SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 278
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ .. ॥ प्राकृतसंस्कृतरूपमाला ॥ प. न० आयंक आयण्णिअ आयर आयार - आराहणाआरेइअ . आलोअ आपण आयवत्त आवया आस आस आसत्थ आसिसा आहरण आहित्थ आहूअ इअ, इ. आतंक आकर्णित वि० आदर आचार, आकार, पु० आराधना स्त्री आरेचित वि) आलोक आपण आतपत्र आपगा-द आशय अश्व अश्वत्थ आशिष आभरण अत्रिस्त वि० आहूत इति । एकाज स्त्री . se ** **** ***** **5£#****# *: भय सांभळेलु सन्मान आचार,आकृति, आराधना रोमांचित प्रकाश बजार छत्री नदी-आपत्ति अभिप्राय घोडो पीपलो आशीर्वाद आभूषण भयपामेलु बोलावेल ए प्रमाणे चन्दन : शेरडी अङ्गारो इन्द्र चन्द्र वि० इंगोल. अङ्कार इंदु .. इन्दु .. एक इण्हि, इतहि इंदधणु इंदाणी इत्थी इब्भ स्त्री० इदानीम् इन्द्रधनुष इन्द्राणी स्त्री इभ्य ऋषि स्त्री० वि० हमणा इन्द्रधनुष इन्द्रनी स्त्री नारी धनवान ऋषि . इसि . पुं० बाण
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy