
बहुव०
प्र०म० उ० पिज्जेज्ज, पिज्जेज्जा. पिज्जन्तो, पिज्जमाणो,
एवं पिअ ना रूप पण थायछे
धू [ धुव ]
बहुव०
धुवन्ति, धुवन्ते, धुविरे.
धुवित्था, धुवह.
धुविमो, धुवामो, धुवमो,
धुविसु, धुवामु, धुवसु,
धुविम, धुवाम, धुवम.
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________________
(१४४)
vowwwwwwwwwwwwwwwww
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥ एत्व थाय त्यारे धुवेइ. धुवेन्ति. इत्यादि पण थायछे.
__ भविष्यत् काल, एकव०
बहुव० प्रथम० धुविहिइ, धुविहिए, धुविहिन्तिः धुविहिन्ते, घुविहिरे. मध्यम० धुविहिसि, धुविहिसे, धुविहित्या, धुविहिह. . . मउत्त० धुविस्स, धुविस्सामि, धुविस्सामो, धुविहामो, धुविहिमो. धुविहामि, धुविहिमि, धुविस्सामु, धुविहामु, धुविहिसु,
धुविस्साम; धुविहाम, धुविहिम,
धुविहिस्सा, धुविहित्या.. .. एत्व थाय त्यारे, धुवेहिइ; इत्यादि रूपो थाय छे. .
विधि-आज्ञार्थ. . एकव० - बहुव० प्रथम० धुवउ,
धुवन्तु. मध्यम० धुवहि, धुवसु, धुवेज्जसु,- धुवह.
धुवेज्जहि, धुवेज्जे, धुव. उत्तम० धुविमु, धुवामु, धुवमु, धुविमो, धुवामो, धुवमो. आज्ञार्थमां एत्व थाय त्यारे. धुवेउ, धुवेन्तु. इत्यादि पण थायछे.
॥ भूतकाल ॥ एकव०
बहुव० म० म० उ० धुवीअ. .
क्रियातिपत्तिः एकव०
- बहुव० प्र० म ० उ० धुवेज्ज, धुवेज्जा, धुवन्तो, धुवमाणो.
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________________
(१४५)
थक,
सरिहिइ, .
॥ मुनि-कस्तूरविजयधिनिमिता ॥
*॥ अथ धातुमालापरिशिष्टम् ॥ प्रा० वर्त० भवि० वि० आ० भूत० क्रिया० हुव, हुवइ. हुविहिह, हुवउ, हुवीभ हुवेज, (जा) हुवन्तो, हुक्माणो. हव, हवइ, हविहिइ, हवउ, हवीअ, हवेज, (जा) हवन्तो, हवमाणो.
थकइ, थक्किहिइ, थक्कर, थक्कीअ, थक्केज. (जा) थक्कतो,कमाणो. चिट्ठ, चिट्ठइ,
चिट्ठिहिइ,
चिट्ठर, चिट्ठीअ, चिठेज,(जा)चिट्ठन्तो,चिट्ठमाणो. स्मृ सुमर सुमरइ, सुमरिहिइ, सुपरउ, सुमरीअ, सुमरेज, जा) सुमरन्तो, सुमरमाणो, स्म सर, सरइ,
सरउ, . सरीअ, सरेज, (जा) सरन्तो, सरमाणो, जग्ग
जग्गइ, जग्गिहिइ, जग्गउ, · जग्गीअ. जगेज्ज, (ज्जा) जग्गन्तो,जग्गमाणो, सोल्ल, सोल्लइ सोल्लिहिइ, सोल्लउ, सोल्लीअ, सोल्लंज्ज, [जा)सोल्लन्तो,सोल्लमाणो. पच् पय पयइ, पयिहिइ, पयउ, . पयीअ, पयेज्ज, (ज्जा) पयन्तो, पयमाणो. मेल्लइ, मेल्लिहिइ,
मेल्लङ, मेल्लीअ, मेल्लेज्ज, [ज्जा] मेल्लन्तो, मेल्लमाणो. सिन् सिञ्च सिञ्चइ, सिञ्चिहिइ सिञ्चउ, सिञ्चीअ, सिञ्चज्ज,ज्जा)सिञ्चन्तो,सिश्चमाणो प्रच्छ पुच्छ पुच्छइ, पुच्छिहिइ,. पुच्छउ, पुच्छीभ, पुच्छेज्ज,(ज्जा)पुच्छन्तो,पुच्छमाणो गर्न · बुक्क बुक्कइ, बुक्किहिइ, बुक्कउ, बुक्कीअ, . बुक्केज्ज,(ज्जा)बुक्कतो, बुक्कमाणो. राजू छज्ज, छज्जइ, छज्जिहिइ, छज्जउ, . छज्जी, . छज्जेज्ज,(ज्जा]छज्जन्तो,छज्जमाणो भुज् भुञ्ज भुअइ, भुमिहिइ, . भुजउ, भुजीअ, भुजेज्ज,(ज्जा)भुअन्तो, भुञ्जमाणो.
___ मेल्ल,
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________________
भमउ,
॥ धातुमालापरिशिष्टम् ॥
। कुधु कुज्झ . कुज्झइ, कुज्झिहिइ, .
स्वप् लोट्ट, . लोट्टइ, · लोहिहिइ, लिप् लिम्प, लिम्पइ, लिम्पिंहिइ, लुभ लुब्भ, लुब्भइ, लुभिडिइ, शुभ खुब्भ, खुब्भइ, खुभिहिइ, भ्रम् भम,
भमइ,
भमिहिइ, गम् बोल, बोलइ, बोलिहिइ, नथ नस्स, नस्सइ, नस्सिहिइ,
पास, पासइ, पामिहिइ, पृथ फास फासइ, फासिहिइ, भ बुक्क, बुक्कइ, बुक्किहिइ, दंश
डसइ, डसिहिइ, डह. डहइ, डहिहिह, इच्छ, इच्छइ, इच्छिहिइ,
भिन्द भिन्दइ, भिन्दिहिइ, ___ जुज्झ, जुजझइ, जुज्झिहिइ,
कुज्झउ, कुज्झीअ, कुज्झेज्ज,(ज्जा) कुज्झन्तो,कुज्झमाणो लोट्टउ,
लोहीअ, लोट्टेज्ज,(ज्जा) लोहन्तो,लोहमाणो लिम्पउ,
लिम्पीअ, लिम्पेज.(जा)लिम्पन्तो,लिम्पमाणो लुब्भउ,
लुब्भीअ, लुब्भेज्ज,ज्जा लुब्भन्तो, लुब्भमाणो. खुब्भउ, खुब्भीअ, खुम्भेज्ज, (ज्जा)खुब्भन्तो,खुममाणो
भभीअ, भमेज्ज, (ज्जा) भमन्तो, भममाणो, बोलउ, . बोलीअ, बोलेज्ज, [ज्जा) बोलन्तो,बोलमाणो नस्सउ, नस्सीअ, नस्सेज्ज, (ज्जा]नस्सन्तो,नस्समाणो. पामउ, पासीअ, पासेज्ज, [ज्जा) पासन्तो,पासमाणो फासउ, फासीअ.. फासेज्ज,(ज्जा) फासन्तो,फासमाणो, बुक्कर, बुक्कीअ, बुक्केज्ज [ज्जा) घुक्कन्तो, बुक्कन्तो डसउ, इसीअ, . डसेज्ज, [ज्जा) डसन्तो, डसमाणो, डहउ, डहीअ, डहेज्ज, [ज्जा] डहन्तो, डहमाणो. इच्छउ, इच्छीअ, इच्छेज्ज. (ज्जा) इच्छन्तो, इच्माणो. भिन्दउ, मिन्दीअ, भिन्देज्ज,(ज्जा)भिन्दन्तो,भिन्दमाणो जुज्झउ, जुज्झीअ, जुज्झेज्ज,(ज्जा) मुज्झन्तो,जुज्झमाणो
डस
दह
(38)
bra
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________________
(98)
www
सड
नव
। मुमि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
बुध् बुज्झ, बुज्झइ, बुज्झिहिइ, बुज्झउ, बुज्झीअ, बुझेज्ज,(ज्जा] बुज्झन्तो.बुज्झमाणो. पत् पड पडइ, पडिहिइ, पडउ, पडीअ, पडेज्ज, (ज्जा] पडन्तो, पडमाणो. सडइ सडिहिइ,
सडउ,
सडीअ, सडेज्ज, (ज्जा) सडन्तो,सडमाणो. वड्ढ वइढइ, वढिहिइ, वड्ढ, वड्ढीअ, वड्ढेज्ज,(ज्जा)ड्ढन्तो, बड्ढमाणो नच्च नच्चइ, नच्चिहिइ, नच्चउ, नच्चीअ, नच्चेज्ज,[ज्जा)नच्चन्तो, नच्चमाणो
रुवइ, रुविहिइ, रुवउ, रुवीअ, रुवेज्ज, [ज्जा) रुबन्तो, रुघमाणो. नम्
नवइ. . नविहिइ, नवउ, नवीअ, नवेज्ज, (ज्जा) नबन्तो,नबमाणो. खाद् खा. खइ, खाहिइ. खाउ, खासी, खाज्ज, (ज्जा) खाम्तो, खामाणो. खाद् खाअ, खाइ, खाइहिइ, खाअउ . खाई अ, खाएज्ज.(जाखाअन्तो, खाप्रमाणो धाव् धा धाइ, धाहिइ,..
धासी, धाज्ज, (ज्जा) धान्तो, धामाणो. धावू धाअ धाअइ, धाइहिइ,
धाईअ, धाएज्ज,(ज्जा)धाएन्तो, धाप्रमाणो. विसृज् बोसिर, वोसिरइ, वोसिरिहिइ, 'बोसिरउ, वोसिरीअ, वो सिरेज्ज,बोसिरन्तो,वोसिरमाणो. अट् अट्ट अइ, · अट्टिहिइ, अट्टउ, अट्टीअ, अमुज्ज. (जा] अदृन्तो, अट्टमाणो. कुप कुप्प, कुप्पह, कुपिहिइ, कुप्पउ, कुप्पीअ, कुप्पेज्ज,[ज्जा)कुप्पन्तो,कुप्पमाणो, नट नट्ट नट्टइ, नट्टिहिइ, नट्टउ, नहीअ, . नट्टेज्ज, (ज्जा) नट्टन्तो, नट्टमाणो
॥ इति धातुमालापरिशिष्टम् ॥
mmmmmmmmmmm
धाउ. . .. धाअउ,
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(१४८)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
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o oooooooo
'कर्मणि'
(१) धातुनो कर्मणि के भावे प्रयोग फरवो होय त्यारे गणकार्य
विशिष्ट काल जे वर्तमान, बस्तनभूत, विधि अने आ. ज्ञार्थमां जे य प्रत्यय लागेछे तेने स्थाने प्राकृतमा ईअ, इज्ज, प्रत्यय लागेछे अने बाकीना रूपो कर्तरि जेवा समजवा,
आ नियम जे धातुओना कर्मणिमा विशेष आदेश न कह्यो होय तेने लागे छे, अने पछी पुरुषबोधक प्रत्यय लगाडवामां आवे छे. अने आदेशवाला घातुओनेतो ईअ, इज्ज, प्र. त्यय विना पुरुष बोधक प्रत्यय लागे छे.
वर्तमान , एकव०
बहुव० प्रथम० हंसीअइ, इसीअए, हसीअन्ति, हसीअन्ते, हसीइरे,
हसिन्जइ, हसिन्जए, हसिजन्ति, इसिज्जन्ते हसिजिरे. मध्यम० इसीअसि, इसीअसे. हसीइत्या, हसीअह,
हसिन्जसि, हसिजसे, हसिज्जित्था, हसिन्जह. उत्तम० हसीअमि, हसीआमि, हसीअमो, हसीआमो, हसीइमो. हसिज्जमि, हसिन्जामि, हसीअमु, हसीआमु, हसीइसु.
हसीअम, हसीआम, हसीइम, १॥ ईअ इज्जौ क्यस्य ॥३ ॥ १६०॥ अनेन ईअ, इज्जौ आदेशौ २ ज्यारे वर्तमानमां अने आज्ञार्थमां अनो एत्व थाय त्यारे ध. तमानमा हसीएइ, हसीएन्ति, हसिज्जेइ, हसिज़्जेन्ति, अने आज्ञार्थमां हसीएउ, हसिज्जेउ, इत्यादि रूपो पण थाय छे,
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________________
॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१४९)
हसिजमो, हसिज्जामो हसिज्जिमो, हसिज्जमु, हसिज्जामु, इसिज्जिमु,
हसिज्जम, हसिज्जाम,हसिज्जिम.
॥ भविष्यत् काल; ॥ - इसिहिइ, हसिहिन्ति. इत्यादि शेष भविष्यकालना कर्तरि प्रयोगनी जेम..
विधि-आज्ञार्थ, एकव.
बहुव० प्रथम० इसीअउ, हसिज्जउ, हसीअन्तु, इसिज्जन्तु, मध्यम० हसीअहि, हसीअसु, ह- हसीअह,
सीएज्जसु, इसिइज्जसु,इसीएज्जहि, इसीइज्जहि, हसीएज्जे,इसीइज्जे, · · हसीअ, हसिज्जहि, हसिज्जह.
हसिज्जसु, हसिज्जेज्जसु, .. हसिज्जिजसु,इसिज्जेजहि,
हसिज्जिज्जहि, हसिज्जेज्जे,
हसिज्जिज्जे,हसिज्ज, उत्तम. इसीअमु, हसीआमु, इसीअमो, इसीआमो, इसीइमो.
हसीइमु,हसिज्जमु,हसि हसिज्जमो,इसिज्जामो,इसिज्जिमो . ज्जामु, हसिज्जिमु,
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________________
(१५०)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
Aionwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
॥ ह्यस्तनभूतकाल. ॥ एकव०
बहुव० प्र० म० उ० हेसीअईअ, हसीईअ, हसिज्जई अ, हसिज्जीअ,
॥क्रियातिपत्तिः कर्तरिवत् ॥ ... एकच०
बहुव० म० म० उ० हसेन्ज, हसेज्जा, हसन्तो, हसमाणो.
होइज्जइ,
(भू) हो कर्मणि वर्तमान एकव०
बहुव० प्रथम० होईअइ, होईअन्ति, होईअन्ते, होईइरे,
होइज्जन्ति, होइज्जन्ते,होइ जिरे, मध्यम० होई असि, होई इत्या, होई अह,
होइज्जसि, . होइज्जित्था, होइज्जह. उत्तम० होई अमि, होई आमि, हीईअमो, होई आमो, होईइमो, होइज्जमि,होइज्जामि, होईअमु, होई आमु. होई इमु,
होई अम, होई आम. होई इम, होइज्जमो,होइज्जामो, होइज्जिमो. होइज्जमु, होइज्जामु, होइज्जिमु,
होइज्जम, होइज्ज्जाम, होइज्जिम. १ आ रूपो बस्तनभूतमां थाय छे अने बाकीना (परोक्ष० अद्यतनमां) भूतकालमां भूलरूप कतरीना जेबु थाय छे जेम हसीअ,
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। मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥ (१५१) एत्व थाय त्यारे होई एइ, होइज्जेइ इत्यादि रूपो पण थायछे.
भविष्यत् काल. यथा-होहिइ, होहिन्ति, होहिन्ते, होहिरे इत्यादि शेष कर्तरिवत् ॥
विधि-आज्ञार्थ, एकव०
बहुव० प्रथम० होईअउ, होइज्जउ, होईअन्तु, होइज्जन्तु, मध्यम होई अहि, होई असु, होईअह, होइज्जह,
होइज्जहि, होइज्जसु, उत्तम होई अमु,होई आमु,होईइमु, होई अमो,होई आमो,ह ईइमो,
होइज्जमु, होहज्जामु, होइजमो, होइन्जामो,होइज्जिमो, .: होइज्जिमु. . आज्ञार्थमा एत्व थाय त्यारे होईएउ, होइज्जेउ आदि पण थाय छे.
ह्यस्तनभूतकाल एकव०
बहुव० प०म० उ० होईअसी; होईअही, होई अहीअ,
होइज्जसी, होइज्जही, होइज्जहीअ, परोक्ष, तथा अद्यतनमां तो कतरिवत् जेम होसी, होही, होहीअ,
क्रियातिपत्तिः कर्तरिवत् . प्र०म० उ० होज्ज, होज्जा, होन्तो, होमाणो,
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________________
(१५२)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ||
'नी' ने, वर्तमान,
एकव०
बहुव० प्र० नेईअह, नेई अन्ति, ने ईअन्ते, नेईइरे,
नेइज्जई, नेइज्जन्ति,नेइज्जन्ते,नेइज्जिरे. म. नेईअसि. नेईइत्था, नेईअह,
नेइज्जसि. नेइज्जित्था, नेइज्जह, उ० नेई अमि, नेई आमि, नेईअमो, नेई आमो, नेईइमो, नेइज्जमि,नेइज्जामि, नेईअमु, नेईआम, नेईइमु.
नेईअम, ने. आम, नेईइम. नेइज्जमो, नेइज्जामो, नेइज्जिमो, नेइज्जमु, नेइज्जामु, नेइज्जिा ,
नेइज्जम, नेइज्जाम, नेइज्जिम. एत्व थाय त्यारे, नेईएइ, नेईएन्ति, नेइज्जेइ, नेइज्जेन्ति.
॥ भविष्यत् काल ॥ नेहिइ. नेडिन्ति, नेहिरे. इत्यादि शेष कर्तरिवत्..
विधि आज्ञार्थ एकव० प्रथम० नेईअउ, नेइज्जउ. नेईअन्तु, नेइज्जन्तु, मध्यम० नेईअसु, नेईअहि, नेईअह, नेइज्जह. .
नेइज्जम्बु, नेइज्जहि.
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. मुनि-कस्तूरविजयविनिमिता ॥ (१५३) उत्तम० नेईअमु,नेईआमु,नेईइमु, नेई अमो,नेई श्रामो,नेई इमो, __नेइज्जमु,नेइजामु नेइज्जिमु नेइज्जमो,नेइलामो,नेइजिमो, आज्ञार्थमां एत्व थाय त्यारे-नेई एउ, नेईएन्तु, नेइज्जेउ, नेइज्जेन्तु,
. ॥ ह्यस्तनभूत ॥ प्र०म० उ० । नेई असी, नेई अही, नेई अहीअ, एकव० बहुव । नेइजसी, नेइजही, नेइज्जहीअ, 'परोक्ष अद्यतनमां कर्तरिवत. नेसी, नेही, नेहीअ,
॥ क्रियातिपत्तिः कर्तरिवत् ॥ नेज, नेज्जा, नेन्तो, नेमाणो.
... [स्था ] ठा, वर्तमान, भवि०वि०मा० भूत. ठाईअइ, ठाई अउ, | ठाईअसी, ठाईअही, ठाईअही. ठाइजा. उाहिइ. ठाइज्जउ. | ठाइज्जसी,ठाइज्जही,ठाइज्जहीअ,
ठासी, ठाही, ठाही,
(पा) पा. पाईअइ, | | पाईअउ, | पाईअसी, पाईअही,पाई अहीअ.
पाहिइ. | पाइज्जसी,पाइज्जही, पाइज्जही, पाइज्जइ. | पाइज्जउ, I पासी, पाही, पाहीअ. .
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________________
(१५४)
॥प्राकृतधातुरूपमाला ॥
- wvvvvvvvvvvwww
vvvvvvvvvvvvvvvvvvv
___ झा ( ध्य) वर्तमान. एकव०
बहुव० १० झाईअइ, झाई अन्ति, झाईअन्ते, झाई इरे, शाइजह,
झाइज्जन्ति, झाइज्जन्ते; शाइजिरे. म. झाई असि. शाईइत्था, झाईअह.
झाइज्जसि. शाइज्जित्था, झाइज्जह.. उ० झाई अमि, झाईआमि, शाईअमो, माईआमो, झाईइमो,
.: एवम्-मु, म, परे. शाइज्जमि, प्राइज्जामि, · शाइज्जमो,झाइज्जामो,झाइज्जिमो.
एवम्-मु, म, परे. ॥ भविष्यत् काल कर्तरिवत् ॥ यथा-माहिद, शाहिन्ति, शाहिरे. विधि-आज्ञार्थ,
बहुव० म० झाईअउ,
शाईअन्तु, झाइज्जउ.
झाइज्जन्तु. म० झाई असु, झाईअहि, माईअह.
झाइज्जम, झाइज्नहि. झाइज्जह उ० झाई असु, झाई आमु, शाईइस. झाईअमो,झाईआमो, झाई इमो. शाइज्जमु,झाइन्जामु,झाइज्जिमु. झाइजमो,झाइजामो, झाइजिपो.
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। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
॥ ह्यस्तनभूत ॥ ५० म० उ० । झाई असी, झाई अडी, झाई अहीअ, एकव० बहुव०ण झाइज्जसी, झाइज्जही, झाइज्जहीअ,
परोक्ष अध्यतनमां कतरिवत्. यथा-झासी, झाही, झाही.
॥क्रियातिपत्तिः ॥ एकव.
बहुव० ५० म० उ० झाज, झाज्जा, झान्तो, झामाणो.
. चि) चिव चि धातुनो चिव्व.चिम्म आदेश विकल्पे थायछे पक्षे चिण थायछे. एकव०
बहुव० प्रथम चिच्वइ, चिव्वर, चिन्वन्ति, चिवन्ते, चिन्विरे. मध्यम चिवसि, चिन्विसे, चिम्वित्था, चिवह. उत्तम चिव्वामि, चिव्वमि, चिचिमो, चिच्चामो, चिध्वमो, . .. . चिन्विमु, चिव्वामु, चिव्वमु,
चिब्विभ, चिच्चाम, चिवम, एत्व थाय त्यारे चिव्वेइ, चिव्वेन्ति, इत्यादि रूपो पण थाय छे. भविष्यत् काल,
बहुव०
एकव०
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________________
(१५६)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥ प्र० चिविहिइ, चिठिवहिए, चिबिहिन्ति,चिबिहिन्ते,चिविहिरे. . म० चिन्विहिसि, चिबिहिसे, चिन्विहित्था, चिन्विहिइ, उ० चिन्विस्सं. चिनिस्सामि. चिन्विस्सापो, चिन्विहामो, चिबिहामि, चिन्विहिमि चिचिहिमो, चिचिस्सामु,
चिविहामु, चिन्विहिमु, चिब्बिस्साम,चिबिहाम,चिन्विहिय.
चिबिहिस्सा, चिन्विहित्या. एत्व पाय त्यारे, चिव्वेहिइ, चिव्वेस्सं इत्यादि पण थायछे.
विधि. आज्ञार्थ एकव०
बहुव० . प्र. चिव्वउ, म० चिवहि, चिव्वसु, चिव्वेजसु, चिव्वह,
चिव्वेजहि, चिन्वेज्जे, चिच्च, , उ० चिचिमु, चिव्यामु, चिव्वमु, चिन्विमो,चिंच्यामो,चिच्चमं ।. आज्ञार्थमां अ नो ए थाय त्यारे चिव्वेउ, इत्यादि पण पाय :
भूतकाल..
प्र०म० उ० ! चिठवी.
एकव० बहुव० |
॥ कियातिपत्तिः ॥
एकव० बहुव० प्र० म० उ० चिव्वेज्ज, चिब्वेज्जा, चिन्वन्तो, चिवमाणो,
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. मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ||
एवं (चि ) चिम्म, (जि ) जिव्व, (सु) सुच, ( हु ) हुन्न (स्तु ) थुब्ब (लू ) लुब्ध, (पू.) पुत्र, ( 5 ) धुब्ब, ना ख्पो विकल्पे आ पमाणे थायछे
पक्षे (चि ) चिण एकव०
बहुव० प्रथम० चिणीअइ, चिणीअए, चिणीअन्ति, चिणीअन्ते,चिणीइरे चिणिज्जइ, चिणिज्जए, चिणिज्जन्ति, चिणिज्जन्ते.
.. चिणिज्जिरे. मध्यम. चिणीअसि, चिणीअसे, चिणीइत्था, चिणीअह
चिणिज्जसि, चिणिज्जसे, चिणिज्जित्था, चिणिज्जह. उत्तम० चिणीअमि, चिणीआमि, 'चिणीअमो, चिणीआमो, चिणिज्जमि,चिणिज्जामि, चिणीइमो,चिणीअमु,चिणीआमु,
चिणीइमु,चिणीअम,विणीआम,चिणीइम. चिणिज्जमो,चिणिज्जामो, चिणिज्जिमो, चिणिज्जमु, चिणिज्जासु, चिणिज्जिसु, चिणिज्जम, चिणिज्जाम, चिणिजिम
॥ भविष्यत्काल ॥ चिणिहिह, चिणेहिइ. इत्यादि शेषं कर्तरिवत्
विधि--आज्ञार्थः, एकव०
बहुव०
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________________
Vvvvvvvvvv .ANANAARAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAwanirwa
(१५८)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला || प्र० चिणीअउ, चिणिज्जउ, चिणीअन्तु, चिणिज्जन्तु, म० चिणीअहि, चिणीअसु, चिणीअह, चिणिजह.
चिणीएज्जसु, चिणीइज्जसु, चिणीएज्जहि. चिणीइज्जहि, चिणीएज्जे,चिणीइज्जे,चिणीअ, चिणिज्जहि,चिणिज्जसु, चिणीज्जेज्जसु, चिणिज्जिज्जमु,चिणिज्जेज्जहि,चिणिज्जिज्जहि,
चिणिज्जेज्जे, चिणिज्जिज्जे, चिणिज्ज, उ० चिणीअमु, चिणीआमु, चिणीअमो, चिणीआमो,
चिणीइमु, चिणिज्जमु, चिणीइमो, चिणिज्जमो. चिणिज्जामु, चिणिज्जिमु, चिणिज्जामो. चिणिज्जिमो.
- भूतकाल, एकव०
बहुव० म०म० उ० चिणीअईअ, चिणीईभ, चिणिज्जई अ, चिणिज्जीअ.
आरूपो ह्यस्तनमांज थायछे अने परोक्ष अद्यत नयां का तरिवत् यथा चिणी.
॥कियातिपत्तिः कर्तरिवत् ॥
एकव० बहुव. . म०म० उ० चिणेज्ज, चिणेज्जा, चिणन्तो, चिणमाणो.
एवमचि- चिणीअइ, चिणिज्जइ, (स्तु) थु थुणीअइ, थुणिज्जइ.
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॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१५९) जि- जिणीअइ, जिणिज्जइ, (लू) लु लुणीअइ, लुणिज्जइ. मु(श्रु) सुणीअइ, मुणिज्जइ. (पू] पू पुणीअइ, पुणिज्जइ. हु हुणीअइ, हुणिज्जइ, (ध्) धु धुणीअइ. धुणिज्जइ.
( भण) भण्ण, भण, 'वर्तमान' एकव०
बहुव० प्र० भण्णइ, भण्णए, मणीअइ. भण्णन्ति, भण्णन्ते, भणिरे. ___ भणीअए,भणिज्जइ,भणज्जिए, भणीअन्ति,भणीअन्ते,भणीइरे.
. भणिज्जन्ति, भणिज्जन्ते, भणिज्जिरे. म० भण्णसि, भण्णसे. भण्णित्था, भण्णह.
भणीअसि. भणीअसे. भणीइत्था, भणीअह,
भणिज्जसि, भणिज्जसे, . ' भणिजित्था, भणिजह. उ० भण्णामि, भण्णमि, भण्णिमो, भण्णामो, भण्णमो.
भण्णिमु, भण्णामु, भण्णमु.
भण्णिम, भण्णाम, भण्णम . भणीअमि,भणीआमि, भणीअमो,भणीआमो,भणीइमो.
भणीअमु, भणआमु, भणीइमु.
भणीअम, भणीआम, भणीइम, भणिज्जमि,भणिज्जामि. भणिज्जमो,भणिज्जामो,भणिजामो,
भणिज्जमु,भणिज्जामु,भणिज्जामो
___ भणिज्जम,भणिज्जाम,भणिज्जिम एत्व थाय त्यारे-भण्णेइ, भण्णीएइ, भणिज्जेइ.
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(१६०)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
भविष्यत् काल. एकव०
बहुव० म० भण्णिहिइ, भणिहिए, भणिहिन्ति,भणिहिन्ते,भणिहिरे.
भणिहिइ, भणिहिए. भणिहिन्ति भणिहिन्ते. भणिहिरे, मा" भणिहिसि,भणिहिसे, . भणिहित्था, भणिहिइ, .
भणिहिसि,भणिहिसे, भणिहित्था, भणिहिइ, ... उ० भण्णिसं, भण्णिम्सामि, भणिस्सामो,मणिहामो,भणिहिमो.
भण्णिहामि, भणिहिमि. भणिहिस्सा, भणिहित्था. भणिसं, भणिस्सामि, भणिस्सामो,मणिहामो,भणिहिमो. भणिहामि, भणिहिमि, · भणिहिस्सा, भणिहित्था. एत्व थाय त्यारे, भण्णेहिइ, भणेहिइ. एवम्,-मु, म परे.
विधि आज्ञार्थः
. बहुव: ५० भण्णउ,भणीअउ,भणिजउ, भण्णन्तु,भणीअन्तु,भणिजन्तु. म० भण्णहि,भण्णमु,भण्णेज्जमु. भण्णह.
भण्णेज्जहि.भण्णेज्जे,भण्ण. भणीअहि;भणीअसु,भणीएजहि भणीअह. . भणीइज्जहि,भणीएज्जसु,भणीइज्जसु, भणीएज्जे,भणीइज्जे,भणीअ, भणिज्जहि,भणिज्जमु,भणिज्जेजहि, भणिज्जह, भणिज्जिनहि,भणिज्जेज्जसु,भणिज्जिजसु, भणिज्जेज्जे,भणिज्जिज्जे,भणिज्ज.
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________________
॥ मुनिकस्तूविजयविनिर्मिता ॥ उत्तम० भण्णिमु, भण्णामु, भण्णमु, भण्णिमो, भण्णामो, भण्णमो.
भणोअमु. भणीआमु, भणीइमु. भणीअमो, भणीआमो, भणाइमो भणिज्जमु.भणिजामु भणिज्जिमु. भणिजमो,भणिजामो,भणिजिमो, ज्यारे आज्ञार्थमां एत्व थाय त्यारै, भण्णेउ, भणीएउ, भणिज्जेउ,
॥ भूतकाल. ।।
एकव० ।
बहुव०
प्रथम० भण्णीअ, भण्णीअईअ, भणीईअ, भणिज्ज ईअ, भणिज्जी मध्यम , उत्तम० ,, ( अने परोक्ष अद्यतनमां ) भणीअ,
॥ क्रियातिपत्तिः ॥ - एकव० .. बहुव० प्र० म० उ० भण्णेज्ज, भण्णेजा. भण्णन्तो, भण्णामणेा. .. भणेन्ज, भणेज्जा, भणन्तो, भणमाणो.
.. . वर्तमान, एवम्-(दह) 'डज्झ, 'डह, डज्झइ, डहीअइ, डहिज्झइ,भवि०
विधि--आ० डज्झिहिइ, डहिहिइ। उज्झउ डहीअउ, डहिजउ. भूत.
क्रिया० डज्झीअ, डहीअईअ, डहीईअ, । डज्झेज्ज(ज्जा), डज्झन्तो, डज्झमाणो डहिज्जईअ, डहिज्जीअ, डहीअ । डहेज्ज(ज्जा), डहन्तो, डहमाणो.
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________________
(१६२)
वर्त०
लिन्भइ, लिहीअइ,
लिहिज्जइ,
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
वर्तमान
गम्पइ, गमीअर.
गमिज्जइ.
(लिह) लिभ, लिह.
भवि०
लिम्भeिs,
लिहिrिs.
भूतकाल
क्रियातिपत्ति
लिन्भीअ, बिहीअई अलिहीईअ, लिब्भेज्ज (ज्जा) लिब्भन्तो, लिब्यमाणो लिहिज्ज ई, अलिहिज्जी अ, लिहीअ. लिहेज्ज (ज्जा), लिहन्तो, लिहमाणो,
( गम्) गम्म, गम'
भविष्यत्काल
गम्मिeिs, गमिहि
विधि० आ०
foors, लिotes,
लिहिज्जउ.
विधि आ
ग्रम्पड, गमीअउ
गमिज्जउ,
क्रियातिपति
भूतकाल
गम्मी, गमीअईअ, गमी ईअ, गम्मेज्ज (ज्जा), गभ्मन्तो, गम्ममाणो गमिज्जई अ, गमिज्जीअ, गमीअ. गमेज्ज[ज्जा] गमन्तो, गममाणो. (रुद्र) रुव्व रुव
भूतकाल
aate, रुवीअई अ, रुवीईअ, विज्जई अ, रुविज्जो, रुबीअ.
वर्तमान भविष्यत्काल
विधि आ०
रुव्वर, रुवी अइ, रुविज्जर रुव्विeिs रूविहिs रुव्वड, रुवीअज,
रुविज्ज,
क्रियातिपतिः
रुव्वेज्ज (ज्जा), रुव्वन्तो, रुवमाणो. रुषेज्ज (ज्जा), रुवन्तो, रुवमाणो.
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________________
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
(१६३)
-
- (कृ) कीर, कर, वर्तमान भविष्यत्काल विधि आ० कीरइ,करीअइ,करिजइ. कीरिहिइ,करिहिइ, कीरउ, करीअर,
करिज्जउ. भूतकाल
क्रियातिपत्तिः कीरीअ, करीअई अ, करीई अ, कीरेजजा),कीरन्तो,कीरमाण. करिजईअ, करिज्जीअ, करीअ. करेज(ज्जा)करतो,करमाणो
अथ प्रेरक.. १. धातुनु प्रेरकभेद करवु होय त्यारे पुरुष बोधक प्रत्ययनी पूर्व ___- अ, ए, आव, आवे, मुकाय छे, अने अ, ए, नी पूर्व अ,
होय तो, अ, नो आ थांय छे. .. .. . हस वर्तमान, एकव० :
बहुव० म० हासई, हासेइ, हसावइ, हासन्ति, हासेन्ति, हसावन्ति,
इसावेइ. . हसावेन्ति. हासए, हासेए, इसावए, . हासन्ते, हासेन्ते, हसावन्ते, हसावेए.
हसावेन्ते.
. हासिरे, हासेइरे, हसाविरे हसावेइरे. म० हाससि, हासेसि, हसावसि, हासह, हासेह, हसावह, हसावेसि.
हसावेह. १॥ णेरदेदाऽऽघाऽऽवे ॥३॥१४९॥ अदेल्लुक्यादेरता: ॥३॥१५३॥
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॥प्राकृतधातुरूपमाला ||
wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
हाससे, हासेसे, हसावसे, हासिस्था, हासेइत्था, हसावित्था,
हसावेसे. ____ हसावेइत्या. उ० हासमि, हासेमि, हसावमि, हासमो, हासेमो, हसावमो. हसावेमि.
हसावेमो. हासमु, हासेमु, हसावसु, हसावेमु
हासम, हासेम, हसावम. हसावेम, . भविष्यत् काल, एकव०
: बहुव० . . म० हासिहिइ, हासेहिइ, हसा.. 'हासिहिन्ति, हासेहिन्ति, इसा
विहिइ, हसावेहिइ. विहिन्ति, हसावेहिन्ति, हासिहिए, हासेहिए, इसा- हासिहिन्ते, हासेहिन्ते, हसाविविहिए, हसावेहिए. हिन्ते, हसावेहिन्ते.
हसिहिरे, हासेहिरे, हसाविहिरे.
हसावेहिरे. . म० हासिहिसि, हासेहिसि, हासिहित्या, हासेहित्या, हसावि
हसाविहिसि,इसाहिसि. हित्था हसावेइत्था. हासिहिसे, हासेहिसे, हासिहिह, हासेहिह, इसाविहिह. हसात्रिहिसे, हसावेहिसे. हसावेहिह. उ० हासिस्सं, हासेस्स, इसावि · हासिस्सामो, हासेस्सामो, इसा सं, हसावेस्सं. विस्सामो, हसावेस्सामो.
हासिस्सामु, हासेस्सामु,
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________________
॥ मुनि.कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
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A/IANRAvvvvvvvvvvw
हसाविस्सामु, हसावेस्सामु, हासिस्सामि, हासेस्सामि, हसा. हासिस्साम,हासेस्साम,हसाविस्सामि, हसावेस्सामि. विस्साम, हसावेस्साम, हासिहामि, हासेहामि, हसा- हासिहामो,हासेहामो,हसावि.
विहामि, हसावेहामि, हामो, हसावेहामो. हासिडिमि, हासेहिमि, हासिहामु,हासेहामु,हसाविहामु,हसावेहामु, इसाविहिमि,इसावेहिमि, हासिहाम,हासेहाम,इसाविहाम,हसावेहाम,
हासिहिमो,हासेहिमो,हसाविहिमो,हसावेहिमो हासिहिमु,हासेहिमु, हसाविहिमु,हसावेहिमु.
हासिहिम,हासेहिम,हसाविहिम,हसावेहिम, हासिहिस्सा,हासेहिस्सा,हसाविहिस्सा,हसावेहिस्सा' हासिहित्था हासेहित्था,इसाविहित्था,इसाहित्था.
• विधि--आज्ञार्थ, एकव०
. बहुव० प्र० हासउ, हासेउ, हसावउ, हसावेउ. हासन्तु, हासेन्तु, हसावन्तु.
हसावेन्तु. म० हाससु, हासेम, हसावसु, हसावेसु हासह,हासेह,हसावह,
हासहि, हासेहि, हसावहि, हसावेहि. हसावेह, हासेन्सम, हासेइज्जसु, हसावेज्जसु, हसावेइज्जसु, हासेज्जहि, हासेइज्जहि, हसावेज्जहि, इसाबेइज्जहि,
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________________
(१६६)
|| प्राकृतधातुरूपमाला ||
हासेज्जे, हासेइज्जे, हसावेज्जे, हसावेइज्जे,
हास, हासे, हसाव, हसावे.
उ०हासमु, हासेमु, हासेक हसावमु सावे.
हासमो, हासेमो, हसावमो, सामो
भूतकाल.
एकव ०
बहुव ०
प्र० म० उ० हासीअ, हासेईअ. हसावीअ, हसावेई अ, ॥ क्रियातिपत्तिः ॥
एकव०
बहुव०
प्रथम०) हासेज, हासेज्जा, हसावेज्ज, हसावेज्जा, हासन्तो, हासेन्तो, हसावन्तो. उत्तर० / हसावेन्तो, हासमाणो, हासेमाणो, हसावमाणो, हसावेमाणो.
मध्यम०
कर (कृ. ) .
एकव ०
बहुव० म० कारइ, कारेइ, कराव, करावे. कारन्ति, कारेन्ति, करावन्ति,
करावेत.
कारए, कारेए, करावए, करावेए कारन्ते कारन्ते, करावन्ते,
करावेन्ते.
म० कारसि, कारेसि, करावसि करावे.सि. कारसे, कारेसे, करावसे,
कारिरे, कारेइरे, कराविरेकरावेइरे
कारह, कारेह, करावह, करा.
वेह.
कारित्था, कारैइत्या, करा
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________________
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (१६७) करावेसे.
वित्था, करावंइत्या. उ० कारमि, कारेमि करावमि, कारमो कारेमो, करामो, करावेमि,
करावेमो, कारमु कारेमु करावमु, करावेमु,
कारम, कारेम, करावम, करावेम, ॥ भविष्यत्काल ॥ एकव०
. बहुव० प्र० कारिहिइ, कारेहिइ, काराविहिइ, कारिहिन्ति, कारेहिन्ति करा करावेहिड.
विहिन्ति, करावेहिन्ति. कारिहिए, कारेहिए. करावि- कारिहिन्ते, कारेहिन्ते. कराहिए, करावेहिए. . . . विहिन्ते, करावेहिन्ते.
. कारिहिरे, कारेहिरे, कराविहिरै करावेहिरे. म० कारिहिसि, कारेहिमि, कारिहित्था, कारहित्था,
कराविहिसि. करावेसि. कराविहित्था, करावेहित्था. कारिहिसे, कारेहिसे. कारिहिह, काहिह, करावि.
कराविहिसे, कारावेहिसे, हिह, करावेहिह. उ० कारिस, कारेस्स, कराविसं. कारिस्सामो. करावेस्सोपो. करावेस्सं
कराविस्सामो, करावेस्सामो. कारिस्सामि, कारेस्सामि, करा. कारिहामो, कारेहामो कराविस्सामि, करावेस्सामि, विहामो, करावेहामो. कारिहामि, कारेहापि. करावि. कारिहिमो, कारेहिमो करा.
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________________
(१६८)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
हामि, करावेहामि,
विहिमो. करावेहिमो
एवम - मु.म. परछतां
कारिहिमि, कारेहिमि, कारिहिस्सा, कारेहिस्सा. करा विहिस्सा, कराविहिमि, करावेहिमि. करावेहिस्सा.
कारिहित्था, कारेहित्था कराविहित्था
करावे हत्या.
॥ विधि - आज्ञार्थ, ॥
उ० कारमु, कारेमु, करावमु,
करावे.
एकव ०
प्र० कारउ, कारैउ, करावउ, करावे,
म० कारसु, कारेसु, कारावसु.
करावेसु.
कारहि, कारेहि, करावहि, करावेहि.
कारेज्जसु, कारेइज्जसु करावेज्जसु.
करावेइज्जसु,
कारेज्जहि, कारेइज्जहि, करावेज्जहि करावेइज्जहि. का रेज्जे, कारेइज्जे, करावेज्जे, करावेइज्जेः
कार, कारे. कराव. करावे.
,
बहुव०
कारन्तु, कारेन्तु करावन्तु,
करावेन्तु.
·
कारह, कारैह, करावह.
करावेह..
कारमो. कारेमो, करावमो.
करावेमो.
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
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॥ भूतकाल ॥ एकव०
बहुव० प्र० म० उ० कारीअ, कारेईअ, करावीअ, करावेई अ,
॥क्रियातिपत्तिः ॥
एकव० बहुव० प्रथम० कारेन्ज(ज्जा), करावेज्ज(जा, कारन्तो, कारेन्तो, मध्यम० करावन्तो. करावेन्तो, कारमाणो, कारेमाणो. उत्तम० | करावमाणो, करावेमाणो. .
[छद्, ] ढक्क, वर्तमान, एकव०
बहुव० प्र० ढक्कइ, ढक्केड, ढक्कावइ, . . ढक्कन्ति,ढक्केन्ति,ढक्कावन्ति, ढक्कान्ति ____ढक्कावेइ, ढकिरे, ढक्केइरे, ढक्काविरे,ढक्कावेइरे, (एवम्-ए परछता)
[एवम्-न्वे परछता म० ढक्कसि, ढक्केसि, ढक्कावसि, ढक्कित्था, ढक्केइत्था, ढक्कावित्था
ढक्कावेसि, ढक्कावेइत्था, ...
(एवम्-से परछतां) ढक्कह,ढक्केह, ठक्कावह, ढक्कावेह, उ० ढक्कमि, ढक्केमि, ढक्का- ढक्किमो, ढक्केमो, ढक्कावमो, · वमि, ढक्कावेमि, ढक्कावेमो, (एवम्-मु, म, परछता)
भविष्यत् काल,
एकव० प्र० ढक्किहिइ, ढक्केहिइ. ढक्का- ढक्किहिन्ति, ढक्केहिन्ति, ढक्का'
बहुव०
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________________
(१७०)
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
विहिइ, ढक्कावेहिह, विहिन्ति, ढक्काहिन्ति. (एवम्-र परछता). (एवम्-न्ते परछता)
दक्किहिरे, ढक्केहिरे, ढक्कावि
हिरे, ढक्कावेहिरे, . म० ढक्किहिसि, ढक्केहिसि, ढ• ढक्किहित्या, ढक्केहित्या, ढक्का
क्काविहिसि, ढक्कावेहिसि, विहित्या, ढक्काहित्था, .. (एवम्-से परछता) दक्किहिह; ढक्केहिह, ढक्कावि
हिह, ढक्कावेहिहं, . उ० ढकिस्सं, ढक्केस्सं ढक्का. ढक्किस्सामो, ढक्केस्सामो, ढ
विस्स ढक्कावेस्सं-- काविस्सामो, ढक्कावेरसामो, दक्किस्सामि, ढक्केस्सामि, दक्किहामो, ढक्केहामो, ढढक्काविस्सामि,ढक्कावेरसामि, काविहामो, ढक्कावेहामो, ढढक्किहामि, ढक्केहामि, ढ- किहिमो, ढक्केहिमो, ढक्का
काविहामि, ढक्कावेहामि, विहिमो, ढक्कावेहिमो, ( एवम्ढक्किहिमि,, ढक्केहिमि, ढ-मु, म, परछतां.) काविहिमि, ढक्कावेहिमि, ढक्किहिस्सा, ढक्केहिस्सा, ढ
काविहिस्सा, ढक्कावेहिस्सा,डक्किहित्था, ढक्केहित्था, ढक्का
विहित्था, ढक्कावेहित्या. विधि-आज्ञार्थ,
एकव०
बहुव० ..
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(१७१)
Foryvavurn
प्र० ढक्कउ, ढक्केउ, ढक्कावउ, ढकन्तु, ढकन्तु, ढक्कावन्तु, ढक्काढकावेउ,
वेन्तु, म० ढक्कसु,ढक्केसु,ढक्कावसु,ढक्कावेसु, ढक्कह,ढक्केह,ढक्कावह,डक्कावेह,
ढक्कहि,ढक्केहि,ढक्कावहि,ढक्कावेहि, ढक्केजसु, ढक्केइज्जसु, ढक्कावेज्जसु,ढक्कावेइज्जसु, ढक्केज्जहि, ढक्केइज्जहि, ढक्कावेज्जहि, ढक्का. वेइज्जहि. ढक्केज्जे, ढक्केहज्जे, ढक्कावेज्जे, ढक्कावेइज्जे, ढक्क,
ढक्के, ढक्काव, ढक्कावे, उ० ढक्कम, ढक्कमु, ढक्कावमु, ढक्कमो, ढक्केमो, ढक्कावमो, ...: ढक्कावेमु, ___ . हक्कावेमो,
भूतकाल, . एकव० बहुव०
प्रथम
मध्यम० टक्की, ढक्केई अ, ढक्कावीअ, ढक्कावेईअ,
उत्तम .)
.
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
एकव० बहुव० १०. | ढक्केज्ज, ढक्केज्जा, ढक्कावेज्ज, ढक्कावेज्जा, ढक्कन्तो, म० | ढक्केन्तो, ढक्कावन्तो, ढक्कावेन्तो,ढक्कमाणो,ढक्केमाणो, उ० । ढक्कावमाणो, ढक्कावेमाणो,
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________________
(१७२)
॥ मुनि कस्तूरविजयविनिमिता ॥
एवम्
वर्तमान. . भविष्यत्, पड [ पत्] पाडइ, पाडेइ, पाडिहिइ, पाडेहिइ,
पडावइ, पडावेइ, पडाविदिइ, पडावेहिइ, नव [नम्] नावइ, नावेइ, नाविहिइ, नावेहिड,
नवावइ, नवावेइ, नवाविहिइ, नवावेहिइ, भूतकाल.
विधिआज्ञार्थ. . पाडीअ, पाडेईअ, पाडउ, पाडेउ, पडावीअ, पडावेईअ, पडावउ, पडावेउ, नावोअ, नावेईअ, . नावउ, नावेउ, नवावीअ, नवाईअ, नवावउ, नवावेउ,
(तह )आहोड, वर्तमान
, भविष्यत्काल . आहोडइ, आहोडेइ, आहोडावइ, आहोडिहिइ, आहोडेहिइ,
आहोडावेइ, . आहोडाविहिइ, आहोडावेहिइ, विधि आ०
भूतकाल आहोडउ, आहोडेउ, आहोडाउ, आहोडीअ, आहोडेई अ. आहोडावेउ, आहोडावीअ, आहोडावेईअ,
(नश) नासव, वर्तमान
भविष्यत्काल नासवइ, नासवेइ, नासवाबइ, ___नासविहिइ, नासवेहिइ,
नासवावेइ. नासवाबिहिइ, नासवावेहिइ,
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(१७३)
“विधि आ०
भूतकाल नासवउ, नासवेउ, नासवावउ, नासवीअ, नासवेई, नासवावेत, नासवानीअ, नासवावेईअ,
. ( दृश) दरिस, वर्तः
भवि० दरिसइ, दरिसेइ दरिसावइ, . दरिसिहिइ, दरिसेहिइ,
दरिसावेइ, दरिसाविहिइ, दरिसावेहिइ, विधिः आ०
भूतकाल दरिस 3, दरिसेउ, दरिसावउ, दरिसीअ, दरिसेईअ, दरिसावेउ, ,
दरिसावी, दरिसावेई अ, (मिश्र). मिस्स, वर्तमान
भवि० मिस्सइ, मिस्सेइ; मिस्सावइ, मिस्सिहिद, मिस्सेहिइ,..
मिस्सावेइ, मिस्साविहिइ, मिस्साहिए, विधि--आज्ञार्थः
भूतकाल. मिस्सर, मिस्सेउ, मिस्सावउ, मिस्सीअ, मिस्सेईअ, मिस्सावेउ,
मिस्सावीअ, मिस्सावेईअ
(अर्प) अप्प, वर्तमान
भवि० अप्पइ, अप्पेइ, अप्पावइ.
अपिहिइ, अप्पेहिइ, अप्पावेइ,
अप्पाविहिइ, अप्पावेहिइ,
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________________
(१७४)
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
विधिआज्ञार्थ.
भूतकाल अप्पउ, अप्पेउ, अप्पावउ,
अप्पीअ, अप्पेई अ, अप्पावेउ,
अप्पावीअ, अप्पावेईअ, (द) दम, वर्तमान
भवि० दूमइ, दूमेइ, दूमावइ, दूमावेइ, दूमिहिइ, दूमेहिइ, दूमाविहिइ,
दूमावेहिइ, .. विधि- आ०
भूत० . दूमउ, दूमेउ. दूमावउ, दूमावेउ, . . दूमीअ, दूमेईअ, ...
दूमावीअ, दूमावेई अ, (भू ) हो वर्तमान, एकव०
बहुव० प्र० होइ, होएइ, होआवइ, होअन्ति, होएन्ति, होआवन्ति, होआवेइ, होआवेन्ति, होअन्ते, होएन्ते, हा.
आवन्ते, हाआवेन्ते, होइरे, होएइरे,
होआविरे. होआवेइरे, . म० होअसि, होएसि, होइत्था, होएइत्था, होआवित्था, होआवसि, होआवेसि, होआवेइत्था, होअह, होएह,
होआवह, होआवेह, उ० होअमि, होएमि, होअमो, होएमो, होआवमो, हो.
होआवमि, होआवेमि, आवेमो, होअमु, होएमु, होआवसु,
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(१७५.)।
..
होआवेमु, होअम, होएम, होभावम, होआवेम,
॥ भविष्यत्काल ॥ एकव० .
बहवः प्र० होइहिइ, होएहिइ, होइहिन्ति, होएहिन्ति, होआ. - होआविहिइ, होआवेहिइ. विहिन्ति, होआधेहिन्ति.
होइहिन्ते, हाएहिन्ते. होआविहिन्ते, होआवेहिन्ते, होइहिरे, होएहिरे, होआविहिरे,
होआवेहिरे, म० होइहिसि, होएहिसि. होइहित्था, होएहित्या, होआहोआविहिसि, होआवेहिसि, विहित्था, होआवेहित्या,
होइहिह. होएहिह, होआविहिह,
होआवेहिह, . उ० होइस्सं, होएस्सं, होइस्सामो, होएस्सामो, होआ. . . होआविस्सं, होआवेरस, विस्सामो, होआवेस्सामो, होइ.
हामो, होएहामो, होआविहामो, .
होआवेहामो, होइस्सामि, होएस्सामि, होइहिमो, होएहिमो; होआहोआविस्सामि,होआवेस्सामि, विहिमो. होआवेहिमो, होइ
स्सामु, होएम्सामु, होआवि- - होइहामि. होएहामि. स्सामु, होआवेस्सास,
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________________
(१७६) ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ होआविहामि. होआवेहामि, होइहामु. होएहामु,होआविहामु,
होआवेहामु, होइहिमु,होएहिमु,
होआबिहिमु, होआवेहिमु, होइहिमि, होएहिमि. होइस्साम, होएस्साम, होआहोआविहिमि, होआवेहिमि, विस्साम. होआवेस्साम,
होइहाम, होएहाम. होआविहाम, होआवेहाम, होइहिम, होएहिम, होआवि. हिम, होआवेहिम, होइहिस्सा. होएहिस्सा, होआविहिस्सा. होआवेहिस्सा, होइहित्था, होएहित्था, होआ
विहित्था. होआवेहित्था. विधि आज्ञार्थ.
बहुव० प्र० होअउ, होएउ. होअन्तु. होएन्तु. होआवन्तु,
होआवउ. होआवेउ, होआवेन्तु, म० होअसु, होएसु, होआवसु, होअह. होएह, होआवह,
होआवेसु, होआवेह, होअहि, होएहि, होआवहि, होआवेहि.
एकव.
.
.
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(१७७)
उ० होअमु, होएमु, होआवा, होअमो, होएमो; हीआवमो. होआवेमु,
होआवेमो.
भूतकाल. एकव. बहुव० ५० | होअसी, होएसी. होआवसी, होआवेसी, होअही. होरही, म० | होआवही, होआवेही, होअहोअ. होएहीअ, उ० | होआवहीअ. होआवेहीअ.
॥ कियातिपत्तिः॥ एकव०
बहुव० म० | होएन्ज, होएजा, होआवेज, होआवेजा, होअन्तो, म० । होएन्तो, होआवन्तो, होआवेन्तो,होअमाणो, होएमाणो, उ० । होआवमाणो, होआवेमाणोः
वा ( वा)
वर्तमान. एकव० .
बहुव० प्र० वाअई, बाएइ, वामावइ, . बाअन्ति, वारन्ति,बाआवन्ति, वाआवेइ,
वाआवेन्ति, वाअन्ते, वाएन्ते, वाभावन्ते, वाआवेन्ते, वाइरे, वाएहरे, वाशाविरे, वाआवेइरे.
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________________
AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA
annnnnnnnn.
(१७८) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिमिता ॥ म० वासि, वाएसि, वाआवसि, वाइत्या, वाएइन्था, वाआ. बाआवेसि, वित्था, वाआवेइत्था,
वाअह, वाएह, वाआवह. वा
आवेह, ..... . उ० वाअमि, वारमि, वाआवमि, वाअमो, वारमो, वाआबमो, वाआवेमि, . वाअवेमो,
वाअमु, वाएमु. वाआवमु. वाआवेमु, वाअम, बाएम. वाआवम....
वाआवेम,
भविष्यत् एक० म० वाइहिइ, वारहिइ. वाइहिनि. वाएहिन्ति, वामावाभाविहिइ, वाआवेहिइ, विहिन्ति, वाआवेहिन्ति,
वाइहिन्ते, वारहिन्ते. वाआविहिन्ते, वाआवेडिन्ते, वाइहिरे, वाएहिरे, वाआविहिरे
वाआहिरे, म० वाइहिसि, वाएहिसि, वाआ- वाइहित्या, वाएइत्था, वामा. विहिसि, वाआवेहिसि, विहित्या, वाआवेइत्या,
वाइहिह, वारहिह, वाआविहिल,
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________________
प्राकृतधातुरूपमाला ||
(१७९)
वाआवेहिह, उ० वाइरसं.वाएस्सं,वाभाविस्स, वाइस्सामो, वाएस्सामो, वाआवाआवेस्स,
विस्सामो, वाआवेस्सामो, वाइस्सामि, वाएस्सामि, वाइहामो, वाएहामो, बाआवि. वाआविस्सामि, वाआवेस्सामि, हामो, वाआवेहामो, . वाइहामि, वारहामि, वाआ- वाइहिमो, वारहिमो, वामाविहामि, वाआवेहामि, विहिमो, वाआवेहिमो, वाइहिमि, वारहिमि, वाआ- एवम-मु, म, परछता, विहिमि, वाआवेहिमि, वाइहिस्सा, बाएहिस्सा,वाआ.
विहिस्सा, वाआवेहिस्सा,
वाइहित्था, वारहित्या, वाा. . विहित्था, वाआवेहित्या, विधि-आज्ञार्थः
बहुव० प० वाअउ, वाएउ, वाआवउ, वाअन्तु, वारन्तु, वाआवन्तु, बाआवेउ,
वाआवेन्तु, म० वाअसु, वाएस, वाआवसु, वाअह. वाएह, वाआवह, - वाआवेसु,
वाआवेह, वाहि, वाएहि, वाआवहि,
वाआवेहि, उ० वाअमु, वाएमु, वाआवमु, वाअमो, वाएमो, बाआवमो, .. वाआवेमु, . . . . . वाआवेमो,
.एकव०
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________________
. (१८०)
। मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
vwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
भूतकाल.
एक. बहु० प० । वाअसी, वाऐसी, वाआवसी, वाआवेसी, १० वाअही, वाएही, वाआवही, वाआवेही, उ० / वाअहीअ, वाएहीअ, वाआवहीअ, वाआवेहीअ.
क्रियाति०
एक. प्रवाएन. (जा) वाआवेज, (जा) वाअन्तो, वान्तो, म० | वाआवन्तो, वाआवेन्तो, काप्रमाणो, वाएमाणो, उ० | वाआवमाणो, वाआवेमाणो,
(स्था) ठा. 'वर्तमान' ... एक
.. बहु० म० ठाअइ, ठाएइ ठाआवइ, . ठाअन्ति, ठाएन्ति, ठाआवन्ति, ठाआवेइ,
ठाआवेन्ति, ठाअन्ते, ठाएन्ते, ठाआवन्ते, ठाआवेन्ते, ठाइरे, ठाएइरे. ठाआविरे,
ठाआवेइरे, म० ठाअसि, ठाएसि, ठाआवसि, ठाअह; ठाएह, ठाआवह, ठाआवेसि, ठाआवेह,
ठाइत्था,ठाएइत्था, ठाआवित्था, ठाआवेइत्था, .
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॥ प्राकृतधातुरूपमाला || .
MANANwAAM
उ० ठाअमि, ठाएमि, ठाआवमि, ठाअमो, ठाएमो, ठाआवमो, ठाआवेमि,
ठाआवेमो,
(एवम्-मु, म परछता) - ॥भविष्यत्काल ॥ एकव.
बहुव० प्र० ठाइहिह, ठाएहिइ, ठाआविहिइ. ठाइहिन्ति, ठाएहिन्ति, ठाआवेहिइ,
ठाआविहिन्ति, ठाआवेहिन्ति, . (एवम्-न्ते, परछता)
ठाइहिरे, ठाएहिरे, ठाआविहिरे,
... ठाआवेहिरे, म० ठाइहिसि, ठाएहिसि, . ठाइहिथा, ठाएहित्या, ठाआविहिसि, ठावेहिसि, ठाआविहित्था, ठाआवेहित्या,
ठाइहिह, ठाएहिह,-.
ठाआविहिह, ठाआवेहिह, उ० ठाइस्सं, ठाएस्स, ठाआविस्स, ठाइस्सामो, ठाएस्सामो, ठाआवेस्स,
ठाआविस्सामो, ठगावेस्सामो; ठाइस्सामि, ठाएस्सामि, ठाइहामो, ठाएहामो, ठाआविस्सामि, ठाआवेस्सामि, ठाआविहामो, ठाआवेहामो, ठाइहामि, गएहामि, . ठाइहिमो, ठाएहिमो, ठाआविहामि, ठाआवेहामि, ठाआविहिमो, ठाआवेहिमो, ठाइहिमि, ठाएहिमि. (एवम्-मु, म, परछता,) ठाआविहिमि, ठाआवेहिमि; ठाइहिस्सा, ठाएहिस्सा,
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________________
.(१८२) ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
ठााविहिस्सा, ठाआवेहिस्सा, ठाइहित्था, ठाएहित्या,
ठाआविहित्था, ठगआवेहित्या, विधि आज्ञार्थ, एकव.
बहुव.. प्र० ठाअउ, ठाएउ, ठाआवउ, ठाअन्तु, ठाएन्तु, ठाआवन्तु, ___ठाआवेउ, ठाआवेन्तु, म० ठाअहि, ठाएहि, ठाआवहि, ठाअह, ठाएह, ठाआवह, . ठाआवेडि,
ठाभावेह, ठाअस्, ठाएस, ठगावसु
ठाआवेमु, उ० ठाअसु, ठाएमु, ठाआवमु, ठाअमो, ठाएमो; ठाआवमो, ठगआवेमु.
ठाआवेमों, .
भूतकाल.
एकव० बहुव० प्र० | ठाअसी, ठाएसी, ठाआवसी, ठाआवेसी, 0ठा अहो, ठाएहो, ठाआवहो, ठाआवेही, उ० ठाअहीभ, ठाएहीअ, ठाआवहीअ, ठाआवेहीअ,
क्रियातिपत्तिः एकव०
बहुव० प्र० ठाएज्ज, ठाएज्जा, ठाआवेज्ज, ठाआवेज्जा,
ठाअन्तो, ठाएन्तो, ठाआवन्तो, ठाआवेन्तो, . . उ० | ठाप्रमाणो; ठाएमाणो, ठाआवमाणो, ठाआवेमाणो,
म०
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला । (१८३)
(ध्यै ) झा. वर्तमान
भविष्यत्काल झाइ, झाएइ,
झाइहिइ, झाएहिइ, शामावइ, झाआवेइ, शाआविहिइ, झाआवेहिइ, विधि-आ०
भृतकाल झाअउ, झाएउ, . झाअसी, झाएसी, झाावउ, झाआवेउ, झाआवसी, झाआवेसी,
(स्ना) पहा. वर्तमान.
भविष्यत्काल. महाअड, हाएह,. ण्डाइहिइ. हाएहिई, . हाआवइ, पहाआवेइ, हाप्राविडिइ, व्हाआवेडिइ,
.. विधि-आ०. भूतकाल. ... हामउ, गहाएउ, हाअसी, हाएंसी, . हाआवउ, हाआवेउ, हाआवसी, पहाआवेसी,
. (गै) गा. वर्तमान.. . भविष्यत्काल. . गाअइ, गाएइ, गाइहिंह, गाएहिइ, गाआवइ, गाआषेइ, गाप्राविहिइ, गाआवेहिइ, विधि-आ०
भूतकाल. गाअउ, गाएउ, गाअसी, गाएसी, गाआवउ, गाआवेउ, . गाआवसी, गाआवेसी,
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(१८४) ॥मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ भमाड, भाम, भामे, भमाव, भमावे (भ्रम)
वर्तमान. भमाडइ, भामइ, भामेइ, भमावइ, भमावेइ.
भवि० भमाडिहिइ, भामिहिइ, भामेहिइ, भमाविहिइ, भमाषेहिइ.
विधि-आज्ञार्थः भमाडउ, भामउ, भामेउ, भमावउ, भमावेउ.
भृत० भमाडीअ, भामीअ, भामेईअ, भूमावीम, भमावेईल.
क्रियांति. . भमाडेज्ज (ज्जा), भामेज (ज्जा), भमावेज (जा), भमाडन्तो, भामन्तो, भामेन्तो, भमावन्तो, भयावेन्तो, भमाडमाणो,भाममाणो,मामेभाणो,भमावमाणो,भमावेमाणो,
'जे धातुमां आदि स्वर गुरु होय तेने उपर कहेल प्रेरकना प्रत्ययो तथा अवि पण प्रत्यय लागे छे. सोस,सोसे,सोसाव,सोसावे,सोसवि (शुष-शोष)
वर्तमान सोसा, सोसेइ, सोसावइ, सोसावेइ, सोसविइ,
भवि० सोसिहिइ, सोसेहिइ, सोसाविहिइ, सोसावेहिइ, सोसविहिइ, १॥ गुर्वादेरविर्वा ॥ ३ ॥ १५० ॥
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__
प्राकृतधातुरूपमाला ॥
विधि-आज्ञा० सोसउ, सोसेउ. सोसावउ, सोसावेउ, सोसविउ.
भूत सोसीभ, सोसेईअ. सोसावीअ, सोसावेई अ, सोसवीअ.
. क्रियाति सोसेज (जा), सोसावेज (जा) सोसविज्ज (जा) सोसन्तो, सोसेन्ते, सोसावन्तो, सोसावेन्तो, सोसविनो. सोसमाणो,सोसेमाणो,सोसावमाणो,सोसावेमाणो,सोसविमाणो
इत्यादि शेषं पूर्ववत् एवम्-तोस (तुष्) रूस ( रुष् ) पूस (पुष ) मोह ( मुह ) . आदिना रूपो पण जाणवा.
॥धातुना प्रेरक कर्मणि तथा भावे रूपो. ॥ प्रेरेकधातुनो कर्मणि तथा भावे करवो होय त्यारे प्रेरकना अ, ए, भाव, आधे. प्रत्ययोने स्थाने धातुनी पछी० [लुक् ] अने आवि, प्रत्ययो लागे के पछी वर्तमान, ह्यस्तनभूत तथा विधि अने आज्ञा. र्थमां ईअ. इन. प्रत्ययो लगाडीने पुरुषबोधक प्रत्ययो लगाडवामा आवे छे अंने बीजा काळमां ( भविष्यवकाल परोक्ष तथा अध्यतन भूत अने क्रियानिपत्तिमा) ई अ, इन्ज, प्रत्ययो विना पुरुषबोधक प्रत्ययो लागे के अने (लुक्) प्रत्यय पर छता पूर्वना अनो आ थाय छे. १ ॥ लुगाधी क्त भाषकर्मसु ॥ ३ ॥ १५२ ॥ अनेन लुग (०) आषि इत्येतौ प्रत्ययौ भवतः ।
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(१८६) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ . हास, हसावि. [ हस् ]
वर्तसानकाल. एकव०
बहुव० १० हासीअइ, हासीअए, हासीअन्ति, हासीअन्ते, हासीइरे, हासिज्जइ, हासिन्जए, हासिन्जन्ति, हासिजन्ते, हासिजिरे, हसावीअइ, हसावीभए, हसावीअन्ति, हसावीअन्ते,हसावीइरे; हसाविजइ, हसाविजए, हसाबिजन्ति,हसाविजन्ते, हसाविजिरे, म० हासीअसि, हासीअसे, हासीइत्था, हासीअह,
हासिज्जसि, हासिज्जसे, हरसिज्जित्था, हासिज्जह... हसावीअसि, हसावीअसे, हसावोइत्था, हसावीअह,
हसाविज्जसि, हसाविज्जसे, . हसाविज्जित्था, इसाविज्जह, . उ० हासोअमिः हासीामि, हासीअमो,हासीआमो, हासीइमो · हासिज्जमि, हास्सिज्जामिः हासीएमो.हासीअमु,हासीआमु. हसावीअमि, हसावीआमि, हासीइमु, हासीएमु. हासीअम, हसाबिज्जमि, हसाविज्जामि. हासीम,हासीडम, हासीएम.
हासिज्जमो,हासिज्जामो,हासिज्जिमो,हासिज्जेमो. हासिज्जमु, हासिज्जामु, हासिज्जिमु, हासिज्जेमु. हासिज्जम, हासिज्जाम, हासिज्जिम, हासिज्जेम. हसावीअमो,हसावीआमो,हसावीइमो,हसाचीएमो, हसावीअमु,हसावीआमु,हसावीइमु,हसावीएमु.
हसावीअम, हसावीआम, हसावीइम, हसावीएम. हसाविज्जमो,हसाविज्जामो,हसाविज्जिमो,हसाविज्जेमो.
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॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(१८७)
+VANVA/VVIA
rvvvvvvvvvvAAAAAPvvvvvvvvvvvvvvvv
हसाविज्जमु,इसाविज्जामु,इसाविज्जिमु,हसाविज्जेमु. हसाविज्जम,हसाविज्जाम,हसाविज्जिम, हसाविज्जेम.
भविष्यत्काल, एकव० . बहुव० म० हासिहिइ, हासिहिए, हासिहिन्ति,हासिहिन्ते,हासिहिरे,
हसाविहिइ, · हसाविहिन्ति.हसाविहिन्ते,हसाविहिरे. म० हासिहिसि. हासिहिसे, हासिहित्था,हासिहिह, हसाविहिसि,
हसाविहित्था, इसाविहिह, उ० हासिस्सं, हासिस्सामि, हासिस्सामो,हासिहामो,हासिहिमो,
हासिहामि, हासिहिमि, हासिस्सामु, हासिहामु. हासिहिमु, हसाविस्सं,हमाविस्सामि, हासिस्साम, हासिहाम, हासिहिम, हंसाविहामि,हसाविहिमि :
हसा विस्सामो,हसाविहामो,हसांविहिमो. हसाविस्सामु, इसाविहामु, हसाविहिसु. हसाविस्साम, हमाविहाम, इसाविहिम, हासिहिस्सा, हासिहित्था,
हसाविहिस्सा, हसाविहित्था.
विधि-आज्ञार्थ एकव०
बहुव० म० हासीअउ, हासिज्जउ, हासीअन्तु, हासिज्जन्तु, हसावीअउ,हसाविज्जउ, हसावीअन्तु, हसाविज्जन्तु,
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(१८८) ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ म० हासीअहि, हासीअसु हासीअह, हासिज्जह, हसावीह, हासीएज्जसु,हासीएज्जहि, हसाविज्जह, हासीएज्जे, हासीअ, हासिज्जहि. हासिज्जमु, हासिज्जेज्जमु, हासिज्जेज्जहि, हासिज्जेज्जे, हासिज्ज, हसावीअहि, हसावीअमु, हसावीएज्जसु, हसावीएज्जहि. हसावीएज्जे, हसावी, हसाविज्ञहि,हसाविज्जसु,हसाविज्जेज्जमु, .. हसाविज्जेज्जहि. हसाविज्जेज्जे, हसाविज्ज, उ० हासीअमु,हासीआमु, हासीइमु. हासीअमो, हासीआमो,हासीइमो हासिज्जा, हासिज्जामु, हासिज्जमो, हासिज्जामो, हासिज्जिमु,
हासिज्जिमो, हसावीअमु, हसावीआमु, हसावी अमो, हसावीआमो, . हसीवीइमु, हसावीइमो, हसाविज्जमु, हसाविज्जामु, इसाविज्जमो, हसाविज्जामो हसाविज्जिमु. हसाविजिमो.
ह्यस्तनभूत, एकव बहुव० | हासीईभ, हासीअईभ, हासिजीभ,हासिजई अ, प्र० म० उ० । हसावीई अहसावीअईभ,हसाविजीभ,हसाविजईभ
परोक्ष तथा अद्यतनमा एकव०बहुव० |
हासीअ, हसावी. प्र०म० उ० | खान, हसावा.
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥ wanan
॥ क्रियातिपत्तिः ॥ एकव० | हासेज्ज, हासेज्जा, हसाविज्ज, हसाविज्जा, पहुव० | हासन्तो, हासेन्तो, हसाविन्तो, प्र०म० उ० | हासमाणो, हसाविमाणो.
खाम, खमावि (क्षम् ) एकव०
बहुव० प्र० खामीअइ, खामोअए; खामीअन्ति, खामी भन्ने,खामीइरे,
खामिज्जइ,खामिज्जए, खामिज न्ति,खामिजन्ते.खामिजिरे खमावीअइ,खमावीअए, खमावीअन्ति, खमानीअन्ते,
___खमावीइरे. खमाविज्जइ,खमाविज्जर. खमाविज्जन्ति, खमाविज्जन्ते,
· खमाविज्जिरे. म. खामीअसि. खामीअसे, खामोइत्या, खामीअह, • खापिज्जसि,खामिज्जसे, खामिज्जित्था, खामिज्जह, खमावीअसि,खमावीअसे. खमावीइत्था, खमावीअह,
खमाविज्जसि,खमाविज्जसे. खमाविज्जित्था, खमाविज्जह, उ० खामीअमि, खामीआमि, खामीअमो,खामीआमो,खामी.
खामिज्जमि,खामिज्जामि, इमो, खामीएमो, खमावीअमि,खमावीआमि, खामिज्जमो, खामिज्जामो, खमाविज्जमि,खमाविज्जामि, खामिज्जिमो, खामिज्जेमो,
खमावीअमो, खमावीआमो, खमावीइमो, खमावीएमो,
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________________
(१९०).
॥ मुनि-कस्तूरविजयवि निर्मिता ।।
बहुव..
खमाविज्जमो, खमाविज्जामो, खमाविज्जिमो, खमानिज्जेमो.
( एवम्-मु, म प्रत्ययपर छतां) ॥ भविष्यत्काल ॥ .. एकव० प० खामिहिइ, खामिहिए, खामिहिन्ति,खामिहिन्ते,खामिहिरे, ... खमाविहिइ. खमाविहिन्ति,खामाविहिन्ते, समाविहिरे. म० खामिहिसि, खामिहिसे, खामिहित्था, खामि हिह, .
खमाविहिसि. खमाविहित्था, खमाविहिह, उ० खामिस्सं, खामिस्सामि, खामिस्सामो, खामिहामो,
खामिहामि,खामिहिमि, खामिहिमो. खमाविस्सं, खमाविस्सामि, खमाविस्सामो, खमाविहामो, खमाविहामि, खमाविहिमि, खमाविहिमों,
(एवम्-मु, म, परछतां) खामिहिस्सा, खामिहित्था.
खमाविहिस्सा, खमाविहित्था. विधि-याज्ञार्थ एकव०
बहुव० प्र० खामीअउ, खामिज्जउ, खामीभन्तु, खामिज्जन्तु,
खमावीअउ, खमाविज्जउ, खमावीअन्तु, खमाविज्जन्तु, म० खामीअहि, खामीअसु, खामीअह, खामिज्जह.
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________________
.
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(१९१)
खामीएज्जसु. खामीएज्जहि, खमावीअह, खमाविज्जह, खामोएज्जे, खामीअ, खामिजहि, खामिज्जसु, खामिज्जेज्जसु, खामिज्जेज्जहि. खामिज्जेज्जे, खामिज्ज, खमावीअहि; खमावीअसु, खमावीएज्जमु, खमावीएज्जहि, खमावीएज्जे, खमावीअ. खमाविजहि. खमाविज्जसु, खमाविजेजसु,
खभाविज्जेज्जहि. ख़माविज्जेज्जे, खमाविज्ज. उ० खामीअमु, खामीआमु, खामीअमो, खामीआमो, खामिइमु.
खामीइमो, खामिज्जमु, खापिज्जामु, खामिज्जमो, खामिज्जामो, खामिज्जिमु, . खामिज्जिमो. खमावीअमु, खमावीआमु, खमावीअमो, खमावीआमो, खमावीइमु, खमावीइमो . वमाविज्जमु, खमाविज्जामु. खमाविज्जमो, खमाविज्जामो. खमाविज्जिमु खमाविज्जिमो.
॥ ह्यस्तनभूत ॥ एकव०बहुव० | खामीईअ, खामीअईअ, खामिज्जी;
| खामिज्जईअ, खमावीई अ. खमाबीअइ अ, प्र०म० उ० |खमाविज्जोअ, खमाविज्जई अ,
परोक्ष--अद्यतनमा. एकव० बहुव० ! खामीअ, खमावीअ. प्र० म० उ० । सामान, खमावा.
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________________
| मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
एकव बहुब० | खामेज्ज (ज्जा), खमाविज्ज (ज्जा), खामन्तो, खामेन्तो, खमाविन्तो,
प्र० म० उ० | खाममाणो, खमाविमाणो. कार, करावि [ ]
. १९२
एकव ०
प्र० कारीआइ, कारीअए, का रिज्जह, कारिज्जए.
करावीअइ, करावीअए. कारिज्जन्ति, कारिज्जन्ते, कारिखिरे कराविज्जर, कराविज्जए.
बहुव०
कारीअन्ति, कारीअन्, कारी रे.
म० कारीअसि, कारी असे,
कारिज्जसि, कारिज्जसे,
करावीअसि करावी असे,
कराविज्जसि, कराविज्जसे.
●
करावीअन्ति करावी अन्ते करावीहरे कराविज्जन्ति, करा विज्जन्ते, करा विज्जिरे
कारइत्था, कारी अह,
कारिज्जित्था, करिअजह
करावीइत्था करावीअह, कराविज्जित्था कराविज्जह.
उ० कारीअमि, कारीआमि,
कारिज्जमि, कारिज्जामि
करावीअमि, करावी आमि,
करा विज्जमि, कराविज्जामि
कारीअमो, कारीआमो.
कारीइमो, कारीमो, कारिज्जमो, कारिज्जामो, कारिज्जिमो, कारिज्जेमो,
करावीअमो, कराचीमो.
करावीइमो, करावीमो,
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________________
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
(१९३)
AAAAAAVT.ADIMANAAAAAANA
कराविज्जमो,कराविज्जामो, कराविज्जिमो,कराविज्जेमो.
[एवम्-मु, म, परछता] भविष्यत्काल, एकव० .
बहुव० म० कारिहिइ, कारिहिए, कारिहिन्ति,कारिहिन्ते,कारिहिरे,
कराविहिइ. कराविहिन्ति,कराविहिन्ते,कराविहिरे. म० कारिहिसि, कारिहिसे, कारिहित्था, कारिहिह, ____ कराविहिसि. .. कराविहित्था, कराविहिह. उ० कारिस्सं, कारिस्सामि, कारिस्सामो,कारिहामो,कारिहिमो कारिहामि. कारिहिमि, कराविस्सामो, कराविहामो.
. कराविहिमो. कराविस्सं, कराविस्सामि. (एवम्-मु, म, परछतां) कराविहामि, कराविहिमि. कारिहिस्सा, कारिहित्था,
कराविहिस्सा, कराविहित्या.
विधि-आज्ञार्थः ... एकव०
बहुव० प्र० कारीअउ, कारिजउ, कारीअन्तु, कारिजन्तु,
करावीअउ, कराविजउ. करावीअन्तु, कराविजन्तु. म० कारीअहि, कारीअसु, कारीअह, कारिज्जह,
कारीएजसु, कारीएनहि, करावीअह, कराविज्जह. कारीएज्जे, कारोअ,
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________________
(१९४) ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
कारिजहि, कारिज्जसु, कारिज्जेज्जसु, कारिज्जेज्जहि, कारिजेज्जे, कारिज, करावीअहि, करावीअसु, करावीएज्जमु, करावीएज्जहि, करावीएज्जे, करावीअ, कराविज्जहि, कराविज्जसु, कराविज्जेज्जसु, कराविज्जेज्जहि, कराविज्जेज्जे, कराविज्ज.. उ० कारीअमु, कारीआंसु, कारीअमो, कारीआमो, कारीइमु,
कारीइमो, कारिज्जमु, कारिज्जामु, कारिजमो, कारिजामो. कारिज्जिमु,
कारिज्जिमो, करावीअमु, करावीआमु, करावीअमो, करावीआमो, करावीइम,
करावीइमो, . कराविज्जमु, कराविज्जासु, कराविज्जमो, कराविज्जामो, कराविज्जिमु. कराविज्जिमो. .
॥ ह्यस्तनभूत ॥ एकव० बहुव० | कारीईअ, कारीअई अ, कारिजीअ, प्र० म० उ० | कारिज्जई अ, कारावीईअ,
| करावीअई अ, कराविज्जीअ, कराविजई.
परोक्ष-अद्यतनमा.
कराना
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________________
एक बहुव० | कारीअ, करावी.
प्र० म० उ०
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
एकव० बहुव० |
म० म० उ० 1
एकव ०
प्र० होईअइ,
होइज्जइ,
होआवीअड़,
हो आविज्जइ,
म० होई असि
होइज्जसि,
'होआवी असि हो आविज्जसि.
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
कारेज्ज ( ज्जा), कराविज्ज (ज्जा] कारन्तो, कारेन्तो, करावितो, कारमाणो, कराविमाणो.
हो, होआवि (हो)
उ० होईअमि, होई आमि, होइज्जमि, होइज्जामि, होआव अमि, होआव आमि, होआवज्जमि, होविज्जामि
( १९५)
बहुव०
होई अन्ति, होई अन्ते, होईइरे, होइज्जैन्ति होइज्जन्ते, होइज्जिरे,
होआव अन्ति, होआवीअन्ते,
होआवीरे,
होआविज्जन्ति, होआविज्जन्ते,
हो आविज्जिरे.
होई इत्था, होई अह,
होइज्जत्था, होइज्जह,
होआवइत्था, होआवीअह, होआविज्जित्था, होआविज्जह.
होई अमो, हो आमो, होईइमो
होईएमो, होईअमु, होई आ होईइमु, होईएस, होईअम, होईआम, होईइम, होइएम,
3
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________________
(१९६)
॥ मुनि कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
एकन० प्र० होeिs, होआविहिr,
होइज्मो, होइज्जामो, होइज्जमो, होइज्जेमो, होइज्जमु, होइज्जासु, होइज्जमु, होइज्जेमु, होइज्जम, होइज्जाम, होइज्जिम, होइज्जेम, होआवीअमो, होआविओमो,
होआवइमो, होआवीएमो,
म० होहिसि, होआविहिसि,
होआवीअमु, होआवीओमु,
होआवसु, होआवीएम;
होआवीअम, होआव आम,
emaiम, होआवीएम,
हो आविज्जमो, होआविज्जामो, होआविज्जिमो, होआविज्जेमो, होविज्जम, होआविज्जामु,
भविष्यत्काल,
होआविज्जिम, होआविज्जेमु, हो आविज्जम, होआविज्जाम, होआविज्जिम, होभविज्जेम,
बहुब०
होहिन्ति, होहिते, होहिरे, होआविहिन्ति, होआविहिन्ते,
होआविहिरे.
होहित्था, होहि होआवहि
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(१९७)
स्था, होआविहिह. उ० होस, होस्सामि, होहामि, . होस्सामो, होहामो, होहिमो, होहिमि,
होस्सामु, होहामु, होहिम, होआविस्स, होआविस्सामि, होस्साम, होहाम, होहिम, होआविहामि, होआविहिमि.
होआविस्सामो, होआविहामो, होआविहिमो, होआविस्सामु,
होआविहामु,होआविहिमु, होआविस्साम,होआविहाम,हीआविहिम,
होहिस्सा, होहित्था, होआविहिस्सा,होआविहित्था.
.
विधि--आज्ञार्थ
एकव० बहुव० प्र० होई अउ, होइज्जउ, होईअन्तु, होइज्जन्तु. ... .होआवीअउ, होआविजउ. होआवीअन्तु, होआविजन्तु. म० होई अहि, होई असु, होईअह, होइजह,
होइज्ज हि, होइज्जसु, होआवीअहि, होआवीअसु, होआवीअह, होआविज्जह.
होआविज्जहि, होआविज्जसु. उ० होई अमु, होई आमु, होई इमु, होई अमो, होई आमो, होईइमो .. होइज्जमु, होइजामु,होइज्जिमु. होइज्जमो,होइज्जामो,होइजिमो
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________________
...manoranormananmaanine
(१९८) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ होआवीअमु, होआवीआमु, होआवीअमो, हो भावीआमो होआवीइमु, होआवीइमो, होआविज्जमु,होआविज्जामु, होआविज्जमो, होआविजामो, होआविज्जिमु. होआविज्जिमो, ..
ह्यस्तनभूता, . एकव० | होईअसी, होई अही, होई अहीअ, .. बहुव० | होइज्जसी,होइज्जही ,होइज्जहीअ, ..
होआवीअसी. होआवीअही, होआवीअहीअ, ज०म०७० | होआविज्जसी,होआविज्नहो,होआविज्जहीअ.
परोक्ष तथा अद्यतनमा एकव०बहुव० ! होसी, होही, होहीअ, ' प्र० म० उ० | होआविसी, होआविही, होआविहीअ.
॥ क्रियातिपत्तिः॥ एकव०बहुव० | होज्ज, होज्जा होआविज्ज, होआविज्जा. म०म० उ०
| होन्तो, होमाणो, होआविन्तो, होआविमाणो. ने, नेआवि, हनी)
वर्तमान एकव०
। बहुव० १० नेईअइ, नेइज्जइ, नेई अन्ति, नेई अन्ते, नेईइरे, नेवीअइ,नेआविज्जइ. नेइज्जन्ति, नेइज्जन्ते, नेइजिरे,
नेआवीअन्ति, ने भावीअन्ते,नेआवीइरे,
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________________
vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
। प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(१९९) नेआविज्जन्ति, नेआविजन्ते,
नेआविजिरे. म० नेई असि, नेइज्जसि, नेई इत्था, नेई अह,
नेइज्जित्था, नेइज्जह, नेआवीअसि, नेआवीइत्था,नेआवीअह,
नेआविज्जसि, नेआविज्जित्था,नेआविज्जह. उ० नेई अमि, नेई आमि, नेई अमो, नेई आमो, नेईइमो,
नेईएमो, नेइज्जमि, नेइज्जामि, नेइज्जमो,नेइज्जामो,नेइज्जिमो,
नेइज्जेमो, नेआचीअमि, नेआवीआमि नेआवीअमो, नेआवीआमो,
नेआवीइमो,नेआवीएमो, नेआविजमि, नेआविजामि नेआविज्जमो, नेआविज्जामो,
नेआविज्जिमो, नेआविज्जेमो.
"एवम्-मु, म परछतां . ॥भविष्यत्काल ॥ ...एकव०
बहव० प्र० नेहिइ, नेआविहिइ, नेहिन्ति, नेहिन्ते, नेहिरे,
नेआविहिन्ति, नेआविहिन्ते,
नेआविहिरे. म० नेहिसि,
नेहित्था, नेहिह, नेआविहिसि, नेआविहित्था, नेआविहिह.
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________________
(२००)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
उ० नेस, नेस्सामि, नेस्सामो, नेहामो, नेहिमो, नेहामि, नेहिमि, नेआविस्सामो, नेआविहामो,
नेहाविहिमो.
एवम्-मु, म, परछता, . नेआविस्स, नेआविस्सामि, नेहिस्सा, नेहित्था, ... नेआविहामि, नेआविहिमि. नेआविहिस्सा,नेआविहित्या.
विधि-याज्ञार्थ .. एकव०
बहुव० . . प्र० नेई अउ, नेइज्जउ, नेई अन्तु, नेइज्जन्तु, .
नेवीअउ, नेआविज्जउ, नेआवीअन्तु, नेआविज्जन्तु. म. नेई अहि, ने ईअसु, नेई अह, .
नेइज्जहि, नेइज्जसु, नेइज्जह, नेआवीअहि, नेआवीअसु, नेआधीअह,
नेआविज्जहि, नेआविज्जसु. नेआविज्जह. उ० नेई अमु, ने ईआमु, नेई इमु, नेई अमो, नेई आमो नेईइमो. नेइज्जमु, नेइज्जामु,नेइज्जिमु, नेइज्जमो, नेइज्जामो,
नेइज्जिमो, नेआवीअमु, नेआवीआमु, नेआवीअमो, नेआवीआमो, नेआवीइमु,
नेवीइमो, नेआविज्जमु, नेआविज्जामु, ने आविज्जमो, नेआविज्जामो, नेआविज्जिमु. नेआविज्जिमो.
॥ ह्यस्तनभूतकाल.॥
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२०१)
Annnnnnnv/vvvvvv
. नाविक
एकप० । नेई असी नेई अही नेई अहीअ, बहुव० ।
| नेइज्जसी,नेइज्जही,नेइज्जहीअ, प्र० म० उ० ने आवीअसी, नेआवीअही, नेहावीअहीअ,
। नेआविज्जसी, नेआविज्जही, नेआविज्जहीअ.
परोक्ष तथा अद्यतन एकव० बहुवक नेसी, नेही नेहीअ, म०म० उ० । नेआविसी नेआविही,नेआविहीअ.
क्रियातिपत्ति एकव० बहुप० । नेज्ज,नेज्जा, नेआविज्ज, नेआविज्जा, प्र० म० उ० | नेन्तो,नेमाणो,नेआविन्तो, नेआविमाणो.
झा, झायावि (ध्यै)
..
वर्तमानकाल.
- एकव० : म० झाई अई, झाइज्जइ,
झाावी अइ, शाभाविज्जा,
बहुव० आईअन्ति, झाई अन्ते, शाईइरे, झाइज्जन्ति, झाइज्जन्ते,शाइज्जिरे, झाआवीअन्ति, शाआवीअन्ते, झाआवीइरे, शाआविज्जन्ति, शाआविज्जन्ते, शाआविज्जिरे. शाईइत्था, झाईअह. झाइज्जित्था, झाइज्जह,
म० साईअसि, साइनसि,
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________________
“(२०२) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
झाावीअसि, झाआवीइत्था, शाआवीअह.
झाआविज्जसि. झाआविजित्या, झाआविज्जह. उ० झाई अमि, झाईआमिः झाई अमा, झाईआमो, झाईइमो, शाइज्जमि, झाइज्जामि, झाई एमो, झाइज्जमो, झाइज्जामो,
झाइज्जिमो, झाइज्जेमो, झाावीअमि, झाावीआमि, झाआवीअमो, झाआवीआमों, शाआविज्जमि,शाआविज्जामि, झाावीइमो, झाावीएमो,
. झाआविजमो,झाआविज्जामो झाआविज्जिमी, झाआविज्जेमो,
एवम्-मु. म, परछतां. भविष्यत्काल. . , एकव०
बहुव० म० शाहिइ, झाआविहिइ, झाहिन्ति, शाहिन्ते,शाहिरे,
___झाआविहिन्ति,झाआविहिन्ते,झाआविहिरे. म० झाहिसि, झाहित्या, झाहिह,
झाआविहिसि. झाआविहित्या, झाविहिह. ३० झास्स,झास्सामि,झाहामि, झास्सामो, झाहामो, झाहिमो,
शाहिमि, शाआविस्स,झाआविस्सामि, माआविस्सामो,झाआविहामो,
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________________
॥ - प्राकृतधातुरूपमाला ||
झामविहामि, झाआविहिमि. झाआविडियो,
4
आज्ञार्थ तथा विधि,
"
म० झाई अहि, झाई असु,
झाइज्जहि, झाइज्जसु,
झावी अहि, झाआवी अंसु,
झाआविज्जहि, झाआविज्जसु
उ० झाईअमु, झाई आमु,झाई इसु,
एवम् मु, म, परछता.
झा हिस्मा, झाहित्था,
एकव ०
बहुव०
प्र० झाईअड, झाइज्जउ,
झाई अन्तु, झाइज्जन्तु.
झाआवीअउ, झाआविज्जउ, झाआवीअन्तु, झाआविज्जन्तु,
झाई अह,
"
(२०३)
झाविहिस्सा, झाआविहित्था.
झाइज्जह,
झाआवीअह,
झाआविज्जह.
झाई अमो, झाई आमो, शाई इमो,
झाइज्जमो, झाइज्जामो, झाइज्जिमो,
झाज्यमु, झाइज्जामु
झाइज्जिमु,
झाआवीअमु, झाआवीभामु, झाआवीअमो, झाआवीआमो,
झाआवीइमु,
झाआवीइमो,
झाभाविज्वसु, झाभाविज्जामु, झाआविज्जयो, झाभा विज्जामो.
झाभा विज्जिमु.
झाआविज्जिमो.
Page #219
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________________
॥ मुनि - कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
ह्यस्तभूत,
झाई असी, झाई अही, झाई अहीअ, झाइज्जसी, झाइज्जही, झाइज्जहीअ, झाmarअसी, झावी अही, झाआवी अहीअ. झाविज्जसी, झाभाविज्जही, झाआवीजहीअ
परोक्ष तथा अद्यतन.
झासी, झाही, झाही,
एकव० बहुव० | प्र० म० उ० । झाओविसी, झाआविही, झाआविहीअ.
क्रियातिपत्तिः,
एकव० बहुव० | झाज्ज, झाज्जा, झाआविज्ज झाआविजा, प्र० म० उ० | ज्ञान्तो, झामाणी, झाआविन्तो, झाआविमाणो.
'इच्छादर्शक धातुना रूपो'
लिच्छ (लभू -- लीप्सति ]
(२०४)
एक बहुव० | प्र०म० उ० |
"
एकव०
प्र० लिच्छा, लिच्छए.
म० लिच्छसि, लिच्छसे.
उ० लिच्छमि, लिच्छामि,
"
बहुव ०
लिच्छन्ति, लिच्छन्ते, लिच्छिरे.
,
लिच्छित्था, लिच्छह.
लिच्छमो, लिच्छामो, लिच्छिमो, लिच्छेमो,
लिच्छमु, लिच्छामु, लिच्छिमु, लिच्छेम,
लिच्छम, लिच्छाम, लिच्छिंम, लिच्छेम.
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२०५)
भविष्यत् एकव० .
बहुव० प्र. लिच्छिहिद, लिच्छिहिए. लिच्छिहिन्ति, लिच्छिहिन्ते, .
लिच्छिहिरे. म० लिच्छिहिसि, लिच्छिहिसे. लिच्छिहित्या, लिच्छिहिह, उ० लिच्छिस्सं, लिच्छिस्सामि, लिच्छिस्सामो, लिच्छिहामो, लिच्छिहामि,लिच्छिहिमि. लिच्छिहिमो,
लिच्छिस्सामु, लिच्छिहामु, लिच्छिहिम, लिच्छिस्साम, लिच्छिहाम, लिच्छिहिम,
: लिच्छिहिस्सा, लिच्छिहित्था. विधि-आज्ञार्थः
एकव० . बहुव० म० लिच्छउ.. लिच्छन्तु. म. लिच्छहि, लिच्छसु, लिच्छह. लिच्छेज्जसु लिच्छेज्जहि,
लिच्छेज्जे, लिच्छ. उ० लिच्छमु, लिच्छाम, लिच्छिमु. लिच्छमो, लिच्छामो,
लिच्छिमो.
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________________
(२०६)
॥ मुनि-कस्तूरषिजयविनिर्मिता ॥
-
-
भूतकाल
एकव०बहुव० । लिच्छीअ.
प्र० म० उ०
क्रियातिपत्तिः, एकव०बहुव० | लिच्छेज्ज, (ज्जा) म०म० उ० । लिच्छन्तो, लिच्छमाणो.
" वर्तमान तथा आज्ञार्थमां एत्व थाय त्यारे-- लिच्छेइ, लिच्छन्ति लिच्छेउ, लिच्छेन्तु इत्यादि रूपो पण थायले.
'जुगुच्छ' [ जुगुप्सति.)
एकव० बहुव० प्र० जुगुच्छइ, जुगुच्छए. . जुगुच्छन्ति, जुगुच्छन्ते, जुगु..
च्छिरै. म० जुगुच्छसि, जुगुच्छसे. जुगुच्छित्था, जुगुच्छह. उ० जुगुच्छमि, जुगुच्छामि. जुगुच्छमो, जुगुच्छामो,
जुगुच्छिमो. जुगुच्छेमो, जुगुच्छमु. जुगुच्छामु, जुगुच्छिमु, जुगुच्छेमु, जुगुच्छम, जुगुच्छाम, जुगुच्छिम, जुगुच्छेम.
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________________
|| प्राकृतधातुरूपमाला ॥
भविष्यत्
एकव ०
बहुत्र०
प्र० जुगुच्छि हिइ, जुगुच्छिहिए. जुगुच्छि हिन्ति, जुगुच्छि हिन्ते,
जुगुच्छिहिरे. म० जुगुच्छिहिसि, जुगुच्छिहिसे. जुगुच्छिहित्था, जुगुच्छि हिह. उ० जुगुच्छिस्सं, जुगुच्छिस्सापि, जुगुच्छिस्सामो, जुगुच्छिहामो, जुगुच्छिहामि, जुगु च्छिहिमि. जुगुच्छिहिंमो,
विधि - आज्ञार्थः
(२०७)
. जुगु च्छिस्सामु, जुगुच्छिहामु, जुगुच्छिहिमु, जुगुच्छिस्साम, जुगुच्छिहाम, जुगुच्छिहिम, जुगुच्छि हिस्सा, जुगुच्छिहित्था.
बहुव०
जुगुच्छन्तु.
जुगुच्छह.
एक बहुब जुगुच्छीअ.
प्र०
एकव ०
प्र० जुगुच्छउ.
म० जुगुच्छहि, जुगुच्छसु, जुगुच्छेज्जसु, जुगुच्छेज्जहि, जुगुच्छेज्जे, जुगुच्छ.
उ० जुगुच्छ, जुगुच्छा, जुगुच्छिमु. जुगुच्छमो, जुगुच्छामो,
जुगुच्छिमो.
भूतकाल
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________________
___ (२०८) मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
क्रियातिपत्तिः एकव०बहुव० | जुगुच्छेज्ज, जुगुच्छेज्जा, प्र०म० उ० | जुगुच्छन्तो, जुगुच्छमाणो.
'पिवास ' ( पा, पिपासति ] .. एकव०
बहुव० म० पिवासइ, पिवासए. पिवासन्ति, पिवासन्ते, पिवासिरे म० पिवाससि, पिवाससे. पिवासित्था, पिचासहः उ० पिवासमि,पाविसामि. पिवासमो, पिवासामो,पिवासियो'
पिवासेमो. पिवासमुं, पिवासामु, पिवासिम, पिनासेमु, पिवासम, पिवासाम,
पिवासिम, पिवासेम,
भविष्यत् एकव०
बहुव० . प्र० पिवासिडिइ. पिवासिहिए. पिवासिहिन्ति, पिवासि हिन्ते,
पिवासिहिरे, म० पिवासिहिसि, पिवासिहिसे. पिवासिहित्था, पिवासिहिह. उ० पिवासिस्स, पिवासिस्सामि, पिवासिस्सामो, पिवासिहामो, पिवासिहामि,पिवासिहिमि. पिवासिहिमो, पिवासिस्सामु,
पिवासिहामु, पिवासिहिमु, पिवासिरसाम, पिवासिहाम,
Page #224
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________________
॥ग्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२.९)
पिवासिहिम, पिवासिहिस्सा, पिवासिहित्या.
विधि-आज्ञार्थ एकव.
बहुव० प्र.पिवासउ.. . पिचासन्तुः म० पिवासहि, पिवाससु, पिवासइ. .. पिवासेज्जसु, पिवासेज हि,
पिवासेज्जे, पिवास. उ० पिवासमु, पिवासामु, पिवासमो,पिवासामो,पिवासिमो.
पिवासिमु. .
॥ ह्यस्तनभूतकाल.॥
.
एकव०बहुव०पिवासीअ,
प्र० म० उ. ।
॥ क्रियातिपत्तिः॥ एकव०बहुव०। प्र०म० उ० । पिवासेज, पिवासेजा, पिवासन्तो, षिवासमाणो.
. 'बुहुक्ख ' ( भुज बुभुक्षति ) एकव०
बहुव० प० बुहुक्खइ, बुहुक्खए, हुक्खन्ति, बुहुक्खन्ते, बुहुक्खिरे.
Page #225
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________________
AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA
(२१०) ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥.... म० बुहुक्खसि, बुहुक्खसे. बुहुक्खित्या, बुहुक्खह. उ० बुहुक्खमि, बुहुक्खामि, बुहुक्खमो, बुहुक्खामो, बुहुक्खिमो,
बुहुक्खेमो, बुहुक्खमु, बुहुक्खामु, बुहुक्खिमु, बुहुक्खेमु, बुहुक्खम, बुहुक्खाम, बुहुक्खिम, बुहुवखेम.
भविष्यत्काल, एकव०
बहुव० प्र० बुहुक्खिहिइ, बुहुक्खिहिए, बुहुक्खिहिन्ति,बुहुक्खिहिन्ते
. बुहुक्खिहिरे. म० बुहुक्खिहिसि,बुहुक्खिहिसे. . बुहुक्खिहित्था,बुहुक्खिहिह. उ० बुहुक्खिस्सं, बुहुक्खिस्सामि, बुहुक्खिम्सामो,वहुक्खिहामो, बुहुक्खिहामि, बुहुक्खिहिमि. बुहुक्खिहिमो,बुहुक्खिस्सामु.
बुहुक्खिहामु,बुहुक्खिहिमु, बुहुक्खिस्साम,बुहुक्खिहाम, बुहुक्खिहिम, बुहुक्खिहिस्सा, बुहुक्खिहित्था.
विधि-आज्ञार्थः
बहुव०
एकव०
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२११)
प० बुहुक्खउ. .
बुहुक्खन्तु. म० बुहुक्खहि, बुहुक्खसु. बुहुक्खह. ... बुहुक्खेज्जसु, बुहुक्खेजहि,
बुहुक्खेज्जे, बुहुक्ख. उ० घुहुक्खमु, बुहुक्खामु, बुहुक्खिमु. बुहुक्खमो, बुहुक्खामो,
. बुहुक्खिमो.
॥ ह्यस्तनभूत ॥
एकव०बहुव०।
५० म० उ० । बुहुक्खीअ,
॥ क्रियातिपत्तिः ॥ एकव०बहुव• । बुहुक्खेज्ज, बुहुक्खेज्जा, म०म० उ० | बुहुक्खन्तो, बुहुक्खमाणो..
.
.
सुस्सूस, (श्रु-शुश्रूषते )
- वर्तमान एकव०
बहुव० प्र० सुस्सूसइ, सुस्म्स ए. मुस्सन्ति,सुस्सूसन्ते,सुस्सूसिरे. म० मुस्सूससि, सुस्स्ससे: सुस्सूसित्था, सुस्मुसह. उ० मुस्सूसमि, मुस्मुसामि. सुस्सूसमो, सुस्सूसामो,
सुस्मृसिमो, सुस्मसेमो, सुस्मुसमु. सुस्मुसामु.
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________________
(२१२)
॥ मुनि-कस्तूविजयविनिर्मिता ||
सुस्मृसिमु, सुस्सूसेमु,सुस्सूसम, . सुस्मुसाम. सुस्सूमिम,सुस्मसेम.
॥ भविष्यत्काल, ॥ . ... एकब०
बहुव० . ५० सुस्मृसिहिइ, सुस्मृसिहिए. मुस्ससिहिन्ति, सुस्मृसि हिन्ते
सुस्मृसिहिरे. . .. म० सुस्मृसिहिसि, सुस्मृसिहिसे. सुस्मृसिहित्था, सुस्मृसिहिह, उ० सुस्मृसिस्सं, सुस्मृसिस्सामि, सुम्सुसिरसामो, सुस्सिहामो.. सुस्मृसिहामि, मुस्मृसिहिमि. सुस्मृसिहिमो. सुस्सूसिस्सामु,
मुस्हसिहामु, सुरसूसिहिमु, सुस्मूसिम्साम,मुस्मृसिहाम,मुस्सूसिहिम, सुस्मृसिहिस्सा, सुस्मृसिहित्था.
एकव०
विधि--आज्ञार्थ
बहुव प्र० सुस्सूसउ.
सुस्सूसन्तु. उ० सुस्मुसहि, सुस्सूससु, . सुस्सूसह.
सुस्मसेजस, सुस्सूसेन्जहि,
सुस्मूसेज्जे, सुस्मूस. उ० सुस्सूसमु, सुस्मूसामु, सुस्सूसमो, सुस्सूसामो, सुरसूसिमु .
सुस्मृसिमो.
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
कायालयाच्य
ह्यस्तनभूत,
एकव०वहुव०
प्र०म० ॐ
सुम्सूसीअ.
क्रियातिपत्तिः, एकव०बहुव० | सुस्सूसेज्ज,सुस्मूसेज्जा, . १० म० उ० | सुस्मसन्तो, सुस्सूममाणो.
( इच्छादर्शक धातुओना कर्मणिभावेरूपो)
लिच्छ ( लभ्लीप्स्यते) . एकव. . . बहुव० प्र० लिच्छीअइ, लिच्छीअए, लिच्छीअन्ति, लिच्छीअन्ते. लिच्छिज्जइ लिच्छिज्जए. लिच्छीइरे, लिच्छिज्जेंन्ति,
. लिच्छिज्जन्ते,लिच्छिज्जिरै. म. लिच्छीअसि, लिच्छीअसे, लिच्छोइत्था, लिच्छीअह, ___ लिच्छिज्जसि,लिच्छिन्नसे. लिच्छिज्जित्था, लिच्छिज्जह. उ. लिच्छीअमि, लिच्छीआमि, लिच्छीअमो, लिच्छीआमो, लिज्छिज्जमि, लिच्छिज्जामि. लिच्छीइमो, लिच्छिएमो.
लिच्छीअमु,लिच्छीआमु,लिच्छीइमु, लिच्छीएमु,लिच्छीअम, लिच्छीआम,
लिीच्छइम,लिच्छीएम. लिच्छिज्जमो,लिच्छिन्नामो,लिच्छिजिमो
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________________
(२१४)
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॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
लिच्छिज्जेमो, लिच्छिज्जमु, लिच्छिज्जामु,लिच्छिज्जिमु,लिच्छिज्जेसु, लिच्छिज्जम, लिच्छिन्जाम, लिच्छिजिय,लिच्छिज्जेम.
॥ भविष्यत्काल ॥ लिच्छिहिइ, लिच्छिहिन्ति, लिच्छिहिन्ते, लिच्छिहिरे. इत्यादिशेषम्-भविष्यत्कालना कर्तरि प्रयोगनी जेम ।
विधि-याज्ञार्थः एकव०
बहुव० . प्र० लिच्छीअउ, लिच्छिज्जउ. लिच्छीअन्तु, लिज्छिन्जन्तु, म० लिच्छीअहि,लिच्छीअसु, लिच्छीअह, लिच्छिज्जह.
लिच्छीएज्जसु.लिच्छीएज्जहि, लिच्छीएज्जे. लिच्छीअ, लिच्छिज्जहि, लिच्छिज्जसु, लिच्छिज्जेज्जसु, लिच्छिज्जेज्जहि, लिच्छिज्जेज्जे, लिच्छिज्ज. उ० लिच्छीअमु, लिच्छीआमु, लिच्छीअमो, लिच्छीआमो, लिच्छीइसु,लिच्छिज्जमु, लिच्छीइमो, लिच्छिज्जमो, लिच्छिज्जामु,लिच्छिज्जिमु. लिच्छिज्जामो, लिच्छिज्जिमो.
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥.
ह्यस्तनभूत, एकव०बहुव० लिच्छीअईअ, लीच्छीईअ, प० म० उ० | लिच्छिज्जई अ, लिच्छिज्जीअ,
परोक्ष तथा अद्यतनमा
एकव बहुव० ! लिच्छि.
प्र० म० उ० ।
क्रियातिपत्तिः, एकव० बहुव० लिच्छेज्ज (ज्जा), लिच्छन्तो, प्र० म० उ० । लिच्छमाणो.
झुण (गुप-जुगुप्स्यते) ... एकव०
• बहुव० - म० झुणीअइ, झुणीअए, झुणीअन्ति, झुणीअन्ते, झुणीइरे.
झुणिज्जइ, झुणिज्जए. झुणिज्जन्ति,झुणिज्जन्ते,झुणिज्जिरे. म०. झुणीअसि, झुणीअसे, झुणीइत्था, झुगीअह.
झुणिज्जसि, झुणिज्जसे, झुणिज्जित्या, झुणिज्जह. उ० झुणीअमि, झुणीआमि, झुणीअमो, झुणीआमो, झुणीइमो, .
झुणोएमो. झुणिज्जमि, झुणिज्जामि. झुणीअमु, झुणीआमु, झुणीइम,
झुणीएमु. झुणीअम, झुणीभाम, झुणीइम, झुणीएम.
Page #231
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________________
(२१६)
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vvvvvvvvvvvvvv.
॥मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ||
झुणिज्जमो,झुणिज्जामो,झुणिज्जिमो, झुणिज्जेमो,झुणिज्जमु,झुणिज्जामु, झुणिज्जिमु,झुणिज्जेमु,झुणिज्जम, झुणिज्जाम,झुणिजिम,झुणिज्जेम.
भविष्यत्काल. झुणिहिइ, झुणिहिन्ति, झुणिहिन्ते, झुणिहिरे. इत्यादिशेषमू-भविष्यत्कालना कर्तरि प्रयोगनी जेम.
विधि--याज्ञार्थः . एकव०
बहुव० . . प्र० झुणीअउ, झुणिज्जउ. झुणीअन्तु, झुणिज्जन्तु. म० झुणीअहि, झुणीअसु. . झुणीअह, झुणिज्जह.
झुणीएज्जसु, झुणीएज्जहि, झुणीएज्जे, झुणी. झुणिज्जहि,झुणिज्जसु,झुणिज्जेज्जसु, झुणिज्जेज्जहि, झुणिज्जेज्जे,
झुणिज्ज. उ० झणीअमु, झुणीआमु, झुणीअमो, झुणीआमो, झुणीइमो,
झुणीइमु, झुणिज्जमु, झुणिज्जमो,झुणिज्जामो,झुणिज्जिमो. झुणिज्जामु, झुणिज्जिमु.
Page #232
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
॥ ह्यस्तनभूत ॥ एकव० बहुव० । झुणी अई अ, झुणीई अ, झुणिज्जई अ, झुणिज्जीअ.
भ० म० उ०
|| परोक्ष तथा अद्यतन ॥
एकष० बहुव० } झुणीअ.
प्र० म० उ०
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
एकव० बहुव० ) झुणेज्ज (ज्जा ), झुणन्तो, झुणमाणो.
}
प्र० म० उ०
॥ बुहुक्ख ( भुज-बुभुक्ष्यते ) ॥
एकव ०
प्र० बुहुक्खी अइ, बुहुक्खी अए, बहुक्खिज्जइ, बुहु क्खिज्जए.
(२१७)
बहुव ०
बुहुक्खी अन्ति, बुहुक्खीअन्ते, बुहुक्खीइरे.
बहुविखज्जन्ति, बहुक्खिज्जन्से, बहु क्खिज्जिरे.
म० बुहुक्खीअसि, बुहुक्खी असे. बहु क्खिज्जसि, बुहुक्खिज्जसे
बुहुक्खीइत्था, बुहुक्खी अह, बुहुक्खिज्जित्था, बुहुक्खिज्जह बुहुक्खीअमो, बुहुक्खीआमो,
उ० बुहुक्खी अमि, बुहुक्खीआमि,
बुहुक्खिज्जमि, बुहुक्खिज्जामि, बुहुक्खीइमो, बुहुक्खी एमो.
बुहुक्खी अमु, बुहुक्खी आम्मु, बुहुक्खीइसु, बुहुक्खीएसु.
Page #233
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________________
(२२८)
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॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ||
बुहुक्खीअम,बुहुक्खीआम,बुहुक्खीइम,
बुहुक्खीएम. बुहुक्खिज्जमो, बुहुखिजामो, बुहुक्खिज्जिमो, बुहुक्खिज्जेमो,बुहुक्खिज्जमु,बुहुक्खिज्जामु
बुहुक्खिज्जिमु, बुहुक्खिज्जेमु.. बुहुक्खिज्जम,बुहुक्खिज्जाम, बुहुक्खि
ज्जिम, बुहुक्खिज्जेम.
॥भविष्यत्काल ॥ बुहुक्खिहिइ. बुहुक्खिहिन्ति, .बहुक्खिहिन्ते, बुहुक्खिहिरे. :. इत्यादि शेषम्-भविष्यत्कालना कर्तरि प्रयोगनी जेम
॥ आज्ञार्थ तथा विधि, ॥ .: एकव०
बहुव० म० बुहुक्खीअउ, बुहुक्खिज्जउ. बुहुक्खीअन्तु, बुहुक्खिज्जन्तु. म० बुहुक्खीअहि, बुहुक्खीअसु, बुहुक्खीअह, बुहुक्खिज्जह.
बुहुक्खीएज्जसु,बुहुक्खीएज्जहि, बुहुक्खीएज्जे, बुहुक्खी. बुहुक्खिज्जहि, बुहुक्खिज्जसु, बुहुक्खिज्जेज्जसु, बुहुक्खिज्जेज्जहि,
बुहुक्खिज्जेज्जे, बुहुक्खिज्ज. उ० बुहुक्खीअमु,बुहुक्खीआमु, बुहुक्खीअमो,बुहुमूखीमामो,
बुहुक्खीइमु,
बुहुक्खीइमो,
Page #234
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________________
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२१९)
बुहुकिंखज्जमु, बुहुकिखज्जामु, बुहुक्विज्जमो, बुहुक्खिज्जामो बुहु खिज्जिसु.
बहु खिज्जिमो.
॥ ह्यस्तनभूतकाल. ॥
एकव० बहुव० । बुहुक्खीअईअ, बुहुकखीभ, बहुकिखज्जईअ, प्र० म० उ० बुहुक्खिज्जीअ.
॥ परोक्ष तथा अद्यतनं ॥
बुहुक्खीअ
एकव० बहुव ० म० म० उ०
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
एकव० बहुव० । बुहुक्खेज्ज ( ज्जा), बुहुक्खन्तो, बहुक्खमाणो.
प्र०म० उ०
॥ ' इच्छादर्शक धातु खोना प्रेरक रूपो ' ॥
॥ 'जुगुच्छ ' [ जुगुप्स - जुगुप्सयति ] ॥
एकव ०.
बहुव०
प्र० जुगुच्छइ, जुगुच्छेइ,
जुगुच्छावर, जुगुच्छावेइ, जुगुच्छए, जुगुच्छेए, जुगुच्छा बए, जुगुच्छावेए.
जुगुच्छन्ति, जुगुच्छेन्ति, जुगुच्छावन्ति, जुगुच्छा वेन्ति,
१
जुगुच्छन्ते, जुगुच्छेन्ते, जुगुच्छावन्ते, जुगुच्छावेन्ते, जुगुच्छिरे, जुगुच्छेइरे, जुगुच्छा विरे, जुगुच्छावेइरे,
Page #235
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________________
(२२०) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ म० जुगुच्छसि, जुगुच्छेसि, जुगुच्छित्था,जुगुच्छेइत्था,जुगुच्छा
जुगुच्छावसि,जुगुच्छावेसि, वित्था, जुगुच्छावेइत्था, जुगुच्छसे, जुगुच्छेसे, जुगुच्छह, जुगुच्छेह, .
जुगुच्छावसे, जुगुच्छावेसे. जुगुच्छावह, जुमुच्छावेह.. .. उ० जुगुच्छमि, जुगुच्छेमि, जुगुच्छमो, जुगुच्छेमो, जुगुच्छावमि,जुगुच्छावेमि, जुगुच्छावमो,जुगुच्छावेमो, ...
जुगुच्छमु,जुगुच्छेमु,जुगुच्छावमु,जुगुच्छावेमु, जुगुच्छम,जुगुच्छेम,जुगुच्छावम,जुगुच्छावेम.
॥ भविष्यत्कालं ॥ एकव०
बहुव० प्र० जुगुच्छिहिइ, जुगुच्छेहिइ, जुगुच्छिहिन्ति, जुगुच्छेहिन्ति,
जुगुच्छाविहिइ, जुगुच्छा- जुगुच्छाविहिन्ति,जुगुच्छावेहिन्ति, वेहिइ,
जुगुच्छिहिन्ते,जुगुच्छेिहिन्ते जुगुच्छिहिए,जुगुच्छेहिए, जुगुच्छाविहिन्ते जुगुच्छावेहिन्ते जुगुच्छाविहिए, जुगुच्छिहिरे, जुगुच्छेहिरे,
जुगुच्छावेहिए.. जुगुच्छाविहिरे, जुगुच्छावेहिरे, म० जुगुच्छिहिसि,जुगुच्छेहिसि, जुगुच्छिहित्या, जुगुच्छेहित्था,
जुगुच्छाविहिमि,जुगुच्छावे. जुगुच्छाविहित्था,जुगुच्छावेहित्था, हिसि,
जुगुच्छिहिह, जुगुच्छेहिह,. जुगुच्छिहिसे,जुगुच्छेहिसे, जुगुच्छाविहिह, जुगुच्छावेहिह. जुगुच्छाविहिसे,जुगुच्छावेहिसे.
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॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२२१)
KAawwwwwwwwwwwwwwwwwRESEARINNERADIARRARAIDR
उ० जुगुच्छिस्सं, जुगुच्छेस्सं, जुगुच्छिस्सामो, जुगुच्छेस्सामो
जुगुच्छाविस्सं, जुगुच्छावेस्सं जुगुच्छाविस्सामो,जुगुच्छावेस्सा. जुगुच्छिस्सामि, जुगुच्छे. मो,जुगुच्छिहामो, जुगुच्छेहामो, स्सामि, जुगुच्छाविस्सामि, जुगुच्छाविहामो जुगुच्छावेहामो, जुगुच्छावेस्सामि,जुगुच्छिहा. जुगुच्छिहिमो, जुगुच्छेहिमो, मि,जुगुच्छेहामि,जुगुच्छावि- जुगुच्छाविहिमो,जुगुच्छावेहिमो, हामि, जुगुच्छावहामि, जुगु- जुगुच्छिस्साम, जुगुच्छेस्सामु, च्छिहिमि, जुगुच्छेहिमि जुगुच्छाविस्सामु,जुगुच्छावेस्सामु, जुगुच्छाविहिमि,जुगुच्छावेहिमि..
जुगुच्छिहामु, जुगुच्छेहामु, जुगुच्छाविहामु, जुगुच्छावेहामु, जुगुच्छिहिमु, जुगुच्छेहिमु, जुगुच्छाविहिमु, जुगुच्छावेहिमु, . जुगुच्छिस्साम,जुगुच्छेस्साम जुगुच्छाविस्साम, जुगुच्छावेस्साम, जुगुच्छिहाम, जुगुच्छेहाम, जुगुच्छाविहाम, जुगुच्छावेहाम, जुगुच्छिहिम, जुगुच्छेहिम, जुगुच्छाविहिम जुगुच्छावेहिम, जुगुच्छिहिस्सा, जुगुच्छेहिस्सा, जुगुच्छाविहिस्सा, जुगुच्छावेहिस्सा, जुगुच्छिहित्था, जुगुच्छेहित्था, जुगुच्छाविहित्था, जुगुच्छावेहित्था.
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. (२२२)
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
FAKTITANIYATRAPATA
॥विधि-आज्ञार्थ, ॥ एकव०
बहुव० प्र० जुगुच्छउ,जुगुच्छेउ,जुगुच्छा. जुगुच्छन्तु, जुगुच्छेन्तु, - वउ, जुगुच्छावेउ, जुगुच्छावन्तु, जुगुच्छावेन्तु. म० जुगुच्छसु, जुगुच्छेसु, जुगुच्छह, जुगुच्छेह,
जुगुच्छावसु, जुगुच्छावेसु, जुगुच्छावह, जुगुच्छावेह. जुगुच्छहि, जुगुच्छेहि, जुगुच्छावहि, जुगुच्छावेहि, जुगुच्छेजसु, जुगुच्छेइज्जसु,. जुगुच्छावेज्जसु,जुगुच्छावेइज्जसु, जुगुच्छेज्जहि, जुगुच्छेइज्जहि, जुगुच्छावेज्जहि, जुगुच्छावेइज्जहि, जुगुच्छेज्जे, जुगुच्छेइज्जे, जुगुच्छावेज्जे, जुगुच्छावेइज्जे, .
जुगुच्छ;जुगुच्छे,जुगुच्छाव.जुगुच्छावे. उ० जुगुच्छमु, जुगुच्छेमु, जुगुच्छमो, जुगुच्छेमो, जुगुच्छावमु,जुगुच्छावेमु, जुगुच्छावमो, जुगुच्छावेमो.
॥ भूतकाल.॥ एकव बहुव० । जुगुच्छीअ, जुगुच्छेईअ. प्र०म०उ० जुगुच्छावीअ, जुगुच्छाबेईअ.
॥ क्रियातिपत्तिः॥
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॥ प्राकृतधातुरूपमालो ॥
(२२३) एकव०बहुव० । जुगुच्छेज्ज (ज्जा), जुगुच्छावेज (ज्जा).
१ जुगुच्छन्तो,जुगुच्छेन्तो,जुगुच्छावन्तो,जुगुच्छावेन्तो, • प्र० म० उ० ( जुगुच्छमाणो, जुगुच्छेमाणो, जुगुच्छावमाणो.
जुगुच्छावेमाणो.
॥ लिच्छ ( लभ --लिप्सयति ) ॥ एकव०.
बहुव० प्र० लिच्छइ, लिच्छेइ, लिच्छन्ति, लिच्छन्ति, लिच्छावन्ति,
लिच्छावइ, लिच्छविइ, लिच्छावेन्ति,लिच्छन्ते, लिच्छेन्ते, लिच्छए लिच्छेए लिच्छावन्ते, लिच्छावेन्ते,लिच्छिरे,
लिच्छावर, लिच्छावेए. लिच्छेइरे, लिच्छाविरे, लिच्छावेइरे. म० लिच्छसि, लिच्छेसि, लिच्छित्था, लिच्छेइत्था,
लिच्छावसि,लिच्छावेसि, लिच्छा वित्था, लिच्छावेइत्था, लिच्छसे, लिच्छेसे, लिच्छह, लिच्छेह, लिच्छाह, लिच्छावसे, लिच्छावेसे, लिच्छावेह. . उ० लिच्छमि लिच्छेमि लिच्छमो, लिच्छेमो, लिच्छावमो, लिच्छावमि, लिच्छावेमि, लिच्छावेमो.
लिच्छमु, लिच्छेमु, लिच्छावमु, लिच्छावेमु, लिच्छम, लिच्छेम,
लिच्छावम. लिच्छावेम. . ॥ भविष्यत्काल ॥ एकव०
बहुव०
लिच्छावमा ।
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KATARIAAAAAAAANTIRRITRAATTATION
(२२४) ॥ मुनिकस्तूविजयविनिर्मिता ॥ प्र० लिच्छिहिइ, लिच्छेहिइ, लिच्छिहिन्ति, लिच्छेहिन्ति,
लिच्छाविहिइ लिच्छावेहिइ, लिच्छाविहिन्ति,लिच्छिावेहिन्ति, लिच्छिहिए, लिच्छेिहिए, लिच्छहिन्ते लिच्छेडिन्ते, लिच्छाविहिए,लिच्छावेहिए, लिच्छाविहिन्ते लिच्छावेहिन्ते,
लिच्छहिरे, लिच्छेहिरे,
लिच्छाविहरे, लिच्छावेहिरे. म० लिच्छिहिसि, लिच्छेहिसि, लिच्छिहित्था; लिच्छेहित्था, लिच्छाविहिसि,लिच्छावेहिसि, लिच्छाविहित्था,लिच्छावेहित्या लिच्छिहिसे, लिच्छेहिसे, — लिच्छिहिह, लिच्छेहिह,
लिच्छाविहिसे,लिच्छावेहिसे. लिच्छाविहिइ, लिच्छावेहिइ उ० लिच्छिस्स,लिच्छेस्सं लिच्छिस्सामो, लिच्छेस्सामो;
लिच्छाविस्स, लिच्छावेस्सं, लिच्छाविस्सामो,लिच्छावस्सामो लिच्छिस्सामि,लिच्छेस्सामि, लिच्छिहामो, लिच्छेहामो, लिच्छाविस्सामि,लिच्छा. लिच्छाविहामो,लिच्छावेहामो, वेस्सामि,
लिच्छिहिमो, लिच्छेहिमो, लिच्छिहामि, लिच्छेहामि, लिच्छाविहिमो,लिच्छावेहिमो,
एवम्-मु, म, परछता लिच्छाविहामि,लिच्छावहामि, लिच्छिहिस्सा,लिच्छेहिस्सा, लिच्छिहिमि, लिच्छेहिमि, लिच्छाविहिस्सा,लिच्छावेहिस्सा, लिच्छाविहिमि, लिच्छावेहिमि. लिच्छिहित्था, लिच्छेहित्या,
लिच्छाविहित्था, लिच्छावेहित्था.
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॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
एकव०
म० लिच्छउ, लिच्छेउ, लिच्छावड. लिच्छा वेड.
॥ विधि - आज्ञार्थः ॥
म० लिच्छसु, लिच्छेसु, लिच्छावसु, लिच्छावेसु, लिच्छहि, लिच्छेहि, लिच्छावहि,
लिच्छा वेहि,
लिच्छेज्जसु, लिच्छेइज्जसु, लिच्छा वेज्जसु,
लिच्छावेइज्जसु,
लिच्छेज्जहि, लिच्छेइज्जहि, लिच्छा वेज्जहि,
लिच्छावेइज्जहि
.
लिच्छेज्जे, लिच्छेइज्जे,
.लिच्छाबेज्जे, लिच्छा बेइज्जेः
चिंच्छ, छिच्छे, किच्छाव, लिच्छावे.
उ० लिच्छमु, लिच्छेमु,
'लिच्छाव, लिच्छावे.
बहुव०
लिच्छन्तु, लिच्छेन्तु, लिच्छावन्तु, लिच्छावेन्तु. लिच्छह, लिच्छेह, लिच्छावह,
लिच्छावेह.
एकव० बहुव०)
म० म० उ०
(२२५)
लिच्छमो, लिच्छेमो, त्रिच्छावमो लिच्छ वेमो.
॥ भूतकाल, ॥
एकव० बहुब० (लिच्छीभ, लिच्छेई अ, प्र० म० उ० लिच्छावीअ, लिच्छावेईअ.
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
लिच्छेज्ज (ज्जा), लिच्छा वेज्ज (ज्जा) लिच्छन्तो, लिच्छेन्तो, लिच्छावन्तो, लिच्छ । बेन्तो, लिच्छमाणो, लिच्छेपाणो, लिच्छविमाणो, लिच्छावेमाणो.
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-
~
(२२६) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
॥ पिवास, (पा- पिपासयति.)॥. एकव०
बहुव० प्र० पिवासइ, पिवासेइ, पिवासन्ति, पिवासेन्ति,
पिवासावइ, पिवासावेइ, पिवासावन्ति, पिवासावेन्ति, पिवासए, पिवासेए, पिवा- पिवासन्ते, पिवासेन्ते, पिवासावए, पिवासावेए, साबन्ते, पिवासावेन्ते,
पिवासिरे, पिकासेइरे,
पिवासाविरे, पिवासावेइरे. म० पिवाससि, पिवासेसि, . पिवासित्था, पिवासेइत्था,
पिवासावसि, पिवासावेसि, पिवासावित्था, पिवासावेत्था, पिवाससे, पिवासेसे, . पिवासह, पिवासेह,
पिवासावसे, पिवासावेसे. पिवासावह, पिवासावेह. उ० पिवासमि, पिवासेमि . पिवासमा, पिवासेमा, पिवासावमि, पिवासावेमि. पिवासावमा, पिवासावेमा, _
एवम्-मु, म परछतां, ॥भविष्यत्काल.॥
बहुव० प्र० पिवासिहिइ, पिवासेहिइ, पिवासिहिन्ति,पिवासेहिन्ति, पिवासाविहिइ,पिवासावेहिइ, पिवासाविहिन्ति,पिवासावेहिन्ति, पिवासिहिए, पिवासेहिए, पिवासिहिन्ते, पिवासेहिन्ते, पिवासाविहिए,पिवासावेहिए. पिवासाविहिन्ते, पिवासावेहिन्ते,
. एकव०
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प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२२७)
पिवासिहिरे,पिवासे हिरे,
पिवासाविहिरे, पिबासावेहिरै. म० पिवासिहिसि. पिवासेहिसि, पिवासिहित्या, पिवासेहित्था, पिवासाविहिसि,पिवासावेहिसि, पिवासाविहित्था,पिवासाहित्था पिवासिहिसे, पिवासेहिसे, पिवासिहिह. पिवासेहिह, पिवासाविहिसे, पिवासावेहिसे. पिवासाविहिह, पिवसावेहिह. उ० पिवासिस्स, पिवासेस, पिवासिस्सामो,पिवासेस्सामो, पिवासाविस्म, पिवासावेस, पिवासाविस्सामा, पिवासावेस्सामो, पिवासिस्सामि, पिवासेस्सामि, पिवासिहामा,पिवासेहामो. पिवासाविस्सामि,पिवासावेस्सामि. पिवासाविहामो, पिवासावेहामो, पिवासिहामि, पिवासेहामि, पिवासिहिमो, पिवासेहिमो, पिवासाविहामि, पिवासावेहामि,. पिवासाविहिमो,पिवासावेहिमा, पिवासिहिमि, पिवासेहिमि, एवम्-मु, म परछता पिवासाविहिमि, पिवासावेहिमि, पिवासिहिस्सा,पिवासेहिसा,
पिवासाविहिस्सा,पिवासावेहिस्सा, पिवासिहित्था, पिवासेहित्था, .
पिवासाविहित्या, पिवासावेहित्था, ॥विधि--याज्ञार्थ ॥ एकव०
बहुव० म० पिवासउ, पिवासेउ, पिवासन्तु, पिवासेन्तु, . पिवासावउ, पिवासावेउ. पिवासावन्तु, पिवासावेन्तु. म० पिवासमु, पिवासेसु, पिवासह, पिवसेह;
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अहींथी आगळना पेजोमो २६९ थी अंक कर्या छे ते भूल छे ते १ नंबरथी जाणवा.
(२२८) ॥ मुनि - कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
पिवासावसु, पिवासावसु, पिवासहि, पिवासेहि, पिवासावहि पिवासावेहि, पिवासेज्जसु पिवासेइज्ज, पिवासावेज्ज, पिवासावेइज्जसु, पिवासेज्जहि, पिवासेइज्जहि, पिवासावेज्जहि, पिवासावेइज्जहि, पिवासेज्जे, पिवासेइज्जे, पिवासावेज्जे, पिवासावेइज्जे,
पिवास, पिवासे,
पिवासाव, पिवासावे.
उ० पिवासमु पिवासेमु. पिवासावसु, पिवासावमु.
पिवासावह, पिवासावे.
पिवासमो, पिवासेमो, पिवासावमो: पिवासावेमो.
॥ भूतकाल, ॥
O
एक बहुव०] पिवासीअ, पिवासेईअ, प्र० म० उ० पिवासावीअ. पिवासावेईअ.
॥ क्रियातिपत्तिः ॥
एकव० बहुव०) पिवासेज्ज (ज्जा), पिवासावेज्ज ( ज्जा) पिवासन्तो, पिवासेन्तो, पिवासावन्तो,
प्र० म० उ० पिवासावेतो, पिवासमाणो, पिवासेमाणो, पिवासामाणी, पिवासाचेमाणो.
* ॥ इति मुनि कस्तूर विजय विनिर्मिता
प्राकृतधातुरूपमाला समाप्ता ॥ .
*
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॥ प्राकृतनियममाला
(२६९)
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*
HED ON HEADLINE
॥ संधिना नियमो॥
सं०
(१) संस्कृतमां बे पदोनी जे संधि थाय छे ते प्राकृतमां विकल्प थाय छे.. ___सं० प्रा० सं० प्रा० विषमातपः विसमआयवों, दधीश्वरः दहिईसरो, विसमायवो
दहीसरो. (२) वर्ण अने उ. वर्णथी पर अस्वषर्णवालो स्वर आवे तो संधि न थाय. .
. प्रा० वन्देऽप्यजितम्, धन्दे वि अजिअं (३) ए, अने ओं, नी पछी कोइ पण स्वर आवे तोपण संधि थाय नहीं. • सं
प्रा० · आलक्ष्याम इदानीम्. आलक्खिमो एण्हि. . नखोल्लेखने आबध्नन्त्याः, नहुल्लिहणे आबंधतीइ.
(४) व्यञ्जन सहित जे स्वर होय अने तेमांथी व्यञ्जननो लोप थये . . . छते जे स्वर रहे तेनी पूर्वना स्वर साथे संधि न थाय, कोइ
ठेकाणे आ नियम विकल्पे लागेछे. .. सं० ग्रा०
सं० प्रा० . - निशाचरः, निसाअरो कुम्भकारः, कुम्भआरो रजनीचरः, रयणीअरो.
कुम्भारो, (५) ति, आदि पुरुषबोधक प्रत्ययनी , पछी स्वर आवे तो संधि
थाय नहि. . भवति इह, होइ हह. .. .
प्रा०
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(२७०) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (६) स्वर परछतां पूर्वना स्वरनो घणुकरीने लोप थाय छे.
त्रिदशेशः, तिअसोसो. दिनेश्वरः, दिणोसरो. (७) त्यद आदि सर्वनामथी अने अव्ययथी पर त्यद् आदि सर्वनाम
अने अव्यय आवे तो पछीना न्यद् आदि सर्वनामना अने अध्ययना आदिनो स्वर प्रायः लोपाय छे.. षयम् अत्र, (अम्हे एत्थ) अम्हेत्थ यदि अहम, जइ अहं जइहं. यदि इयम्. (जह इमा) जइमा.
संस्कृत शब्दो उपरथी प्राकृत शब्दो बनाववाना
-- सामान्य नियमो. -- (१) जे नामोमां क, ग, चं; ज, त, द, प, य, व, एटला व्यंजनो
अनादिमां स्वरथी पर अने असंयुक्त होय तो प्रायः लोप थाय छे अने अवर्णथी पर प, होय तो लोप थतो नथी, किन्तु ' व 'थाय छे, अने आ व्यंजननो लोप थए छते 'अ' वर्णथी पर जो शेष 'अ' वर्ण आवे तो य, थाय छे. सं० प्रा०
स० . (क] तीर्थकरः, तित्थयरो. (द) गदा, गया.
(द) मदनः, मयणो. (ग) मृगाङ्कः, मयंको (प) रिपुः रिऊ (च) सची, सई. (प] सुपुरुषः, सउरिसो. (ज) रजतम्, रययं (य) वियोग, विओओ (त) यतिः, जई. (व) लावण्यम, लायण्ण (२) अनादिमां स्वरथी पर अने असंयुक्त जे ख, घ, थ, ध, भ,
नो प्रायः 'ह' थाय अने 'ट, नो ड'. 'ठ, नोट', 'ड, नोल'. 'प,
प्रा
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________________
॥ प्राकृतनियममाला ॥
vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvving
नो व', 'फ, नो भ, अने ह', तथा 'ब, नोव', अने संख्यावाचक शब्दोमां 'द, नो र', थायछे. सं० प्रा० सं०
प्रा० [ख) मुखम्, मुहं, (ड) गरुडः, गरुलो . [घ) जघनम् जहणं. [प.) पापम् पावं. (थ] नाथः; नाहो (फ) रेफः, रेभो. (ध) साधु: . साहू. (फ) सफलम् सहलं, समलं (भ) नमः, . नहं, (ब) शबलः सबलो. (ट) नटः, नडो. [ब) अलाबुः, अलोवू, लाबू. (ठ) मठः, मढो. [द). एकादश एगारह. (ठ) कमठः, कमढो(द) द्वादश, बारह. (३) अनादिमा स्वरथी पर अने असंयुक्त जे 'न' तेनो 'ण' थाय, अने
आदिमा 'न' होय तो विकल्पे ण. थाय तथा आदि य, होय तो ज, अने उपमनी पछी य आवे तोपण कोइ ठेकाणे ज, थाय छे. स० प्रा०
सं० . प्रा० (न) कनकम्, कणयं (य] यशः, जसो. .. (म) - वचनम, वयण. (य) याति, जाइ.
(न) नदी, . नई, णई. (य) संयमः, संजमो. (४) श, अने ष, नो 'स' थाय छे, अने अनीय, तीय, य, एटला
प्रत्ययोना य नो 'ज', तथा दश अने पाषाण शब्दोमां श,ष नो 'ह' तथा अनुस्वारथी पर ह, नो 'घ', विकल्पे थाय अने कोइ ठेकाणे अनुस्वारथी पर ह, न होय तोपण 'घ' थायछे सं० प्रा०
. सं० प्रा० (श) शेष:, मेसो; (श) दश, दह, दस. (श) शब्दः सहो. (श) त्रयोदश, तेरह, तेरस.
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जन्य
(२७२) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
(श) दशमुख:, दहमुहो,दसमुहो. (शष, विशेषः, विसेतो. (ष) पाषाणः, पासाणो, पाहाणो. (य) करणीयम्. करणिज्ज, (ह) सिंहः, सिंघो, सीहो,
. करणीय. (ह) संहारः, संघारो संहारो. (य) द्वितीयः. बिइज्जो, बीओ, [ह) दाहः, दाघो .. (य) पेया, पेज्जा, पेआ, (५) संयुक्त व्यंजननी अन्ते म, न, य, ल, व,ब, र, होय अने
संयुक्तनी पूर्वे ल, व, ब, र, होय तो लोप थायछे, अने य,. र, व, श, ष, स, एव्यञ्जन श, ष, स, नीसाथे जोडाएला . होय तो ते व्यंजननो लोप थये छते पर्वनो स्वर दीर्घ थायछे. मं० प्रा०
सं० प्रा० (म] युग्मम्, जुग्गं, (ब) अब्दः अहो. (न] नग्नः नग्गो, (य) शिष्यः, सीसो. (य) कुडयम्, कुई, (व) अश्वः, आसो. (ल] विक्लवः, विक्कवो, (र) वर्षः, ' वासो. . (व) पक्वम्, पक्कं, (श) मनश्शिला, मणासिला. (ब) शब्दः, सहो, . (ष] निषिक्तः, नीसित्तो. (र) चक्रम्, चक्कं.. (स) नि:स्वः, नीसो. (ल) वल्कलम्, वक्कलं, (..) निस्सहः, नीसहो (र) अर्कः, अक्को , (६) पदनी अन्दर रहेलो जे संयुक्त व्यञ्जननो शेष (संयुक्त व्यजनमाथी एकनो लोप थयाथी जे बाकी रहे ते ) तथा तेनो आदेश (संयुक्त व्यंजनने स्थाने बीजो जे व्यञ्जन थाय ते) द्वित्व थायछे, परन्तु दीर्घ स्वर अने अनुस्वारथी पर व्यअननो नथा र, ह, नो शेष तथा आदेश द्वित्व थती नथी अने.
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॥ प्राकृतमिवनमाला ॥
(२७३)
Wuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu
प्रा.
समासमां विकरुपे द्विस्व थायछे, सं० प्रा०
सं०. तीर्थकरः, तित्थयरो, विड्वलः, विहलो, पुष्पम्, पुप्फ.
कार्षापणः, - काहावणो. स्पर्शः, फासो, ईश्वरः, ईसरो, देवस्तुति:, देवत्थुई, देवथुई शीर्षम्, सोसं. कुसुमप्रकरः, कुसुमप्पयरो, संध्या, संझा,
कुसुमपयरो. यस्रम्, तंसं,
आलानस्तम्भः आणालक्खम्भो, सौन्दर्यम्, सुन्देरं, ' . . आणालखम्भो. (७) 'स्त, नो थ', 'स्प, प नो फ', 'स्य अने त्वनो च', 'थ्व नो छ', 'तू नो ज', 'ध्व नो झ', 'अने क्ष नो ख अने कोइ ठेकाणे छ. अने झ पण थाय छे', अने 'ध ग्य, यं नो ज' ध्य, ने छ नो झ', ' नो ठ', 'म्न, ज्ञ, नो ण ' 'इम अने क्मनो प', 'न्म नो म' संज्ञा अर्थमा ‘क ने स्क नो ख' थाय तथा हस्वस्वरथो पर थ्य, श्व, त्स, प्सनो छ', थाय छे. अपवाद - 'स्तंम्ब, अने समस्त. शब्दना स्त, नो थ', 'चैत्यना
. त्य नो च'. 'उष्ट्र, इष्टा ने संदिष्ट, शब्दनाष्ट नो
ठ' थतो नथी - यथा - तम्बो, समत्तो, चइत्तं, उट्टो, ... इट्टा, संदट्टो. सं० प्रा०
सं० प्रा० (स्त) स्तुतिः, थुई, (घ) मह्यम्, मज्झं (स्प) बृहस्पतिः, बिहप्फर्ड (ष्ट) मुष्टि:, मुठ्ठी, (प) निष्पापः, णिप्फावो. (म्नः) प्रधुम्नः पज्जुण्णो, (प) पुष्पम्, पुष्पं. (ज्ञ) ज्ञानम्, जाणं, णाणं, (त्य) सत्यम्. सच्च
नाणं,
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(२७४) ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
(स्व) मुक्त्वा मोच्चा (ड्म) कुड्मलम्, कुप्पलं, (थ्व) पृथ्वी, पिच्छी, (क्म) रुक्मिणी, रुप्पिणी () विद्वान, विज्झ, (म) जन्म, जम्मो . (ब) बुध्ध्वा, बुज्झा, (स्क) स्कन्धः खन्धो (क्ष) क्षीणम् खीणं (क) पुष्करम् . पोक्खरं
. छीण, झोणं (घ) मद्यम् मझ. [थ्य) मिथ्या मिच्छा, [प्य] शय्या . सज्जा (च) पश्चात्, पच्छा ... (4) भार्या, भज्जा. [स] मत्सरः, मच्छरो.
(ध्य) ध्यानम्, झाणं (स) अप्सराः, अच्छरा. ८ 'ह, नो भ', 'ग्म नो म' विकल्पे थाय अने कोइ उकाणे 'र्त नो
ट' 'कम नो प', पण थाय. छे ___ सं० प्रा०
सं० प्रा० (ह) जिवा, जिब्भा जीहा (त) धर्तुलम्, बटुलं (ग्म] युग्मम्, जुग्ग, जुम्म (म) रुच्मी रुप्पी, [] प्रवर्तते पवट्टइ . . , ९ संयुक्त व्यञ्जननो प्रथम अक्षर जो क, ग, ट, ड, त, द प, श,
ष, स, जिह्वामूलीयक उपध्मानीय प होय तो तेओनो लोप थाय छे ___ सं० प्रा०
सं० प्रा० (क) भुक्तम्, भुक्त. (प) सुप्तः. सुत्तो. (ग) दुग्धम, दुद्धं. (श) श्लक्ष्णम्. लण्हं. (ट) षट्पदः, छप्पओ. (प) गोष्ठिः, गोठी. (ड) खड्गः खग्गो. (स) स्नेहः, नेहो,णेहो.
उत्पलम्, उप्पलं. (क) दुःखम्, दुक्खं. (द) मुद्गरः, मोग्गरो. (प) अन्तःपात:, अन्तप्पाओ
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-
॥ प्राकृत नियममाला ॥
(२७५)
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बम्हा .
(१०] 'श्म, म, स्म, मनो म्ह', अने 'श्म, ष्ण, स्न, हू, हण,
क्ष्ण, नो ण्ह', 'हू नो लह', थाय छे, स० प्रा०
सं० प्रा० (इम) कुश्मानः, कुम्हाणो. (स्न) ज्योत्स्ना, जोण्हा. (ज्म) ग्रीष्मः, गिम्हो. (ह्न) वह्निः, वण्ही . (स्म) अस्मादृशः. अम्हारिसो, (ह) पूर्वाहणः, पुव्वण्हो. (म) ब्रह्मा..
(ण) तीक्ष्णम्, तिण्हं. (न) प्रश्नः, पण्हो. (ल्ह) कहारम, कल्हारं. (ण) विष्णुः विण्हू. (ल्ह) प्रह्लादः पल्हाओ (११.) द्र, ना र, नो अने ज, ना अ, नो लोप विकल्प थाय छे. सं० प्रा०
सं० प्रा० (द्र) चन्द्रः, चन्दो चन्द्रो. (ज्ञ) सर्वज्ञः, सव्वज्जो,सवण्णू (प्र) रुद्रः, रहो, रुद्रो. (ज्ञ) प्रज्ञा, पज्जा, पण्णा. (१२) , श्री, ही, ना. संयुक्त व्यञ्जनना अन्त्य व्यञ्जन नी पूध इ मुकाय छ, तथा श, ष, मांइ धिकल्पे आवे छे, अने संयुक्त व्यञ्जननो बीजो अक्षर ल, होय तो प्रायः इ मुकाय छे, अने छ मां संयुक्तव्यजननो विकल्पे व्यत्यय थायछे. - सं० प्रा०
सं० प्रा० (है) गर्दा, गरिहा. (ष) वर्षम्, परिसं. वासं (श्री) श्रीः, . सिरी.. (ल) क्लिन्नम्, किलिन्नं (ही)-हीः, हिरी. (ल) म्लानम्, मिलाणं. (0) आदर्शः, आयरिसो.आयसो (घ) गुह्यम्, गुय्हं, गज्झं (१३.) छट्ठा नियम प्रमाणे वर्गीय बीजा तथा चोथा अक्षर
नो द्वित्व थये छते ते संयुक्तव्यञ्जन ना पहेला अक्षरने स्थाने • यथाक्रमे ते वर्गनो पहेलो तथा धर्गीय त्रीजो मुकाय छे. (एटले .
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व्याख्यान
मूच्छा .
कटुं.
तीर्थम्,
(२७६) ॥ मुनि कस्तूरविजयधिनिर्मिता ॥ वर्गीय बीजो अक्षर होय तो वर्गीय पहेलो अने चोथो होय तो घोजो मूकाय छे.) सं० प्रा०
सं० प्रा० वक्खाणं.
यक्षः, जक्खो. व्याघ्नः, वग्यो
अक्षि अच्छी .. . मूच्र्छा ,
मह्यम, मझं.. निर्झरः निज्झरो.
पृष्टम्, पिठं काष्ठम्.
वृद्धिः, वुड्ढी.. तित्थं.
हस्तः, हत्थो.. गुल्फम्, - गुप्फं.
आश्लिष्ट: आलिंघो. निर्भरः निभरो
पुष्पम, पुप्फं.
' विट्ठलः, भिष्मलो,विष्भला. (१४. . अव्यय तथा उत्खातादि शब्दोमां तथा घश् निमित्तथी वृद्धि थयेल जे आ, नो विकल्पे अ, थाय छे, अने . युक्तव्यञ्जननी पूर्वनो स्वर दीर्घ होय तो न्हस्व थाय छे. सं) प्रा० सं० प्रा.
- नारांच:, नाराओ, नराओ. यण, जह, जहा, प्रस्तावः, पत्थवो, पत्थावो. तथा, तह, तहा, . प्रवाहा. पवहो, पवाहो. अथवा,
अहव, अहवा, अहव, अहवा,
प्रचारः, पयरो, पयारो. वा, व, वा
(आ) आस्यम्, अस्सं ह, हा.
(ई) मुनीद्रः, मुणिन्दो. उत्खातम्, उक्खयं, उक्खायं. (ऊ) चूर्ण: चुण्णो . चामरः, चमरो, चामारो. (ए) जिनेन्द्रः, जिणिंदो. स्थापितः, ढविओ, ढाविओ. (ओ) नीलोत्पलम्,नीलुप्पलं प्राकृतम्, पययं, पाययं. तालवृन्तम्, तलविण्टं,तालविण्ट.
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प्रा.
॥ प्राकृतनियममाला ॥
६२७७) (१५) संयुक्तव्यञ्जननी पूर्वना न्हस्थ 'इ' नो 'ए' विकल्पे थाय
छे. अने 'उ' नो 'ओ' थाय छे. सं० प्रा० पिण्डम्, 'पिण्ड, पेण्ड मुण्डम्, मोण्ड धम्मिल्लम, धम्मेल्ल, धम्मिल्लं. पुष्करम्, पोक्खरं. सिन्दुरम् - सिन्दूर,सेन्दूरं पुस्तकः पोत्थओ. विष्णुः, वेण्हू, विण्हू मुस्ता मोत्था. तुण्डम्, तोण्डं कुन्तः । कोन्तो.
पुदगलं, पोग्गलं. (१६) उत्साह, अने उत्सन्न शब्द विना जे शब्दोमां 'त्स
छछ' होय अने तेनी पूर्व हस्व उ होय तो ते दीर्घ थायछे. ___सं
प्रा० स० उत्सुकः, ऊसुको उत्साहः, उच्छाहो. उच्छुकः. ऊसुओ. उत्सन्नः, उच्छन्नो. (१७) शब्दनी आदिमां होय.तो अ थाय अने 'कृपादि
शब्दमां ऋ नो इ 'ऋतु आदि शब्दमां ऋ नो उ' .. अने 'आदिमां केवल ऋ होयतो रि' तथा दृश धातुना
ऋ नो क्षिप् , टक्, सक् प्रत्यय परकृतां रि थायछे. . . से० प्रा०
सं० प्रा० घृतम्, घयं.
ऋणम् रिणं,अणं तृणम, सणं.
ऋद्धिः, रिद्धी. कृपा, किवा,
ऋक्षः, रिच्छो. हृदयम्. हिअयं हिअं.
सदृशः, सरिसो. ऋतु:, उऊ,
सदृक्षः, सरिच्छो. वृन्दः, वुन्दो,
सदृग्वर्णः, सरिवण्णो (१८) शब्दनी आदिमां ऐ औ, होय तो ऐ नो ए, औ नो
ओ, थायछे अने दैत्यादि शब्दमां ऐ नो अइ. अने पौ.
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(२७८) ॥मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
रादि शब्दमां औ नो अउ थाय छे. सं० प्रा०
सं० प्रा० शैला, सेला,
दैत्यः, दहच्चो. त्रैलुक्यम्, तेलुक्कं, चैत्यम्, चइत्त.(चेइअं) कौस्तुभः, कोत्थुहो. पौरः,. पउरो. कौशिकः, कोसिओ. मौलिः, मउली.
वैडूर्यम् वेडुज्ज आर्षे चैत्यवन्दनम् चीवन्दणं, (१९) शब्दना अन्ते व्यञ्जन होय तो तेनो लोप थाय छे. अपवाद- विद्युत् शब्द विना व्यञ्जनान्तस्त्रीलिङ्गमां आ,
अने अन्ते र होय तो रा थायछे. तथा शरद् आदि शब्दमां अ, थायछे, आ, थाय त्यारे तेना रूप माला, जेवा थायछे. अने अ, थाय त्यारे देव जेवा थायछे ( कोइ ठेकाणे आ, नो या, पण थायछे,)
सं० प्रा० यशः, जसो,
विधुत्. दाम, दाम.
गिरा सरित्, सरिया. सरिआ. शरद्, सरओ. संपद संपया, संपआ, भिषक, . भिसओ. (२०) पदान्ते म् होय तो तेनो अनुस्वार थायछे, अने पछी स्वर आवे तो अनुस्वार विकल्पे थायछे, ज्यारे अनुस्वार
थतो नथी. त्यारे म अने पछी जे स्वर आवे ते मळी जायछे. ( २१ ) जे शब्दमां , गू, न, होय अने पछी काइपण
व्यञ्जन आवे तो पूर्वना अक्षर उपर तेनो अनुस्वार ___ अथवा पछीना व्यञ्जनना वर्गनो अनुस्वार थायछे. सं० प्रा०
सं० प्रा० .
सन्ध्या , संझा. सझा, जलं, उत्कण्ठा, उक्कंठा.उक्कण्ठा
प्रा०
विज्जू.
जलम्,
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॥ प्राकृतनियममाला ॥
(२७९) ऋषभमजितं,। उसभम जि पान्थः, पथो, पन्थो च वन्दे च धन्दे
उस अजिअं च वन्दे, पङ्कः, . पंको, पङ्को. कम्पते, कंपइ, कम्पइ. शखः, संखो, सड़खो, संशयः, संसओ. कञ्चुकः, . कंञ्चुओ, कचुओ. संहरति, संहरइ प्राकृतमा-प्रकृति प्रत्यय लिङ्ग कारक समास संज्ञादि ( जेना - वास्ते विशेष न कयु त्यां ) संस्कृतवत् थायछे,
स तद्धित (१) सादृश्य वाचकना वत् प्रत्ययने स्थाने व्व थायछे, अने
भावना त्य प्रत्ययने स्थाने इमा अने तण प्रत्ययो वि. कल्पे लागेछे अने इमा परछतां पूर्वनो स्वर लोपायछे
अने कृत्वस् प्रत्ययने स्थाने हुत्त आदेश थायछे, सं० प्रा० सं० प्रा० (पुप्फत्तं) मथुरांषत् महुरव्य.. 'पुष्पत्वम्, पुप्फिमा, पुप्फत्तणं, पीनत्वम, पीणिमा, पञ्चकन्यः, पञ्चहुत्त. .: पीणत्तण, पीणतं. शतकृत्वः, सयहुत्तं .
॥ तावदादि शन्दोना प्राकृत शब्दो ।
मं०
ম
तावत्,
तित्तिअं, तेत्तिअं, तेत्तिलं, तेइहं. यावत्,
जित्तिभ, जेत्तिअं,जेत्तिलं, जेद्दह. एतावत्, इत्तिअं, एत्तिअं, एत्तिलं, एहहं. इयत्.
एत्ति, एत्तिलं, एहहं. कियत्, केत्तिअं, केत्तिलं केहहं. (२) मत् प्रत्ययनेस्थाने आलु, इल्ल, उल्ल, आल, वन्त, मन्त, । -इत्त, घर, मण पटला आदेशो यथायोग्य प्रमाणे थाय छे...
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(२८०)
॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
.
ARUNNNNNNARAism
सं० प्रा० सं० प्रा० ( आलु ) दयावान्, दयालू, (मन्त) श्रीमान्, सिरिमन्तो. (इल्ल ) शोभावान्, सोहिल्लो (इत्त) काव्यवान्, कव्वइत्तो, ( उल्ल ) दर्पवान्, दप्पुल्लो. (..) मानवान, माणइत्तो, ( आल ) ज्योत्स्नावान,जोण्हालो. (इर) गर्ववान्, गव्विरो, (वन्त) धनवान, धणवन्तो (मण) धनवान, धणमणो. (३) अप् प्रत्ययने स्थाने हि, ह, स्थ, आदेश थाय' छे. भव
(थq ) अर्थमां इल्ल, उल्ल, अने स्वार्थमा क, इल्ल, उल्ल, प्रत्ययो लागे छे, अने इल्ल, उल्ल प्रत्यय लागे त्यारे पूर्वना स्वरनो लोप थाय छे...
प्रा० . . .. सं० प्रा० यत्र,
जहि, जह, जत्थ. आत्मनिभवः अप्पुल्लो. तत्र, तहि, तह, तन्थ. चन्द्र एव, चन्दओ, अन्यत्र, अन्नहि,अन्नह,अन्नत्थ. मुखमेव, मुहिल्लं. ग्रामे भवा: गामिल्ला. . हस्ता पथ हत्थुल्ला.
-: अव्यय, :-- (१) इव ने स्थाने मिव, पिव, विष, व, व, विअ, आदेशो वि.
कल्पे थाय छे. अने अवधारण अर्थमां णइ, चेअ, चिअ, च, छिचअ, च्चेअ, तथा ना अर्थमां अण, णाई. मा, अर्थमा माई आदेशो थाय छे. सं० प्रा०
सं० प्रा० कमलमिव, कमलंविध स एव शीलेन, सच्च सीलेण हंस इष, हंसो इव. अचिन्तितम, अणचिंतिअं. शेषस्य इव, सेसस्स व्य. न करोमि रोषम्, णाई करेमि रोसं ते एव पुरुषा. तेञ्चेअ पुरिसा. मा कार्षीद रोषम् माइं काहीअ रोसं गत्या एव. गहए गइ.
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.
..
॥ प्राकृत नियममाला ॥
(२८१)
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॥ उपसर्गः ॥ (१) अध. अप उपसर्गने स्याने ओ तथा उप उपसर्गने
स्थाने ऊ अने ओ आदेश विकल्पे थाय छे. सं० .
प्रा. अवकाश:, . ओआसी, अघासी, अपसरति, ओसरइ, अवसरइ. उपवासः, ऊआसो, ओआसो, उपवासो, उपाध्यायः, ऊज्झाओ, ओझाओ, उवज्झाओ.
॥ लिङ्गानुशासनम् ॥ (१) दामन्, शिरस, नभस्, विना सकारान्त तथा नकारान्त
नामो पुलिङ्ग थाय छे अने अक्षिवाचक तथा वच. नादि शब्दो पुलिङ्गमां विकल्पे थाय छ, अने इमन् अन्ते
होय एवा शब्दो तथा अञ्जलि आदि शब्दो स्त्रीलिंगमां ... विकल्पे थाय छे. .
सं० प्रा० सं० प्रा० · दाम, दाम, अक्षि, एस अच्छी, एयाइं अच्छी.. शिरः, सिरं.. नयनानि, नयणा, नयणा. नभः, नहं. वचनम्, षयणो, वयणं..: अश: . जसो. विद्युता, विज्झुणा, विज्जूए, उरः, उरो. महिमा, एस महिमा, एसा महिमा. जन्म, जम्मो. गरिमा, एस गरिमा, एसा गरिमा. नर्म, नम्मो. अञ्जलिः, ___एस अञ्जली, एसो अञ्जली.
सं० प्रा० सं० प्रा० अपवाद-श्रेयः, सेयं शर्म, सम्म. .
वचः, वयं. चर्म, चम्म. सुमनः सुमण.
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(२८२)
॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
AMA
.
॥इति लिङ्गानुशासनम् ॥
॥ अथ कारक ॥ (१) प्राकृतमां द्विवचनने स्थाने बहषचन थायछे.
दोणि कु.णन्ति, दुवे कुणन्ति, ( द्वौ द्वे वा कुतः) हत्था ( हस्तौ ) पाया ( पादौ ) नयणा ( नयने ) ... (२) चतुर्थी विभक्तिने स्थाने षष्ठी विभक्ति थायछे पण तादर्थ्यमां चतुर्थी एकवचनने स्थाने षष्ठी विकल्प थापछे.
मुणिस्स मुणीणं देइ, ( मुनये मुनिभ्यो वा ददाति ) नमो नाणस्स, ( नमो ज्ञानाय .) नमो गुरुस्स, (नमो गुरवे)
तादर्थ्यमां-देवस्स देवाय ( देवार्थम्) . (३) द्वितीया तृतीयादि विभक्तिने स्थाने कोइ टेकाणे षष्ठी थायछे, द्वितीया स्थाने-उदाहरण सीमाधरस्स बन्दे (सीमाधरं धन्दे) तिस्सा मुहस्स भरिमो ( तस्या मुख भराम: ) तृतीयाने स्थाने धणस्स लुद्धो ( धनेन लुब्धः ) तेसिं पअमणाइण्ण (तैरेतदनाचीणम् ) पञ्चमीने स्थाने चोरस्स बीहइ ( चोराद् बिभेति )
सप्तमीने स्थाने पीट्ठीए केसमारो ( पृष्ठे केशभारः ) (४) द्वितीया तथा तृतीया विभक्तिने स्थाने क्वचित् सप्तमी थाय तथा पञ्चमीने स्थाने कोइ ठेकाणे तृतीया अने सप्त. मी पण थायछे १॥ द्विवचनस्य बहुवचनम् ॥ ३ ॥ १३० ॥ * ॥ चतुर्थ्याः षष्ठी ॥ ३ ॥१३१ ॥ तादर्थ्य / ॥३॥१३२ ।। * ॥ क्वचिद् द्वितीयादेः ॥३॥१३॥ २॥ द्वितीयातृतीययो: सप्तमी ॥ ३ ॥ १३५ ॥ पश्चम्यास्तृतीया च ॥ ३ ॥ १३६ ॥
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॥ प्राकृतनियममाला ॥
(२८३) द्वितीयाने स्थाने सप्तमी नयरे न जामि ( नगरं न यामि ) तृतीयाने स्थाने तेसु अलंकिआ पुहवी (तैरलङ्कृता पृथिषी) पञ्चमीने स्थाने तृतीया चोरेण बीहड़, ( चोराद् विभेति) अन्तेउरे रमिउ आगओ राया ( अन्तःपुरादू रन्त्वाऽऽगतो
राजा ) अत्र पञ्चमीने स्थाने सप्तमी (५)' सप्तमी तथा प्रथमा विभक्तिने स्थाने क्वचिद् द्वितीयाथायछे.
विज्जुज्जोयं भरइ रत्तिं ( विद्युदुद्योत भरति राज्याम्.) • अत्र सप्तमीने स्थाने द्वितीया. चउवीसं पि जिणधरा (चतुर्विशतिरपि जिनवराः ) अत्र प्रथमाने स्थाने द्वितीया. आषमां सप्तमीने स्थाने तृतीय थायछे तेण कालेण तेणं समयेणं ( तस्मिन्काले तस्मिन् समये
... ॥ कृदन्त ॥ (१) हेत्वयं कृदन्तमो तुम्, कर्मणिभूतकृदन्तनो क्त, भावादिमां जे
घन, यु, ति, प्रत्यय आवे छे ते अने तव्य, अनोय, य,
आदि प्रत्ययो अत्रे लागे छ पण प्राकृतमा जे नियमो क- हेला छे ते नियमो प्रमाणे प्रत्ययोनो फेरफार करी अत्रे लगाडवामां आवे छे,(एटले तुम्, नो उ, तुं, क्त, नो अ, घ, नी अ, यु, नो अण, क्ति नो ति, तव्य, नो अव्य, अनीयनो अणीज्ज, अणोय तथा यनो य अने कोइ ठेकाणे
ज्ज पण थाय छे.) (२) क्त्वा प्रत्ययने स्थांने तुं, अ, तूण, तुआण, उ, ऊण, उ
आण प्रत्ययो लागे छे. (३) क्त, नी पूर्व अ होय तो अ नो इ, अने क्त्या, तुम् त
व्यनी पूर्व अ होय तो अ नो इ, ए, थाय छे अने क्त्वा १ ॥ सप्तम्या द्वितीया ॥ ३ ॥ १३७ ॥
..
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AvvwwAAAAAAAAAAAAAAAAAANORMAANnANA.
प्रा०
(२८४) ॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
प्रत्यय संबंधि जे ण तेनो विकल्प णं थाय छे. सं० प्रा०
सं० हमितुम् हसिउं, हसेउ. पेया, पेज्जा, पेआ. हसितम् हसि बोध्यम् बोज्झं. प्रचारः पयरो, पयारो. कार्यम्,
कज्ज वचनम् वयणं हसित्वा, हसिउं, हंसे उं युक्तिः जुत्ती
हसिऊण,हसिऊणं,हसेहसितव्यम्, हसिअव्वं,हसेअव्वं ऊण,हसेऊणं;हसिउआण करणीयम्, करणिज्ज,करणीय हसेउआणं, हसेउआण
हसेउआणं. (४) प्राकृतमां वर्तमानकृदन्ततना प्रत्ययोने स्थाने पुलिंग तथा
नपुंसकलिङ्गमां न्त, माण अने स्त्रीलिङ्गमां ई, न्ती, माणी, न्ता, माणा प्रत्ययो लागे छे, सं०
प्रा० हसन्,
.. हसन्तो, हसमाणो हसत्,
हसन्तं, हसमाण, हसन्ती, हसई, हसन्ती हसमाणी हसन्ता, हसमाणा संस्कृत उपर बनता तथा केटलाएक सामान्य उपयोगी कृदन्तो. क्वा ,
तव्य
तुम् प्रह, घेत्तूण, घेत्तुआण, घेत्तव्य, . घेतु. पच, वोत्तूण, वोत्तुआण, धोत्तवं, वोत्तु, रुद्, रोत्तण, रोआण, रोत्तम्व, रोत्त भुज भोत्तण, भोत्तुआण, भोत्तव्यं, भोन्नु, मुथ् मोत्तूण, मोत्तुआण, मोत्तव्वं, मोत्तुं. दृश वृळूण, दृठूआण, दृटुव्वं, दृटूढुं, कृ काऊण, काउआण, कायव्वं, कार,
वोत्तम्व,
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। प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२८५)
(क्त) स्निग्धं, सणिद्धं, सिणिद्धं संस्कृत० प्राकृत.
निद्धं, आक्रान्त:, अप्फुण्णो. क्षिप्तम्, छूढं खित उत्कृष्टम्, उक्कोस. वस्त हित्थं, तळं तत्थं. स्पष्यम्, फुडं. छुप्तः छिक्को, छुत्तो. अतिक्रान्तः, बोलीणो.
(क्त्वा . )
भुक्त्वा, भोच्चा, विकसित:,
वोसट्टो, निपातितः, निसुट्टो.
श्रुत्वा सोच्चा.
,
ज्ञात्वा,नत्वा णच्चा . नष्टः, लिहक्को.
बुधवा, बुज्झा. प्रमृष्टःप्रमुषित: पम्हुट्टो.
मुक्त्वा मोच्चा अर्जितम, विढतं.
गत्वा
गच्चा स्पृष्टम्, छित्तं.
मच्चा मत्वा निमिअं. स्थापितम्, आस्वादितम्,
सुप्त्वा सुत्ता चक्खिअ. वन्दित्वा
वन्दित्ता लूनम्,
लुअ. त्यक्तम्, जड़े.
गुह्यम् गुज्झं गुरहं क्षिप्तम्, झोसिअ,
सह्यम् सज्झ सरह उदृवृत्तम्, निच्छूढ़, कार्यम् कज्ज पर्यस्तम्, पल्हत्थं, पल्लोढें ।
जय्यम्
जज्ज हेषितम्, . हसिमण. आस्यम्
'अस्सं दुग्धम्,
ग्राह्यम्
गेज्झं मुग्धम्, मुद्ध,
शिष्यः सोसो सुप्त:
कृत्यम्
किच्च गुप्तः , . गुत्तो,
भव्यम्
भव्वं दृष्ट. · डक्को , दट्ठो. देयम् देज्ज, देअं रुग्णः , लुग्गो, लुक्को.
शप्यम् सप्पं - सक्को , सत्तो.
जप्यम्
जप्पं मुक्तः मुक्को, मुत्तो
शक्यम् स्तब्ध: ठड्ढो .
वाक्यम् वक्कं दग्धः , दड्ढो .
याच्यम् यच्चं क्लिन्नः, किलिन्नो,
अय॑म् अच्चं श्लिष्टः सिलिट्ठो.
मार्यम् मग्गं • म्लानम् मिलाण
कल्प्यम् कप्पं ग्लानम् गिलाणं,
पुष्यः
सुत्तो,
शक्तः,
सक्कं
पूसो
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________________
(२८६)
. ॥ मुनिकस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
सं० प्रा०
(क्त)अ. जाणि
ज्ञा-जाण,
ज्ञा,-मुण
मुणि
थक्किों
(तुम्) उ जाणिउं जाणे मुणिउं मुणे थक्किउं. थक्केउं चिठिउं, चिठेउ, पिज्जिउ, 'पिज्जेउ सुणिउं, ,
., चिट्ठ
चिट्ठिअं
पिजिअ
(तव्य) अध, जाणिअव्वं, जाणेअव्वं मुणिअव्वं मुणेअव्वं थक्किअव्वं, - थक्केअव्वं.
चिटुअव्व, चिअव्वं पिज्जिअवं, पिज्जे अवं सुणिअव्वं, सुणेअव्वं, हणिअव्वं, हणेअव्वं धुणिअव्वं धुणेअव्वं धुविअव्वं धुवेअव्व हुविअव्वं
सुणि
सुणे
हणि
धुणिअ .
हणि, हणे. धुणिउं धुणे धुविउं धुवेउं
धुवि
हुवि
हुविउं
हुवेउं
हुवेअव्वं
हुणिों
हुणिउं,
हुणिअव्वं हुणेअव्व
सविअव्व ... सवेअव्वं
हुणे सविलं सवे उ
सविअं
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।। प्राकृतधातुरूपमाला ||
(२८)
(अनीय)अणिज्ज,अणीअ (क्त्वा) उ, सुं, अ, तूण, ऊण, तुआण. उआण जाणणिज्जं, जाणिउं, जाणेउं, जाणिअ, जाणेअ, जाणिऊण, जाणणीअं जाणेऊण, जाणि उआण, जाणेउआण. मुणणिज्जं मुणिउं, मुणेउ, मुणिअ, मुणेअ, मुणिऊण, मुणणीअं . मुणेऊण, मुणिउआण, मुणेउआण. थक्कणिज्ज थक्किउं, थक्केउं, थक्किअ, थक्के अ, थक्किऊण, थक्कणीअं.. थक्केऊण, थक्किउआण, थक्केउआण चिट्ठणिज्ज चिट्ठिउ, चिठेउ, चिट्ठिअ, चिठे अ, चिट्ठिऊण चिट्ठणोअं चिठेऊण चिट्ठिउआण चिठेउआण বিভলি पिज्जिउं, पिज्जेउ पिज्जिअ पिज्जेअ पिज्जणी पिज्जिऊण पिज्जेऊण पिज्जिउआण पिज्जेउआण सुणणिज्ज सुणिउं सुणेउं सुणिअ सुणेअ सुणिऊण सुणणीअं सुणेऊण सुणेउआण सुणे उ आण हणणिज्जं हणिउं हणेउं हणिअ हणेअ हणिऊण हणणीअं ___ हणेऊण हणिउआण हणेउआण धुणणिज्जं . धुणिउं धुणे धुणिअ धुणेअ धुणिऊण . धुणणीअं धुणेऊण धुणिउआण धुणेउआण धुंवणिज्ज. धुविउ धुवेउं धुविअ धुवेअ धुविऊण धुवणीअं . धुवेऊण धुविउआण धुवेउआण हुवणिज्जें . . हुविउ हुवेउं हुविअ हुवेअ हुविऊण हुषणीअं हुवेऊण हुविउआण हुवेउआण
জিল हुणिउं हुणेउ हुणिअ हुणेअ हुणिऊण हुणणीअं हुणेऊण हुणिउआण हुणेउआण मणिज्जं सविउं सवेउं सविअ सवेअ सवणीअं सविऊण सवेऊण सविउआण सवेउआण
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________________
(२८८)
सं० प्रा०
स्तु, थुण
लू लुण
पू पुण
कृ कुण
"
कर
जर
धृ धर
तृ तर
हु-हर
सृ सर
स्मृ सुमर
जागृ जग्ग
(F)31,
थुणिअं
लुणिअं
पुणिअं
कुणिअं
॥ मुनिकस्तूर विजय विनिर्मिता
(तुम्) उं
थुणिउं
थुणेउं
लुणिर्ड
लुणेउं
पुणिउं
कयं
जरिअं
धयं
तरिअं
हिअ
सयं
सुमरिअं
जग्गिअं
पुणेउं
कुणिउं
कुणउं
काउं
'जरिउं
जरेउ
धरिउं
धरेउं
तरिउं
तरेउं
हरिजं
हरे
सरिजं
सरेउं
सुमरि
सुमरेउ
जग्गिउं
जग्गेउं
(तव्य ) अव्य,
थुणिअव्वं
थुणे अवं
लुणिअडव
लुणे अव
पुणिअव्वं
पुणे
कुणवं
कुठ
कायवं
जरिअव्वं
जरे अव्वं
धरिअoa
धरे अव्वं.
तरि अव्वं
तरे अव्वं
हरिवं
हरे अव्वं
सरिअव्वं
सरेअव्वं
सुमरिअव्यं
सुमरे अब्ब
जग्गअवं
जग्गे अof
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. | प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२८९)
(अनीय)अणिज्ज अणीअ (क्त्वा) उ, तुं, अ, तूण, ऊण, तुआण. उआण थुणणिज्जं थुणिउं थुणेउं थुणिअ थुणेअ थुणिऊण थुणणीअं थुणेऊण थुणिउ आण थुणेउआण लुणणिज्ज लुणिउं लुणेउं लुणिअ लुणेअ लुणिऊण लुणणीअं
लुणेऊण लुणिउआण लुणेउआण पुणणिज्ज पुणिउं पुणेउं पुणिअ पुणेअ पुणिऊग पुणेऊण पुणणीअं
पुणिउआण पुणेउआण. कुणणिज्ज कुंणिउं कुणेउं कुणिअ कुणेअ कुणिऊण कुणेऊण कुणणी कुणिउआण कुणेउआण : करणिज्ज काउं काऊण काउआण करणि जरणिज्जं जरिउं जरेउं जरिअ जरेअ जरिऊण जरेऊण जरणी जरिउआण जरेउआण धरणिज्ज धरिउं धरेउं धरिअ धरेअ धरिऊण धरेऊण धरणी
धरिउआण धरेउआण तरणिज्जं. तरिउं तरेउं तरिअ तरेअ तरिऊण तरेऊण .. तरणीअं : तरिउआण तरेउआण हरणिज्ज.. हरिउं हरे उं हरिअ हरेअ हरिऊण हरेऊण . हरणीअं हरिउआण हरेउआण सरगिज्जं ... सरिउं सरेउं सरिअ सरेअ सरिऊण सरणोअं सरेऊण सरिउआण सरेउआण सुमरणिज्जं सुमरिउं सुमरेउं सुमरिअ सुमरेअ सुमरेऊण 'सुमरणीअं सुमरिऊण सुमरिउआण सुमरेउआण जग्गणिज्जं अग्गिउं जग्गेउं जग्गिअ जग्गेअ जग्गिऊण जग्गणीअं जग्गेऊण जग्गिउआण जग्गेउआण
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(२२०)
॥ मुनिकस्तूरविजय विनिर्मिता ॥
सं० प्रा० शक् तीर
(क्त)अ, तीरि
(तुम्) उ
तीरिउं तीरेउ सकिउं
, सक
सक्किों
सके
पच् । सोल्ल क्षिण मुच मेल्ल
सिच् सिञ्च
सोल्लिअं सोल्लिड
सोल्लेउ मेल्लिअं मेल्लि .
मेल्लेउ सिञ्चि सिश्चि
सिञ्चे पुच्छिअं . पुच्छिउँ
पुच्छेउं बुकिङ
प्रच्छ पुच्छ
(तव्य) अव्ध,
तीरिअव्वं तोरेअव्वं सक्किअव्यं सक्कअव्व सोल्लिअव्वं सोल्लेअव्यं
मेल्लिअव्वं · मेल्लेअवं सिञ्चिअव्वं सिञ्चेअव्वं पुच्छिअव्वं पुच्छेअन्वं बुकिअव्वं बुक्केअव्वं छज्जिअव्वं
छज्जेअव्वं ' जीहि जीहे अव्वं भुञ्जिअव्व भुजेअर्व बोल्लिअवं बोल्लेअव्वं हक्किअन्वं हक्के अव्वं
गर्जू बुक्क
.
बुकिअं
बुक्कउ
राज छज्ज
छज्जिअं .
लस्ज जीह
जीहि
भुजू भुञ्ज
भुञ्जि
छज्जित छज्जेउं जीहिउँ जाहेउ भुञ्जिउं . भुजे बोल्लिङ बोल्ले हक्किउं हक्के
कथं बोल्ल
बोल्लिअं
सिध हक्क
हक्कि
Page #266
--------------------------------------------------------------------------
________________
.. ॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२९१)
(अनीय)अणिज्ज,अणीअ (क्त्वा) उं, तुं, अ, तूण, ऊण, तुआण. उआण तीरणिज्जं तीरिउ तीरेउ तीरिअ तीरेअ तीरिऊण तीरेऊण तीरणीअं . , तीरिउआण तोरेउआण सक्कणिज्ज सकिउं सक्केउं सक्कि सक्कअ सकिऊण सकेऊण सक्कणीअं . सक्किउआण सक्कउआण सोल्लणिज्ज सोल्लिङ सोल्लेउं सोल्लिअ सोल्लेअ सोल्लिऊण सोल्लणीअं सोल्लेऊण सोल्लिउआण सोल्ले उआण मेल्लणिज्जं । मेलिउ मेल्लेउं मेल्लिअ मेल्लेअ मेल्लिऊण मेल्लणीअं मेल्लेऊण मेल्लिउआण मेल्ले उआण सिञ्चणिज्जं सिञ्चिउं सिञ्चेउ सिञ्चिअ सिञ्चेअ सिञ्चिऊण सिञ्चिणीअं सिञ्चेऊण सिञ्चिउआण सिञ्चेउआण पुच्छणिज्जं पुच्छिउं पुच्छेउं पुच्छिअ पुच्छे अ पुच्छिऊण पुच्छणीअं पुच्छेऊण पुच्छिउआण पुच्छे उआण बुक्कणिज्जं बुक्किउं बुक्केउं बुक्किा बुक्केअ बुक्किऊण बुकंकणीअं . बुक्केऊण बुक्किंउआण बुक्केउआण छज्जणिज्जं . छज्जिउं छज्जेउ छज्जिअ छज्जेअ छज्जिऊण छज्जणीअं . छज्जेऊण छज्जिउआण छज्जे उआण. जीहणिज्जं जीहिउं जोहेउं जोहिअ जीहेअ जीहिऊण जीहेऊण जीहणीअं जीहिउ आण जीहे उ आण भुञ्जणिज्ज - भुजिउं भुजेउं भुजिअ भुञ्जअ भुजिऊण भुञ्जणीअं भुजेऊण भुजिउआण भुजेउआण बोल्लणिज्ज । बोल्लि उ बोल्लेउ बोल्लिअ बोल्लेअ बोल्लिऊण बोलणीअं बोल्लेऊण बोल्लिउआण बोल्लेउआण हक्कणिज्जं हक्किउं हक्केउं हक्किअ हक्केअ हक्किऊण हक्केऊण हक्कणीअं हक्किउआण हक्केउआण
Page #267
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२९२) ॥ मुनिकस्तूर विजय विनिर्मिता ॥ सं० प्रा० (क्त)अ. (तुम्) उ (तव्य) अन्ध, खिद् खिज्ज खिज्जि खिज्जिउं खिज्जिअध
खिज्जेउं - खिज्जे अब्वं कुध कुष्य कुझिों कुज्झिई कुझिअव्वं
कुज्ञउं.. कुझेअव्वं स्वप् लोट्ट लोट्टि लोट्टिउ लोडिअव्वं
लोट्टेड लोट्टे अब्ध लिप लिम्प लिम्पि लिम्पिङ लिम्पिअव्वं
लिम्पेउं . लिम्पेअन्वं लुभ लुब्भ लुब्भि लुम्भिउं
.. लुब्भिअध्य लुडभेर्ड
लुम्भेअठवं क्षुभ खुब्भ खुडिभों
खुब्भिउं. खुभिअवं खुडभेउं
खुब्भेअध्वं भ्रम् ढुण्दुल ढुण्डलिअं ढुण्डलिङ
ढुण्डलिअवं
ढुण्दुलेउं ढुण्डलेअव्वं गम् बोल बोलि बोलिउ बोलिअव्वं
बोलेअव्वं रम् मोट्टाय मोट्टाइ मोट्टाइउं मोट्टाइअव्वं
मोट्टाएउं मोट्टाएअव्वं भ्रंश भुल्ल भुल्लिअं भुल्लि भुल्लिअवं
भुल्लेउं भुल्लेअ०वं नश् नस्स नस्सि नस्सिउं नस्सिअव्वं
नस्से नस्सेअचं इश देक्ख देखि देक्खिउं देक्खिअव्वं
देविखेडे
देक्वेअव्वं स्पृश् फास
फासि फासिउ
फासिअम्ब फासे फासेअव्वं
बोले
Page #268
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२९३)
(अनीय)अणिज्ज,अणीअ (क्त्वा) उ, तुं, अ, तूण, ऊण, तुआण. उआण खिज्जणिज्जं खिज्जिउं खिज्जेउ खिज्जिअ खिज्जेअ खिज्जि. खिज्जणीअं . ऊण खिज्जेऊण खिज्जिउआण खिज्जेउआण कुज्झणिज्ज - कुज्झिउं कुझेउ कुझिअ कुज्झे अ कुज्झिऊण कुज्मणीअं कुज्झेऊण कुज्झिउआण कुज्झेउआण लोट्टणिज्ज लोट्टिउं लोट्टेउं लोट्टिअ लोट्टेअ लोट्टिऊण लोट्टेऊण लोट्टणीअं लोट्टिउआण लोट्टेउआण लिम्पणिज्जं . लिम्पिउं लिम्पेउ लिम्पिअ लिम्पेअ लिम्पिऊण लिम्पणी लिम्पेऊण लिम्पिउआण लिम्पेउआण लुब्भणिज्जं लुभिउं लुभेउ लुब्भिअ लुभेअ लुब्भिऊण लुम्भणीअं लुब्भेऊण लुम्भिउआण लुब्भेउआण खुब्भणिज्ज खुभिउ खुब्भेउं खुम्भिअ खुब्भेअ खुब्भिऊण खुब्भणीअं खुड्भेऊण खुब्भिउआण खुब्भेआण ढुण्ढुलणिज्ज ढुण्डलिउ ढुण्ढुलेउं ढुण्डलिअ ढुण्डलेअ ढुण्डलिढुण्डुलणीअं ऊण ढुण्डलेऊण ढुण्डलिउआण ढुण्दुले उआण बोलणिज्ज बोलिउ बोलेउ बोलिअ बोलेअ बोलिऊण बोलेऊण बोलणी : बोलिउआण बोलेउआण मोट्टायणिज्जं मोट्टाइउं मोट्टाएउ मोट्टाइअ मोट्टाएअ मोट्टाइ. मोट्टायणीअं ऊण मोट्टाएऊण मोट्टाइउआण मोट्टाएउआण भुल्लणिज्जं . भुल्लिङ भुल्लेउ भुल्लिअ भुल्लेअ भुल्लिऊण भुल्लणीअं भुल्लेऊण भुल्लिउआण भुल्लेउआण नस्सणिज्जं नस्सिङ नस्सेउं नस्सिअ नस्सेअ नस्सिऊण नस्सणीअं नस्सेऊण नस्सिउआण नस्सेउआण देवखणिज्जं देखिउं देक्खेउ देक्खिअ देखेअ देक्खिऊण देखणीअं देखेऊण देखिउआण देखेउआण फासणिज्जं फासिउं फासेउं फासिअ फासेअ फासिऊण . फासणीअं फासेऊण फासिउआण फासेउआण
Page #269
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२९४)
mm
स० प्रा०
स्पृश् [५
मष बुक्क
पुष पूस
हृष हरिस
मुह, मुज्य .
मुज्यिउं
इए इच्छ
॥ मुनिकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ (त)अ. (तुम्) उ (तव्य) अन्ध, छिवि छिविउं छिविअव्वं
. छिवेउं छिवेअब्ध बुकिअं बुकिङ बुक्किअब्ध बुक्केउं
बुक्के अवं पूसि पूसिउं पूसिअव्वं
पूसेउं . पूसे अवं . हरिसिअं हरिसिउ हरिसिअब्ध
हरिसे हरिसेअव्वं मुज्यि
_ मुझिअव्यं मुझेउं
मुझे अव्वं इच्छि इच्छिउँ इच्छि अंग्वं
इच्छे इच्छेअव्वं भिन्दिों भिन्दिउं भिन्दिअव्वं . भिन्देउं
भिन्देअव्वं जुझिअं जुज्झिउं जुझिअव्यं
जुझेउं जुज्झेअव्वं बुझिों बुझिउ । बुझिअव्वं
बुज्झेिउ । बुझेअव्वं पडि पडिउं पडिअब्ध
पडे पडेअर्व सडिअं सडि सडिअव्वं
सडेअव्वं झडिउ झडिअव्वं झडे
झडे अन्वं वढि अं वढिउं वढिअब्ध
वड्ढे उं बढेअरु
भि भिन्द
युध् जुज्य
बुधू बुज्झ
पत् पड
सद् सड
सडे
शद् झड
झडिअं
वृध वड्ढ
Page #270
--------------------------------------------------------------------------
________________
|| प्राकृतधातुरूपमाला ॥
(२९५)
(अनीय)अणिज्ज,अणीअ (क्त्वा) उ, तुं, अ, तूण, ऊण, तुआण. उआण छिवणिज्ज छिविउं छिवे छिविअ छिवेअ छिविऊण छिवणीअं छिवेऊण छिविउआण छिवेउआण बुक्कणिज्ज । बुक्किउ बुक्केउं बुक्किअ बुक्केअ बुक्किऊण बुक्केऊण बुक्कणीअं बुक्किउआण बुक्केउआण पूस णिज्ज पूसिउं पूसेउं पूसिअ पूसेअ पूसिऊण पूसेऊण पूसणीअं . पूसिउआण पूसेउआण हरिसणिज्ज. हरिसिउ हरेसेउं हरिसिअ हरिसेअ हरिसिऊण हरिसणीअं हरिसेऊण हरिसिउआण हरिसेउआण मुज्निणिज्ज मुज्झिष्ठं मुज्झे उं मुशिअ मुझेअ मुज्मिऊण मुज्मणीअं मुझेऊण मुज्झिउआण मुज्झेउआण इच्छणिज्ज इच्छिउं इच्छेउं इच्छिअ इच्छेअ इच्छिऊण । इच्छणीअं इच्छेऊण इच्छिउआण इच्छेउआण भिन्दणिज्ज भिन्दिउं भिन्देउं भिन्दिअ भिन्देअ भिन्दिऊण भिन्दणीअ भिन्देऊण भिन्दिउआण भिन्देउआण जुज्मणिज्ज जुज्झिउं जुझेउं जुज्झिअ जुज्झेअ जुज्झिऊण जुमणीअं : जुज्झेऊण जुझिउआण जुझेउआण बुज्झणिज्जं बुज्झिउं बुझेउ बुझिअ बुझेअ बुन्निऊण बुज्मणीअं बुझेऊण बुझिउआण बुझेउआण पडणिज्ज . पडिउं पडेउ पडिअ पडेअ पडिऊण पडेऊण पडणी पडिउआण पडेउआण सडणिज्जं सडिउ सडेउं सडिअ सडेअ सडिऊण सडेऊण सडणीअं सडिउआण सडेउआण शडणिज्जं झडिउं झडेउ झडिअ झडेअ झडिऊण झडेऊण झडणी झडिउआण झडेउआण वणिज वड्ढिउं वड्ढे उं वढिअ वड्ढेअ वड्ढिऊण षड्ढणीअं वड्ढेऊण वढिउआण वड्ढेउआण
Page #271
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२९६)
॥ मुनिकस्तूर विजय विनिर्मिता
नृत् नच्च
नयं
सं० प्रा० (क्त)अ, (तुम्) उ (तव्य) अब्ध, नच्चि नच्चि
नच्चिअव्वं
नच्चेउं नच्चेअव्वं गद रुव रुवि रुविउ
रुविलं रुविअव्वं
रुवे .. रवेअवं नम् नघ नधि नविउ नविअध्वं
नवेउं नवेअन्वं. विसृज घोसिर घोसिरिअं घोसिरिउं घोसिरिअवं
वोसिरेउं . वोसिरेअव्वं अट् अट्ट अट्टि अट्टि अट्टिअव्वं
अट्टेड
अदृअन्वं कुपू कुप्प कुप्पिों कुपिउं. .
कुप्पिअव्वं कुप्पेउं
कुप्पेअव्वं नटू नट्ट नट्टि नट्टि नदिअव्वं
नटेर्ड
नट्टेअव्वं अट् अट्ट अहि अट्टि अट्टिअव्वं
अट्टेउं अट्टेअवं सिष सिव्व सिव्वि सिव्विळ सिव्विअव्वं
सिव्वेउ सिम्बेअव्वं मृग मग्ग मग्गि मग्गि मग्गिअव्वं
मग्गेउं मग्गेअव्वं वन्द-बन्द बन्दि वन्दिउं वन्दिअव्वं
वन्दे
बन्देअब्बं
॥ इति प्राकृतरूपमालायाम्
Page #272
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ मुनिकस्तूर विजय विनिर्मिता
(२९७)
(अनीय) अणिज्ज, अणीअ ( क्त्वा) उं, सुं, अ, तृण, ऊण, तुआण. उआण नच्चिरं नच्चेउं नच्चि नच्चेअ नचिचऊण नच्चेऊण नच्चिउआण नच्चेउआण
नच्च णिज्जं
नच्चणीअं
रुवणिज्जं
रुचणीअ
नवणिज्जं
नवणीअ
वोसिर णिज्जं
वोसिरणीअं
अवणिज्जं
अट्टणीअं
कुप्पणिज्जं
कुप्पणीअं
णिज्जं
कृष्पितं कुप्पेडं कुप्पिअ कुप्पेअ कृष्पिऊण कुप्पेऊण कुपिड आण कुप्पेडआण
नट्टिउ नट्टेउ नट्टिअ नट्टेअ नट्टिऊण नट्टेऊण नआिण नट्टेउआण
अट्टिउं अट्ठेउ अट्टिअ अअ अट्टिऊण
अटूटेऊण अट्टिउआण अटेउआण
सिव्विरं सिव्वेडं सिव्विस सिव्वेअ सिव्त्रिऊण
सिव्वेऊण सिव्बिउआण सिव्वेउआण
मग्गिउं मग्गेउं मग्गिअ मग्गेअ मग्गिऊण
मग्गेऊण मग्गिउआण मग्गेउआण
वन्दिउं वन्देउं वन्दिअ वन्देअ वन्दिऊण वन्देऊण वन्दिउआण वन्देउआण
सन्धिनियमतडिताव्ययकारककृदन्तादीनि समाप्तानि ॥
नट्टणीअ
अणिज्जं
अट्टणीअ
सव्वणिज्जं
सिणीअं
मणिज्जं
मग्गणीअं
विउ रुवेरं रुविअ रुवेअ रुविऊण
रुवेऊण रुविउआण रुवेउआण
नविउं नवेउं नविअ नवेअ नविऊण नवेऊण नविडआण नवे आण
वोसिरिउं वोसेरिडं वोसिरिअ वोसिरेअ वोसि रऊण वोसिरेऊण वोसिरिउआण वोसिरेउआण अट्टि अट्टेउं अट्टि अट्टेअ अट्टिऊण अट्टेऊग अट्टिउआण अट्टेडआण
वन्द णिज्जं
वन्दणीअं
Page #273
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२९८)
।। प्राकृतधातुरूपमाला ॥
॥आ रूप ४२ पृष्ठमा 'दुहिआ' तथा 'धूआ' शब्दना
रूपोनी नीचे वांचवू ॥
आकारान्तपुंलिङ्गो गोपाशब्दः ।
गोवा (गोपा)
एकव०
. बहुव०
गोवा..
प्र. गोवो. द्वि० गोवां. १० गोवाण, गोवाण. च० गोवस्म, ५० गोवत्तो, गोवाओ, गोवाउ,
गोवाहिन्तो. प० गोवस्स, स० गोवम्मि. सं० हे गोवो, गोवा.
गोवा. गोवाहि, गोवाहिँ , गोवाहि गोवाण, गोवाण. गोवत्तो, गोवाश्रो, गोवाउ, गोवाहिन्तो, गोवासुन्तो. गोवाण, गोवाणं. गोवासु, गोवामुं.
गोवा.
Page #274
--------------------------------------------------------------------------
________________
RSS
॥ स्वपरसमयपारीणेभ्यः मरिचक्रचक्रवतिभ्यः तपागच्छाचार्य
भट्टारकश्रीविजयनेमिसूरेभ्यो नमो नमः ॥
.23
॥ मुनिश्रीकस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला॥
(गूर्जरभाषार्थविभूषिता)
'लिङ्ग
अर्थ
प्राकृतः
पुं०अ०
वासुदेव-अने
. .
명 정
.
संस्कृत . . . अ--च . अतिचार अजिन अतिमुक्त अजिर ऐरावण ऐश्वर्य अतीव आखण्डल अनिन् अगाध अर्गला अप्सरम अक्षि आर्य
अइआर . अइण . अइमुत्तं .. अहर . अहरावण .. अइसरिअ. अईव अक्खंडल अङ्गि अगाह अग्गला अच्छरसा अच्छि अज
अतिचार चामडु डोलरपुष्प आंगणु इन्द्रनो हाथी ठकुराइ घणुं
평영
प्राणी
बेडी अप्सरा
आंख
सज्जन
영
Page #275
--------------------------------------------------------------------------
________________
न०
कामदेव
अंसु
(२). मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ wovvvwoooooooooooooooooooooooooooooooowwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww अज्ज अध
अ. आज अज्जा
स्त्री०. साध्वी आर्या अज्जु
आर्या स्त्री० सासू अट्टि
अस्थि अणंग ..... अना अणुअर अनुचर
सेवक . अणुठ्ठाण अनुष्ठान
विधि अण्ण अन्य
बीजू अण्णयर अन्यतर
वि० . बेमांथी एक अंतेउर अन्तःपुर न० अन्तःपुर . अंतेवासि अन्तेषासिन् वि० शिष्य अंब
आम्र न० केरी
अश्रु-अंशु न०-० . आंसु-किरण अंसु अंशुक
न० वन अक्क अर्क
पुं०
सूर्य-आकडो কুত্ত अक्ष
इन्द्रिय अग्गओ अग्रतः
आगळ अच्चस्थ अत्यर्थ
• घणु अद्धाण अध्यन
मार्ग अन्धआर अन्धकार न०पू० अधारू अप्पवस आत्मवश वि० स्वाधीन अप्प आत्मन्
आत्मा अल्प अबुह
अबुध अब्भअ अभक .
बालक अब्भ अभ्र
मेघ अभिडिअ . संगत . अब्भास अभ्यास
अभ्यास-पांसे अमच्च अमात्य
मन्त्री अमरावई अमरावती
इन्द्रनगरी . भमय अमृत
अमृत
वि०
६०
थोडं
अप्प
"gadge
मळेलु
बी.
Page #276
--------------------------------------------------------------------------
________________
____ • ॥ प्राकृतसंस्कृतरूपमाला ॥
m
R
ecomme
अम्टान अम्बर अचल
बाणपुष्प आकाश-पत्र : पर्वत
अर्हत्
पुं०
तीर्थकर
न० .
अमिलाण अंबर अयल अरहन्त । अरिहन्त अरुहन्त .J अरह अरहट्ट अलया अलावु अलि . अलीय अटिजरअ अवक्करस अवंग अवहाय अवयस अवलेव अघहथि अवस्था । अवर. अवराह अवाण अधि . अविरयं असत्त असच्च असणि असहहण असिधेणुआ असि असि .
अहं अरघट्ट अलका अल्लाबु अलि अधीक अलिजरक अपक्वरस अपाङ्ग अवंदात अवतंस अवलेप अपहस्तित अवस्था
पुं०वि० जिन, पूज्य पुं० स्त्री० कुबेरनगरी
दुधियु तुंबडु
भमरो न० असत्य
रंगवान कुंड .दारु
नेत्रनो अन्त भाग . वि० धोलु, स्वच्छ
कर्णभूषण गर्व झुटवी लीधेलु अवस्था . बीजु
गुन्हो गुदा, अधोवायु पण नित्य असमर्थ
अपर
न.
अपराध अपान अपि अविरत अशक्त असत्य अशनि अश्रद्धा असिधेनुका असित असि
वि०
स्त्री० स्त्री०
वज्र अविश्वास छरी, पाली काळु तरवार
वि०
पुं०
Page #277
--------------------------------------------------------------------------
________________
मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ||
Gooooooooooooooooo00000
000000movowwwwwvonour
असो
अशोक
पुं०
अह
अघ
अशोकवृक्ष पाप
नीच पुं० वि० ओष्ठ-नीचेनु वि० उद्यत वि.
'मालीक स्त्री० व्यभिचारिणी स्त्री
नाम
वधारे
न.
अहि
सर्प हमणा
अ०
नीचे
अहम
अधम अहर
अधर अहिउत्त
अभियुक्त अहिअ अधिक अहिवह अधिपति अहिसारिआ अभिसारिका अहिहाण अभिधान अहि . अहुणा
अधुना अहो
अधः आइच्च आदित्य . आइरिअ आचार्य आउअ
आयुष् आउल
आकुल आउह
आयुध आपस
आदेश आओडिअ ताडित आडोव आटोप आढत्त
आरब्ध. आणण
आनन । आणन्द
आनन्द आणा
आज्ञा
सूर्य
areAayogogy
आचार्य आवरदा गभरायेलु हथीयार आज्ञा मारेलु आडम्बर आरम्भेलु मुख आणन्द हुकम ' [स्तंभ हाथीने बांधवाना तडको रोग हर्ष-सुगंध भविष्यत्काल आचार्य दर्पण
आणाल
आतव
आम आमोअ आयइ आयरिअ आयरिस
आलान आतप आमय आमोद आयति आचार्य आदर्श
sages.gog
g
Page #278
--------------------------------------------------------------------------
________________
.. ॥ प्राकृतसंस्कृतरूपमाला ॥
प.
न०
आयंक आयण्णिअ आयर आयार - आराहणाआरेइअ . आलोअ आपण आयवत्त आवया आस आस आसत्थ आसिसा आहरण आहित्थ आहूअ इअ, इ.
आतंक आकर्णित वि० आदर आचार, आकार, पु० आराधना
स्त्री आरेचित
वि) आलोक आपण आतपत्र आपगा-द आशय अश्व अश्वत्थ आशिष आभरण अत्रिस्त
वि० आहूत इति । एकाज
स्त्री
.
se ** **** ***** **5£#****# *:
भय सांभळेलु सन्मान आचार,आकृति, आराधना रोमांचित प्रकाश बजार छत्री नदी-आपत्ति अभिप्राय घोडो पीपलो आशीर्वाद आभूषण भयपामेलु बोलावेल ए प्रमाणे चन्दन : शेरडी अङ्गारो इन्द्र चन्द्र
वि०
इंगोल.
अङ्कार
इंदु ..
इन्दु
.. एक
इण्हि, इतहि इंदधणु इंदाणी इत्थी इब्भ
स्त्री०
इदानीम् इन्द्रधनुष इन्द्राणी स्त्री इभ्य ऋषि
स्त्री० वि०
हमणा इन्द्रधनुष इन्द्रनी स्त्री नारी धनवान ऋषि .
इसि
.
पुं०
बाण
Page #279
--------------------------------------------------------------------------
________________
मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
www
इतरथा
ईसर ईसि
अव्यय. अन्यया
परमात्मा अ० थोडु स्त्री० इच्छा
पेट . पुं० .. ' समाचार...
ऋतु .
न०
उअर उअन्त
उउ
ईषत् ईहा उदर उदन्त ऋतु उत्कण्ठा उल्का उक्षन् उत्क्षिप्त उद्गार उदगीर्ण
स्त्री
स्त्री
उत्कंठा , . उल्का . . बलद . फेंकेलु
वि०
उचित
वि०
धि०'
उक्कंठा उक्का उक्ख उक्खित्त उग्गाल उग्गिलिअ उचि उच्च उच्छग उच्छव उज्जाण उज्जुअ उज्जीअ उह उण उण्ह उत्तरिज्ज उदय
आडकार बमेलु व्याजबी उंचु खोलो महोत्सव वाडो
1 2 3 3 3 3 3 3 3 355 १६४१ त ८ १८ १ ३de 883
उच्च उत्संग उत्सव उद्यान ऋजुक उद्योत ओष्ठ पुनः उष्ण उत्तरीय उदक ऊर्ध्व उद्धत उध्धृत
सीधो
प्रकाश होठ फरीथी
खेस पाणी
उंचु
उन्नत उद्धार करेलु
उद्ध उद्धरिअ उद्धमाय उन्नामि उप्पडअ
पूर्ण
भरेलु ।
उन्नामित उत्पतित
उंचे चढावेलु उंचे उडेल
Page #280
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥
उत्फुल्ल ..
वि०
वि०
उडभड उम्माल . उम्मि
न० पुं०स्त्री० वि.०
खीलेलु छकीगयेल शेष पाणीनामोझां स्पर्शकरेलु गरमी सर्प छाती .
उन्ह
उरअ
पु०
उद्भट निर्माल्य ऊर्मि उन्मृष्ट • ऊष्मन
उरण उरस उलूक आद्र 'उपगूढ उल्लोच उपदेश उपाध्याय • उपरि उपचार उपरक्त
उलूअ उल्ल उवऊढ उल्लो उपएस उपज्झाय उपरि उवयार 'उपरत
घूषड
पु० अ०
भीनुं आलिंगित चन्दरवो.. उपदेश उपाध्याय उपर उपचार
राहुये प्रह: .ण करेलु पाषाण ओसीकु भोगवेलु भेट . कृष्ण ...
वि०
उपल'
.
उवहाण
उवायण उविन्द
उसण
शुक्र
उपल उपधान उपभुक्त उपायन उपेन्द्र उशनल उत्सेध वृषभ प्रदीप्त उच्छीर्ष एतावत् अत्र
.
उस्सेह उसह उसक्षिा ऊसीस पत्तिल पत्थ एमेज
न०
उचाइ वळद दीपेलु ।
ओशिक पटलु अहींया एजरीते
वि०
अ० .
अ.
.
.. एवमेव
Page #281
--------------------------------------------------------------------------
________________
मुनि-कस्तूर विजयविनिर्मिता ।।
merowoooooooo
र
पअप्पभिड ओज्याय ओसढ ओतह का कउहा कथंधु
. दिशा.
कर्कन्धु
वि०
कांख .
काचबो
कक्खा कच्छह कच्छा . कंटय कंदप्प
पु०.
. पु०
कंबु
शंख
कण्ण
एतस्मभूति अ० अने थीमांडीने उपाध्याय पुं० उपाध्याय औषध
दवा कपि
वानर . ककुभ स्त्री०
स्त्री० बोरनुं वृक्ष कर्कश
कठण कक्षा स्त्री० कच्छप कच्छा स्त्री. कन्दोर कन्टक
कांटो . कन्दर्प
कामदेव कम्बु - पु . कर्णन ,
कान कृष्ण . ० . कृष्ण
क्यांथी स्त्री० कस्तूरी कन्या - स्त्री० , बालिका कर्पूर - पुं० कर्पर कल्पपादप पुं० कल्पवृक्ष
पग, परिपाटी
कर्म कल्मष
पाप.
कृतज्ञ कदा
क्यारे करिन् करिणी स्त्री० करेणु पु० स्त्री० हस्ती-हस्तिनी करीषाग्नि पुं० छाणानो अनि कदम्ब पु० कदम्बनु झाड पलधौत . न.
कुतः
कण्ह कत्तो कत्यूरी कन्ना कप्पूर कप्पपायक कम
अ०
कमः ।
कृतज्ञ
अ० पुं०
कम्मस कयण्णु कया करि करिणी करेणु करिसग्गि कलंब कलहोय
हाथी हस्तिनी
Page #282
--------------------------------------------------------------------------
________________
.
.. ॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥
anoooooooooooooooooooooooooranveervewwwwer
कलत्र कलाप
न० पुं० न० स्त्री
.
न०
कपड
कलत कलाव कल्लाण ....
कलिआ - कवड कवय . करुष कवोअ . कवाय . कसिणपक्ख कसिण, कसण . कह, कहं, कहा का काउस्सग्ग कायम्ब कासय 'किंचि .
कल्याण कलिका कपट कवच काव्य कपोत क्रव्याद कृष्णपक्ष
न० न०
og.ogg
स्त्री समूह कल्याण कळी कपट बखतर काव्य पारेवु मांसभक्षक वदिपक्ष काळु केम कथा शरीर कायोत्सर्ग हंस घरधणी खेडुत
कांइपण
कृष्ण
'कथं कथा काय कायोत्सर्ग कादम्ब 'कर्षक किश्चित् कृत्य किया किरात
वि० अ० स्त्री० पु० पुं० पुं० पुं० अ०
किच्च
स्त्री .
क्रिया भिल्ल
क्लीब
न०
कियां, किरिया, किराय किलिव किवाण कीणास कुणव कुप्पास कुमुअ कुसुमरअ
कृपाण कीनाश कुणप कुर्पास
नपुंसक तरवार यमराज मुडदु चोली कमल मकरन्द
कुसुमरजस्
कुवो
किसाणु
कृशानु केतु
अग्नि ध्वजा
Page #283
--------------------------------------------------------------------------
________________
(१०)
केसरि
के लि
कोडहल (ल्ल)
कोह
कोइला
कोउअ
कोडि
कोमार
कोवण
कोसिअ
खग्ग.
खंति
खम
खिप्प
खीर
खुहा
गअ
गउरव
गज्जिअ
गड्डा
गद्दह
गंधव
गयण
गरिहा
गवकुख
गव्विअ
गरुवी
गहवइ
गहत्थि
गामणि
गाव, गावाण, गिव्वाच
मुनि - कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
केसरिन्
केवलिन्
कुतूहल
क्रोध
कोकिला
कौतुक
कोटि
कौमार
कोपन
कौशिक
खड्ग
क्षान्ति
क्षम
क्षिप्रं
क्षीर
क्षुधा
गज
गौरव
गर्जित
गर्ता
गर्दभ
गान्धर्व
गगन
गहाँ
गवाक्ष
गुर्वी
गृहपति
गभस्ति ग्रामणि
ग्रावन्
पुं०
पुं०
न०
गीर्वाण
स्त्री०
न०
स्त्री०
वि०
पुं०
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स्त्री०
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न०
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स्त्री०
पुं०
गर्वित वि०
न०
स्त्री०
ion to ta bp pisy to be b
स्त्री०
वि०
सिंह
सर्वज्ञ
कौतुक
क्रोध
कोयल
आश्चर्य
अग्रभाग
कुमारीसम्बन्धी
क्रोध
घूड
तरवार
क्षमाकरवी
उचित.
जलदी
दुध
भूख
हाथी
गौरव
गाजेलू
खाडी
गधेड
गान्धर्वगीत
आकाश
निन्दा
झरुखो
अहंकारी
मोटी घरनीस्वामि
किरण ग्रामनोस्वामी
पत्थर
देव, संस्कृतभाषा
Page #284
--------------------------------------------------------------------------
________________
(११)
छानु
दडो ए नामनो नदी
गोपाल
घडो रेट,गरेडी घडी
घृत
घी
गृह
घर
स्त्री
अने
___॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ economooooooooooooooooooooooooooooooooooo गुज्झं.
गुड न० गेंदुअ
कन्दुक गोआवरी
गोदावरी स्त्री० गोवाल
गोपाल पुं० घड
घट पुं० घडिजंत ।
घटियन्त्र न० घडिआ
घटिका स्त्री० घय
न. घर घरिणी
गृहिणी स्त्री० च-अ च्च
च अ० चैत्र पु
चतुर् वि० चउद्दह
चतुर्दश वि. चउवीस
चतुर्विशति वि० चउमुह
चतुर्मुख पुं० चउर.
चतुर वि. चंडाल'
चण्डाल चद, चन्द्र
चन्द्र पुं० चंदण .
चन्दन न० चंदशाला
चन्द्रशाला स्त्री० चंदिका
चन्द्रिका स्त्री० चम्म ...
चर्मन् न० चावं . . . .
चाप न० चामीअर
चामीकर न० चिह
चिति स्त्री० चिहुर, चिउर
चिकुर पुं० चिन्ध
चिन्ह चिरं
अ० चेइअ
चैत्य षट्र वि०
चैत्रमास चार चउद चोवीश ब्रह्मा हुशिआर चण्डाल चन्द्र
अगाशी चन्द्रिका चामडु बाण. सोनु
बुद्धि
न०
चिरं
केश... चिन्ह लांबोकाळ मन्दिर छसंख्या
Page #285
--------------------------------------------------------------------------
________________
(१२)
छत्त
छप्पय
छिहा
छीर
छुरिआ
छुहा
छोह
ज
जइ
नउ
जकूख
जडो
जणअ
जणंगम
जणणी
जंत
जन्तु
जन्न
जंबुद्दीव
जत्त
जम
जम्म
जय
जरई
जलण
जलहत्थि
जलहर
जस
जह, जहा,
जहण
जहि
जह, जत्थ
- कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
छत्र
षट्पद
स्पृहा
क्षीर
क्षुरिका
क्षुधा-सुधा,
क्षोभ
यत्
यति, यदि
जतु
यक्ष
जटा
जनक
जनजम
जननी
यन्त्र
जन्तु
यज्ञ
जम्बूद्वीप
यत्न
यम
जन्मन्
जगत्
जरती
ज्वलन
जलहस्ती
जलधर
यशस्
यथा
जघन
यत्र
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स्त्री०
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पुं
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न०
स्त्री०
पुं०
अ०
न०
अ०
छत्र
भमरो
इच्छा
दुध
छरी
भूख, अमृत खोभ
45
साधु, जो; लाख
यक्ष
जटा
बाप
चंडाल
माता
यंत्र
जीव
यज्ञ
द्वीपनु नाम छे मेहनत
यम
जन्म
संसार
डोसी वृद्धा
अग्नि
जलहाथी
समुद्र, मेघ
यश
जेम
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Page #286
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________________
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- ॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ जाइ.
याति जाउहाण
यातुधान जामाअर, जामाउ जामात जामिणी
यामिनी जाम
याम जाला .
ज्वाला
जिन जिणिंद जिणंद
जिनेन्द्र पुं० जिण्हु
जिष्णु जिब्मा, जिहा
जिहा स्त्री जीआ
ज्या
खी० जीमूअ
जीमूत पुं० जुग्ग
योग्य, युग्म पुं०न० जुण्हा
ज्योत्स्ना स्त्री० जुव, जुवाणो युवन पुं० जुबह
युवती जूअ
धूत . जोअण
योजन
योगिन् झंत्ति
झटिति ध्वनि
क्षीण टंका
टङ्का ठम्म
स्तम्भ ठाण
स्थान डसण
दशन डहण
दहन डाह
दाह दोहद
इम्ब डोला
दोला
स्त्री०
मालतीपुष्प राक्षस जमाई रात्रि पहोर झाळ जिन जिनेन्द्र जीतनार जीभ धनुषनीदोरी मेघ अभ्यास चान्दनी युवान् युवान् स्त्री जुगार चार गउ योगि शीघ्र शब्द क्षीण टांग-जांघ थांभलो. ठेका' दांत अग्नि वालवु मनोरथ चाण्डाल. हिंडोलो
जोगि..
झुणि. झीण
sa # # # Re Ba # 999
डोहल डोम्ब
Page #287
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________________
(१४)
ढंक
दुर्दुल्लिअ
णमो
णर
णाण
ण्हाण
ण्हाय
हाविअ
तइअ
तकूख, तक्खाण
तक्कर
तड
तडि
तत्तो, तओ
तज्जणी
तण
तणया
तन्हा
तत्थ, afe, aft
तंतुवाअ
तत्त
तप्प
तम्बोल
तवण
तमिस्स
तया
तरंगिणी
तरणि
तरा
तव
मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
पुं०
पुं०
अ०
ढङ्क
गवेषित
नमः
नर
ज्ञान
स्नान
स्नात
नापित
तृतीय
तक्षन्
तस्कर
तट
तड़ित्
ततः
तर्जनी
तृण
तनयां
तृष्णा
तत्र
तन्तुवाय तत्व, तप्त,
तल्प
ताम्बूल
तपन
तमिस्र
तदा, त्वचा,
तरङ्गिणी
तरणि
त्वरा
तप
पुं०
is is to by to in
न०
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पुं
वि०
न०
स्त्री०
स्त्री०
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पुं०
न०,
न०
न०
पुं०
न०
कागडो
गोतेलु, ढुंढेलुं
नमस्कार
स्त्री०
पुं
स्त्री०
न०
पुरुष
ज्ञान
कांठो
स्त्री०
विजली
अ० ते वार पछी
स्त्री० टचली आंगली
स्नान करवी
नाहाल
हजाम
तीजू
सुतार
चोर
घास
दिकरी
तरश
त्यां
शालवी
वि० तत्वतपेलु
पथारी
पान
सूर्य
अन्धारू
अ- स्त्री० त्यारे
चाम
नदी
सूर्य
उतावन
तप
v
Page #288
--------------------------------------------------------------------------
________________
.॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला॥
तपनीय त्रस
तवणिज्ज तस तह-तहा तहि
wwwwww सुवर्ण त्रसजीव तेमज त्यां
तथा
तापस
तत्र तापस त्रास
तपशी
तास
त्रिदश तीक्ष्ण
तीर्थ .
तिअस तिक्खं, तिण्हं तित्थ तित्थाहिवा तिमिर तिरिच्छ तिल
भय देव तीखू तीर्थ तीर्थकर अन्धकारी वांकू
तीर्थाधिपति तिमिर तिर्यच
वि० तिलक पुं०
तिविठ्ठव
त्रिविष्टप
तिसला
त्रिशला
स्वर्ग श्री वीरन - माता
त्रिंशत् .
तीस
स्त्री० वि०
ཡྻ ཝ ཐཱ སྱཱ སྱཱ སྱཱ ཉྙོ སྒྱུ སུ ལ མྱ ཤྩ ཚེ རྒྱུ ༔ རྒྱུ ཨུ ཡུ རྒྱུ ༔ ཙྩ བྷཱུ་ཡཱ ཨཱ ཡྻ #
त्वदीय युष्मादृश तुरंग
तमारं तमाराजेवु घोडो वाजिंत्र
तूर्य
न.
तीस तुम्हकेर तुम्हारिस तुरंग . . तुर :. तूह तेअ ... तेवीस. तेरह . . तेलुक तोणीर तोय तोस थंभ
तीर्थ
तीर्थ तेजसू त्रयस्त्रिशत् स्त्री० त्रयोदश त्रैलोक्य न०
वि०
तूणीर
तेज तैतीस तेरह तीनलोक भा) पाणी संतोष थांभलो स्तनः
तोय तोष
स्तम्भ स्तन
Page #289
--------------------------------------------------------------------------
________________
स्थिर
स्त्री
स्त्री
मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ।। woooooooooooooo
o wwwwwwwwwwwwwwwwwwer थव, थवण, स्तव, स्तवन
स्तुति थाम
स्थामन् न० बल,तेम थावर
स्थावर
स्थावर थिर
वि० स्थिर
त्री
स्तुति स्त्री० स्तुति थूण थेण
स्तेन पुचोर
स्थविर पु० . वृद्ध थोर
स्थूल
वि० जाडु दइअ.
दयित
पुं० धनी, स्वामी दइवज, दइवष्ण, दैवज्ञ : दइच्चगुरु
दैत्यगुरु पु० शुक्र दंसण
दर्शन न० दर्शन दक्ष ' वि.
होशिआर दक्खिण,, दाहिण,, दक्षिण
. वि०
होशिआर दड्ढ
बलेलु दणु
राक्षस
देडको दप्पण
दपण
आरिसो
दरिद्र दविण
द्रविण दसण
दशन
दांत
दशमुह पुं० . रावण दहि
दधि न० दही दाणव
दानव पुं० . राक्षस दालिमि, दालिम, दाडिमि. दाडिम खीपु० दाडिम दाढा
दंष्टा स्त्री० दांत दानी
इदानीम् अ हमणा दाम
दामनू न० माला दावग्गि, दवग्गी
दावाग्नि पुं दावानल
of this is a re the
जोषी
दग्ध दनु दर्दुर
,
दरिद
निर्धन
2
Page #290
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________________
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥
(१७)
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o ooooooooooo0000000000
दार . दिक्ष
द्वार, दार
नपुं०
द्विज
दिवस
पुं०
दिअह दिआ दिखा दिग्याउ
दिवा दीक्षा
अ०
स्त्री०
दीर्घायुष
दिहि ।
वि० स्त्री०
दृष्टि दृष्ट - दृष्टान्त
दिट्ठ
बारणु, स्त्री ब्राह्मण दिवस दिन
दीक्षा लांबा आयुषवालो
आंख देखेलु उदाहरण दिवस आपेलु सूर्य कान्ति दियर
वि०
दिटुंत
दिण
दिन
.
न०
वि०
पुं०
दिन नशीब-दीव्य,
दिण्ण दिणमणि दित्ति दिअर दिअह. दिव्व दिवायर दीवि दीह, दिग्धो दुआइ. . दुक्कय । दुग्ग .
दत्त दिनमणि दीप्ति देवर दिवस देव-दीव्य दिवाकर दीपिन् दीर्घ द्विजाति दुष्कृत दुर्ग दुष्ट दुग्ध दुर्धर दुंदुभि द्वार द्वादशाङ्ग दूर्वा दुःख विधा
दुहित . दूती
#saksift +ek skii gay k sasu ki sikshit
वि०
सूर्य दीपडो लांबु ब्राह्मण पाप किल्ली दोषवालु
वि०
दुध
वि.
दुद्धरदुंदुहि दुवार दुवालसंग दुव्वा दुह, दुक्ख
कठिन दिव्य वाजिंत्र
बारणु बार अङ्ग घासविशेष
पीडा बे प्रकारनी. दीकरी
अ
.
दुहिआ
दूती
Page #291
--------------------------------------------------------------------------
________________
(१८)
दोवयण
दोहल
धअ
धती, धाई, धारी
धंत
धण
धणि
धणवइ
धणु. धणुह
धन्न
धम्म
धयरठ्ठ
धिज
धूआ
धेणु
न
नई
नक्क
नकूखत्त
नकूख, नह
नच्चई
नयण
नयरी
मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
द्विवचन
दोहद
ध्वज
धात्री
ध्वान्त
नरनाह
नरिन्द
नरय
नव
धन
धनिन्
धनपति
धनुष्
धान्य
धर्म
धातैराष्ट्र
धैर्य
दुहितृ.
धेनु
न
नदी
नक्र
नक्षत्र
नख
नर्त्तकी
नड
नणंदा
नंदण
नम्म
नमुक्कार, नमोक्कार नमस्कार
नमो
नट.
ननान्दु
नन्दन
नर्म
नमस्
नयन
नगरी
नरनाथ नरेन्द्र
नरक
नवन्
न०
पुं०
स्त्री०
स्त्री०
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न०
पुं०
न०
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पुं०
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स्त्री०
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पुं०
स्त्री०
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पुं०
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स्त्री०
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पुं०
द्विषचन
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पताका
धाइ माता
अन्धकार
धन
पैसादार
कुबेर
धनुष्
अनाज
धर्म
हंस
धीरता
दिकरी
गाय
निषेध
नदी
मगर
नक्षत्र
नख
नाव करनारी
नाचनार
नणन्द
नन्दन वन
हास्य
नमस्कार
नमस्कार
आंख
नगरी
राजा
राजा
नरक
संख्या
Page #292
--------------------------------------------------------------------------
________________
नाथ
नवनी नह. . नाअ.. नातपुत्त नावि नाका नाम . . नाह निअंबिणी नियम्ब निअय निआण निक्किव निच्च निच्चल. निउण. निउरम्ब निहा निण्णया
.
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स्थिर
॥प्राकृतसंस्थलनाममाला ॥.. wwwww w
w wwwwwwservwwwpan नवनीत
माखण नभम्
ओकाश न्याय
न्याय ज्ञातपुत्र
श्रीमहावीर नापित
हजाम नौ
नाव, नामन्
नाम
स्वामी नितम्बिनी स्त्री०
स्त्री नितम्ब .
साथल नियत, निजक
निश्चय-पोतानुं निदान
कारण निष्कृप
निर्दय नित्य
सदा निश्चल निपुण
चतुर निकुरम्ब
समूह
निद्रा निम्नगा
नदी नृप
राजा नृपति
राजा निर्वाण
मोक्ष निर्भर वि०
भरेलु निलय ललाट न०
कपाल नृशंस
क्रूर स्त्री०
रात निशात वि०
धारवालू निशाचर
राक्षस निःस्व
निर्धन निःश्वास
निशास निधन
मरण न
पुं०
निद्रा
स्त्री०
स्त्री०
निव
.
न
.
न
घर
वि०
निवड . निव्याण निठभर निलय निलाई मिसस निसा निसाय निसाअर निस्स नीसास निहण .. निह
निशा
निभ
Page #293
--------------------------------------------------------------------------
________________
. निहस
• निकष
ने
ज्ञेय
न०
न०
नेह
प्रतिष्ठा प्रतिज्ञा
स्त्री० .
पंच
पंचमी
पंडित
(२०) मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
न०
कसोटी
वि० जाणवा योग्य नेउर नूपुर
झांझर नेवत्थ नेपथ्य
वेष स्नेह पुं०
प्रीति पइट्ठा
स्त्री०
आबरु पइन्ना
प्रतिज्ञा पईव प्रदीप
दीवो पउर
प्रचुर-पौर वि० घणु-नगरवासी. पश्चन् वि०
पाँच पञ्चमी स्त्री० . पञ्चमी पच्चूस, पच्चूह, पत्यूषसू,प्रत्यूह अ.पुं० सवारे, विघ्न पच्छ पथ्य . न.
हितकारी पज्जूण्ण पधम्न . ० .
कामदेव पज्ज, पण प्राज्ञ पंकय पंकज
कमल पञ्चत्थि
प्रत्यर्थिन् पच्चाएस प्रत्यादेश
दृष्टान्त पच्छा पश्चात्
पाल पर्याप्त पंचाणण पञ्चानन
सिंह पडाया पताका
पताका पडिहा प्रतिभा
बुद्धि पडिमा
प्रतिमा स्त्री. प्रतिमा पड़ पटु वि०
चतुर पडिबिम्ब प्रतिबिम्ब न०
छबी पण्डित
पण्डित, पण्णरह
पञ्चदश पण्ह प्रश्न
प्रश्न पणह प्रणयिन्
स्नेहवालु पत्तरह पत्ररथ पुं०
पक्षी . पांदडं
Secogy
वि०
पु०
स्त्री०
बी०
पंडिय,
पंदर
Page #294
--------------------------------------------------------------------------
________________
पत्तिआ
पत्ती
पस्थिव
पत्तेअ
पयंग
पयत्थ
पय
पयर
पया
पर्यावर
पयास
परमत्थ
परमपय
परमिठि
परहूआ
परमप्प
पराअ
परिक्खा
परियत्ति
परिसा
परिहा
परेय
• पलय
पल्लल
पवअ
पवण
पवई
पसव
पस सा
पह
पहर
पहा
पहिअ
॥ प्राकृत संस्कृतनाममाला ॥ .
पत्रिका
पत्नी
पार्थिव
प्रत्येक
पतंग
पदार्थ
पयम्
प्रकर
प्रजा
प्रजापति
प्रकाश
परमार्थ
परमपद
परमेष्ठिन्
परभृता
. परमात्मन्
पराग
परीक्षा
परिवर्तित
परिषत्
परिखा
प्रेत
प्रलय
पल्वल
प्लवग
पवन
पार्वती
प्रसव
प्रशंसा
पथिन्
प्रहर
प्रभा
पथिक
स्त्री०
स्त्री०
पुं०
क्रि० वि०
59.89 15.69 0.9.59
पुं०
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पुं०
स्त्री०
पुं०
न०
न०
पुं० स्त्री०
1.89
ཞ་ ཐ་
स्त्री० वि०
स्त्री०
स्त्री०
न०
पुं०
स्त्री०
न०
영영영광
स्त्री० पुं०
स्त्री०
(२१)
कागल
स्त्री
राजा
प्रत्येकं
सूर्य
वस्तु
दुध
समूह
प्रजा
ब्रह्मा
प्रकाश
साचू
मोक्ष
ब्रह्मा
कोयल
परमात्मा
पुष्पनीधूली परीक्षा
फरींगयेलु
सभा
खाई
पिशाच
नाश
तलाव
वानर
पवन
पार्वती
जन्म थ
प्रशंसा
मार्ग होर कान्ति मुसाफर
Page #295
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२२)
पहाण
पहु
पाउस
पाडल
पाण
पाव
पाहाण
पायव
पायाल
पावय
पासाअ
पाहिज्ज
पास
पिअर
पिआ
पिच्छी,
पिणाइ
पिम्म
मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
पिआमह
पितामह
पिउच्छा, पिउसिआ पितृष्वसृ
पिवण
पितृवन
पिक्क
पक्व
पृथ्वी
पिनाकिन्
प्रेमन्
पिवासा
पिययमा
पिसल्ल, पिसाओ
पीऊस
पुण्ण,
पुण
पुढवी, पुहवी
पुत्त पुत्थय, पोत्थय
पुप्फ
पुरा
प्रधान
प्रभु
प्रावृष्
पाटल
प्राण
पाप
पोषाण
पादप
पाताल
पावक
प्रासाद
पाथेय
पार्श्व
पितृ
पिता
पिपासा
प्रियतमा
पिशाच
पीयूष
पुण्य
पुनः
पृथिवी
पुत्र
पुस्तक
पुष्प
पुरा
न०
पुं०
स्त्री
वि०
पुं०
न०
पुं०
पुं०
1.69 69 1 1 646g.gg
पुं०
पुं०
पुं०
स्त्री
न०
वि०
स्त्री०
पुं०
न०
स्त्री०
स्त्री०
पुं०
딩
न०
अ०
स्त्री०
पुं
न०
न०
अ०
श्रेष्ठ
राजा
वर्षाऋतु
रातो
प्राण
पाप
पत्थर
वृक्ष
पाताल
अग्वि
महेल
भातुं
पडखु
बाप
बाप
दादा
फई
मसाण
पाकेलु
पृथ्वी
शिव
स्नेह
तरच
स्त्री
पिशाच
अमृत
धर्म
फरीथी
पृथ्वी
पुत्र .
पुस्तक
फुल
- पहेलां
Page #296
--------------------------------------------------------------------------
________________
Gegaog.
-
वि०
बर्हिनू
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥
(२३) Poornvigo
oooooooooooooor enemierपुस, पुसाण पुषन्
सूर्य पेम्म प्रमन्
प्रीति पोग्गल पुद्गल
पुद्गल पोस पोष
पोष महीनो फग्गुण फाल्गुन
फागण मास फणि फणिन्
सर्प फलिह . स्फटिक, परिघ पुं०
स्फटिक, परिघ फलिहा परिखा
खाई फरिस स्पर्श
अडकवु परूष .
क्रूर बफ बाष्प
आंसु,गरमी,बाप बरिहि
मोर बहेडय बिभीतक
बहेडा बावण्ण छिपञ्चाशत्
बावन संख्या बाह . बाष्प
आंसु बाहिं बाहिर अ०
बाहर बाहिर बहिर.
बाहर बिइज्जअ द्वितीयक .
बीजू बोरी .. बदरी
बोर बीहि . . बोधि स्त्री० “समकित भइणी . भगिनी स्त्री०
बहेन भंगुर . भंगुर
वि०
नाश थनार भंज्जा . भार्या. स्त्री०
स्त्री भद्दासण भद्रासन न०
भद्रासन भभिर. .भणित
भणनार भणिरा. भणित्री स्त्री०
भणनारी भह, भद्र . भद्र
कल्याण भप्प, भस्स भस्मन् भमुहा भ्र
स्त्री०
भमर भयस्सइ बृहस्पति पुं०
देवोनागुरु भारिया भार्या
स्त्री भविअ, भव्य भव्य वि० भागीरही भागीरथी
गङ्गा
खी०
न०
स्त्री०
सुन्दर
बी०
Page #297
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२४)
मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
खी०
स्त्री०
भिक्खु
मुकुट मौलि
मंसु
भामिणी भामिनी भाया, भायर भ्रातृ भारह
भारत भिउडी भृकुटी
भिक्षु मउड मउली मउह मयूख
श्मश्रु मगह
मगध मग्गसिर मार्गशिरसू मच्च . मर्त्य मज्झिम मध्यम मणय, मणियं, मनाक मसिण, मसूण मसाण श्मशान महु मधु माआ,माअरोमातृ माइ, माउ, मांगह मागध मायण्हिआ मृगतृष्णा मायंद. माकन्द मिअंक मृगाङ्क मिच्चु मृत्यु मिच्छत्त मिथ्यात्व मिच्छादिठि मिथ्यावृष्टि मिलाण म्लान मुक्ख
मुख मुणाल मृणाल मुणि मुनि मुत्ति मुक्ति मुत्ति मुइंग,मिइंग मृदंग
खी भाइ । भारतवर्ष भमर साधु मुगुट . मस्तकं .. किरण दाढी मुंछ, . देश . मागशर महीना मनुष्य मध्यम अल्प चीकणु स्मशान मधु माता
चारण
झांझवा
पुं० पु०
आंबो चन्द्र मरण
मिथ्यात्व
मिथ्यादृष्टि करमायलुं मुरख कमलनो तांतणो. साधु । मुक्ति प्रतिमा मृदङ्ग
पुं० स्त्री० स्त्री
Page #298
--------------------------------------------------------------------------
________________
महुमह
महुअर
महुवार
महु
माउच्छा
माउसिआ
मायंग
माह
मिच्छा
मित्त
मिहुणय
मुट्ठि
मुणिअ
मुक्तावलि
मुहा
मुहल
मूअ
मेहणी
मेरा .
मेह
मेहा
मेहुण
म
मोग्गर
मोत्था
मोर
मोरउल्ला
मोसा
मोसावाय
मोह
रक्ख
रअ
रज्ज
मुनि कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
पुं
पुं०
पुं०
•
मधुमथ
मधुकर
मधुवार
मधु
मातृष्वसृ
मातृष्वसृ
मातंग
माघ
मिथ्या
मित्र
मिथुनक
मुष्टि
ज्ञात
मुक्तावल
मुधा
मुखर
मूक
मेदिनी
मयाँदा
मेघ
मेधा
मैथुन
मुण्ड
मु
मुस्ता
मयूर
मुधा
मृषा
मृषावाद
मोघ
रक्षस
रजस्
राज्य
स्त्री०
स्त्री०
पुं०
अ०
पुं०
न०
स्त्री०
वि०
स्त्री०
अ०
वि०
वि०
स्त्री०
स्त्री०
पुं०
स्त्री०
i.b.b
न०
पुं०
स्त्री०
पुं०
अ०
अ०
वि०
पुं०
Fo
न०
69.
विष्णु
भमरो
दारु
बसन्तऋतु
मासी
मासी
चांडाल, हस्ती
महा मास
खो
सूर्य, मित्र
जोडलं
मुठी
जाणेलु मोतिनीमाला
व्यर्थ, फोगट
वाचाल
मुंगो
पृथ्वी
हद्
वरसाद
बुद्धि
मैथुन
मुण्ड
मुद्गर
मोथ
मोर
व्यर्थ
जुटुं
जूटुं बोलवु
निष्फळ
(२५)
राक्षस
धूली
राज्य
Page #299
--------------------------------------------------------------------------
________________
(२६)
रंभा
गुप्त
खी०
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ noonpornovercomewyoroconwweoneoooooooooooooooरत्ती, राई, रात्री स्त्री. रात रण्ण
अरण्य न० जंगल, रण रमणिज्ज. रमणीय रमणीय वि० सुन्दर
रम्भा स्त्री० केळ रयण
रत्न न० रतन रयणी
रजनी,रत्नि स्त्री०पु० रात्री, हाथ . रसच्चाय
रसत्याग पु० रसत्याग ... रसणा
रसना स्त्री० कंदोरो, जीभ, रस्सि
रश्मि पुं० किरण . . रहस्स
रहस्य न० राइ । राजि
श्रेणी राईव
राजीव न.. कमल राय, रायाण राजन् पुं० राजा रासह
रासभ . पुं० . . गधेडो रिपु, ऋतु पुं० , शत्रु, ऋतु ऋक्ष
न०
नक्षत्र रिच्छ
पु० रित्थ
रिक्थ. न. रिद्धि
ऋद्धि . स्त्री० , ऋद्धि, आबादि रिसि ऋषि :
मुनि, ऋषि. सुक्ख
वृक्ष पुं० झाड़ रूप्पय
रूप्यक न० रु' रुहिर रुधिर
लोही, रुधिर रुप्पिणी
रुक्मिणी स्त्री० कृष्णनी. स्त्री रो
रोग पुं० रोग
रोगवान् वि० रोगवालं रोमंथ
रोमन्थ पुं० वागोळवू रोमाञ्चि
रोमाञ्चित वि० रोमाञ्चवालु रोम रोमन्
रुवांटा रोह
रोधस् लउड
लगुड(कुट) पुं० लाकडी लक्ख
लक्ष्य न० लक्ष्य . लंगूल
लांगूल ना पुंछडं
रिउ रिक्ख
रिंछ
धन
पुं०
रोइल्ल
कांठो
Page #300
--------------------------------------------------------------------------
________________
ਲੜੀ
लज्जअ
लछण
लण्ड
लायण्ण
लाऊ
लास
लिम्ब
लुद्ध
लेहंण
लेहा
लोअग्ग
लोध्धय
लोण
लोय..
लोहसिला
लोह
इकलिअ
कुंठ
वग्गु :
वग्घ.
वंक
वच्च
वच्छ
वच्छाण
वच्छ
वज्ज
वज्झ
मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
स्त्री०
विo
वड़रुक्ख
वड्ढइ
वहि
वत्ता
वत्थि
लक्ष्मी लज्जित
लाञ्छन न०
श्लक्ष्ण
वि०
लावण्य
अलावु
लास्य
निम्ब
लुब्ध लेखन, लेहन न०
रेखा
लुब्धक
लवण
लोचन
न०
स्त्री०
딩
पुं०
स्त्री०
लोकाग्र न०
पुं०
न०
वि०
लोभ, लोह
वैकल्य
वैकुण्ठ
वल्गु
व्याघ्र
वक्र
वर्चस
लोहशिला स्री०
पु०, न०
पु०न०
딩
पु०
वि०
पुं०
वि०
It it by "py if ic it .99 by
न०
न०
वक्षस्
उक्षन्
वत्स, वृक्ष
वज्र
वध्य
वटवृक्ष न० वर्धक
पुं०
न०
वि०
पुं०
वह्नि
पुं०
वार्ता स्त्री० बस्ति स्त्री०
लक्ष्मी
शरमायलु
निशान
लीसु, चीकणु
शरीरनी कान्ति
तुम्बडी
नाटय
लीमडानुं झाड
लालचु
लखवुं,
चाटवु,
रेखा
मोक्ष
शिकारी
मीटुं
आंख
लोढानी शिला
लोभ, लोढुं
वैकल्य
वैकुण्ठ, कृ
सुन्दर
वाघ
वांकु
विष्ठा
छाती
बलद
वाछडो,
(२७)"
332
वन्न
वध्य
वृक्ष
वडनुं झाड
सुतार
अग्नि समाचार
अपान
Page #301
--------------------------------------------------------------------------
________________
मित्र
बळद
पृथ्वी .
वधू
(२८)
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ Twwwwwwwwwwwwwwwwwwwvonwonwroonsonan ewwwwwwwwwwwwwecoवंदारय
वृन्दारक पुं० देव वप्प वप्र
किल्लो वम्मह मन्मथ
कामदेव वयंस
वयस्य वरूहिणी वरूथिनी
सेना वसह
वृषभ पु० बळद वसहि वसति
घर ... वसुहा । वसुधा
वहू, स्त्री, वाउल्ल वातुल
वायुना रोगवालो वाणीर
वानीर पुं० नेतर . वायरण व्याकरण
व्याकरण वाया वाचा स्त्री
वाणी । यायाल
वाचाल ' पुं०. वातुडीओ यायायण वातायन पुं०
गोखलो वारिअ वारित
अटकावेलु घालहि
वालधि बास । वासस
कपडं वास वर्ष
वरसाद . वासारत्त
वर्षा रात्र वाह व्याध
शिकारी वाहित व्याहृत
बोलावेलु वाहि व्याधि
रोग, व्याधि विउस विदुष
विद्वान् विक्खंभ विष्कम्भ
पहोळाइ विग्गह विग्रह
शरीर
विध्न विच्छर्द
लक्ष्मी विक्षिप्त
फे केलं विजयाय
द्विजयाग पु० ब्राह्मणनो यज्ञ विज्जु
स्त्री०
विजळी विठ्ठर
बेठक विडवि
विटपिन् पु० झाड वित्थिपण विस्तीर्ण
विस्तारपामेलु
རྒྱཐཱ – རྒྱུ ཡུ རྒྱཐཱ་ཐཱ ཤ, ཐ “ཐཱ་ཝ རྒྱཐཱ ཡྻ ༥ སཱཐཱ ཙྩ , ཐུ རྒྱུ ཐཱ ཡྻོ ཙྩ བྷུདྡྷཐཱ ཡྻ, ༔ ཐུ ཐུ ཚཐཐཱ༔
पुंछडं
चोमासु
वि०
विघ्न
विग्ध विच्छड्ड विच्छूट
विद्युत् विष्टर
Page #302
--------------------------------------------------------------------------
________________
विण्णाण, विज्जाण,
विणाय
विब्बोअ
विअणा.
विआण
विरिंच
विलया
विवज्जय
विवचिआ
विसढ
विसाह
विसिह
विहावरी
बिहु
विम्हरिअ
बिहु बिम्हरिअ
• वीइ
वीसत्थ
वीसंत
वैककन्त
- वुट्ठि
वृत्तरत
येअ
मुनि कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
-
वेडस, वेडि
वेडुज्ज, वेरुलिय
वेणु, बेलु
समण
वोम
वोलीण
वोसट्ट
स, साण
सह, सया
विज्ञान
विज्ञात
विब्बोक
वेदना
बितान
विरचि
वनिता
विपर्यय पुं०
विपंचिका
स्त्री०
विषम
विशाख
. विशिख विभावरी
विधु
विस्मृत
विधु
विस्मृत
वीचिं
'विश्वस्त
विश्रान्त
व्युत्क्रान्त
वृष्टि
वृत्तान्त
वेद. वेग वेतस
बैदुर्य
वेणु
वैश्रमण
वि०
पुं०
श्वन्
सदा
स्त्री०
न०
पुं०
स्त्री०
वि०
c.jpg.pn
पुं०
पुं०
स्त्री०
ক
वि०
पुं०
वि०
पुं०
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वि०
वि०
वि०
स्त्री० पुं०
*59*9.9.59
न०
व्योमन् अतिकान्त वि०
विकसित
वि०
पुं०
अ०
विज्ञान
जाणेलुं
विलास
पीडा
चन्दरवो
ब्रह्मा
स्त्री
बदलं
वीणा
विषम
गणेश
बाण
रात्री
चन्द्र
भूलेलु
चन्द्र
भूलेलुं
तरङ्ग
(२९)
विश्वासु
थाकेल
उलंघेल
वरसाद
समाचार
वेद, वेग, नेतर
बेडवरत्न
वांसो
कुबेर
आकाश
गएल
विकसेल
कुतरो
हमेशा
Page #303
--------------------------------------------------------------------------
________________
(३०)
अ०
• समूह
न०
सात
अ०
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ moreanewwwno
n vereसई
शची स्त्री० इन्द्राणी सउह
सौध न० मेहेल संपइ
संप्रति अ०
अ० हमणा संपयं सांप्रतम्
हममा संपया संपत्
आबादी सक्कय संस्कृत
संस्कृत . संघयण
संहनन न० शरीर .. संघाय
संघात सज्झस
साध्वस न० भय सज्झाय स्वाध्याय
स्वाध्याय सण्ह सूक्ष्म
सूक्ष्म . सणिअं ..
धीमे सत्थ
सार्थ,शास्त्र पु० न० समूह, शास्त्र . संति
शान्ति . स्त्री०. शान्ति सत्व
पु० , प्राणी सत्त
सप्तन सत्तरह
सप्तदश सत्तु
शत्रु सत्तुजय . शत्रुञ्जय. पु. पर्वत
शब्द. सम्मबिट्टि सम्यग्दृष्टि पुं० सम्यग्दृष्टि सयंभू स्वयम्भू
शिव सयहुतं
शतकृत्वः अ० सीवार सर स्मर
कामदेव सरअ शरदू
शरदऋतु सरस्सई
सरस्वती स्त्री० सरस्वती सरिच्छ
सदृक्ष सरिसव सर्षप
सरसव सलाहा
श्लाघा स्त्री० प्रीति सव्व
समग्र सवह
शपथ पुं० मोगन सम्वत्थ
सर्वत्र __ अ० समग्रठेकाणे. सव्वरी
शर्वरी स्त्री० रात्रि
सात
सत्तर शत्रु
विo
सर
सर्व
वि०
Page #304
--------------------------------------------------------------------------
________________
(३१)
wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww सधज्ज
सर्वजाणनार ..
पु.
. सह
सह
... मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
सर्वज्ञ पुं० सवण्णु ससहर
शशधर ससा .. स्वस् स्त्री
अ० सहा
सभी स्त्री० सही
सखी .. स्त्री० साउ
स्वादु वि० साण
श्वान . पुं० साम
श्याम वि० सामाइअ .
सामायिक न० सामिद्धि, समिद्धि · समृद्धि . स्त्री० सायय
सायक पुं० सायं
सायम्
अ० सारंगी
सारङ्गी सारह
सारघ. सारहि
सारथिन् । सारिच्छ
सादृक्ष्य सारिआ
शारिका सालिरक्खिआ शालिरक्षिका स्त्री० सादर
शालूर साल
शाल साव
पुं० साव
श्रोवक सावगधम्म
श्रावकधर्म
श्वास सासण
शासन न० सासय
शाश्वत वि० सास
शस्य
न० सासू
স্বপ্ন
स्त्री० साहरिअ
संहृत वि० साहा
शाखा स्त्री० साहामय
शाखामृग पुं०
E; Ekta it :
न.
चन्द्र बहेन साथे सभा सखी.. मिष्ट . कुतरो काळु .. सामायिक विभव बाण सांज हरिणी मध रथ हांकनार सरखाइ मेना. चोखानी रखवाल डेडको कील्लो शाप श्रावक श्रावकधर्म श्वास आज्ञा कायमनु घास सासू संहरेल डाळी वानर
स्मो
पं०
सास
नि ! :
Page #305
--------------------------------------------------------------------------
________________
(३२)
wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
न०
. साहिब साहिज्ज साहि साहीण साहु सिआवाअ सिंघासण सिक्खा सिग्धं सिह सिप्पि सिमिण, सिविण, सिरी सिरिफल सिरिमंत सिलिम सिलोग सिहरि सिहि
शिल्पिन
श्री
श्रीमन्
वि० , लक्ष्मा
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥
कथित वि० कहेलं साहाय्य न० मदद शाखिन्
वृक्ष स्वाधीन वि० स्वतन्त्र साधु
साधु स्यावाद
स्याद्वाद सिंहासन
सिंहासन.. शिक्षा स्त्री शिक्षा शीघ्रम् अ. उतावल ... स्नेह
प्रोति .
पुं० कारीगर स्वप्न
स्वप्नु
स्त्री० लक्ष्मी श्रीफल ' न० नालियेर, बिलु
. लक्ष्मीवान् श्लेष्म श्लोक
श्लोक शिखरिन् शिखिन् ।
मोर , अग्नि शिष्य
शिष्य श्रुतदेवी स्त्री श्रुतदेवी सुकन
सारा कर्मघालो स्नुषा स्त्री० स्वप्न
पु० . स्वप्न
बारीक सोच्छास पुं० उश्वास सुधा
स्त्री० अमृत शय्या स्त्री० पथारी सैन्य
न. सैन्य श्वेताम्बर
पुं०
श्वेताम्बर
कल्याण शोभा स्त्री० शोभा सुकुमार वि० नरम
श्लेष्म
पर्वत
सीस
..
वि.
सुअदेवी सुकम्म सुण्हा सुमिण सुहुम सूसास
पुत्रवधू
की कमी की & akti
सज्जा
सेन्न
सेअम्बर सेय
श्रेयस
सोहा
सोमाल
Page #306
--------------------------------------------------------------------------
________________
मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww हणुमंत . हनूमत् । पुं० हनूमान्
हस्त
पुं० हाथ हस्तिन्
पु० हाथी
हरीतको स्त्री० हरडे हरिआल . हरिताल पु. हडताल हरियंदण हरिचन्दन
हरिचन्दन हलही,हलहा । हरिद्रा
हलदर हलिही,हलिहाज हिरी
ही
स्त्री० लज्जा हिज्जो
छस्
अ०
गइकाल हिमअर
हिमकर हिअय,हिअ, हृदय
हृदय हुआसण 'हुताशन .. हुअवह,
अग्नि अधः
निचे हेमन् न० . सोनु .. हेरम्ब पुं० गणेश ॥ इति शब्दकोशः ॥
Featink to thik ki
चन्द्र
अग्नि
Page #307
--------------------------------------------------------------------------
________________
(३४)
000000000
Pronowinnen
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ ॥ श्री वीतरागाय नमः ॥
॥ ॥ संस्कृतादेशप्राकृतधातुकोशः ॥
संस्कृत धातषः प्राकृत धातवः
अर्थः .. SUT जाण, मुण,
जाणवू उद-हमा उघुमा
अतिशय धमधमवं श्रद्-धा
श्रद्धा करवी . पा (पिब्) पिज्ज,डल्ल,पट्ट,घोट्ट,पिअ. पीवु... नि-द्रा
ओहीर, ओङ्घ, निहा निद्रा करवी आ-घ्रा
आइग्घ, अग्धा सुंघर्बु स्ना,
अब्भुत, पहा .. स्नान करवु
ठा, थक्क, चिट्ठ, निरप्प,, · उभारहेQ उदू-स्था उक्कुक्कुर, उह उठवू म्ला
वा, पथ्याय मिला, म्लानीपामधु,करमायु निर-मा निम्माण, निम्मथ निर्माणकरबु,
बनावबु णिज्मर, झे,
नाश पामवु किण
खरीद करवू भा, बिह
भय पामवु. नि-ली, णिलीअ,णिलुक्क,णिरिग्घ, लीनथवु, एकतानथवु
लुक्क, लिक्क, लिहक्क । एकाग्रथवु,एकरूपथषु वि-ली विरा, विले
विलयपाम,
लइजवु, दोरवं, रुञ्ज. रुण्ट, रव
शब्दकरवो हण, सुण,
सांभळवू धुव, धुण,
धुजाववु-हलाव हो, हुव. हव, भव, होवू, थb, कुण. कर.
करवु झर, झूर, भर. भल, लढ, स्मरणकरवू,संभाळवू विम्हर.सुमर,पयर,पम्हुह,सर
AAAC644
Page #308
--------------------------------------------------------------------------
________________
वि-स्मृ
प्र-सृ
निम्-सृ
जागृ
सं-वृ
वि-आ-पृ
आ-दृ प्र-ह
སྶ ཝ ཝཝཀྑཱུ
फक्कू
लग
मगू
रियू
श्लाघ
ख
पच
मुचू
मुच.
वञ्च
मुनि - कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
पम्हुस, विम्हर, विसर
सिच
प्रच्छ्र
लग्ग,
मग्ग,
रिंग,
सलह
वेअड, खच,
सोल्ल, पउल्ल छड्डू, अवहेड, मेल्ल उस्क्कि, रेअव, णिल्लु
पयल्ल, उवेल्ल, पसर णीहर, नील. धाड, वरहाड
जग्ग, जागर
साहर, साहड आअड्ड-वावर
व्यापारकर वो
आदरकरवी
सन्नाम, आदर सार, प्रहर ओह, ओरल,
पहारकरवी
नीचे उतर
झा
ध्यान करवुं
गा
गाव
चय, तर, तीर,पार, लक्क शक्तिमान् होवु.
थक्क
अनाचरण करवु धीमु जं
ज प्रवेशकrat
खाणं जन्मलेवो, पवित्रकर.
'पकाव
मुकवुं, छोडवु
ञ्छ, घंसाड मुअ. णिव्वल
वेहव, वेलव, जूरव,
'उमच्छ,
वंच.
उग्गह, अवह विडविड, रच
रच्
सम्-आ-रच उवहत्थ, सारव, समार
केलाय, समारय सिश्च, सिम्प, सेअ
पुच्छ
(३५)
4..
विस्मरणथं भूलीजवु
पसारथवुं. चालवु
नीकलवु
जोगवुं
एकटुं करवु
दलगीरी बताaat,
ठगवुं
रचवु, बनाववु सारीरीते गोठव
सेक करवो, सीञ्च . प्रश्न करवा पुछवुं
Page #309
--------------------------------------------------------------------------
________________
(३६)
1 Â Â
ज्
ज्
बुक्क
ढिक्क
अग्घ, छज्ज, सह,रीर
रेह, राय.
आउड्डु, णिउड्डु, बुड्ड, खुप मन्न थवुं
मज्ज.
पुञ्ज (नामधातु) ओराल, वमाल, पुञ्ज
जीह, लज्ज ओसुक्क, तेअ
राज्
मस्जू
लस्ज्
तिज्
मृज
भक्षू
व्रज्ञ
उद् - विज्ञ सृज्
अनुव्रज्ञ
अर्ज
युज्
भुज्
सिर
वि-उत्-सृज् वोसिर
उप-भुज्
घटू
॥ प्राकृत संस्कृतनाममाला ||
सम्-घट् स्फुट्
वेष्ट्
सम्-वेष्ट् उद्वेष्ट्
sour
उग्घुस, लुञ्छ, पुंछ, पुस, फुस, पुस, लुह, हुल, रो
साण, मज्ज,
वेमय, मुसुभूर, मूर, सूर, सूड,
विर, वरञ्ज, करञ्ज, नीरञ्ज, भञ्ज भांगवु, फोडवुं.
वच्च
जवुं
अणुवच्च, परिअग्ग
विढव, अंज,
जुञ्ज, जुज्ज, जुप्प
भुञ्ज, जिम, जेम, कमाण्ह
समाण, चमढ, चड्ड
कम्मव, उबहुअ गढ, घड,
संगल, संघड
मुर, फुट्ट, फुड
गर्जना करवी
बळदनु गोज
शोभवु
वेढ संवेल्ल,
उodeल, उode
·
ढगलो करवी लज्जापामवी
सहन करवु धो, स्वच्छ करं निर्मल करवु,
उद्वेगपामधी
त्यागकरat
त्याग करवो
'अनुसरवुं
कम
जोडवु
खावु, भोगवु.
उपभोगको चेष्टाकरवी चालवु एकठुकरवु, बोलवु
संघट्टो करवो
खिल, प्रफुल्लितथ
कांप, फोड -
विंटवु
ag
घेरं
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________________
अटू.
लुट्
तुझ्
नट्
मण्ड्
तुड्
घूर्ण
कथ क्वथू
ग्रन्थ
मन्थ्
ह्लादू
निस्-संदू
छिद्र -
भिद्
खाद्
सद्
मदू आ-छिद्
मृदू
रूपन्दू निर्-पद्
मुनि - कस्तूर विजय विनिर्मिता ॥
अट्ट
लोट्ट
तुट्ट
नट्ट
.चिश्च, चिश्चअ, चिञ्चिल, रोड, fefafses, मण्ड
ल्लूर, तुड,
घुल, घोल, घुम्म, पहल्ल, बज्जर, पज्जर, उप्पाल,
पिसुण, संघ, बोल्ल, चव, जम्प, सीस, साह, कह,
णिव्वर
तोड, तुट्ट, खुट्ट, खुड, उक्खु ड, उल्लुक्क, णिलुक्क, लुक्क, उ
अट्ट, कढ
गण्ठ
घुसल, बिरोल, मन्थ,
अवअच्छ
छिन्द
भिन्द
खा
सड
णिमज्ज, णुमञ्ज दुहाव, णिच्छल, णिज्झो ड, णिव्वर, जिल्लूर, लूर,
भटकवुं, अटनकरवु आळोटवुं
तोडवुं, तोफानकर कुं बोलवु
नाचवु, भूषित करवु,
चुलुचुल, फन्द णिव्वल, णिप्पन
• तोडवु
चक्रआकारे घुमवुं कहेवुं बोलकं
दीलगीरी बताववी
3
पकावु, उकालवु
गुथ, गांठवjaat मंथन करवु
अस्पष्टबोलवु खुशथवु
(३७)
बेसवु
छेदवु, फाडवु, चीस्बु,
भेदयुं, फाडयुं,
खावुं
सडवुं
मादकरवो
.. मच्च
ओअन्द उद्दाल, अच्छिन्द छेदवुं
मल, मढ, परिहट्ट, खड्डू, चट्ट पसवु, चूर्णकर
मडु, पन्नाड
फरक, कम्प froyer कर
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________________
(३८)
वि-सं-बद्
शद
आ-कन्द
खिद्
रिषद्
सिज्ज
संपद्
रुध् . नि-सिध युध
॥ प्राकृतसंस्कृतनाममाला ॥ विअट्ट,विलोट्ट,फंस, विरुद्धबोलवू विसंवय झड, पक्खीड नाश पामवं णीहर, अक्कन्द आक्रन्द करवो,
विलाप करतो जूर, घिसूर, खिज्ज खेदपामघो ...
परसेवो थयो .. रुव, रोव,
रोवू संपज्ज
उत्पन्न थर्बु .. उत्थंध,रुन्ध,रुम्भ,रुज्झ रोधवु,रोक हक्क, निसेह, निषेध करवो. जुज्झ
युद्ध करवु . बुज्झ
बोधपामवो, जाणवू गिज्झ
लोभकरवो वड्ढ
वृधिपामवी
सिद्ध थq जूर, कुज्झ
क्रोधकरवो जा, जम्म,
उत्पन्न थq तड, तह, तहव, विरल्लं, विस्तार करवू, तण
पाथरवू हम्म
हणवू, मारवं हम्म,णिहम्म,मोहम्म, आ. जq .. हम्म, पहम्म, थिप्प,
तृप्त थq . अल्लिअ, उवसप्प चालवु खस, ओअग्ग, वाव, व्यापकथएँ झंख,संतप्प
दुःखीथवु, ओअग्ग, वाय,
व्यापकथवु, समाण, समाव
समाप्त करवू . गल्लत्थ,अड्डक्ख,सोल्ल, फेकवू पेल्ल,णोल्ल,णुल्ल,छुह, हुल.परी.धत्त,खिव.
सिज्झ,
理型向型肌研 环
प
उप-सृप वि-आप .
सं-त
वि-आप् सम्-आप्
क्षिपू
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________________
स्व
लिए
.. मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ आक्षिप् णीरव, अक्खिव, णारच, आक्खव,
आक्षेप कर उत्-क्षिप् गुलगुञ्छ,उत्थंघ,अल्लत्थ, उंचु फेकQ
उठभुत्त,उस्सिक्क,हक्खुव, उक्खिव
कमवस,लिस,लोट्ट,सुअ, सू वु वेप्
आयम्ब, आयज्झ, वेव ध्रुजवं, कम्प वि-लए झंख, वडवड,विलव . विलाप करवो
ठपको आपयो,बोलवू लिम्प
लिम्प गुप् . विर,णड,गुप्प
व्याकुल थर्बु कुप कुप्प
कोप करवो कृप् (नामधातु) अवहाव
कृपा करवी प्र-दीप तेअव,सन्दुम,सन्धुक,अब्भुत्त, देदीप्यमानथवू
पलीव, संभाव, लुम्भ,
लोभकरचो, क्षु
खतर, पड्डुह, खुब्भ क्षोभपामयो, आ-रभ् रभ्भ, ढव,
आरम्भकर, उप-आ-लम्भ झंख,पच्चार,वेलब,उवालम्भ ठपको आपयो जृम्भ जभ्भा
विकस्वरथवु,बगासु.
खावु, नमवू वि-ज़म्भ विअम्म
विज़ंभथएँ, विकस्वरथq नम् णिंसुढ, नव,
भारेकरीने नीचा नमवू, नम् नष
नमस्कारकरवो, वि-श्रम् . णिव्वा, विसम, विश्रामकरवो, आक्रम् .. ओहाव, उत्थार, छुन्द, आक्रमणकर, अक्कम्म,
उंचेआवq, टिरिटिल्ल,ढुण्दुल्ल,ढण्ढल्ल, भमवं चक्कम्म,भम्मड,भमड,भमाड, तलअण्ट,झण्ट,झम्प,भुम,गुम, फुम,फुस,ढुम,ढुस,परी,पर, भम, अई,अइच्छ,अणुवज्ज,अवज्जस, जर्बु,गमनकरवू, उक्कुस,अक्कुस,पच्चड्ड,पच्छ
भ्रम्
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________________
(४०)
आ-गम्
सं-गम्
अभि-आ-गम्
प्रति-अ -आ-गम्
यम्
शम्
रम्
पूर
त्वर
क्षर
उत्-छलू
वि-गल्
प्र-मील
बल
'कल
चलू
दलू
वळू
धव्
सिव्
अंशू
अव-काश्
|| प्राकृत संस्कृतनाममाला ॥
न्द, णिम्मह, णी णीण, णीलुक्क पदअ रम्भ, परिअल्ल, बोल, परिवण णिरिणास, णिवह, अवसेह, अवहर, गच्छ, अहिपुच्चुअ, आगच्छ
अब्भिड, संगच्छ,
उम्मत्थ, अब्भागच्छ, पलोट्ट, पच्चागच्छ
यच्छ
पडिसा, परिसाम, सम
संखुड्ड, खेड्ड, उब्भाव, किलिकिञ्च, कोदुम्म,
तुषर, जअड, तूर, तुर,
खिर,झर, पज्झर पचड,
णिच्चल, णिहुअ,
उत्थल्ल
थिप्प, णि ुह, विगल
पमिल्ल, पमील
मोट्टाय, णीसर, वेल्ल, रम,
अग्घाड, उग्घष,उदूधुम, अगुम, आहिरेम, पूर
बल
कल
चल्ल, चल
विट्ट, दल,
आषयुं, संगम थवो
सन्मुखआववुं
पाछु आव रोक, निवृत्तकर
वम्फ, वल
धा
सिव्व
फिड, फिट्ट, फुड, फुट्ट, चुक्क,
भुल्ल, भैंस,
ओवास, अववास
शान्तथ रम, क्रीडांकरवी
उछलकुं
ज्ञ, खावुं, पीगली जवुं
करमाइ जj, निन्द्रालेवी
खावुं, जीववं
जाणवु संख्यागणषी
तृप्तकरवुं, पूर्णकर,
त्वराकरवी
झर, टपकवुं,
चालवु
चीरवु, ककडा करवा
दलवु
ढing,
दोडवु
raj
नाशपामवु, पतीत
थ, भ्रष्टथ, मार्ग आपयो
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________________
สร
संदिश्
वृश्
स्पृश
प्र. विश
प्र-मृश
इष्
प्र-मुष
पिषू -
भष्
कृष
कृष
गवेष्
श्लिष्
ब्रक्ष
काङ्क्ष
प्रति-भ्रू तक्ष
॥ मुनि कस्तूर विजयविनिर्मिता ॥
णिरिणास, णिवह, अब सेह, पडिसा, सेह अवहर, नस्स, अप्पाह, संदिल,
निअच्छ, पेच्छ, अषयच्छ, अध
पम्हुस,
विह, णिरिणास, णिरिणञ्ज, रौंच, चड्डु, पीस,
ज्झ वज्ज, सoad, देक्ख, ओअक्ख, अब अक्ख, अवक्ख, पुलोअ, पुलअ निअ, अवआस, पास,
फास, फंस, फरिल, छिव, हिह, आलुंख, आलिह रिअ, पविस
पम्हुस .
इच्छ
नाशपाम
वुक्क, भस,
कडूढ, साअडूढ, अञ्च. अणच्छ,
अयञ्छ, आइञ्छ, करिस
अक्खोड,
दुदुल्ल, ढण्ढोल, गमेस, धत्त
वे
सामग्ग, अवयास, परिअन्त,
सिलेस,
चोपड, मक्ख,
संदेशो कहेषो
देखयुं,
(४१)
आह, अहिलङ्घ, अहिलङ्ख, वच्च, वम्फ, मह, सिह, विलुम्प, कदुःख,
सामय, विहीर, विरमाल, पडिक्ख तच्छ, चच्छ, रम्प, रम्फ, तक्ख
स्पर्श करो,
प्रवेश करवो विचार करवो
भसकुं, निदयुं, भोंकबुं - खेचवुं, आकर्षण
करयुं
तरवार खेचवी गवेषणा करवी
इच्छवु
चोरी करवी, पीसवुं, चूर्ण कर बुं दलवु,
आलिङ्गन करवु भेटवु,
चोपड्वु, मिश्रितक रवुं, अशुद्धबोलवु पकठुकर बुं इच्छा करवी.
राह जोवी
छोलवु, तरछोडबुं धीकारj.
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________________
(४२)
वि-कस्
हस्
स्रंस्
त्रस्
नि-अस् परि-अस्
आम्
निस् श्वस्
उत्-लस्
भासू
प्रस्
अव-गाह
आ-रूह
मुहू
दह्
ग्रह
चि जि
া কথ ঐ ঐ
to be too
पू
॥ संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥
कोआस, वो सट्ट. विअस,
गुञ्ज, हस
ल्हस, डिम्भ, संस,
डर, बोज्ज, वज्ज, तस
णिम, णुम
पोट्ट, पल्लट्ट, पल्हत्थ
अच्छ
बेसवु
झंख, निस्स
निःश्वास लेवो.
ऊसल, ऊसुम्भ, पिल्ल् स पुलआअ, उल्लास पामषो,
गुञ्जोल्ड, गुजुल्ल, आरोअ, उल्लस,
भिस्, भास्
घिस,
गस,
ओवाह अवगाह, ओगाह,
चड, वलग्ग, आरुह
गुम्मड, मुज्झ, गुम्म
अहिऊल, आलुङ्ख, डह वल, गेह, हर, पङ्ग, निरुत्रार, अहिपच्चुअ
॥ प्राकृतकर्मणिधातवः ॥
चिव्व, चिण, चिम, जिव्व, जिण, सुब्ब, सुण
हुव्व, हुण, थुव्व, थुण
विकास पामवु
ह
नाश पामवु
त्रास पावुं
लुव्व, लुण,
पुत्र, पुण धुठव, धुण,
स्थापन करवु
फेव. बु.
चमक, भावु
खावु लेवु, घेर अवगाहना करवी . आरोहण कर.
चढवु
मुझ
बल दाझवु
ग्रहण करवु,
एक करवु . 'जीत'
सुण सांभळवु होम करवो स्तुति करवी
वखाण
काप, छेद
पावन करवु
धूजवु, हलाव
धुज्जावं
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--------------------------------------------------------------------------
________________
moonam
खन्
लिह
बन्धु
॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
(४३) हन् हम्म, हण,
मारवु,नाशकरवू खम्म, खण
खोद, दुइ दुब्भ, दुह
दोहवं, पूर्णकरवू लिभ, लिह,
चाटवू वह वुष्भ, वह,
वहन करवु; लइ जवू मब्भ, रुन्ध,
रोकवू दा
दहनकरवु,बालवु बज्झ, बन्ध,
बांधq गम् गम्म, गम,
गमन करवू,जवू हस्स, हस,
हस, भण भण्ण, भण,
भणवू छुप्प, छुप,
छुपावQ रुव्व, रुव
रोवू लब्भ, लह,
लाभ थवो, कथ कत्थ, कह
कथनकरवुकहेवू भुज् भुज्ज, भुञ्ज,
भोगवq हीर, हर, ..
हरण करवु, लइ जQ कीर, कर,
करवू . तीर, तर;
तर . जीर, जर
जीणं थq, घरडा थQ विठप्प, विठव, अज्ज . कमाव,
णव्य, णज्ज; णा, जाणवू आ-र
आढप्प, आढव, आरम्भकरवो शरु करवु स्निह ...
स्नेह करवो सिच् . ..
सिप्प, सेक करवो, सिञ्चन करवू ग्रह घेप्प, गिण्ह,
ग्रहण कर, स्पृश छिप्प, छिव.
स्पर्श करवो. ॥प्रेरकधातवः॥ णुम, नूम, सन्नूम, ढक्क, ढाक, ओम्वाल. पव्वाल, छाय निहोड, निवार. अटकावळू
to tou lewe tour
अर्जः ..
झा,
सिप्प,
Page #317
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________________
(४४)
vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
धवल
विरिन्
त
मिश्र
उद्-धूल,
भ्रम्
नशू
दृश उद्घटू
स्पृह
संभाव उत्-नम्
॥ संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥ निहोड, पाड.
पाडवु दूम,
दुःखी करQ दुम. धवल, (नामधातु ) धौळवू
ओहाम, तोलइ तोळवु ओलुण्ड, उल्लुण्ड, पल्हत्थ विरेअ, रेच लेवो ___ आहोड, विहोड, ताड ताडन करवू वीसाल, मेलब, मिस्स मिश्रण करवू गुण्ठ, उदधुल,
- खरडावू तालिअण्ट, तमाड
भम, विउड,नासव,हारव,विप्पगाल, नाश पामधुं पलाव, नास, दाव, दंस, दक्खव, दरिस, देखपुं. उग्ग, उग्घाड, .
उघाडवू . सिह
चाहQ आसंघ, संभाव, . संभावना करवी उत्थंघ, उल्लाल, गुलगुञ्छ, . उन्नाव, उप्पेल,
उचा नमवु घोक्क, आवुक्क, विण्णव, विनन्तिकरवी अल्लिष, चच्चुप्प, पणाम, अप्प, अर्पण कर जय, जाव, .
समर्थ थर्बु ओम्बाल, पव्वाल, पाव, कूदq पक्खोड, विकोस,
बीडाइ जदूं ओग्गाल, वग्गोल, रोमन्थ, (नामधातु) वागोळवं णिहुव, काम,
इच्छवु णुव्व, पयास,
प्रकाश विच्छोल, कम्प,
कांपवू वल, आरोह,
चढवू रंखोल, दोल.
हींचवु, फेकवु राव, रञ्ज, परिवाड, घड चालवु, पकटुं करवु बोलवु परिआल, वेढ,
वीटवु ॥ इति संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥
विज्ञपू
याप्
विकोश रोमन्थू कम् प्रकाश कम्प आ रु दुल्
रंगवु
घट् वेष्ट्
Page #318
--------------------------------------------------------------------------
________________
-
Ameaniwwwwwom
- ॥ मुनि-कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ . ॥प्राकृतधातूनामनुक्रमणिका ॥
लिप
दृश
रच
कृष
प्राकृत. संस्कृत अइच्छ गम् अई गम् अक्कुस अक्ख दृश अक्खोड कृष अग्घ राज अंगुम अग्घाड पूर अग्घव अच्छ. आस अञ्च कृष अट्ट क्वा अट्ट अट् अडक्ख क्षिप् अणच्छकृष् अग्रह भुजू अणुवज्ज गम् अत्थि. अस् अप्पाह सं-दिश अभिड सं-गम् अब्भुत प्र-दीप् अब्भुत स्ना अयंच्छ कृष् अवअच्छ अधआस दृश अवअक्ख , अधक्ख ,
प्राकृत. संस्कृत अवज्जस गम् अवयच्छ अवयास अवयज्झ अणुवज्ज
गम् अवह अवहर गम् अवहर नश अवहाव अवहेड . मुच अवसेह गम् अवसेह नश आवुक्क वि-ज्ञप् अल्लिव अपि अल्लिअ उप-वृष् अल्लत्थ उत्-क्षिप अल्ली आङ्-लीङ् अहिऊल दह अहिपच्चुअ आङ्-गम् अहिपच्चुअ ग्रह अहिरेम पूर अहिलंघ कांक्ष अहिलंक्ख , अंगुम पूर आअड व्याआइग्घ आङ्घ्रा आइच्छ कृष्
हाद्
Page #319
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥
- wuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuuu
-
प्राकृत० संस्कृत प्राकृतसूत्राङ्कः प्राकृत. संस्कृत आउड्ड मज्ज्
उब्भाव रम् आचस्क आङ्-चक्ष
उब्भुत्थ उक्षिप् आढप्प , रम्
उम्मत्थ अभ्याङ् गम् आयज्झ वेपू
उमंछ वञ्च आयम्व ,
उंघ नि-द्रा आरोअ उद्-लसू
उल्लाल उद्--नम् आरोल पुञ्ज
उल्लुक तुड्. आलिह स्पृश
उल्लुण्ड वि-रिच आलुख ,
उल्लूर तुङ् आलुख दहू
उवहत्थ समा-रच आवुक्क वि-ज्ञप्.
उग्विव उद्-विज् आह कांक्ष
उव्वेढ , वेष्ट आहोड तड्
उज्वैल्ल ,,. ., आसंघ सं भावि
उज्वेल्ल प्र-स..
उस्सिक उद्-क्षिप् उक्कुस गम्
उस्सिक्क मुच उक्खुड तु
उसुम्भ उद्-लस् उग्ग उद्-घटू
ऊसल ,, ,, उग्गह . रच
ओअक्ख दृश् उग्घुस मृ
ओअग्ग वि--आए उणिक मुच
ओअन्द आङ्-छिद्र उत्थंघ उद्-नम्
ओग्गाल रोमन्थ उत्थंघ , क्षिप्
ओम्वाल छद् उत्थंघ रुध्
ओम्वाल प्लावि उत्थार आङ्-क्रम्
ओरस अव-तृ उत्थल्ल उत्-शल्
ओरुम्मा उद्-वा उद्दाल आङ्-छिद्
ओलुण्ड वि-रिच उधुमा पूर्
ओह अव-तृ उप्षाल कथू
ओहाम तुल् उप्पेल उद्-नम्
ओहाम आङ-क्रम ..
Page #320
--------------------------------------------------------------------------
________________
पच्च्याच्वन्ट
प्राकृत
क्षिपू
गम्
गृधू
॥ मुनि कस्तूरविजयधिनिर्मिता ॥ प्राकृत. संस्कृतः
संस्कृत ओहोर नि- द्रा ओसुक्क तिज्
खुप्प
मज्ज् कवि- कृ
खेड्ड
रम् कइट कृष्
गच्छ
गम् कढ . क्वथू
गच्छ कत्थ कथ गढ
घट कमवस
गण्ड
ग्रन्थ् कम्म . कृ
गम्म
गम् कम्म भुजू
गमेस गवेष कम्मष उप-,
गल सं-घद करा. भञ्ज
गलत्थ का कृ
गश्च किण..
गा . किलिकिश्च
गिज्झ कीर कृ
• गुञ्ज
हम् . कुक्कर उद्- ष्ठा
गुजोल्ल उत्- लम् कुज्झ. . कुध्
गुण्ठ उद्- धूल कुण. कृ
गुम
अम् कुप्प . कुप्
गुम्म
मुह । कोआस. वि-कम्
गुम्मड . कोक व्या-ह
गुंछु उत्- क्षिप् कोटुम. . रम् केलाय. समा- रच
गुल
भ्रम् खउर. . शुभ
गुलगुञ्छ क्षिप् : खड्डू . मृद्
गुलुगुञ्छ उद्- नम् खम्म खंज
गृह खा सं- स्त्या
गेण्ह खाद्
घत्त खिज्ज खिद्
घत्त गवेष खिर
ग्रस् खुट्ट
गुलल
ग्रह
खा.
क्षिप
तुइ.
घुम्म
Page #321
--------------------------------------------------------------------------
________________
(४८) प्राकृत
॥ संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥ संस्कृत प्राकृत
vvvvvvvvvvvvvvvvv
vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
संस्कृत
घूर्ण
छिद्
छिन्द छिप्प
मन्थ्
स्पृह
घुसल घोट्ट घोल
छिव
छिह
घेप घेत्
चकम्म चचुप्प चच्छ चड . आक-रुह
जागृ
युज
चड्ढ चमढ
__ आङ्- क्रम् . छुप्प छुह
क्षिप छेच्छ जअड स्वर जग्ग जच्छ
यम् . जप्प जम्प . कथ जम्मा , अव- जम्म जम्म . जन जव
यापि
जन् जाण , जिण
जि जिम
चय
शक
चल्ल
444 4 4 2 3 44 - 3 4 बE 4 5 बाय 44 4 4 4Fa
चल
ज्ञा
मण्ड्
चिम्म चिच चिञ्चिल चिश्च चिट्ठ . चिण चिम्म चिव
जिम्म
लज्ज्
चिष्ठ
स्था
जिव्ध जीर जीह जुज्ज जुझ जुञ्ज जुप्प जूर
युज युध्
युज
स्पन्दू
चुक्क चुलचुल चोप्पड छज्ज
ब्रक्ष
खिद्
राजू
मुच्
बञ्च
Page #322
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ मुनि कस्तूरविजयधिनिर्मिता ॥
.
(४९)
...
पाय
प्राकृत
जेम
भु शद भ्रम् ।
झम्प झर झर झंख
कथ
छिद
वि- लपू उपा-लम्भू . निः- श्वस .
भ्रम् ध्या
झंट
छिद्
झुण :
प्राकृत
संस्कृत ड
गुप णब्ध
মা णिआर णिउडू
मज्ज णिरुचल
क्षर . णिउचर णिछल्ल णिज्झर . क्षि णिज्झोड णिटुअ. णिठुह वि-गल णिठुह कृ णिम नि-अस् णिम्मह णिरणास
नश णिरिणज्ज .णिरिग्य
नि-लीङ् णिरिणास पिष् णिरिणास गम् जिल्लस उत्-लम् णिलीय नि-- ली णिलुक्क णिलुक्क जिल्लुंछ जिल्लूर णिवह
टिरिटिल्ल भ्रम् टिविडिक्क मण्ड ठ उत्-स्था ठा : स्था
गम्
पिष्
डल्ल डिम्म
पिब श्रम
ढण्ढोल ढण्डल्ल
गवेष भ्रम्
-
ढंस . वि-धृत ढिक्क गर्न । ढंदुल्ल गवेष दुण्दुल्ल . भम् तुम ... "
णिवह
णिवह णिव्वल णिव्वड णिव्वर
PARAN
Page #323
--------------------------------------------------------------------------
________________
(५०)
॥ संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥
- vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
v
-
- vvvvvvvvvarsvir
संस्कृत
प्राकृत. तुट्ट । तुट्ट
तुट्
तुवर तूर तेअव तोड थक्क थक्क थिप्प
प्रदीप
तुई
.
फक्क
थि
कृ
थिप्प
प्राकृत. संस्कृत णिव्वा
वि-श्रम् णिग्योल णिहुव कम् णिहोड निर्-वृ पत् णिसुद _ नम् णी . गम् णीण णीरवः आङ-क्षिप जीरव बुभुक्ष णीलुक्क गम् णीलुछ णीहर आङ्-क्रन्द णीदर क्षिप् णीहर निर- स णीसर । रम्
नि- अस् गुम णुव्व प्र- कास् णोल्ल आर-क्रन्द णोल्ल तच्छ तड तड तडव तमाड तलअण्ट तर
शक् तालिअण्ट भ्रम् तीर तीर तीर
थुण थुव्व दक्खव । दाव दज्झ
दस ,
दीस
जुगुप्त
दुगुच्छ दुगुछु
धवल
दुम दुहाव
छिद्
दूम देक्ख
दृश . धंसाड मुन् धा __.. धान् धाड गिर-स
Page #324
--------------------------------------------------------------------------
________________
धून
नट्ट
नासव
स्मृ.
पंग
॥ मुनि कस्तूरविजयधिनिर्मिता ॥ प्राकृत संस्कृत० प्राकृत० . संस्कृत धुण
पडिअम्ग अनु-व्रज धुमा उद्-धमा
पडिसा धुव . . धू
पडिसा
शम् । धुव्व
पडिसाम नच्च नृत्
शुभ:: पणाम
अपि नष
पद
गम् । नस्त नश
पभ्नाड
मृद्
पम्हुह नि
पम्हुत वि- स्मृ निअच्छ निम्मष निर्- मा
पयर
स्मृ । निम्माण ,
पयहल. निरप्प स्था
पयल्ल . प्र- स . . . निरुवार . ग्रह
पर निरंज भञ्ज परिअक्क गम् नील निर- स
परिअल नूम छ,
परिअन्त पडल्ल • पच्
परिआल 'पक्खोड
परिवाड पक्खोड वि-कोश
परिहट्ट पञ्चड . क्षर
परी
भ्रम्
परि पच्चार उपा-लम्भ
पलाव
नश.. पच्छन्द
पल्लट्ट पज्ज
पल्हत्थ , , पज्जर का
पल्हत्य वि० रिच पज्मर
पल्लोट्ट परि-अस् पट्ट पिब्
पल्लोट्ट प्रत्याङ्-गम् पतृव प्र-स्थापि पठवाय
म्ला पड पत् पव्वाल
। प्लाषि
4444 बहु 4 4 4 4 4 : garl
म
.
वेष्ट्र
सद
घट्.
क्षिप्..
गम्
परि- अस्
Page #325
--------------------------------------------------------------------------
________________
॥ संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥
- vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv
vvvvvvvv
प्राकृत
संस्कृत० भ्रंस
फुम
. भ्रम्
फुस
फुस
भृज् बन्ध
बज्झ बीह
भी
पिज्ज
बुक्क
कथ
बुज्य
ब्रुव
प्रस्
बीज
प्राकृत पव्याला
छद पविरज्ज भज्ज् प्रस्स
घूर्ण पार
হান্ধু पास
पिब पिसुण पुच्छ
प्रहन्छ पुण पूंछ मृज् पुंस पुलअ पुलआअ उत्- लस पुलोअ पुष
मृज पोक व्या- हृ
दृश पेण्डव प्र- स्थापि पेल्लक्षिप् पेस्क फंस स्पृश फरिस फस विसं-वद् फास
दृश
alohimbeerelltilbudete
बोज्ज बोज्ज : बोल्ल . भण्ण भमड भम्मड भमाड
श
भर
पेच्छ
भल भा
भिन्द
भास् भष
भिस भुक्क भुज्ज भुज्ज
भुत
भुम.
फिट्ट
भुंज
भ्रम्
भुल्ल भोच्छं भेच्छं
मग्ग
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--------------------------------------------------------------------------
________________
. ॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥
प्राकृत.
संस्कृत
• प्राकृत० रुन्ध
संस्कृत०
मद् निः-सद् : मृद्
मज्ज मह मढ
रुब्भ रुष्व रोच्छं रोत रोच रोसाण रेअव
मुन्
मुण.
राज् लग स्मृ लम्
लम्भ
संस्
नि-ली
महकांक्ष महमह प्र- मृ मिल्ल .. मील मुज्झ
ज्ञा मुत
मुच् . मुर
घड् . मुसुमूर
भ महुस प्र- मृज्-मुए
भङ्ग मोछ
मुच् । मोट्टाय. मेलव. . मिश्र मेल्ल : रम्भ... आइ-रभू रम्भ
गम् रम्प
तक्ष रम्फ.. रंखोल राव रिअ प्र- विश रीज
मण्ड रीर.
राजू
लहस लिक लिहक लिप्प लिभ लिस
लिप् लिहू. स्वप् .
लिङ्
लुक्क
लुच्छ
लुण लुव्व
छिन्
ঘু
लोट्ट लोट्ट घग्गोल घरच वरच
स्वप् रोमन्थ कांक्ष व्रजू
रुण्ट
Page #327
--------------------------------------------------------------------------
________________
(५४)
. ॥ संस्कृतप्राकृतधातुमाला ॥
-
- vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv...
संस्कृत
संस्कृत
प्राकृत घज्ज
प्राकृत धिम्हर विर.
पज्ज
दृश
भजू
विर
-
गुपू
F
घि- लप्
वज्जर वज घडवड घड्ढ घब्भ धमाल वम्फ वम्फ घरहाड वल घल
नि-स
आङ्
घलग्ग
वसुआ
वुक्क
उद्- वा
कृप मला
विरल तन् विरमाल प्रति- ईक्ष विरा वि- लीङ् विरोल . मन्थ विलुम्प का विल्लोट्ट विसंवद विस दंल् विसूर खिद् विहीर प्रति-ईक्ष बिहोड .. तड् धीसर वि- स्मृ बीसाल _ मिश्र
भष् वुश्च . वच् वुञ . व्रजू
मज्ज ब्भ
. वह थोक वि-ज्ञ वोच्छ वच योज . बीज वोत
वच वोल गम् वोसह वि- कस् पोसिर अव-सृजू वेअड खच् वेच्छ विद्
घा
कृ
बावम्फ वास वाह वाहिप्प विअट्ट विउड विक्क विच्छोल विडविड विढप्प विढव विप्पगाल विम्हर
अघ-कास
, गाह व्या-ह
वद्
नश् वि- कृ
कम्पि रच अर्ज "
नश वि- स्मृ
बेष्ट
वेमय
भङ्ग
Page #328
--------------------------------------------------------------------------
________________
संस्कृत सिच
स्निह सिच
सिधू
घेल्ल
रम्
सिन् स्पृह कांक्ष
स्म
भञ्ज्
॥ मुनि कस्तूरविजयविनिर्मिता ॥ प्राकृ संस्कृत
प्राकृत वेलव वञ्च
सिञ्च
सिम्प वेलप . उपा- लम्भ
सिप्प वेलव স্ব
सिभ्य
सिठव घेहव
वञ्च सक्क আন্ধু
सिह सद्
सिह
सीस सन्दुम प्र-दीप सन्दाण. कृ.
सुण सन्धुक्क ,, दीप्
सुमर सम्नाम अङ्-दृङ्
सुव्व सन्नुम
सूड समाण सम्-आप्
सोल्ल समाण
भु समार समा-रच
सोल्ल
सेह संखुड रम्
हक्क सघकथ संभाव लुभ
हक्खुष
हण सवेल्ल . मं- वेष्टः सलह
श्ला सव्वव . दृश
हव सह .
राज् साअड्कृ
ष्
हारव सामग्ग
हीर प्रति- ईक्ष
प्र- ह सारव समा-रच साह साहट्ट
स- वृ साहर
अस सिज्ज
सिध् ॥ इति प्राकृतधातुकोशः ।।
पच् क्षिप्
नश नि- सिध् उद्-क्षिप्
.
भू
मृज
क्षिप्
None or
सि
स्विद
मिजा
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--------------------------------------------------------------------------
________________
(५६)
॥ संस्कृतप्राकृतधातुरूपमाला ॥
पण मिय पास जिणिदं विजयाहमणेमिसृरिजुगपवरं । तह विजयोदयसूरिं, जस्स पसाया इमा रइयां ॥ १ ॥
विन्नाणविजयसन्नं, पन्नासपयङ्किअं च थोऊणं । लोणवसुनिहिचन्दे, वासे जिट्ठे सुहे मासे ॥ २ ॥
पाइअयरूवमाला, सुगुम्फिआ भविअबोहणठ्ठेयं । अणहिलवाडयनयरे, नंदउ जा वीरजिणतित्थं ॥ ३ ॥
सकल स्वपरसमयपारावारपारीण सूरिचक्र चक्रवर्त्ति
शासनसम्राट् जङ्गमकल्पतरुयुग प्रधानावतारतपागच्छाधिपतिभट्टारक-याचार्यमहाराजाधिराजश्रीमद्विजयनेमिसूरीश्वरचरणेन्दीवरेन्दिन्दिरायमाण- अनुयोगा
चार्यपन्न्यासश्रा विज्ञान विजयग
णिशिष्य-मुनिकस्तूरविजयविनिर्मितेयम् ॥
॥ श्री प्राकृतरूपमाला ॥ । सम्पूर्णा ।
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________________
(न०
एत
पई
असु
मुनिकस्तूरविजय विनिर्मिता
(७) . ॥ प्राकृतरूपमालान्तर्गतप्राकृतशब्दरूपाणामकारादि
अनुक्रमणिका ॥ अप्पाण
एग अत्ताण .
ए अप्प..
एक्क अत्त
एक्कत अह अच्चि
पअ अच्छरसा
(स्त्री अच्छग.
एआ अन्न (पु.)
(न० ,, (खी०) ., नि.]
कत्तार अमु (पुं)
कत्तु .., (खी०)
कम्मा . ., (न.)
क (किम् ) (पु० अम्ह
का ,, (खी अळू
किं ,, (न : आउस
कउहा आउ :
कई
खलपू इम (इदम्) (पुं)
गउ इमी , (स्त्री)
गरिमा इमा , (स्रो०)
गामणी इम , (न०) .उसण . . .
गाव एग () ७२
गावी एअ
गिरा
गोण एक्क , पक्कल्ल
चमू एगा (स्रो०) ८० चन्दम एआ
चउ पक्का पक्कल्ला
छिहा
. .
९
गाअ
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--------------------------------------------------------------------------
________________
(५८)
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥
छिआ छुहा जम्म जस ज (यद्) (पु०) जा ,, (स्त्री०) ज (यद्) (न०) जाणु
, (स्त्री०)
, (न०) दिसा दुहिआ
धण धूआ
धेतु
णव णरवह तरु तनु . तडिआ. तडि त (नद) (पु.) ता, (स्त्री०) त , (न०)
नमोक्कार नमुक्कार नणन्दा नव नाण नावा नामनेहालु , पज्जुण्ण पही पाडियआ पडिवआ पुरिम (पु०)
, (स्त्री०) . ,, (न०) पुव्व (पु०)
तिरिच्छ तिरिक्ख तिरिअ
तिरिअंच तिरिच्छि तिरच्छी ती (त्रि) तेरह
" (स्त्री)
दक्खिण (पु०) - " (स्त्री)
पेम्म पंच बहिणी भरणी भत्तर
भत्तु | भगवन्त (पु०)
दस दाम दाहिण (पु०)
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--------------------------------------------------------------------------
________________
मुनिकस्तूरविजय विनिर्मिता
वय वारि
विज्जु
भगवई (स्त्री०) भगवन्त (न०) भीयर भाउ भिस मट्टिआ
वीसा वे [द्वि] सवण्णु
सयंभू
मन्नु ।
ससा सरअ (पु) सरिआ सव्य (पु.) ., (स्त्री०) ,, [न.]
महव महवाण महिमा माआ माअरा माइ माउ माउसिआ
माउच्छा - माला
मुत्ति . मुध्ध । मुध्धाण
सठि सय सासू 'सुरहि सुसिरी सुव (पु०) ,, (स्त्री)
' . .मंतु
सेय
रत्ति
राय रायाण रिसि रुपिणी लच्छी वण
सोहिल्ल संपया हरि हसन्त [] हसमाण , हसई (स्त्री०) हसन्ती , हसमाणी . हसन्त (न.) हसमाण ,
Page #333
--------------------------------------------------------------------------
________________
(६०)
|| प्राकृतधातुरूपमाला ॥
AAAAAA
॥ प्राकृतरूपमालान्तर्गतप्राकृतधातुरूपाणामकारादि
अनुक्रमणिका ||
अस
अप्प
आहोड (प्रे०) १७२ | हा
कर
कर (क०) कार (प्रे० )
कार ( प्रे०क०) खाभ (प्रे०क०)
गच्छ
गम (क०)
गा
गा (प्रे०)
चि (क०) चि (क०)
4
억
ठा (क०)
१३१ | डी, उत् १७३ | ढक्क (प्रे०)
ठा (प्रे.)
डह (To)
१२९ | ण्डा (प्रे०)
१६३ थुण
१६६
१९२
१८९
१५५
१५७
जुगुच्छ (इच्छा०) २०६ जुगुच्छ ( इ०प्रे०) २१९
झा
११४
झा (क० )
१५४
१८३
झा (प्रे० ) झा ( प्रे०क०)
२०१
झुण (इच्छा०क०) २१५ |पूस
११२
१५३
१८०
१६१
दरिस (प्रे०)
दूम (प्रे० ).
धुव
१३७ | नाव (प्रे० ) १६२ | नासव (प्रे०
)
१२० ने
१८३ ने
ने (क०)
ने ( प्रे०क० )
ΠΙ
पा ( क०) पाड (प्रे०)
पिज्ज
१.४
११६ भाम १६९ मिला
१२५
११८ भिस्स (प्रे०) १७३
१८३
रव
१२७
१६२
रुव क० ) लिह ( o ) .
१६२
लिच्छ (इच्छा) २०४
लिच्छ (इ० क०) २१३
लिच्छ (इ०प्रे०) २२३
वा ( प्रे० ) १७७
१३९
१३३
१.७३
१७४
१४३
१७२
१७२
११५ वोच्छ
१२३ सुरु (इच्छा ) २११
१५२ सोच्छ
१३९
१८४
१९९
११७ हस
सोस (प्रे०)
पिवास ( इच्छा० ) २०८ पिवास (इ०प्रे०) २२६
१३१
बुहुक्ख[इच्छा०) २०९ बुहुक्ख [इ०क०]२१७
बोल्ल
१०६
१३५
१४८
१५३ हरिस १७२ हस (To) १४२
हास ( प्रे० )
१६३
हास ( प्रे०क०) १८६
हो
१११
१२१
हो [क० ]
१५०
हो [0]
• १७४
१४०
[क० ] ] १५९ हो (श्रे० क०) १९५
απ
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--------------------------------------------------------------------------
________________
(शब्द तथा धातुना रूपोर्नु शुद्धिपत्रक)
महं
मनिकस्तूरविजयविनिर्मिता
पृ० पं० अशडम् शुद्धम ११ १५ रिसी- इसी रिसि-इसि २४ १० तरु
तरू खकपूओ खलपूओ ३५ ६ कत्तुणोकत्तू कत्तुणो-कत्तू ३६ १० भायारा . भायरा ४१ ४ ननन्ह ननान्ह ४३ ८ गको गओ ४५ १५ आप्पाणाहिन्तो अप्पाणाहिन्तो ४९ ४ . द्वि० ब: अधिकम् ..
। मुद्धाणे, मुद्धाणा ५९ ४ हसमाणिओ हसमाणीओ
हसमाणिउ हसमाणीउ .६१ ६ सिरीमन्तो सिरिमन्तो
पृ० पं० अशुद्धम् शुद्धम् ६४ २ सरत् सरित् ६४ ५.९ मालावत् काम्मावत ७६ १३ एतेणा एतिणा ८५ १० अदम्
अदस् मएमयाइ मए-मयाइ ९४ १९ मम्हं ९४ २० अम्ह
अम्हं ९६ ५ वेण्हि वेण्ह ९७ ४ . तृतीयाबहु० अधिकम
। चउहि, चहिँ, चउहिं. १०१ . १ तेरहिन्तो तेरहहिन्तो १०३ ५. सट्ठीहि . सट्ठीहि, १०३ १६ संत्तसजरि सत्तसयरि १०३ १९ एगणउइ एग्णनरइ १०८ ८ इंसेहिए .
.
Page #335
--------------------------------------------------------------------------
________________
.
पा
॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥ .
पृ० पं० अशुः . शु० .. १०८ ९ सेहिसे ..... ११४ ८. ज्ञाहिन्ते . ज्ञाहिन्ति ११७ १४ पाने १२४ १० नेज
नेजा १२७ ११ मिलज्ज । मिलाज . १३१ ७ म्ह थाय छे. म्ह, विकल्पे थाय छे १४५ १४ गज
गर्नु । २४६ १४ इच्माणों
इच्छमाणो १४७ ८ खद। खाइ १५२ ४ नेइज्जई नेइज्जइ १५६ २ चिचिहिइ । चिव हिह १६० ५ भणिहिइ भणिहिह १६० ६ भणिहिइ भणिहिह १६१ ११ भण्णामणो . भण्णमाणो • १६१ १३ डहिज्झइ डहिजइ
पृ० पं० अशुहम् शुडम्
लिहिज्जई,अ लिहिबईअ, १६२ २० रुखमाणो . . रुवमाणो . १६२ २१ रुविज्जोअ रुविजी १६४ १३ हसिहिरे हासिहिरै .१६४ १८ हसात्रिहिसे हसाविहिसे १६६ ३ हासेम १६७ १७ स्सामो
स्सामो १९० ७ खामाविहिन्ते खमाविहिन्ते १९१ १९ खमावीअइअ खमावीअईअ २०४ ५ झाआवीजहीअ, झाआविजहीअ, २१० ६ बहुवखेम बुहुक्खेम २१२ १७ सुस्ससेन्जमु सुस्ससेन्जम १३१ १० आसि, अहसि रूपो सर्व वचन तथा
सर्व पुरुषमा थाय छ.
(६२)
Page #336
--------------------------------------------------------------------------
________________
मुनिकस्तूर विजयधिनिर्भिता
॥ नियमो तथा कृदन्तोनुं शुद्धि पत्रक॥
पृ. पं अशुद्धम् शुद्धम् २७० २० सउरिसो सुउरिसो २७६ १२ बिभला बिभलो २७७ ३ मोण्ड
मोण्ड २८१ २ स्याने स्थाने २८३ ७ विद्युदुद्योतं भरति विद्युदुद्योते स्मरति
राज्याम्- रात्रिम्२८३ २० अणीज, अणीय अणिज्ज, अणीभ
करणीयं करणीअं. " १७ उपर उपरथी घेत्तव्य
घेत्तव्वं २४ दृढ . दह " २४. द.ठूआण दठ्ठाण ॥प्राकृतशब्द तथा धातुकोशनुशुद्धि पत्रक॥
mov v2.2M
पृ० पं अशुद्धम्
शुद्धम् । ३ १६ अवहाय अवयाय ३. २२ अपराध वि० अपराध पुं० ८ १ अनेथी मांडीने अहींयांथी मांडीने ८ ५ ककुभ ककुभ २४ गहा
गीं गिव्याच गिव्वाण १२ २७ समुद्र १३ ०( योग्य अने-उचित, युगल.
युग्मना अर्थमां अधिक) १४ २७ चाम चामडी १४ ३० उतावन उतावर १५ १२ तिर्यंच तिर्यञ्च १५. १३ वृक्ष : वृक्षविशेष १५ १५ श्रीवीरनमाता श्रीवीरनी माता १५.२३ तेजसू तेजस
.
"
.
Page #337
--------------------------------------------------------------------------
________________
गलत्थ
पृ० पं अशुद्धम् १७ १ . न
शुद्धम् .... . न० पुं०
अवह सन्धुक्क परिअल घत्त
बहिस्
. ॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥ .
३८ ३० गल्लत्थ ३९ १२ अवहाव ३९ १३ सन्धुक ४० .३ परिवण .. ४१ २० धत्त • ४३ १२ छुप ४४ १२ देख' ४५ १ मनुक्रमणिका ४५ १२ कृष् ४६ ३१ ओहाम ४९ ९ ० ४९ ३२ छि
१८ ३. ध्वज स्त्री० ध्वज पु०
१५ परहूआ परहुआ २२ ३ प्रादृष् स्त्री० . प्रावृष पु०
१६ बाहिर १७ बहिर
" ८ मउह भामिनी
भागिनी चन्द्व
चन्द्र २७ १३ लोद्धय । लोद्धय ३० ४ हममा
हमणा ५ मण्ड
मण्ड २० णिच्छल णिच्छल्ल ३८ ३ पक्खीड पक्खोड ३८ २२ मीहम्म णीहम्म
मकारायनुक्रमणिका कृप ओहाव झंख संतपू छिद् दुभ विम्हर वि-स्स आङ्श्लिष्
.
.
२५
५४ २ विम्हर स्मृ ५५ ११ अङ्ह ५५ २४ श्लष ५५ ५ सिभ्यसिधू
Page #338
--------------------------------------------------------------------------
________________
शुद्धिपत्रकम्
सूचना.
शुद्ध
तादर्थ्यमां कहेल जे चतुर्थीनु एकवचन सिवाय चतुर्थीमा ल. खेला पर्व रूपो षष्ठीना जाणवा. ( तादर्थ्य सिवाय चतुर्थीना अर्थमां षष्टीज वपराय छे. ते जणाववा माटे चतुर्थी मां सर्व ठेकाणे रूपो लखेल छे, पण चतुर्थीना रूपो समजवा नही. )
पं अशुद्ध २ २० .
नियम ४]मां वधारय् ॥ पदने अन्ते म् होय तो पू. वना अक्षर उपर अनुस्वार थाय छे. देवम-देवं
हि ( प्रत्ययमां वधार) .२ २४ देवा ३. १२ पज्जुण्णेहि पज्जुण्णेहि
नमुक्काराहि १० राईत्तो राइत्तो . . .१६ १२ दहीइ
१७ २ . दहीणी दहिणि १९ ९.. मुसिरी सुसिरि २४ . १३ तरूणो तरुणो २६. १०. .
मन्तु, मन्तुशब्दनुं सप्तमोनुं रूप रही गयेल छतेथी तरु शब्दना रूपोनी माफक जाणवू
देवे
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--------------------------------------------------------------------------
________________
शुद्धिपत्रकम्
पृ पं २८ - १२ ४० ३
११ ५९ १४ ६४ १६
अशुद्ध रज्जू माऊत्तो महवेन्तो इ .
रज्जु माउत्तो महवेसुन्तो
७७ ६ एतस्मि ८४ १९ एईए ८८ ११ अन्नाइ ९७ १६ पंचान्तो
१०३ ९ सट्ठीसुन्तो - १०३ ७ .
पञ्च० एक व० अधिकम् । तडित्तो. नडीओ, तडोउ, तडीहिन्तो बहुव० अधि. कम् तडित्तो एतस्सि एईए অন্যা पंचाहिन्तो सट्ठीहिन्तो सहि शब्दना चतुर्थीमां रूपो रही गयेल छे तेथी षष्ठीवत् जाणवू वेच्छ नेईओम মহিলাধু कीरमाणो कारेस्सामो पिवासावेइस्था
१३८ १८ वेच्च १५२ ९ ने आम १५९ १९ भणिज्जामो १६३ ६ कीरमाण १६७ १७ करावेस्सामो २२४ १० पिवासावेत्था
Page #340
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_