SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ प्राकृतधातुरूपमाला ॥ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww एकव० बहुव० प्रथम० करिहिइ, करिहिए, करिहिन्ति, करिहिन्ते करिहिरेमध्यम० करिहिसि, करिहिसे, करिहित्था, करिहिह, उत्तम करिस्स, करिस्सामि, करिस्सामो, करिहामो, करिहिमो, करिहामि, करिहिमि, करिस्सामु, करिहामु, करिहिमु, करिस्साम, करिहाम, करिहिम, ___करिहिस्सा, करिहित्था. करेडिइ. करेहिन्ति, करेस, करेस्सामो, पण थायछे. विधि-आज्ञार्थ, एकव० बहुव०, प्रथम० करउ, करन्तु, मध्यम० करहि, करसु, करेजसु, करह, ___करेजहि, करेज्जे, कर, , उत्तम० करिमु, करामु, करमु करिमो, करामो. करमो, 'आज्ञार्थमां ए थाय त्यारे, करेउ, करेन्तु, इत्यादि, भूतकाल. एकव० बहुव० प्र०म० उ० करीअ, ॥ क्रियातिपत्तिः॥ एकव० बहुव० प्र० म० उ० करेन, करेजा, करन्तो, करमाणो.
SR No.002256
Book TitlePrakrit Rupmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturvijay
PublisherVadilal Bapulal Shah
Publication Year1926
Total Pages340
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy